Homeतिलिस्मी कहानियाँ88 – चमत्कारी साधु | Chamatkaari Sadhu | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

88 – चमत्कारी साधु | Chamatkaari Sadhu | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके सभी दोस्त घर वापस आ गए थे। उन्हें सितारा का श्राप तुडवाने के लिए हवन करना था। उनके संदूक की चाबी भी खो गई थी।

मुनी:- आपको उस चाबी को वापस पाने के लिए थोड़ा कष्ट उठाना होगा।

लव:- मुनी जी क्या हमें फिर से किसी राक्षस का सामना करना होगा।

मुनी:- हां एक शैतान राक्षस है।

लव:- नहींईईई….. अब फिर से राक्षस नहीं।

मुनी:- चिंता मत करो, यह राक्षस बहुत ही प्यारा है।

लव:- क्या कहा प्यारा राक्षस? राक्षस भी प्यारे होते है।

नैरेटर:- मुनी की इस बात से सभी हैरान हो जाते हैं। फिर मुनी घर से बाहर आ जाता है और उसके पीछे-पीछे बाकी सभी भी आ जाते हैं।

मुनी:- वह देखो वो रहा छोटा राक्षस।

(मुनी यह बात सितारा की तरफ इशारा करते हुए कहता है। सितारा के हाथ में वह चाबी थी जिससे वह खेल रहा था।)

लव:- ओह… तो यह है वो प्यारा राक्षस। इसका सामना करना तो सबसे ज्यादा मुश्किल होगा।

बुलबुल:- (हंसते हुए) हां इस राक्षस को काबू में करना आसान नहीं होगा।

(उसके बाद वे सभी सितारा के पास चले जाते है।)

करण:- सितारा तुम यह चाबी हमें दे दो। यह कोई खेलने की चीज नहीं है।

सितारा:- (बच्चों की आवाज में) नहीं मैं यह चाबी तुम्हें नहीं दूंगा। यह मेरी है।

करमजीत:- नहीं यह चाबी तुम्हारी नहीं है। तुम हमें चुपचाप यह चाबी दे दो।

(सितारा रोने लगता है।)

बुलबुल:- करमजीत तुम सितारा को इस तरह मत डराओ वह अभी बच्चा है।

लव:- वह बच्चा नहीं है, उसे बच्चा बनने का श्राप मिला है।

(बुलबुल लव को घूरती है, तो वह चुप हो जाता है।)

बुलबुल:- हमें इससे प्यार से यह चाबी लेनी होगी। सितारा कृपया करके तुम हमें यह चाबी दे दो।

सितारा:- नहीं मैं नहीं दूंगा।

बुलबुल:- यह तो बहुत ही शरारती है।……अगर तुम हमें यह चाबी दे दोगे तो हम तुम्हें बहुत सारी चीज देंगे।

सितारा:- सच्ची।

बुलबुल:- हां सच्ची।

(सितारा बुलबुल को चाबी दे देता है।)

लव:- वाह इसने अब कितनी आसानी से यह बात मान ली।

बुलबुल:- बच्चे ऐसे ही होते हैं लव हमें, उन्हें प्यार से समझाना चाहिए।

नैरेटर:- उसके बाद सितारा बुलबुल को चाबी दे देता है और वे सभी सितारा को लेकर वापस घर के अंदर चले जाते हैं। उसके थोड़ी देर बाद बाबा भी बची हुई सामग्रीयां लेकर वापस आ जाते हैं।

बाबा:- बच्चों क्या आप सभी को चाबी मिल गई है?

लव:- हां जी बाबा हमें चाबी मिल गई है एक छोटे राक्षस ने हमारी चाबी ले ली थी।

बाबा:- राक्षस… आखिर राक्षस यहां पर कैसे आ गया?

