Homeतिलिस्मी कहानियाँ79 – भविष्य की दुनिया | Bhavishya ki Duniya | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

79 – भविष्य की दुनिया | Bhavishya ki Duniya | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सितारा को श्राप से मुक्त करवाने के लिए सभी मित्र खतरनाक गुफाओं की ओर गए थे। जहां पर उन्हें दो बार जानलेवा मुसीबत का सामना करना पड़ा था। लेकिन करण की चतुराई के कारण वे सभी साधु बाबा तक पहुंच गए थे। वहीं कहानी के अंत में आप ने यह भी देखा था कि बुलबुल से सारी सच्चाई सुन कर बाबा सितारा का श्राप तुड़वाने के लिए मान भी गए थे।

बाबा- “मैं सहायता तो कर दूं, लेकिन कहीं तुम छल तो नही कर रहे??”

टॉबी- “नही बाबा जी!! बुलबुल ने आप को जो बताया वह सब सच है।

कर्ण- “हाँ बाबा जी, कृपया कर के यकीन कीजिये , क्योंकि हमारी सहायता सिर्फ आप ही कर सकते हैं!!”

बुलबुल- “बाबा जी, आप हमारी सहायता करेंगे ना??”

बाबा- “हम्म… देखो बच्चों. यह काम इतना आसान नहीं होगा क्योंकि मुझे इस की विद्या मालूम नहीं है…इसीलिए मैं जो भी कह रहा हूं, उस बात को ध्यान से सुनना…!”

कर्मजीत- “जी बाबा जी, बताइये!”.

बाबा- “हाँ तो तुम सभी लोग भविष्य में जाओ और भविष्य में जा कर मुझे ढूंढो… तब तक मैं इस श्राप को तोड़ने की विद्या सीख चुका होऊंगा…

करमजीत- “आप को ढूंढने कहाँ जाना होगा??”

बाबा- “यह तो तुम सब को ही पता लगाना होगा कि मुझे कहां ढूंढना है !”

शुगर- “यह कार्य तो काफी कठिन मालूम पड़ता है!!”

करन- “हॉं , पर …हम सब कर लेंगे!”

बाबा- “हाँ… मैं इस में तुम सब की सहायता करूंगा… इस कार्य में कुछ दिन लग सकते हैं इसीलिए तुम अपने सभी सम्बन्धियों को तब तक यह सारी बातें बता दो! ताकि वह तुम्हारी प्रतीक्षा न करें”

करमजीत- “ठीक है बाबा जी…!”

बाबा- “तो तुम सभी बच्चे कल शाम तक इसी स्थान पर पहुंच जाना!”

बाबा उन सभी को सारी बात अच्छे से समझा देते हैं. खैर इस के बाद सभी लोग तजिन्दर सिंह के घर वापस चले जाते हैं, जहां सितारा ने घर को तहस नहस कर रखा था।

शुगर- “हे भगवान, ये सितारा ने क्या कर दिया!!”

बुलबुल- “कितना शरारती है सितारा!!”

सुनीता- “मेरा तो दिमाग हिल गया ऐनु देख देख के, पागल हो गयी मैं. कद्दू काट के!!”

तजिंदर- “हा हा हा, ऐ नी मनदा जी, बड़ा शरारती है!!”

करमजीत- “अभी इसे बांध कर बैठा देता हूँ, बस एक रात निकाल लें!!”

लव- “चलो कुश, सितारा को पकड़ते हैं!!”

तो लव कुश भाग भाग कर सितारा को पकड़ने की कोशिश करते हैं, सितारा भी बचने की पूरी कोशिश करता है, खैर वो पकड़ा जाता है।
और करमजीत उसे बांध देता है।

करन- “बस सितारा अब जल्दी से ठीक हो जाए, माफ करना दोस्त, तुम्हे ऐसे बंधा हुआ देख कर अच्छा नही लग रहा…!”

बुलबुल- “हम्म, हमें भी, पर मजबूर हैं हम!!”

टॉबी- “बस अब तो कल शाम तक इंतजार करना है!”

तो अगली शाम को , कुश और लव घर पर सितारा का ध्यान रखते हैं और बाकी लोग बाबा की गुफा में पहुंच जाते हैं।

सभी- “प्रणाम बाबा जी!”

कर्ण- “बताइये बाबा, क्या करना होगा!”

बाबा- “अब मैं जैसा कहूंगा, तुम वैसा करना!”

सभी- “जी बाबा जी.!!”

करन- “अच्छा बाबा जी, क्या हम आप का नाम जान सकते हैं??”

