Homeतिलिस्मी कहानियाँ83 – करन की सेना | Karan ki Sena | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

83 – करन की सेना | Karan ki Sena | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि राक्षस ने करमजीत और लव को निघल लिया था परंतु तेजिंद्र सिंह ने उन दोनों को राक्षस के पेट से बाहर निकाल लिया था। उसके बाद वे सभी एक जंगल में आ गए थे, जहां पर वे सभी फल तोड़कर खा रहे थे। परंतु तभी उन्हें कुछ सैनिक घेर लेते हैं और साथ ही करण उन सैनिकों से अपने सभी दोस्तों को बंदी बनाने का आदेश देता है।

नैरेटर:- करण जब उन सैनिकों को सभी को बंदी बनाने का आदेश देता है, तब उसके सभी मित्र करण को ऐसा कहता देखकर काफी ज्यादा हैरान हो जाते हैं।

करमजीत:- करण यह कैसा मजाक है? तुम वहां पर क्या कर रहे हो, आओ इन सैनिकों से युद्ध करने में हमारी सहायता करो।

बुलबुल:- हा करण जल्दी आओ हमारी सहायता करो तुम वहां पर इस तरह चुपचाप क्यों खड़े हो?

टॉबी :- हां करण अपनी तलवार निकालो और इन सभी को सबक सिखाओ।

नैरेटर:- उसके बाद करण अपनी तलवार निकाल लेता है फिर वह पहले करमजीत पर आक्रमण करता है। उसके बाद वह अपने बाकी सभी दोस्तों पर भी आक्रमण करने लगता है। करण को ऐसा करता देख सभी अचंभित हो जाते हैं। किसी को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि करण ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है।

बुलबुल:- करण यह तुम क्या कर रहे हो? तुम हमारे ऊपर आक्रमण क्यों कर रहे हो? तुम इन सैनिकों का सामना क्यों नहीं करते।

करमजीत:- सुनो दोस्तों मुझे लगता है कि करण को कुछ हो गया है। तुम सब केवल अपना बचाव करो, कोई भी करण पर आक्रमण मत करना। वह अभी अपने होश में नहीं है।

कुश :- तुम सही कहते हो करमजीत, मुझे भी यही लगता है कि करण को कुछ हो गया है।

करण:- सैनिकों इन सभी को बंदी बना लो।

नैरेटर:- उसके बाद सैनिक करण के सभी दोस्तों को बंदी बना लेते हैं।

तेजिंद्र सिंह:- अजी पुत्तर तुसी ए की कर दित्ता।

शुगर:- करण तुम होश में आओ, तुम यह सब क्या कर रहे हो?

करण:- सैनिकों अब इन सभी को एक-एक करके अलग-अलग वृक्ष के साथ बांध दो।

नैरेटर:- उसके बाद सैनिक करण के सभी दोस्तों को अलग-अलग वृक्ष के साथ बांधने लगते हैं। करण के सभी दोस्त उससे कहते हैं कि वह उनके साथ ऐसा ना करें। परंतु वह किसी की भी बात नहीं मानता और ना ही उनकी किसी बात का जवाब देता है।

तेजिंद्र सिंह :- हमें वृक्ष के साथ बांध कर पुत्तर तुसी की करना चाहते ओ(हो)।

बुलबुल:- करण तुम हमारी बातों का जवाब क्यों नहीं दे रहे हो? कृपया करके हमारी बात सुनो।

लव :- बुलबुल करण इस वक्त अपने होश में नहीं है। उससे बात करने का कोई फायदा नहीं है। वह अभी हमारी किसी की बात का जवाब नहीं देगा।

करमजीत:- हां बुलबुल लव बिल्कुल सही कह रहा है, हमें खुद ही सोचना होगा कि हमें इस समय क्या करना चाहिए और इस परीस्थिति से बाहर कैसे निकलना होगा।

नैरेटर:- उसके बाद करण सैनिकों को एक और आदेश देता है, जिसे सुनकर सभी बहुत ज्यादा घबरा जाते हैं।

करण:- सैनिको इन सबको बांधने के बाद इन सभी के वृक्षों को आग लगा दो।

शुगर:- नहीं करण कृपया करके ऐसा मत करो। तुम अपने होश में नहीं हो तुम अपने हीं दोस्तों को जलाकर मार दोगे, ऐसा क्यों कर रहे हो करण तुम?

कुश:- अब हम क्या करेंगे, हम इस परीस्थिति से कैसे बाहर निकलेंगे?