बुलबुल:- नहीं बाबा यहां पर कोई राक्षस नहीं आया था।

नैरेटर:- उसके बाद बुलबुल बाबा को सारी बात बता देती हैं।

(बाबा हंसने लगते हैं।)

बाबा:- हा हा हा… तो ऐसी बात है।

बाबा:- ठीक है, अब हमारे पास हवन के लिए सारी सामग्रीयां उपलब्ध है, कल सुबह जल्दी उठकर हमें हवन करना होगा। ‌

करण:- जी बाबा जी, कल हम सभी को जल्दी उठना होगा। इसलिए सभी जल्दी खाना खाकर सो जाते हैं।

नैरेटर:- उसके बाद सभी खाना खाकर सो जाते हैं फिर अगले दिन वे सभी जल्दी उठ जाते हैं। उसके बाद बाबा और सभी मिलकर हवन की तैयारी करने लगते हैं और हवन कुंड तैयार कर लेते हैं।

बाबा:- हमने हवन की सारी तैयारियां कर दी है, अभी हवन शुरू करने में थोड़ा सा समय है, तब तक सितारा को भी बुला कर ले आओ।

बुलबुल:- जी बाबा मैं अभी सितारा को बुलाकर लेकर आती हूं।

नैरेटर:- उसके बाद बुलबुल सितारा को लेने चली जाती है।

(तब सितारा भाग रहा होता है, बुलबुल उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ रही है, उसके पीछे दौड़ते हुए बुलबुल कहती है।)

बुलबुल:- रुक जाओ सितारा इस तरह मत भागो।

सितारा:- नहीं पहले मुझे पकड़ कर दिखाओ।

सुनीता:- अरे सितारा पुत्तर तुसी इस तरह मत भागो।

करमजीत:- यह ऐसे नहीं मानेगा।

नैरेटर:- उसके बाद करमजीत सितारा को पकड़ लेता है। तब सितारा करमजीत से डर जाता है।

तेजिंद्र सिंह:- अजी अगर सितारा इस तरह ई शरारत करदा रया तो इसने तो यज्ञ पूरा होन ही नी देना जी।

सुनीता:- तुसी बिल्कुल सही कहंदे ओ जी। मैंने तो अव चिंता हो रही सी।

टॉबी:- हमें कोई तरकीब सोचनी होगी।

बाबा:- कोई बात नहीं मैं अपनी शक्तियों की सहायता से सितारा को अपने वश में कर लेता हूं ताकि यह आसानी से यज्ञ मैं बैठ सके और यज्ञ को भंग ना कर सके।

करण:- जी बाबा जी यही सबसे अच्छा उपाय होगा। नहीं तो हम सितारा का श्राप नहीं तुडवा सकेंगे।

नैरेटर:- उसके बाद बाबा अपनी जादुई शक्तियों की सहायता से सितारा को अपने वश में कर लेते हैं। फिर बाबा सितारा से जो भी करने को कहते हैं। वह बिल्कुल वैसा ही करता है।

बाबा:- चलो अब हम यज्ञ आरंभ करते हैं यज्ञ का समय होने वाला है।

बुलबुल:- जी बाबा जी।

नैरेटर:- उसके बाद सभी यज्ञ आरंभ कर देते हैं। बाबा उस संदूक की सभी सामग्रियों को हवन कुंड में डाल देते हैं। फिर थोड़ी देर पूजा करने के बाद, बाबा सितारा को प्रसाद देते हैं फिर वह उस प्रसाद को खा लेता है। बाबा ने अपनी जादुई शक्तियों के प्रभाव से सितारा को अपने वश में कर रखा था, फिर बाबा उस जादुई शक्ति के प्रभाव को बंद कर देते हैं। उसके बाद सितारा होश में आ जाता है।

बाबा:- यज्ञ संपन्न हुआ। अब सितारा का श्राप टूट गया है।

तेजिंद्र सिंह:- अजी ऐ तो वड़ा ही अच्छा हुआ।

सुनीता :- तुसी विल्कुल सही कहंदे ओ जी कद्दू काट के‌।

सितारा:- (अपना सिर खुजाते हुए कहता है।)…मैं कहां पर हूं।

करण:- सितारा क्या तुम्हें कुछ भी याद नहीं है? क्या तुम हमें पहचानते हो?

सितारा:- हां करण, मैं तुम्हें पहचानता हूं, मैं बस इस जगह को नहीं पहचान पा रहा हूं। तुमने मुझसे ऐसा क्यों पूछा?

