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70 – भेड़िया | Bhediya | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि कुछ प्राणियों और उन की सेना ने सितारा के गांव के लोगों पर हमला कर दिया था। करमजीत और बाकी लोग उस की सेना को हरा तो देते हैं लेकिन अंत में सितारा की मां की जान खतरे में पड़ जाती है। क्योंकि सितारा की मां का अपहरण हो गया था।

सभी बहुत परेशान थे और सितारा की माँ को बचाने के बारे में सोच रहे थे।

सितारा- “पिता जी, आखिर यह सब किस ने किया होगा?”

सितारा के पिता- “जरूर किसी गांव वासी का तो हाथ है इस के पीछे, वरना इतनी आसानी से कोई भी हमारे गांव में कैसे प्रवेश कर सकता है?”

सितारा- “हाँ, पिता जी, मुझे तो बस माँ की चिंता हो रही है!”

कुश- “चिंता मत करो सितारा, सब कुछ ठीक हो जाएगा!”

टॉबी- “हाँ सितारा, हम तुम्हारे दुख को अच्छे से समझ सकते हैं!”

पिता (गुस्से से)- “चिंता करने की तो बात है, अगर तुम पीछे से आ कर उस दानव पर हमला न करते तो शायद आज सितारा की मां यहां पर होती.. पता नहीं किस हाल में होगी वह???!!”

सितारा- “पिता जी ऐसा मत कहिए , ये तो सब को बचाने के लिए ही हमला कर रहे थे,!”

पिता- “अब कुछ भी कह लो बेटा.. लेकिन तुम्हारी मां की जान तो आज खतरे में है ना!”

और इतना कह कर सितारा के पिता जी नाराजगी में वहां से चले जाते हैं।

सितारा- “माफ करना मित्रों.. पता नहीं पिता जी को क्या हो गया..!”

बुलबुल- “कोई बात नहीं सितारा, उन को तुम्हारी मां की चिंता सता रही है… ऐसी स्थिति में ये होना जायज है!”

लव- “माफ कर दो सितारा , हम से गलती हो गई!”

सितारा- “नही नही! लव!! ये कैसी बातें कर रहे हो?…मुझे तुम सब पर और खुद पर भरोसा है.. हम मां को जरूर घर ले कर आएंगे!”

करण- “हाँ…सितारा,तुम ने बिल्कुल ठीक कहा.. हम तुम्हारी और तुम्हारे पिता जी की मनोस्थिति को अच्छे से समझ सकते हैं!”

सितारा- “हाँ करण..!”

कर्मजीत- “अब सवाल ये उठता है कि हम उन तक कैसे पहुँचेगे…!”

सितारा- “हाँ…हमें कहीं से खोज खबर पता करनी होगी, उन के बारे में कहीं से पता करना होगा!”

करन- “हाँ. सितारा,!”

कुछ ही देर में शाम हो जाती है। तभी गगन की माँ घबराई हुई दौड़ कर सितारा के पिता के पास आती है।

गगन की माँ- “वो वो…!”

पिता- “आप?? यहां??? इतनी घबराई हुई क्यों है“

गगन की माँ (उस की सांसे फूल रही है)- “वो… मेरा बेटा..वो.. मुझे मारना चाहता है..!”

पिता- “क्या!! यह आप क्या कह रही है? भला कोई बेटा अपनी माँ को क्यों मारना चाहेगा“

गगन की माँ- “हाँ सच में, गगन बोल रहा था कि उस ने ही गांव में वह हमला करवाया था.. और जब मैंनें उस का विरोध किया तो उस ने उल्टा मुझे ही मारने की धमकी दी.. मुझे बचा लीजिए, नहीं तो वह मुझे भी मार देगा!”

पिता- “आप बिल्कुल चिंता मत करो.. आप मेरे घर के अंदर छुप कर बैठ जाइए , मैं उसे देखता हूं!”

वो अंदर जाती है, फिर सितारा और करण के सभी मित्रों को भी यह सारी बातें पता चल जाती हैं।

पिता- “सुनो बेटा.. मैं गांव के मुखिया के पास यह सारी बातें बताने जा रहा हूं..!”

करण- “लेकिन गुरु जी, कहीं आप के साथ कुछ गड़बड़ ना हो जाए , हम भी चलते हैं साथ में!”

पिता- “हम्म ठीक है चलो.. लेकिन मेरे साथ सिर्फ एक ही व्यक्ति चले.. क्योंकि यहां पर भी तो किसी को रहना होगा!”

करण- “ठीक है! तो मैं चलता हूं आप के साथ!”

तो करण और सितारा के पिता जी वहां से मुखिया के घर के लिए निकल जाते हैं
तभी गगन (लोमड़ी ) अपने उन्ही मित्रों के साथ उन के रास्ते मे आ जाता है।

करण- “तुम सब कौन हो??? “

पिता- “ये वहीं है.. गगन और उस के साथी!”

गगन- “हाँ.. और तू यह किस को अपने साथ ले कर घूम रहा है बुड्ढे??? हा हा हा!”

