72 – यह कौन है? | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि लव को उन प्राणियों की दुनिया के बारे में कुछ बातें पता चल गई थी। जिस से कर्ण और उस के साथी जादुई दुनिया में जाने में समर्थ हो पाए थे। वहीं सभी लोग निर्णय लेते हैं कि वे लोग सरदार से बात करेंगे और इसी दौरान गगन वहां आ कर बताता है कि सितारा की मां की मृत्यु हो चुकी है।
सितारा का रो रो कर बुरा हाल था, और गगन हंस रहा था।
कर्ण- “सितारा, मत रोओ, गगन झूठ कह रहा है, देखो तो..!!”
करमजीत- “वो बस तुम्हे कमजोर बनाने के लिए ये सब कह रहा है!”
कर्ण और करमजीत भी सितारा को समझाने बहुत कोशिश कर रहे हैं लेकिन सितारा बहुत दुखी हो जाता है। तभी गगन वहाँ से चला जाता है।
सरदार- “हा हा हा, बेचारा!”
सितारा (गुस्से मे सरदार से)- “तूने मेरी माँ को मार डाला…!!!.. तुझे भी मैं जिंदा नहीं छोडूंगा!”
सरदार- “अच्छा तो तू क्या करेगा , बता जरा, मैं तो डर ही गया हा हा हा!”
सितारा- “अभी बताता हूं..!”
और सितारा जादू से हमला करने का कोशिश करता है लेकिन सरदार के सैनिक बार-बार उसे रोक लेते हैं।
सरदार- “रुक जा तुझे अभी शान्त करता हूं!”
सितारा- “मैं बताता हूँ तुझे, तूने अच्छा नही किया..!!”
सरदार- “देख अब क्या होगा..!!”
सरदार अपनी आंखें बंद कर के कुछ मंत्र पढ़ता है और जैसे ही अपनी आंखें खोलता है तो उस की आंखों का रंग बिल्कुल पीला हो जाता है… जिस में से एक रोशनी निकलती है और वह रौशनी सीधी सितारा की आंखों में चली जाती है।
कर्ण- “ये क्या कर रहे हो, नही~~~~ ऐसा मत करो!!”
सरदार- “अब आएगा मजा… बाजी पलट गई है.. हा हा हा!”
और सितारा के आंखों का रंग बिल्कुल पीला हो जाता है…साफ पता चल रहा था कि वह सरदार के वश में आ गया था…
अब न जाने क्या होने वाला था!!!!…
करण- “हे भगवान , सितारा तो सरदार के वश में आ गया है…!”
लव- “अब क्या होगा कर्ण!!”
सरदार- “बस देखते जाओ अब! मुझ से बदला लेने आया था, अब ये मेरे इशारे पर नाचेगा, हा हा हा…”
करण- “लव…करमजीत, सावधान रहो….!”
कर्मजीत- “लगता है बहुत बड़ी गड़बड़ी होने वाली है!”
करन- “हाँ….लग तो यही रहा है!”
सरदार- “जा मेरे गुलाम, इन तीनों पर हमला कर…!!”
और तभी सितारा एक छोटे से खंजर से उन सभी पर वार करने लगता है लेकिन तीनों मित्र बहादुरी से उस का सामना करते हैं।
लव- “सितारा होश में आओ.. तुम हमारे मित्र है, ना कि दुश्मन!”
करण- “ऐसा कहने से उस पर कोई असर नहीं होगा लव… बस ध्यान से उस के वार से बचते रहो!”
कर्मजीत- “हाँ लव, हम सितारा पर वार भी तो नही कर सकते!!”
और तभी सरदार सितारा को दूसरा जादू करने का हुक्म देता है..।
सरदार- “मोटे मोटे हाथी से इन को कुचलवा दो…!”
सितारा- “जो हुक्म..!”
