71 – तेंदुआ | Tendua | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि गगन और उस के मित्र सितारा के पिता जी और करण के ऊपर हमला कर देते हैं। लेकिन तभी मौके पर गांव वाले आ जाते हैं जिस के कारण उन दोनों की जान बच जाती है। वहीं अचानक लव गायब हो जाता है और पास की पहाड़ी पर पव मिल जाता है, जहाँ वो चीतों को भी देखते हैं।
उन चीतों के जाने के बाद, सभी झाड़ियों से बाहर आते हैं और लव उन के पास आता है। वह सभी को चौंकाने वाली बात बताता है।
लव- “मैं उन लोगों के बारे में सब कुछ जान गया हूं!”
कुश- “क्या जान गए हो मेरे भाई!”
लव- “वो..जब गगन अपने मित्र के साथ वहां से भाग रहा था तब मैं तुरंत ही उस के पीछे पीछे चला गया था,!”
कर्मजीत- “लव,लेकिन तुम्हें कुछ हुआ तो नहीं ना, तुम ने इतना जोखिम भरा कार्य क्यों किया!”
लव- “अरे नहीं नहीं करमजीत मैं बिल्कुल ठीक हूं, लेकिन जरा सी लापरवाही मेरी जान भी ले सकती थी,!!”
बुलबुल- “हे भगवान, तुम इतने बहादुर कब से हो गए!!
कुश- “मेरा भाई तो है ही बहादुर, आगे बताओ अब..!!”
लव- “हम्म तो मैंने उन लोगों की वार्तालाप सुन ली है.. और उस के साथ ही मुझे पता चला है कि एक दीवार है , उस के पार एक कमरे से हो कर दूसरी दुनिया में जाया जा सकता है!”
कर्मजीत- “दूसरी दुनिया?”
लव- “हाँ, वो चीते…उन प्राणियों के मित्र हैं, जिन्होंने सितारा के मां का अपहरण किया है,!!”
बुलबुल- “ओह अच्छा…!”
लव- “हाँ…बस अब जल्दी यहां से चलो पहले..!”
करन- “हाँ..यहां रुकना खतरनाक है!”
और इस के बाद सभी लोग मुखिया के पास जाते हैं,और लव उन सभी को ये बात बता देता है। बाद में सभी सितारा के घर आ जाते हैं।
बुलबुल- “सितारा तुम्हारे पिता जी की तबीयत तो ठीक है ना?”
सितारा- “हां अभी थोड़ी तो ठीक है!”
पिता- “नहीं नहीं मैं तो बिल्कुल ठीक हो गया हूं, तुम सब मेरी तबीयत की चिंता मत करो.. बस अब ये सोचो कि किस तरीके से उन की दुनिया में जाना है!”
टॉबी- “हाँ गुरू जी,!”
शुगर- “मैं भगवान से दुआ करती हूं कि सितारा की मां जल्दी हमारे साथ हो!”
सितारा- “हाँ शुगर!”
लव- “हमें समय रहते वहाँ जाना होगा और सावधानी से यह कार्य करना होगा!”
कुश- “तो क्या हम सभी वहाँ जाएंगे?”
कर्ण- “नही…वह जाना खतरे से खाली नहीं है…इसलिये,मै, लव, सितारा और करमजीत ही वहाँ जाएंगे!”
करमजीत- “हां सही कहा करण..!”
बुलबुल- “ठीक है.. समय कम है, अब तुम सब जाओ..!”
टॉबी- “सब ध्यान से जाना, हम इंतजार कर रहे है!”
और सभी लोग लव के द्वारा बताए हुए रास्ते पर पहुंच जाते हैं। जहां एक दीवार होती है।
करण- “तो क्या यह वही जगह है लव?”
लव- “हाँ करण..देखो ये दीवार है, इसे पार करना होगा !”
करण- “हम्म… यह जगह भी काफी पुरानी सी लग रही है..!”
सितारा- “हाँ… तो क्या अब हमें चलना चाहिए लव?”
लव- “नही…अभी नही… दीवार की दूसरी तरफ कुछ भयानक चीते है.. वो हमें मार कर खा जाएंगे…इसलिए हमें कोई उपाय सोचना होगा..!”
करण- “हम्म!!! ..सितारा कोई उपाय सूझ रहा है तुम्हे?”
सितारा- “मै उन चीतों के जैसा रूप ले लेता हुँ…और उन का साथी बन कर तुम सब की मदद करुँगा…!”
करमजीत- “हाँ… ये तो बहुत अच्छा उपाय है सितारा..!”
सितारा- “सितारा है मेरा नाम , जादू करना है मेरा काम..!”