करण:- सितारा तुम्हें एक श्राप मिला था।

सितारा:- क्या कहा श्राप…..मुझे कैसा श्राप मिला था?

करण:- सितारा जब तुम जंगल की तरफ जाकर एक खरगोश को पकड़ रहे थे, तब बाबा को लगा कि तुम उस खरगोश को बेवज्ञह तंग कर रहे हो। तब बाबा ने तुम्हें श्राप दिया था कि तुम सब कुछ भूल जाओगे और एक पांच साल के बच्चे की तरह व्यवहार करोगे।

सितारा:- क्या कहा…क्या यह सब सच है? मुझे यह तो याद है कि मुझे एक खरगोश बहुत प्यारा लगा था। तब मैं उसे पकड़ना चाहता था और वह मेरे हाथ में नहीं आ रहा था, इसलिए मैं अपनी शक्तियों की सहायता से उसे पिंजरे में बंद कर रहा था। परंतु मैं उसे कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था।

करण:- हां सितारा हम जानते हैं। हम सभी अभी पांच वर्ष बाद भविष्य में आए हैं ताकि हम तुम्हारा श्राप तुडवा सके।

सितारा:- क्या कहा हमने समय यात्रा भी की है?

लव:- हां हम सभी ने समय यात्रा की है और हम सब यहां पर पांच वर्ष बड़े हो गए हैं।

सितारा:- मित्रों तुम सभी ने मेरे लिए इतना कुछ किया उसके लिए तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया।

लव:- हमने तो तुम्हारे लिए चार बड़े बड़े राक्षसों का भी सामना किया।

नैरेटर:- उसके बाद वे सभी सितारा को सारी बात बता देते हैं कि किस तरह उसे श्राप मिला और वे सभी भविष्य में क्यों आए थे और साथ ही उन्होंने सामग्रियों को पाने के लिए किस तरह राक्षसों का सामना किया।

सितारा:- (भावुक होते हुए) मित्रों मेरे लिए इतना सब करने के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया।

लव:- कोई बात नहीं सितारा तुम हमारे प्रिय मित्र हो, हम तुम्हारे लिए इतना तो कर हीं सकते है। परंतु तुमने हमें बहुत ज्यादा तंग किया है।

सितारा:- (अचंभित होते हुए) मैंने… तंग??

लव:- हां तुमने, तुम बिल्कुल छोटे बच्चों की तरह व्यवहार कर रहे थे।

नैरेटर:- उसके बाद लव सितारा को सब बता देता है कि वह किस तरह छोटे बच्चों की तरह व्यवहार किया करता था और सबको परेशान करता था। यह सब सुनकर सितारा बहुत ज्यादा शर्मा जाता है।

सितारा:- (शरमाते हुए) ही ही ही, आप सभी मुझे क्षमा कर दीजिए। मैं अपने किए पर शर्मिंदा हूं।

करण:- नहीं सितारा तुम्हें हमसे माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है।

बुलबुल:- हां सितारा करण बिल्कुल सही कह रहा है। तुम्हें क्षमा मांगने की कोई जरूरत नहीं है। उस समय तुम्हें कुछ भी समझ नहीं थी, तुम्हारा दिमाग एक बच्चे की तरह ही था। जो कुछ भी हुआ उसमें तुम्हारा कोई दोश नहीं है।

सितारा:- फिर भी मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।

सुनीता:- अजी पुत्तर तुसी ऐसा ना कहो जी, जो कुछ भी होया, उसमें तोहाड़्डा कोई दोश नहीं ऐ जी। जो कुछ वी होया ओसनु भूल जाओ जी। कद्दू काट के।

तेजिंद्र सिंह:- हां जी पुत्तर सुनीता जी बिल्कुल सही कह रही ऐ जी। तुसी भूल जाओ जी सव।

करण:- बाबा आपका बहुत-बहुत शुक्रिया कि आपने हमारे मित्र को फिर से श्राप मुक्त कर दिया है।

सितारा:- हां अगर आपको मेरी वजह से कोई भी परेशानी हुई हो तो उसके लिए कृपया करके मुझे क्षमा कर दीजिए और मेरी सहायता करने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया।

बाबा:- कोई बात नहीं बच्चों आप सभी बहुत ही अच्छे हैं इसीलिए मैंने भी आपकी सहायता की।

बुलबुल:- अब तो सितारा का श्राप टूट गया है। फिर अब हम सभी को अपने समय में वापस चलना चाहिए।

लव:- क्यों ना हम सभी यहां पर कुछ समय और रुक जाए?