वहीं सितारा इस हुक्म को सुनने के बाद जादू कर देता है!….लेकिन उस के जादू से वहाँ छोटे-छोटे हाथी उपस्थित हो जाते हैं।
सरदार- “अरे इतने छोटे-छोटे हाथी से क्या होगा इन का? बेवकूफ“
यह देख कर बाकी सैनिक भी हंसने लग जाते हैं।
सितारा- “सरदार आप ने ही तो कहा था.. छोटे-छोटे हाथी!”
सरदार- “अरे छोटे-छोटे नहीं, मोटे-मोटे कहे थे!”
सितारा- “माफ कीजिएगा सरदार … अभी दूसरे हाथी ले आता हूं…!”
सरदार- “नहीं नहीं, रहने दो… तुम तो मुझे बेवकूफ लगते हो…!”
सितारा- “नही नही सरदार , एक बार मौका तो दीजिए अपने गुलाम को!”
सरदार- “ठीक है…जाओ और इन सब का खात्मा कर दो!”
सितारा- “सितारा है मेरा नाम..जादू करना है मेरा काम…!”
सितारा चुटकी बजाता है जिस से वहाँ ढेर सारी काली-काली जंगली चीटियां आ जाती हैं।
सितारा- “देखना सरदार ! यह चीटियां, इन सभी को खत्म कर देंगी!”
सरदार- “हम्म्म..देख रहा हूँ,!”
और वह काली काली जंगली चीटियां करण और बाकी मित्रों के ऊपर चढ़ने लगती है।
वहीं करमजीत अपने अंदर की अग्नि शक्ति से आग उत्पन्न करने का प्रयास करता है लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा था
करमजीत- “पता नहीं यह क्या हो रहा है, मेरी शक्ति काम ही नही कर रही?”
करण- “कोई बात नहीं करमजीत, बस तुम इन चीटियों से बचने का प्रयास करो पहले.. तुम्हारे पीछे देखो कितनी सारी चीटियां आ रही है!”
लव (घबरा कर)- “ओह… बहुत सारी चींटियां है यहां तो.!!”
और करमजीत पीछे मुड़ता है और उन चीटियों कों अपने पैरों से दबा कर मार डालता है।
सभी मित्र उन भयानक चीटियों से बचने का प्रयत्न कर रहे हैं। इसी बीच वे चीटियां वहां आसपास खड़े सैनिकों पर भी हमला करने लगती हैं।
सरदार का सेनापति- “मालिक कुछ करिए…नहीं तो ये चींटियां हम सभी को खा जाएंगी!”
सरदार (गुस्से से)- “सितारा~~~ मूर्ख कहीं के.. तू हमारे दुश्मनों को मार रहा है या फिर हमारे ही साथियों को मार रहा है???”
लव- “हा हा हा…. देखा ना बुराई का अंजाम हमेशा बुरा ही होता है… अभी तो शुरुआत है…देख तेरे साथ क्या-क्या होता है!”
सरदार- “अच्छा… तेरा ये दुस्साहस… तुझे बहुत महंगा पड़ेगा!”
करण- “हाँ हाँ.. दूसरों का बुरा करने के अलावा और तुम्हें आता ही क्या है!”
सरदार- “खामोश!!….सितारा…अभी के अभी इन चीटियों को गायब कर दे!”
वहीं सितारा खुद बहुत डरा हुआ है क्योंकि वह तो काफी देर से ही उन चीटियों को वहां से गायब करने का प्रयास कर रहा है लेकिन उस का जादू काम नहीं कर रहा था।
सितारा- “हाँ हाँ मालिक…अभी करता हुँ…!”
कर्मजीत- “सितारा…तुम उस की बात क्यों सुन रहे हो?”
वहीं सितारा बार-बार मंत्र पढ़ रहा है और चुटकी बजा रहा है लेकिन चीटियां गायब होने की बजाय और भी बढ़ती ही जा रही है।
वहीं कुछ सैनिक चीटियों से बच रहे हैं और कुछ उन का शिकार बन रहे हैं।
सैनिक- “महाराज, कुछ कीजिये..!!”
सरदार (सेनापति से)- “सेनापति! ये सब छोड़ो…और जाओ.. इन बच्चों को पकड़ो, ऐसा ना हो कि इस भागदौड़ में वह तीनों बच कर निकल जाएं!”