ये कहते ही वह चुटकी बजाता है लेकिन वह एक चीता बनने की बजाये एक छोटी सी बिल्ली बन जाता है।
सितारा- “meow meow….. ये क्या हो गया..!”
लव- “हा हा हा कोई बात नही सितारा…तुम एक बार और कोशिश करो!”
करण- “हा हा हा..हाँ..! करनी ही पड़ेगी”
और सितारा फिर से जादू करता है और इस बार वो एक चीते मे बदल जाता है।
सितारा- “देखा!!! हो गया ना मुझ से.!”
करमजीत- “हाँ वो तो है…हमें तुम पर बहुत अच्छे से यकीन है..!”
लव- “हाँ..अब जाओ पहले तुम!”
और लव सभी को बाकी योजना बताता है।
वहीं सितारा एक चीते के रूप मे दीवार के दूसरी तरफ जाता है।
वो देखता है कि वहां जंगल और झाड़ियों में काफी सारे चीते घूम रहे हैं। और आसपास कुछ कमरे भी हैं।
चिता 1- “तुम कहाँ थे???… यहां से कहाँ से आ रहे हो तुम…!”
सितारा- “वो वो…. मै पानी पीने गया था…!”
तो सितारा एक कमरे में जाता है जो कि थोड़ा टूटा फूटा है और कमरे की दीवार बिल्कुल कच्ची है।
सितारा (चीते के रूप मे)- “मित्रों…जरा यहां आओ…ये देखो, ये क्या है?”
सभी चीते वहाँ आते है तो देखते हैं कि सामने एक छोटी सी गुड़िया पड़ी हुई है।
सितारा- “ये किस की हो सकती है?”
चीता 2- “पता नही.. कुछ गड़बड़ लग रही है… ऐसा तो नहीं कि यह हमारे दुश्मन का काम हो!”
चीता 1- “हाँ.. हो सकता है, पर अब क्या करें?”
चीता 3- “ लेकिन इसे उठा कर तो देखना ही होगा ना…!!”
चीता 1- ”हाँ.. लेकिन इसे उठा कर कौन देखेगा?”
सितारा- ‘मै देखता हुँ…!”
चीता 2- “हाँ जाओ.. देखो तो…!”
तो सितारा उस गुड़िया के पास जाता है और उस गुड़िया को उठाता है।
सितारा- “अरे यह तो कोई मामूली गुड़िया है!”
चीता 1- “अच्छा..!”
और तभी उस गुड़िया की आंखों से हरे रंग का रहस्यमई धुआं निकलने लगता है। सभी चीते डर जाते है.. और चिल्ला कर यहां वहां भागने लगते हैं।
वहीं सितारा मौका पा कर उस कमरे की कच्ची दीवार को उन सभी चीतों की तरफ धकेल देता है जिस से सभी चीते नीचे दब जाते है, तभी सितारा सीटी बजाता है और सीटी की आवाज सुन कर करण और बाकी मित्र भी दीवार पार कर के आ जाते हैं।
सितारा- “वाह…!!! मैंने तो इन सभी का काम तमाम कर दिया!”
कुश- “हा हा हा…तुम तो बहुत ही बहादुर हो…सितारा…जितना मैंने सोचा था, उस से भी कहीं ज्यादा..!”
कर्मजीत- “हाँ.. वाकई मे.. तो लव !! अब आगे हमें क्या करना होगा?”
लव- “मेरे साथ चलो, दूसरे कमरे में जाना होगा…!”
और सभी लोग उस के साथ एक खुफिया कमरे के पास पहुंच जाते हैं।
कर्ण- “इस कमरे का दरवाजा तो बन्द है!!”
करमजीत (दरवाजा खोलने की कोशिश में)- “हां खुल भी नही रहा!!
लव- “मुझे पता है ये कैसे खुलेगा!!”
तभी लव कुछ शब्द को बोलता है जो कि उस ने उन चीतो के मुंह से सुने हुए थे. और उन रहस्यमय शब्दों को बोलते ही उस कमरे का दरवाजा अपने आप ही खुल जाता है।
लव- “जैसे ही हम इस दरवाजे से गुजरेंगे, वैसे ही हम दूसरी दुनिया में पहुंच जाएंगे…!”
करन- “हम्म.. तो जल्दी से चलो अब!”
और सभी लोग उस दरवाजे से पार हो कर दूसरे कमरे में जाने लगते हैं।
और जैसे ही वो उस दरवाजे पर कदम रखता है , वैसे ही वहां पर दरवाजे की जगह सुनहरे रंग का बड़ा सा गोल आकार बन जाता है जिस के अंदर सभी लोग समा जाते है।
अब सभी मित्र दूसरी दुनिया में पहुंच चुके थे..।
सितारा- “आखिरकार… हम लोगों ने कर दिखाया!”