बुलबुल:- परंतु हम यहां पर रुक कर क्या करेंगे?

लव:- हम यहां पर रहकर कुछ दिन और घूम सकते हैं। हम देख सकते हैं कि हमारे आने वाले पांच वर्षों बाद हमारे जीवन में क्या-क्या बदलाव होगा? बाबा क्या हम यहां पर कुछ और दिन रूक सकते हैं?

बाबा:- हां जब तक आपका मन करे, आप सभी यहां रुक सकते हैं। जब आप सभी को वापस जाना हो तो, मुझे बता देना मैं आप सभी को वापस भेज दूंगा।

लव:- बाबा क्या मैं इस दुनिया वाले लव को देख सकता हूं कि वह पांच वर्ष बाद कैसा हो गया है और क्या कर रहा होगा?

बाबा:- हां, परंतु यह सब आपके लिए बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है।

बुलबुल:- खतरनाक… परंतु वो कैसे बाबा?

बाबा:- जब आप सभी अपने भविष्य वाले रूप को देख रहे होंगे। तब आप सभी को एक बात का ध्यान रखना होगा कि आपको उनके सामने नहीं जाना है और ना हीं आप अपने जीवन में अपने हिसाब से कोई भी बदलाव कर सकते हैं। अगर आप ऐसा करेंगे तो आप हमेशा के लिए इसी समय में रह जाएंगे और आपकी असली दुनिया से हमेशा -हमेशा के लिए आपका अस्तित्व मिट जाएगा।

लव:- क्या कहा इसका मतलब हम हमेशा के लिए यहीं रह जाएंगे और हमारी असली दुनिया के सभी लोग हमें भूल जाएंगे?

बाबा:- हां तुमने बिलकुल सही कहा।

करण:- परंतु हमें यहां पर रुकना ही क्यों है हम कुछ ही दिन में वापस अपने समय में चले जाएंगे।

लव:- परंतु करण मैं यह देखना चाहता हूं कि मैं पांच साल बाद अपने जीवन में क्या कर रहा होंगा?

करण:- परंतु लव बाबा ने कहा था कि यह सब खतरे से खाली नहीं हो सकता। हमें बहुत ही सावधानी रखनी होगी।

लव:- हां करण मैं सावधानी रखूंगा और हम कुछ भी गलत नहीं करेंगे।

नैरेटर:- उसके बाद लव सभी को वहां पर रोकने के लिए मनाने लगता है। तब वे सभी भी लव की यह बात मान जाते हैं और कुछ दिनों के लिए भविष्य में रुकने के लिए सहमत हो जाते हैं।

बाबा:- याद रहे तुम सभी को बहुत सावधानी रखनी होगी, अगर तुम सभी यहां पर किसी मुसीबत में फंस जाते हो तो मैं भी तुम्हारी सहायता नहीं कर पाऊंगा। ध्यान रहे कि तुम्हारा भविष्य स्वरूप तुम्हें ना देख सके तुम्हें उनसे छुप कर रहना होगा। ‌

करण:- जी बाबा हम सभी ध्यान रखेंगे।

लव:- हां हम कोई भी गलती नहीं करेंगे।

टॉबी:- हां अब तो मैं भी देखना चाहता हूं कि पांच वर्ष बाद मैं क्या कर रहा होंगा?

नैरेटर:- करण और उसके सभी मित्र भविष्य में रुककर आखिर क्या करेंगे और जब वह अपने भविष्य स्वरूप को देखेंगे तो क्या वह कोई गलती किये बिना रह पाएंगे। यह सब जानने के लिए बने रहियेगा तीलीस्मी कहानी के अगले एपिसोड तक।

 

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