84 – करन का बदला | Karan ka Badla | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि राक्षस ने नागराज को घायल कर दिया था। उसके बाद करण ने मणी की सहायता से राक्षस से युद्ध करके उसे घायल कर दिया था, परंतु राक्षस वापस जिंदा हो गया था।
नैरेटर:- बरकासुर फिर से जिंदा हो जाता है, तब यह देखकर सभी हैरान हो जाते हैं और यह सोचने लगते है कि वह इस राक्षस को कैसे खत्म करेंगे?
तेजिंद्र सिंह:- ओए इ रक्षस तो फिर से जिंदा हो गया, असी अब की करांगे?
टॉबी:- जी पाजी, इस राक्षस का वध करना भी एक बहुत ही बड़े रहस्य की बात है।
नागराज:- करण इस राक्षस को पूरी तरीके से खत्म करने का केवल एक ही तरीका है। इस बार तुम इस पर मणी से आक्रमण करना। उसके बाद जब यह मणी के प्रहार से कुछ समय के लिए बेहोश हो जाएगा, तब तुम जल्दी से उसके पास जाकर जो उसके गले में लॉकेट है उसे निकाल लेना और तोड़ देना। उस लॉकेट में ही इस राक्षस के प्राण है। (नागराज करण से धीरे से यह बात कहता हैं।)
करण:- जी महाराज जैसी आपकी आज्ञा। मैं अभी उसके गले से वह लॉकेट निकालने का प्रयास करता हूं।
राक्षस :- क्या हुआ बच्चों तुम मुझसे डर गए क्या?
तेजिंद्र सिंह:- ओए हम किसी से डरते नहीं है, तुसी हमें बच्चा समझने की भूल न करना। रुक तुझे तो मैं अभी सबक सिखाता हूं।
नैरेटर:- उसके बाद तेजिंद्र सिंह उस राक्षस पर अपनी तलवार से आक्रमण करता है। परंतु राक्षस तेजिंद्र सिंह को अपने हाथों में उठा लेता है।
बरकासुर:- क्यों क्या हुआ? अब करो मेरा मुकाबला।
तेजिंद्र सिंह:- ओए राक्षस तुसी पहले मैंनु नीचे तो उतारो।
करण:- बरकासूर तुम तेजिंद्र सिंह जी को छोड़ दो। मैं तुम्हारा मुकाबला करूंगा।
बरकासुर:- ठीक है… लगता है यहां पर तुम सबको मरने की कुछ ज्यादा ही जल्दी है। मैं सबसे पहले शुरुआत तुमसे ही करता हूं।
नैरेटर:- उसके बाद बरकासूर तेजिंद्र सिंह को छोड़ देता है और फिर वह करण के साथ युद्ध करने लगता है। (दोनों में थोड़ी देर युद्ध होता है दोनों एक दूसरे के ऊपर तीरों से प्रहार करते हैं।)
(युद्ध के दौरान बात कर रहे।)
करण:- बरकासुर तुम्हारा अंत अब आ चुका है।
बरकासुर:- हा हा हा… तुम बहुत ही अच्छा मजाक कर लेते हो बच्चे।
नैरेटर:- उसके बाद करण की मणी से बहुत तेज रोशनी निकलती है, वह रोशनी सीधा जाकर बरकासुर से टकरा जाती है। उसके बाद बरकासुर घायल हो जाता है और फिर वह नीचे गिर जाता है।
नागराज:- करण यही अच्छा मौका है, तुम जल्दी से जाकर बरकासुर के गले से वह लॉकेट निकाल लो।
करण:- जी नागराज जी, मैं अभी लॉकेट लेकर आता हूं।
नैरेटर:- उसके बाद करण जल्दी से दौड़कर बरकासुर के पास जाता हैं और उसके गले से लॉकेट निकाल लेता है। जैसे ही करण उसके गले से लॉकेट निकालता है बरकासुर को होश आ जाता है।
बरकासुर:- नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते, मुझे मेरा लॉकेट वापस दो।
नैरेटर:- उसके बाद बरकासुर जल्दी से करण के पीछे दौड़ता है, परंतु तब तक करण लॉकेट को तोड़ देता है। (करण लॉकेट को जमीन पर फेंक कर उसे पांव तले रौंद देता है।)
बरकासुर:- नहींइइइइ…..