बाबा जी- “मेरा नाम रामनरेश बाबा है…! तो सभी लोग इस गुफा के पीछे वाले हिस्से में चलो.!”

और सभी बाबा के पीछे पीछे वहां पर पहुंचते हैं, जहां पर बाबा ने पूजा की तैयारी कर रखी थी।

तो बाबा अपनी पूजा करते हैं और कुछ मंत्र पढते है।

फिर बाबा अपना हाथ उठाते हैं और अचानक उसी दिशा में हवा मे एक दरवाजा प्रकट हो जाता है।

बाबा जी- “ऐ जादुई दरवाजे, खुल. जा!”

बाबा जी- “अब एक-एक कर के सभी लोग इस दरवाजे के अंदर प्रवेश कर जाओ!”

करमजीत- “चलो सभी आओ!”

करण- “बाबा जी आप का बहुत-बहुत धन्यवाद…आशीर्वाद दीजिये!”

बाबा जी- “विजयी भव:!”

और इसी के साथ सभी लोग भविष्य में पांच साल आगे चले जाते हैं।

वहाँ सब की उम्र 5 साल बड़ी हो गयी थी.

टॉबी- “हा हा हा, तुम सब कितने बदले बदले लग रहे हो!”

शुगर- “हाँ और तुम भी. तो बड़े हो गए टॉबी…!”

कर्मजीत- “हाँ… हम सब बड़े हो गये…

करन- “हाँ.. अब थोड़े बड़े होने का भी अनुभव ले लेते हैं मित्रों!”

बुलबुल- “हाँ…और …लगता है कि मुसीबतें भी बड़ी होने वाली है!”

सुनीता- “हॉं जी लगदा तां है!”

टॉबी- “अच्छा करन , अब मैं बड़ा हो गया हूं. तो इस का मतलब यह है कि मैं शुगर से विवाह कर सकता हूँ?”

शुगर- “क्या टॉबी??. तुम भी ना??.तुम तो बिल्कुल भी शरमाते ही नहीं! पागल”

सुनीता- “हाँ जी…कोई बात नही… होता है जी ,होता है!”

तजिन्दर- “कोई ना… हम सब तुम्हारा व्याह करवा देंवांगे शुगर से…!”

टॉबी- “सच्ची???”

सुनीता- “हाँ. पुत्तर…सच्ची…!”

टॉबी खुशी से यहां वहां उछलने लगता है और यह देख कर सभी लोग बहुत हंसते हैं।

करमजीत- “अब जिस काम के लिए आएं है, वो करें!”

बुलबुल- “तो अब क्या करें? कहाँ जाएं?”

तजिन्दर- “पुतर जी. पहले तो वहीं चलते हैं, जहां पर बाबा रहते है!”

कर्मजीत- “हाँ…सही कहा!”

और सभी लोग बाबा की गुफा के पास पहुंच जाते हैं।

करन- “देखो… यह वही गुफा है, जहां पर हमे बाबा मिले थे!”

बुलबुल- “हाँ चलो चलते हैं… लेकिन मुझे लग रहा है कि बाबा अब यहां पर नहीं रहते होंगे!”

टॉबी- “हां बुलबुल. क्योंकि बाबा ने कहा था कि हमें ही ढूंढना होगा कि वो कहाँ है!”

शुगर- “हाँ… लेकिन अंदर जा कर देख लेते हैं , क्या पता उन के बारे में कुछ पता चल जाए!”

करण- “हाँ…! चलो”

और सभी लोग अंदर जाते हैं लेकिन बाबा वहां पर नहीं मिलते. लेकिन वहाँ एक आदमी मिलता है जो वहाँ लकड़ियों के ढेर लगा रहा था।

कर्मजीत- “क्या आप रामनरेश बाबा को जानते हैं? “

आदमी- “हाँ. वह तो काफी नामी बाबा थे. लेकिन करीब 1 साल पहले ही वह यहां से रामापुर की पहाड़ियों मे चले गए…!”

करन- “अच्छा! तो क्या आप हमें वहां का रास्ता बता सकते हैं!”

आदमी- “हाँ जरूर…ज्यादा दूर नहीं है, नदी किनारे ही पड़ता है!”

और वह आदमी उन सभी को रास्ता बता देता है।

करन- “आप का बहुत-बहुत शुक्रिया.!”

करमजीत- “चलो सभी!”