सेनापति- “हम्म ठीक है महाराज , आप चिंता मत करिए..! सैनिकों, पकड़ लो उन तीनों को”
सैनिक 1- “जी सेनापति , हम अभी इन को पकड़ते हैं…!”
तो दो सैनिक पहले करण को पकड़ने के लिए जाते हैं।
सैनिक 1- “चल अब, तेरा बहुत नाटक हो गया…!”
कर्ण- “बिल्कुल नहीं
करण वहाँ से भागने लगता है लेकिन दूसरा सैनिक उसे पकड़ लेता है।
सैनिक 2- “काफी चालाक हैं ये बच्चे.. इन को नियंत्रण में करना अकेले सैनिक का काम नही है!”
सैनिक 1- “हम्म …पकड़ इसे और इस के हाथ पैर बांध दें…!”
तो दोनों सैनिक कर्ण के हाथ पैर बांधने में व्यस्त हो जाते हैं कि तभी पीछे से करमजीत आता है.. उस के हाथ में एक पोटली है..वह पोटली सीधी दोनों सैनिकों के मुंह पर मार देता है जिस में से बहुत सारी चीटियां निकलती हैं और उन के मुंह पर चढ़ जाती है
सैनिक 1 – 2- “आ…आ….!”
सैनिक 3- “अरे…. पकड़ो इन्हे.. ये यहां है…देखो हमारे साथी घायल हो गए हैं!”
सरदार- “मूर्खो तुम सभी इन बच्चों को नहीं पकड़ पाए हो…नालायकों!”
सैनिक 4- “माफ करना मालिक… अभी . पकड़ते हैं इन सब को!”
और आखिरकार कर्ण और उस के मित्रों को फिर से पकड़ लिया जाता है.. वहीं अब चींटियां भी गायब हो गयी थी
सरदार- “बंदी बना लो इन तीनों को!!”
लव- “छोड़ो हमें…!!”
करण और बाकी मित्रों को अब बंधी बना दिया जाता है। तभी सितारा बेहोश हो जाता है।
करमजीत- “ये सितारा को क्या हो गया!!
कर्ण- “लगता है उस पर से जादू का प्रभाव खत्म हो गया है!!”
सरदार- “इस सितारा को भी बंदी बना लो!
सभी को बंदी बना कर बीचों बीच खड़ा कर दिया जाता है।
सेना 4- “मालिक इस सितारा को तो मार ही दीजिये…!”
करण- “नही नही…कृपया कर के…किसी को नुकसान ना पहुचायें…!”
सरदार- “तो ठीक है…चल एक खेल खेलते है.. मैं तेरे सामने मेरे बड़े-बड़े दो खास लडाकूओं को प्रस्तुत करूंगा.. अगर तू सबसे जीत गया तो मैं तुम सब को यहां से जाने दूंगा..!”
करण- “हाँ मुझे मंजूर है…!”
और इस के बाद सरदार अपने जादू से वहां पर एक अजीब और डरावने प्राणी को प्रस्तुत करता है।
लव- “यह तो काफी भयानक लग रहा है और ताकतवर भी लग रहा है करण!”
करण- “तुम चिंता मत करो लव.. किसी भी परेशानी से पहले से ही यूँ डरना नहीं चाहिए!”
कर्मजीत- “हाँ.. कर्ण! सही कहते हो.. हम हार मानने वालों में से नही है!”
खैर करण अपने मित्रों की तरफ देख कर सिर हिलाता है और उस के बाद जंग लड़ने के लिए तैयार हो जाता है।
वहीं वह प्राणी भी अपने हथियार को उठाए हुए गुस्से से करण की तरफ देख रहा है।
प्राणी- “आ जा डरपोक इंसान, आज तेरे प्राण लूंगा मैं। !!”
कर्ण- “देखते हैं कौन किस के प्राण लेता है!”