(उसके बाद बरकासुर वहां से गायब हो जाता है।)
शुगर:- वाह करण तुमने तो बरकासुर को खत्म कर दिया
करण:- यह सब तो नागराज जी की वजह से ही संभव हो सका है। नागराज जी आपका हमारी सहायता करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।
नागराज:- कोई बात नहीं करण यह तो मेरा फ़र्ज़ था और तुम सभी बहुत ही अच्छे और ईमानदार बच्चे हो, इसलिए तुम्हारी सहायता तो मुझे करनी ही थी।
तेजिंद्र सिंह:- नागराज जी आपका वहोत वहोत शुक्रिया जी। जे आज तुसी हमारी मदद नहीं करते, तो हम ना तो इस राक्षस दा मुकाबला कर पाते और ना ही करण पुत्तर नु ठीक कर पाते जी।
बुलबुल:- नागराज जी क्या अब आपकी चोट ठीक है।
नागराज:- हां मुझे ज्यादा चोट नहीं लगी है, मैं जल्दी ही ठीक हो जाऊंगा। आप सभी चिंता ना करें।
बुलबुल:- नागराज जी क्या मैं आपसे एक और प्रश्न पूछ सकती हूं?
नागराज:- हां बुलबुल पूछो तुम्हें क्या पूछना है।
बुलबुल:- क्या आप सितारा को जानते हैं? क्योंकि जब हम आपसे पहले जंगल में मिले थे, तब आप पहले तो हमारी बातों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं कर रहे थे। परंतु जैसे ही हमने सितारा का नाम लिया आपने हमारी बातों पर तुरंत विश्वास कर लिया और हमें आसानी से आगे जाने की आज्ञा भी दे दी।
नागराज:- तुम बहुत ही समझदार हो। मैं इस सवाल का जवाब तुम्हें जल्दी ही दूंगा, जब सही समय आएगा तब मैं तुम्हें सारी बात बता दूंगा।
टॉबी:- कहीं ऐसा तो नहीं नागराज जी कि सितारा ने कुछ गड़बड़ की हो और जब वह ठीक हो जाएगा तो आप उससे अपना बदल लोगे। वह अभी नादान है, अभी उसे जादू करना अच्छा से नहीं आता। अगर उससे कोई गलती हुई हो तो कृपया उसे क्षमा कर दीजिए।
नागराज:- हा हा हा…नहीं नहीं टॉबी तुम फ़िक्र मत करो सितारा ने कुछ भी नहीं किया है।
करण:- टॉबी अगर नागराज जी को सितारा से बदला लेना होता, तो वह हमारी उन सामग्रियों तक पहुंचने में सहायता नहीं करते।
शुगर:- टॉबी करण बिल्कुल सही कह रहा है, ऐसा कुछ नहीं है।
नागराज:- ठीक है दोस्तों। मेरा चलने का समय हो गया है। आप सभी अपनी आगे की यात्रा ध्यानपूर्वक करना और अगर आप सभी को दोबारा मेरी सहायता की जरूरत हो, तो मुझे अवश्य याद करना।
नैरेटर:- उसके बाद नागराज अपने नाग सैनिको के साथ वहां से गायब हो जाता है। फिर करण और करण के दोस्त अपनी आगे की यात्रा आरंभ कर देते हैं। वे जंगल में थोड़ी ही दूर पहुंचते हैं की करण अपनी तलवार निकाल लेता है।
करण:- सैनिको इन सभी को बंदी बना लो।
करमजीत:- क्या… अब करण को फिर से किसी राक्षस ने अपने वश में कर लिया है।
(करमजीत अपनी तलवार निकालते हुए कहता है।)
बुलबुल:- नहीं अब फिर से नहीं। नागराज जी अभी ही यहां से गए हैं, भला अब हम उनके बिना करण को वापस कैसे होश में लाएंगे।
लव:- दोस्तों ध्यान से करण पर आक्रमण मत करना, वह अभी अपने होश में नहीं है।
करण:- (हंसते हुए) अरे दोस्तों, मैं तो बस मजाक कर रहा था। मैं अपने पूरे होश में हूं, मुझे कुछ भी नहीं हुआ है।
तेजिंद्र सिंह:- अजी पुत्तर तुसी तो हमें बिलकुल डरा दित्ता।
लव:- हां करण तुमने तो हमें डरा ही दिया था।
टॉबी:- चलो, इससे हमें यह तो पता चला की करण को भी मजाक करना आता है।
करण:- टॉबी आखिर तुम क्या कहना चाहते हो क्या मैं कभी मजाक नहीं कर सकता?