सभी लोग रामापुर जाने के लिए निकल जाते हैं.।

तजिन्दर- “कर्ण पुतर, ओस आदमी ने दस्या था कि रामापुर थोड़ा ही दूर है.फिर भी कोई सवारी ले लेते हैं…पुत्तर!”

करण- ”हाँ. गुरु जी… मैं भी वही सोच रहा था! लेकिन कुछ दिखाई दे तभी”

बुलबुल- “थोड़ा आगे चलते हैं, शायद मिल जाये!”

खैर सभी कुछ दूर चलते हैं और आगे उन्हें वहाँ एक तांगे वाला दिखता है…।

सुनीता- “ओये…रुक. पुत्तर…ओए ,तांगे वाले. हमें रामापुर छोड़ दें , कद्दू काट के …!”

आदमी- ”रुका ही हुआ हूँ मैं तो, छोड़ देते हैं,.आओ आओ…!”

और सभी लोग तांगे पर बैठ कर आगे निकल पड़ते हैं।

तांगेवाला- “तो. जी कैसे हैं आप सब और आप सब वहां पर क्या करने जा रहे हो?”

करन- “जी… हमें वहां पर बहुत ही जरूरी काम है!”

तांगेवाला- “क्या काम है जी? “

करण- “वो. वहाँ मेरी मासी रहती है, उन्हीं से मिलने जा रहा हूं!”

तांगेवाला- “अच्छा….तो ये बाकी तुम्हारे मित्र हैं? “

करण- “हाँ, काफी वर्षों बाद मिलना हो रहा है सब का.!”

तांगेवाला- “अच्छा…एक जमाना हुआ करता था , जब मेरे भी बहुत अच्छे मित्र हुआ करते थे, अब मिलना होता ही नही. लेकिन क्या करें…सब समय का खेल है…!”

बुलबुल- “हम्म हम्म!!”

और तांगेवाला लगातार बोलता ही जा रहा था और सब उस की बातें सुन के परेशान हो गए थे।

पहुंचते-पहुंचते रात होने को हो जाती है लेकिन उस की बातें खत्म नहीं होती।

तांगेवाला- “लो जी… आप की मंजिल आ गई. लेकिन क्या करें ,मेरी तो बात ही खत्म नहीं हुई!”

तजिन्दर- “पुत्तर कम बात किया कर…तब तेरे पास ग्राहक ज्यादा आ जाएंगे.!”

तांगेवाला- “क्या मतलब जी?”

सुनीता- “कुछ नहीं पुत्तर….कुछ नहीं… तू जा!”

और तांगेवाला वहां से चला जाता है।

तभी सब बाबा कों यहां वहाँ ढूढते है…लेकिन बाबा कहीं नही मिलते…। अब यक रात भी हो चुकी थी।

करन- “रात काफी हो चुकी है , आज यहीं रुकना होगा!”

तजिन्दर- “हाँ पुत्तर, नई जगह हैं, कहीं एन्वें जा वी नही सकदे…!”

सुनीता- “हाँ करण , कददू काट के यहीं रुक जाते हैं.!”

तो सभी वहीं पेड़ के नीचे सो जाते हैं और अगली सुबह उस रास्ते से गांव की कुछ औरते मटके ले कर पानी भरने के लिए जा रही थी।

बुलबुल- “देखो!!. शायद इन को कुछ पता हो बाबा के बारे में!”

टॉबी- “इन्हें भला बाबा के बारे में क्या पता होगा बुलबुल? “

शुगर- “हां ये बात भी है!”

कर्मजीत- “हाँ…मुझे एक बात याद आई है… सितारा की मुलाकात बाबा जी से उस नदी के पास ही हुई थी ना, जहां पर हम सब खेल रहे थे…!”

करन- “हाँ. एकदम पास तो नहीं, उस से थोड़ा दूर ही!!

कर्मजीत- “हाँ. तो हो सकता है कि बाबा इस नदी के आसपास रहते हो, जहां यह स्त्रियां पानी लेनी जा रही है!”

तजिन्दर- “हाँ. पुत्तर… दिमाग तो तूने बिल्कुल सही लगाया है…चलो फिर…!”

और सभी लोग उन औरतों का पीछा करते-करते उस नदी तक पहुंच जाते हैं।

कर्मजीत- “देखो वहां पर भी एक गुफा है!”

कर्ण- “चलो सब!!”

और सभी भाग कर उस गुफा के अंदर जाते हैं.। पर वहां भी बाबा नही थे

तजिन्दर- “बाबा तो यहां है ही नहीं जी…!”

बुलबुल- “तो अब!!”