और दोनों एक दूसरे की तरफ बढ़ते हैं और दोनों में घमासान लड़ाई शुरू हो जाती है।
करण बड़ी चतुराई से उस बड़े से प्राणी से बच रहा था और उस को बार-बार गिरा रहा था।
लव- “लग रहा है इस प्राणी में गुस्सा ज्यादा है, परंतु दिमाग कम है!”
करमजीत- “हां देखना, कर्ण हरा ही देगा इसे..!!”
और देखते ही देखते करण उस के माथे पर वार कर के उसे गिरा देता है और कर्ण जीत जाता है।
वहीं उस प्राणी के हार जाने के तुरंत बाद ही वह वहां से गायब हो जाता है।
लव- “वाह कर्ण, बहुत बढ़िया।”
सरदार- “ज्यादा उछलो मत, अभी दूसरा लड़ाकू आना बाकी है!!”
करमजीत- “हिम्मत रखना कर्ण! तुम ही जीतोगे”
और उस के बाद दूसरा प्राणी वहां पर आता है जिस का सिर बैल जैसा है और शरीर इंसान जैसा।
करण- “ये क्या मुसीबत है अब…!”
लव- “ये तो उस से भी खूंखार है करमजीत..!”
करमजीत- “हम्म, हे ईश्वर, रक्षा करना मेरे मित्र की..!”
और उस के बाद दोनों में फिर से लड़ाई शुरू हो जाती है। बैल बहुत गुस्से में है और वह करण की ओर गुस्से मे अपने सींग मारनें का पूरा प्रयास कर रहा है लेकिन करण बार बार बच रहा है।
कर्मजीत- “करण भाई…, डरना मत.. तुम ही जीतोगे…!”
कर्ण- “ये बहुत खतरनाक है!”
लव- “सम्भल कर कर्ण..!!”
लव- “वाह…बहुत बढ़िया!”
सरदार- “है कौन तू??? जो इतना बलवान और चतुर है? “
लव- “मेरा मित्र, सच्चाई और बहादुरी का प्रतीक!”
तभी सितारा भी होश में आ जाता है।
लव- “देखो सितारा को होश आ गया!”
करमजीत- “लेकिन इस की आंखे अभी भी पीली है, ये वश में है!”
सितारा- “महाराज… आप बोले तो मैं इन सब को यहीं पर खत्म कर देता हूं…!”
सरदार- “तू???…. मेरा जादू अभी भी तेरे ऊपर काम कर रहा है?”
सितारा- “कैसा जादू मालिक? और आप ने मुझे ऐसे बंदी क्यों बना रखा है”
कर्मजीत- “सितारा… तुम हमारे मित्र हो…उस पर यकीन मत करो.. तुम हमारे मित्र हो…!”
करन- “हाँ सितारा, पहचानों हमे..!”
लेकिन सितारा उन की बात नहीं सुनता.. दूसरी ओर सरदार अपने सैनिक से कह कर सितारा को आजाद करवा देता है।
सितारा- “धन्यवाद मालिक, मैं तो आप ही का एक गुलाम हुँ..!”
सरदार- “मैं हैरान हूं, ये अभी तक मेरे वश में है!”
तभी सितारा मुस्कुराता है और अपना जादू कर देता है जिस से सरदार और उस की सारी सेना छोटे छोटे बच्चों में बदल जाती है।
और वो सभी बच्चे जोर-जोर से रोने लगते हैं।
लव- “ये क्या, सितारा!!”
सितारा- “सितारा है मेरा नाम, जादू करना है मेरा काम! हा हा हा!”
करण- “वाह…सितारा…तुम ने तो कमाल ही कर दिया , बच्चा बना दिया इन लोगों को!”
सितारा- “हाँ करण.. अब यह हमें नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे! चाह कर भी नही”
लव- “हाँ…लेकिन मुझे तो इन सब की हालत देख कर बहुत हंसी आ रही है हा हा हा..!”
और तभी पीछे से सितारा की मां वहां आ जाती है जिसे देख कर सितारा बहुत खुश हो जाता है।
तो आखिर यह सब कैसे संभव हो सका?? जानेंगे हम अगले एपिसोड में।