बुलबुल:- हमें जल्दी ही कुछ करना होगा, नहीं तो हम सभी मारे जाएंगे। करमजीत तुम्हें याद है कि हमें जंगल में नागराज मिले थे और उन्होंने हमसे कहा था कि जब भी हमें उनकी सहायता की आवश्यकता होगी और हम उन्हें पुकारेंगे तो वह तुरंत ही हमारी सहायता करने जरूर आएंगे।

करमजीत:- हां बुलबुल तुम सही कहती हो। अब नागराज ही इस परिस्थिति में हमारी सहायता कर सकते हैं, नहीं तो हम सभी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा। हम सभी आंख बंद करके नागराज जी का नाम लेते हैं। हम उन्हें याद करते हैं, क्या पता फिर वह हमारी सहायता करने आ जाए।

नैरेटर:- उसके बाद सभी मित्र अपनी आंखें बंद करके नागराज को याद करने लगते हैं और उससे अपनी सहायता की गुहार करते हैं। उसके बाद कुछ ही पल में नागराज अपने सभी सैनिक नागों के साथ वहां पर प्रकट हो जाता है।

नैरेटर:- जैसे ही करण के सैनिक सभी के वृक्षों को आग लगाने वाले होते हैं, तभी वहां पर नागराज और उसके नाग सैनिक उन पर आक्रमण कर देते हैं। उसके बाद बुलबुल सारी बात नागराज को बता देती है।

नागराज:– हमम.. मैं सारी बात समझ गया। तुम सभी चिंता मत करो। करण को इस समय राक्षस ने अपने वश में कर रखा है। इसीलिए वह ना तो तुम्हारी बात को सुन पा रहा है और ना ही वह खुद से कोई निर्णय ले रहा है। जैसा राक्षस उसको करने के लिए कह रहा है, वह बिल्कुल वैसा ही कर रहा है।

नैरेटर:- उसके बाद नाग सैनिक सभी को वृक्षों से खोल देते हैं। फिर वह सभी अपनी तलवारें उठा लेते हैं और करण के सैनिकों पर आक्रमण कर देते हैं। वह सभी मिलकर उनका डटकर मुकाबला करते हैं। जब नाग सैनिक उन पर हावी होने लगते हैं, तब वह सभी सैनिक जिन्होंने अपना मुंह ढक रखा था वह अपने चेहरे से कपड़ा हटा लेते हैं।

तेजिंद्र सिंह:- अजी ऐ की होया। ऐ सवी तो बिल्कुल करण जैसे दिखदे आ।

करमजीत:- पाजी आप बिल्कुल सही कह रहे हैं, अब हम इनमें से असली करण को कैसे पहचानेंगे? हम सभी को बिल्कुल सावधान रहना होगा कहीं हम गलती से असली करण पर हमला ना कर दे।

नैरेटर:- उसके बाद दोनों पक्षों में लड़ाई होने लगती है। करण के जैसे दिखने वाले सैनिक सभी पर आक्रमण करने लगते हैं, परंतु करण के दोस्त और नागराज की सेना आक्रमण नहीं करती। वे केवल अपना बचाव करते हैं क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं वें गलती से असली करण को चोट ना पहुंचा दे।

बुलबुल:- महाराज क्या आपको पता है कि हम इन सभी सैनिकों में से हमारे असली करण को कैसे पहचान सकते हैं?

नागराज:- हमें यह देखना होगा कि इनमें से कोई एक व्यक्ति किस तरह सबसे अलग है, जो भी सबसे अलग होगा वही असली करण होगा। इसलिए सभी इस बात का ध्यान रखते हुए असली करण की पहचान करने की कोशिश करो।

शुगर:- लगता है मुझे पता चल गया की इन में असली करण कौन है।

टॉबी:- क्या सच में शुगर तुम्हें पता चल गया है की असली करण कौन है?

शुगर:- हां वो देखो इनमें से केवल एक ही व्यक्ति हैं जिसकी परछाई है। बाकी किसी भी व्यक्ति की कोई परछाई नहीं है, इसका मतलब वही हमारा असली करण है।

टॉबी:- वाह शुगर तुम तो बहुत ही होशियार हो।

शुगर:- शुक्रिया टॉबी।

नागराज:- जो असली करण है तुम उसे इस भीड़ में से अलग कर दो और उसे बांधकर एक जगह पर सुरक्षित पहुंचा दो।

करमजीत:- मैं और लव जाकर करण को सुरक्षित एक जगह पर बैठा देते हैं। चलो लव हमें करण को बचाना होगा।

लव:- हां करमजीत चलो।

नैरेटर:- उसके बाद लव और करमजीत करण को पकड़ लेते हैं और वह उसे बांधकर एक वृक्ष के पीछे सुरक्षित बैठा देते हैं। फिर बाकी सभी सैनिकों का डट कर मुकाबला करते हैं और सभी सैनिकों को एक-एक करके मार गिराते हैं।

टॉबी:- आखिरकार हमने इन सभी को धूल चटा ही दी।

बुलबुल:- यह सब नागराज जी की वजह से ही संभव हो सका है। महाराज आपका बहुत-बहुत शुक्रिया हमारी सहायता करने के लिए।

नागराज:- अभी हमारा कार्य समाप्त नहीं हुआ है। अभी हमें करण को भी ठीक करना है। करमजीत करण कहां पर है?