कुश- “हाँ… सितारा मेरे भाई!”
और तभी वो जादुई सुनहरे रंग का गोल आकार वहां से हटने ही वाला होता है कि उस मे से एक चीता अपने पंजों को फैला कर उन की तरफ कूद जाता है
कर्मजीत- “ये?????….!”
सितारा- “ये बच कैसे गया!!”
कर्ण- “पीछे हटो सभी..!!”
तभी वह गोल आकार बंद हो जाता है
और वो चीता भी उस गोल आकार के साथ ही वहां से गायब हो जाता है।
करन- “लगता है कि मारा गया..!”
सितारा- “हाँ…!”
लव- “उस गोले का मुंह बंद होने का समय हो गया होगा.. इसलिए फंस गया..!”
और तभी उस कमरे का रक्षक भी (गार्ड) वहां पर आ जाता है।
करमजीत और करण उसे देख कर अपनी तलवार निकाल कर हमला करते है। और रक्षक घायल हो कर बेहोश हो जाता है।
करन- “यहां से जल्दी चलो..!”
लव- “हां , फिर से कोई हमलावर आ जायेगा!”
और दबे पांव सभी लोग सितारा की मां को यहां वहां ढूंढने लगते हैं। लेकिन वह कहीं पर भी नहीं मिलती।
सितारा (दुखी हो कर)- “मां तो कहीं भी नजर नही आ रही!”
लव- “तो अब क्या किया जाए?”
करमजीत- “हमें… यहां के सरदार से बात करनी होगी.. जिस ने सितारा की माता का अपहरण किया है!”
सितारा- “लेकिन यह कार्य तो खतरे से भरा है, इस से तो हम भी फंस जाएंगे, फिर मां को कैसे बचाएंगे..!”
कर्मजीत- “नहीं सितारा.. हम तुम्हारी माँ को बचा कर ही रहेंगे..!!”
कर्ण- “तो चलो, हमे देरी नहीं करनी चाहिए..!!”
खैर कुछ ही देर में, सभी लोग सरदार के पास पहुंच जाते है।
सरदार अपने सिंहासन पर बैठा हुआ है और उस के सिर पर ताज है.. वो इन सभी मित्रों को वहां पर उपस्थित हुआ देख कर हैरान रह जाता है।
सरदार- “आखिर तुम सब यहां पर कैसे पहुंच गए? वो भी सही सलामत”
सितारा- “मै अपनी मां को आप से आजाद करवाने आया हूं… कृपया उन्हें जाने दो..!”
सरदार- “हा हा हा हा…इतनी आसानी से मैं तुम्हारी मां को नहीं छोडूंगा.. सितारा!”
सितारा- “तो बोलो आखिर तुम्हें क्या चाहिए?”
सरदार- “हां…तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तुझे पता ही नहीं कि मैं क्या चाहता हूं…!”
सितारा- “देखो…मेरे गांव वासियों ने आप का कुछ भी नही बिगाड़ा है…उन सभी को अपनी जिंदगी सुकून से जीने दो..उन लोगों की जिंदगी उजाड़ कर भला आप को क्या मिलेगा?”
सरदार- “मुझे वो जगह बहुत प्रिय है.. मैं वहां पर अपना हुक्म जमाना चाहता हूं… तेरा नौकर बन कर नहीं रहना चाहता!”
और तभी पीछे से गगन आ जाता है।
गगन (चलते हुए)- ”हाँ…जैसे हम इस के और इस के पिता के नौकर बनते रहे…!”
सितारा- “मुझे पता था गगन कि तुम इस के साथ मिले होगे… तुम ने अपने ही गांव वासियों के साथ ही धोखा किया…!”
गगन- “चुप कर…मुझे भी राजा बनना है नौकर नहीं..तू एक नंबर का बेवकूफ है.. लेकिन तब भी हर जगह तेरी ही वाह वाही होती है.. मुझे नफरत है तुझ से!”
सितारा- “लेकिन…. मैं तो तुझे अपना भाई मानता हूं! मैंने कभी तेरा बुरा नहीं किया”
गगन- “हा हा हा…भाई…????…. छोड़ ये सब और हां एक और बात.. तेरी मां अब जिंदा नहीं है…!”
ये सुन कर सितारा का दिल बैठ जाता है और उस के आंसू बहने लगते हैं।
कर्ण और उस के मित्र भी घबरा जाते हैं।
लव- “नही सितारा, सम्भालो खुद को, ये झूठ बोल रहा है तू….!”
गगन- “हा हा हा…अच्छा?????”
तो क्या वाकई में सितारा की मां अब इस दुनिया में नहीं रही थी? गगन झूठ कह रहा था या सच।
यह जानेगें हम अगले एपिसोड में।