इतना कहते ही पीछे से एक आदमी उन पर हमला कर देता है.।

तभी तजिंदर सिंह उस को हवा में उठा कर नीचे पटक देता है, और वो आदमी वहीं जमीन पर पड़ा रहता है।

सुनीता- “ओये कोण है तू? तेरी तो, !”

तजिन्दर- “शेर से पंगा और तजिंदर से दंगा महंगा पड़ता है…!”

आदमी (डरते हुए)- ”वो… मैंने सुना था कि बाबा के पास कोई जादुई खरगोश है… बस उसी को चुराने आया था… गलती हो गई, मुझे जाने दो!”

करन- “आज के बाद यहां मत आना, जाओ!”

वो आदमी मुश्किल से उठ कर वहां से चला जाता हैं , तभी वहां पर बाबा पहुंच जाते हैं। और सब को पहचान लेते हैं

बुलबुल- “बाबा जी. प्रणाम!”

टॉबी- “बाबा जी. हमारे साथ चलिए और हमारे मित्र सितारा की सहायता कीजिए!!

बाबा-  “हम्म… मैं तुम लोगों के साथ अवश्य चलूंगा, परंतु इस कार्य में कुछ दिन लगेंगे… क्योंकि यहां पर मुझे एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है…!”

करन- “ठीक है बाबा जी!!

सुनीता- “लेकिन बाबा जी तब तक हम लोग किदर रहेंगे, कद्दू काट के?”

बाबा- “एक स्थान है जहाँ तुम सभी सुरक्षित रहोगे! चलो”

और सभी लोग बाबा के साथ वहां पर पहुंचते हैं जहां पर वह खरगोश भी था।

खरगोश का नाम मुनि है।

मुनि- “आइये, आप सभी का स्वागत है!”

कर्मजीत- “बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र!”

और तभी पीछे से मुनि के 2 बच्चे और उस की पत्नी भी आ जाती है।

करन- “वाह…!!! कितने प्यारे प्यारे बच्चे हैं!”

मुनि- “हां यह मेरे बच्चे हैं!”

बुलबुल (खरगोश के बच्चे उठा कर)- “वाह… अरे जरा उठा कर देखूं तो… कितने प्यारे लग रहे हैं न!”

टॉबी- “चिंता मत करो शुगर , हम दोनों के भी बहुत जल्द ऐसे ही प्यारे-प्यारे बच्चे होंगे!”

शुगर (गाल लाल,बहुत शर्मा जाती है)- “हम्म हम्म!”

बाबा- “सुनो बच्चों. तो मै अपने महत्वपूर्ण कार्य के लिए जा रहा हूं…मै कुछ दिनों बाद लौट जाऊंगा , तब तक मुनी तुम्हारा ख्याल रखेगा!”

मुनि- “हाँ बाबा जी, अवश्य!”

तभी बाबा बार-बार तेजिंदर सिंह और टॉबी को देख रहे थे।

तजिंदर- “क्या हो गया जी बाबा जी!”

बाबा- “तजिन्दर… मैं अपने कार्य को संपूर्ण करने के बाद जब आऊंगा, तब मैं सब को एक बात बताऊंगा!!.”

और तभी बाबा वहां से चले जाते हैं।
तेजिंदर सिंह और सुनीता यह सुन कर सोच में पड़ जाते हैं

सुनीता- “हैं जी, तजिंदर जी! आखिर क्या बात हो सकदी है जी?!”

तजिंदर- “रब जाने!”

खैर अगली सुबह अपने मित्रों की आवाजें सुन कर बुलबुल की आंख खुलती है।

बुलबुल- “यह इतनी आवाज कहां से आ रही है? सब उठ भी गए, मैं ही नही उठी”

बुलबुल उठ कर जाती है और देखती है कि टॉबी शुगर से विवाह करवाने की जिद कर रहा है।

टॉबी- “करण तब से कह रहा हूं करवा दो ना!”

कर्मजीत- “टॉबी. करण कोई पंडित थोड़ी है , वो कैसे करवाये!”

शुगर- “ओफो…टॉबी तुम. भी ना. यहां तो तुम बड़े हो गए हो ना. कम से कम यहां तो बड़ों वाली हरकतें करो!”

टॉबी- “नहीं नहीं. नही. नही…!”

तो टॉबी क्यों इतनी जिद कर रहा था?

क्या वाकई में टॉबी की शादी शुगर से हो पाएगी और क्या सितारा का श्राप टूट सकेगा?

देखेंगे हम अगले एपिसोड में।

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