टॉबी:- हमम… तुम्हें देखकर तो लगता है कि… नहीं मजाक तुम्हारे बस की बात नहीं है।
(उसके बाद करण टॉबी को थोडा सा गुस्से में देखता है, इसके बाद सभी हंसने लगते हैं।)
शुगर:- बस करो टॉबी… तुम भी ना। अब करण को ज्यादा मत छेड़ो।
टॉबी:- शुगर मैंने कहा कुछ किया है।
नैरेटर:- करण और उसके सभी दोस्त ऐसे ही बातें करते हुए जंगल के अंदर तक पहुंच जाते हैं। उसके बाद उन सभी को बहुत जोरो से भूख लगती है। तब उन्हें वहां पर एक कुटिया नजर आती है।
लव:- देखो वहां पर एक कुटिया है। क्या हम सभी वहां जाकर थोड़ा आराम कर ले और मुझे बहुत जोरो से भूख भी लगी है, हम उनसे कुछ खाने को भी मांग लेंगे।
तेजिंद्र सिंह:- ओए पुत्तर तुसी बिल्कुल सही कहते हो। भूख तो मैनु वी वहोत जोरो से लगी है।
करण:- ठीक है तो फिर हम सभी वहां पर चलते हैं।
नैरेटर:- उसके बाद करण और उसके सभी दोस्त उस कुटिया के दरवाजे को खटखटाते हैं। तब उसके अंदर से एक व्यक्ति बाहर आता है।
व्यक्ति:- आप सभी कौन है? आपको मुझसे क्या काम है?
करण:- हम सभी निलगिरी पर्वत की यात्रा करने निकले थे और हम काफी थक गए हैं, इसीलिए क्या हम यहां पर आज रात रुक सकते हैं?
व्यक्ति:- ठीक है आप सभी अंदर आ जाइए।
(उसके बाद वे सभी अंदर चले जाते हैं और सभी नीचे जमीन पर कपड़ा बिछा होता है, उस पर बैठ जाते हैं।)
लव:- क्या हमें कुछ खाने को मिल सकता है, मुझे बहुत जोर से भूख लगी है।
व्यक्ति:- मुझे अभी किसी काम से बाहर जाना है। रसोई घर में सारा सामान रखा है, आप स्वयं भोजन बनाकर खा सकते हैं।
करण:- कोई बात नहीं आप जाइए। हम खुद खाना बनाकर खा लेंगे।
नैरेटर:- उसके बाद वह व्यक्ति वहां से चला जाता है। फिर करण और बुलबुल मिलकर सभी के लिए भोजन बनाते हैं। उसके बाद सभी भोजन करने लगते हैं।
कुश:- वाह बुलबुल तुम तो बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाती हो।
लव:- हां मुझे तो बहुत जोर से भूख लगी थी। हमने कितने समय से खाना नहीं खाया। उन राक्षसों से युद्ध करने की वजह से हम उसी में इतना व्यस्त थे, साथ ही हमें फल खाकर गुजारा करना पड़ रहा था। अब इतना स्वादिष्ट खाना खाकर मुझे तो मजा आ गया।
शुगर:- हां बुलबुल इतने स्वादिष्ट भोजन के लिए तुम्हारा शुक्रिया।
बुलबुल:- (शरमाते हुए) बस बस मेरी इतनी तारीफ भी मत करो। वैसे तारीफ करने के लिए सभी का शुक्रिया।
नैरेटर:- उसके बाद सभी भोजन कर लेते हैं। सभी बहुत ज्यादा थक चुके थे इसलिए उन्हें बहुत ज्यादा नींद आ रही थी।
करमजीत:- आखिर वह व्यक्ति कहां चला गया है और वह कब तक वापस लौटेगा?