करण- “जुबान संभाल कर बात करो..!”

मित्र 1- “हा हा हा अच्छा तुझे बड़ा प्यार आ रहा है इस बुड्ढे पर…!”

करण (गुस्से से)- “तुम्हे इन सब के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है!”

मित्र 2- “हा हा हा..अच्छा… तो आ जा! बता कीमत”

और करण अपनी तलवार निकाल लेता है , वहीं गगन भी लड़ने के लिए तैयार था।

कर्ण- “गुरु जी.. आप इन से सावधान रहिएगा! मैं देखता हूँ इन को”

पिता- “ठीक है कर्ण..!”

और तभी गगन के मित्र कर्ण की तरफ़ कूद पड़ते हैं और कर्ण सब का सामना करता है।
गगन काफी रफ्तार से भागता हुआ हमला करता है।

वहीं सितारा के पिता जी भी बहुत पुराने खिलाड़ी थे इसलिए उन को पता था कि हर जानवर से किस तरीके से लड़ना है।

पिता- “ध्यान से करण..!”

करण- ”हाँ गुरू जी!”

गगन- “यह लड़का तो बड़ा चतुर है… मुझे तो लगा था कि दो-तीन वार में मर जाएगा!”

मित्र 1- “हाँ.. चलो कुछ दूसरी चाल चलते हैं!”

मित्र 2- “छोड़ेंगे नही इन को..!!”

वहीं तीसरा मित्र दूर से भाग कर आता है और करण के ऊपर झपट पड़ता है… वो आखिरकार करण को जोर से नीचे जमीन पर पटक देता है।

मित्र 3- “हा हा हा, अब आया ना मजा..!!”

गगन- “शाबाश। छोड़ना मत..!!”

सितारा के पिता- “सम्भल कर कर्ण बेटा..!!”

मित्र 3- “अब ठीक नही रहेगा हा हा हा..!!”

कर्ण को देख कर मुस्कुराता है और धीरे-धीरे उस की तरफ बढ़ने लगता है और तभी पीछे से सितारा के पिता उस पर हमला करते हैं। लेकिन खुद ही घायल हो जाते हैं।

मित्र 3 (पंजा मार कर)- “हा हा हा… मुझे हराना इतना आसान नहीं है!”

कर्ण- “ये अच्छा नही किया तूने..!!”

कर्ण गुस्से में उसे हाथों से पीछे धकेलता जाता है और आखिर कर्ण उसे एक गड्डे मे धकेल देता है..।

पिता- “ये क्या!! इस के बाकी मित्र कहां भाग गए? “

करण- “लगता है डर कर भाग गए है.. लेकिन वो पक्का वापस आएंगे!”

मित्र 3- “आ आ.. बचाओ, बचाओ… साथियों!”

पिता- “भाग गए तुम्हारे कायर साथी, तुम्हे अकेला छोड़ कर..!!”

मित्र 3- “आ….मुझे बाहर निकालो, ये मुझे मार देंगी..आ….!!”

तभी करण देखता है कि उस गड्ढे में बहुत सारी चीटियां थी जो कि गगन के तीसरे मित्र की जान लेने के लिए पर्याप्त थी।

करण- “ये??…. ये तो जहरीली चीटियाँ है, इन से तो इस की बहुत भयानक मृत्यु होगी.. नही.? मुझे इसे बचना होगा !”

मित्र 3- “बचाओ मुझे यह जंगली चीटियां मुझे बहुत चोट पहुंचा रही है… अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह!”

लेकिन तभी गगन और उस के दो मित्र वहां आ जाते हैं,जो फिर से घायल सितारा के पिता और करण पर हमला करने लगते हैं।

करण- ”.. हम पर हमला करना बंद करो, और जा कर अपने मित्र को बचाओ..!”

गगन- “हमे बेवकूफ समझा है, भागना चाहते हो!! हां..!!”

मित्र 1- “डर गए हैं लगता है..!!”

वहीं करण सितारा के पिता को भी बचा रहा है और उन सभी दोस्तों से उन की रक्षा भी कर रहा है।

करण (तीसरे मित्र से)- “देखो… तुम्हारे इन मित्रो को तुम्हारी जान की कोई भी परवाह नहीं है.. बजाये तुम्हें बचाने की.. ये तो हम पर हमला कर रहे हैं.!”

मित्र 3- “अह्ह्ह्हह… बचाओ…मुझे बचाओ पहले…नही तो यहीं मृत्यु हो जाएगी मेरी.!”

करण- ”बचाओ उसे..!”

मित्र 2- “चुप कर .. तू.. तू हमें मत सीखा!”

तभी पहला मित्र उस गड्ढे के पास जाता है और देखता है कि उस का साथी अब होश में नही है।

मित्र 1- “इस की तो आंखें बंद है.. और अब यह कोई आवाज भी नहीं कर रहा है.. शायद इस की मृत्यु हो गई!”

गगन- “मित्रों, हमेँ यहां से भागना होगा.. लग रहा है गांव वाले इसी तरफ आ रहे हैं!”