करमजीत:- महाराज करण उस वृक्ष के पीछे है।

नैरेटर:- उसके बाद नागराज अपनी शक्तियों की सहायता से करण को फिर से ठीक कर देता है।

करण:- (होश में आने के बाद करण कहता है।)

मैं कहां पर हूं और तुम सबने मुझे बांध क्यों रखा है?

बुलबुल:- करण तुम्हें किसी ने अपने वश में कर लिया था। क्या तुम्हें कुछ भी याद नहीं है?

करण:- नहीं बुलबुल मुझे कुछ भी याद नहीं है।

टॉबी:- करण क्या तुम्हें यह भी याद नहीं है की तुम हम सभी पर अपनी तलवार से हमला कर रहे थे।

करण:- क्या कहा टॉबी… क्या सच में मैंने ऐसा किया?

करमजीत:- हां करण यह बिल्कुल सच है।

करण:- मुझे बहुत दुख है कि मैंने आप सभी के साथ ऐसा किया, आप सभी कृपया करके मुझे मुझे माफ कर देना। मुझे आपके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था।

बुलबुल:- कोई बात नहीं करण तुम हमसे माफी मत मांगो। इसमें तुम्हारा कोई दोश नहीं है, तुम अपने होश में नहीं थे। तुम्हें तो किसी ने अपने वश में कर रखा था।

नैरेटर:- उसके बाद वहां पर एक राक्षस आ जाता है।

राक्षस :- तुम सभी को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। तुम सभी को मेरा मुकाबला करना होगा।

नागराज:- बरकासुर, तुम हमसे बच नहीं पाओगे।

लव:- बकरासुर, यह कैसा नाम है?

राक्षस :- ऐ बच्चें मेरा नाम बकरासुर है, नहीं नहीं बरकासुर है। तुम मेरा नाम सही से लो।

नागराज:- बरकासुर तुम्हें पहले मेरे मुकाबला करना होगा।

नैरेटर:- उसके बाद बरकासूर और नागराज में युद्ध होने लगता है।

दोनों एक दूसरे के ऊपर आग के गोले से प्रहार कर रहे हैं या तीरों से।

नैरेटर:- बरकासुर का एक तीर नागराज को लग जाता है, जिसकी वजह से वह घायल हो जाता है।

करण:- नागराज जी संभल कर आप ठीक तो है ना?

नागराज:- करण अब तुम्हें इस राक्षस का मुकाबला करने में मेरी सहायता करनी होगी।

करण:- जी महाराज मुझे आदेश दीजिए कि मुझे क्या करना होगा?

नागराज:- मैंने जो तुम्हें मणी दी थी, उसकी सहायता से ही हम इस राक्षस को हरा सकते हैं। तुम उस मणी की जादुई शक्तियों से इस राक्षस पर प्रहार करो, जिससे तुम इसका मुकाबला कर सकोगे।

करण:- जैसी आपकी आज्ञा महाराज, मैं अभी इस राक्षस से मुकाबला करता हूं।

नैरेटर :- उसके बाद करण वह मणी निकाल लेता है और उस राक्षस पर प्रहार करने लगता है। वह राक्षस भी करण पर प्रहार कर रहा था परंतु मणी की जादुई शक्तियों की वजह से करण को कुछ नहीं होता।

राक्षस:- ए बालक मैं तुझे छोड़ूंगा नहीं। तू मेरे आगे ज्यादा देर टिक नहीं पाएगा।

करण:- बरकासुर वो तो अभी पता चल ही जाएगा की कौन कितनी देर टिकेगा।

नैरेटर:- उसके बाद करण मणी की सहायता से उस राक्षस पर तीर से हमला करता है, जिसके बाद उसका काफी खून बहने लगता है और वह राक्षस बेहोश हो जाता है। सभी को लगता है कि वह राक्षस मर चुका है परंतु थोड़ी देर बाद वह फिर से खड़ा हो जाता है।

राक्षस:- हा हा हा हा हा… मैंने कहा था ना कि तुम मेरे आगे ज्यादा देर नहीं टिक पाओगे।

वह राक्षस मणी से प्रहार करने के बाद भी फिर से जिंदा हो गया और आखिर यह राक्षस किस तरीके से मर पाएंगा। यह सब जानने के लिए बने रहिएगा तिलिस्मी कहानी के अगले एपिसोड तक।

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