करण:- पता नहीं करमजीत परंतु जब तक वह व्यक्ति नहीं आता, हमें उसका इंतजार करना होगा।
लव:- परंतु करण रात भी होने लगी है और हम इतने ज्यादा थक गए हैं, हमें नींद भी आ रही है। फिर हम सभी को सुबह उठकर वापस अपनी यात्रा आरंभ करनी है। हम सभी को सो जाना चाहिए क्योंकि क्या पता हमें फिर से किस राक्षस का सामना करना पड़े।
तेजिंद्र सिंह:- करण, लव बिल्कुल सही कह रया सी। हम सवनु सो जाना चाहिए।
करण:- ठीक है पाजी हम सभी सो जाते हैं, जब वह व्यक्ति आएगा, तब मैं उठ जाऊंगा।
(उस कुटिया में एक छोटा सा कमरा है जिसमें बुलबुल और शुगर सो जाते है। )
नैरेटर:- सभी बहुत ज्यादा थक गए थे, इसलिए उन्हें बहुत गहरी नींद आ जाती है। उसके बाद सभी आराम से सो जाते हैं। फिर जब सभी सुबह सो कर उठते हैं, तब वे सभी खुद को एक बड़े से महल में पाते हैं।
(महल ज्यादा चमकीला या सुंदर नहीं है, उसमें थोड़ा सा अंधेरा है और वह हल्का सा डरावना।)
तेजिंद्र सिंह:- अजी अब ऐ कि जादू होया।
टॉबी:- मुझे लगता है कि मैं कोई सपना देख रहा हूं।
लव:- नहीं नहीं यह सपना नहीं है, हम सच में एक महल में है। परंतु यहां पर इतना अंधेरा क्यों है?
शुगर:- मुझे तो यहां पर डर लग रहा है।
टॉबी:- डरो मत शुगर मैं हूं ना यहां पर।
करण:- दोस्तों तुम सभी अपना ध्यान रखना यह कोई मायावी जाल भी हो सकता है।
करमजीत:- हा करण तुम बिल्कुल सही कहते हो। हमें कुछ भी करने से पहले सोच समझ कर कदम रखना होगा।
बुलबुल:- सब अपना अपना ध्यान रखना।
नैरेटर:- जब वे सभी आपस में बात कर रहे थे। तभी उनके सामने से एक बुढ़ा आदमी और एक बुढ़ी औरत आते हैं।
बुढ़ा:- बच्चों आप सभी का हमारे महल में स्वागत है, हम आपका बहुत दिनों से इंतजार कर रहे थे आखिर आप सभी यहां पर आ ही गए।
करण:- परंतु आप कौन है और आप हमें कैसे जानते हैं?
बुढ़ा:- करण बेटा हम तुम्हें बहुत अच्छे से जानते हैं। तुम सब फ़िक्र मत करो। इसे अपना ही घर समझो। यहां पर तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा
करण और उसके दोस्त रात को एक छोटी सी कुटिया में सोये थे परंतु जब वे सुबह उठे, तो वे एक अजीब से महल में थे। आखिर यह सब क्या था? कोई पहेली या कोई मायावी जाल और वे बूढ़े व्यक्ति कौन थे? यह सब जानने के लिए बने रहिएगा तिलिस्मी कहानी के अगले एपिसोड तक।