करण- “तुम सब को मैं भागने नही दूंगा!”

पिता- “हाँ करण रोको, इन्हे गांव वाले बंदी बना लेंगे..!”

लेकिन गगन जल्दी से किसी पेड़ के ऊपर छलांग लगा कर चढ़ जाता है और इसी के साथ उस के साथी भी वहां से गायब हो जाते हैं।

तभी करण के बाकी मित्र गांव के कुछ लोगों के साथ वहाँ आ जाते हैं।

करण- “सितारा, अपने पिता जी को घर ले जाओ… इन्हें काफी चोट आ गई है!”

सितारा- “पिता जी..! चलिये”

शुगर- “चिंता मत कीजियेगा गुरु जी , आप ठीक हो जाएंगे!”

पिता- “हां पुत्री!”

करमजीत- “कर्ण !! मैं और बुलबुल तुम्हारे साथ चलते हैं!”

तो सितारा बाकी लोगों के साथ अपने पिता जी को ले कर घर चला जाता है।

वहीं करण- करमजीत और बुलबुल के साथ मुखिया पवन के घर जाता है और उसे सारी बात बताता है।

मुखिया पवन- “ठीक है.. हम तुम सब की सहायता करेंगे.. हम अपने सारे आदमियों को तुम्हारे साथ भेज देंगे.. और कुछ आदमियों को गगन के पीछे लगा देंगे.. !!”

कर्ण- “ठीक है!!”

मुखिया पवन- “हम सब किसी भी हालत में सितारा की मां को सही सलामत वापस घर ले आएंगे!”

करण- “जी.. मुखिया जी.. आप का बहुत-बहुत शुक्रिया!”

कर्मजीत- “ठीक है.. तो अब हम यहां से चलते हैं!”

उधर सब लव को ले कर परेशान थे, क्योंकि वो कहीं चला गया था। तभी कर्ण , करमजीत और बुलबुल घर आते हैं।

टॉबी- “बहुत देर हो चुकी है करण लेकिन लव कहीं पर भी नहीं दिख रहा है!”

शुगर- “हाँ.. हम दोनों ने बहुत देर तक उसे यहां वहां ढूंढा लेकिन वह कहीं पर भी नहीं मिल रहा है!”

सितारा- “क्या??.. बिन बताये कहां गया होगा वो?”

कुश- “कहीं मेरे भाई के साथ कुछ गड़बड़ तो नहीं हो गई??”

कर्मजीत- “नही कुश..ऐसा कुछ मत सोचो, वह वीर है चतुर है..

बुलबुल- “वह अपनी रक्षा खुद भी कर सकता है.. चलो उसे ढूंढते हैं!”

और वे लोग उसे यहां वहाँ ढूंढने लगते हैं लेकिन लव का कुछ पता नहीं चलता।

ढूंढते वक्त करमजीत को पहाड़ी के पास लव के जूतों के निशान दिखते हैं और सब से पहाड़ी पर जाने के लिए कहता है तो सभी लोग पहाड़ी के पास पहुंच जाते हैं।

करन पहाड़ की चोटी पर खड़ा हो कर ज़ोर से चिल्लाता है!

कर्ण- “लव अ ~अ ~अ~अ.. मेरे भाई~~~ई ई~~~ ई….कहां हो तुम~~म म~~? “

और आखिरकार दूसरी ओर से लव की तेज आवाज आती है।

लव- “मैं यहां हूं ~उँ~~ उँ~~ अपनी बाएं देखो~~ ओ~~ ओ~~ ओ!!”

बुलबुल- “अरे वो रहा लव… हम यहां हैं लव , इधर आ जाओ!”

लेकिन लव थोड़ा डरा हुआ है , वह पीछे हट जाता है और सभी को हाथ से इशारा कर के झाड़ियां के पीछे छुप जाने के लिए कहता है और खुद भी छुप जाता है।

बुलबुल- “ये क्या कर रहा है लव!”

कुश- “वो इशारा कर रहा है! कुछ गड़बड़ है”

टॉबी- “हां … सभी लोग छुप जाओ!”

कर्ण- “हां, जल्दी..!!”

और सभी लोग झाड़ियों के पीछे छुप जाते हैं और तभी थोड़ी देर बाद ही वहां पर 4 चीते आ जाते है।

चीता 1- “अपनी नज़रें यहां वहां घूमाता है…!”

चीता 2- “कोई भी नहीं है साथियों यहां.. चलो अब यहां से जल्दी से चलते हैं…हमें अपना काम भी जल्दी पूरा करना है!”

और यहां वहां देखने के बाद वो वहां से चले जाते हैं।

शुगर- “अब जान मे जान आई.. कितनें खूंखार लग रहे थे वे लोग..!”

कुश- “हाँ शुगर, अच्छा है लव ने बचा लिया…!”

तभी लव उन के पास आता है और उन्हें एक सच्चाई बताता है।

तो आखिर वे चीते कौन थे? और लव अपने मित्रों को कौन सी सच्चाई बता रहा था? यह जानेंगे हम अगले एपिसोड में।

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