Homeतिलिस्मी कहानियाँ69 – जादुई लड़ाई | Jaadui Ladai | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

69 – जादुई लड़ाई | Jaadui Ladai | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करमजीत की चोटी ठीक हो गई है। वही जब अपना कार्य पूर्ण कर के सभी मित्र वापस लौट रहे होते हैं तो अचानक से सितारा कहीं गायब हो जाता है और वहीं उन सभी को रास्ते में मैरीगोल्ड मिलती है। टॉबी मेरीगोल्ड की बहुत परवाह कर रहा था जिस से शुगर को जलन हो रही थी। तभी वहां सितारा आ जाता है।

जैसे ही सितारा आया, वैसे ही मेरीगोल्ड गायब हो जाती है।

टॉबी (हैरानी से)- “ये सब क्या है सितारा!!”

सितारा- “हा हा हा, मैं ही तो था मैरीगोल्ड !! कर्ण ने बताया नही क्या तुम्हें हा हा हा”

टॉबी- “कर्ण, ये सब क्या है, तुम ने ये सब जानबूझ कर किया..??”

कर्ण- “हाँ सिर्फ तुम्हे समझाने के लिए..!!”

कर्मजीत- “हाँ! टॉबी, अब तो तुम करण के मन की बात को अच्छे से समझ सकते हो??क्यों?? हा हा हा हा!”

बुलबुल- “दरअसल सितारा और हम सभी ने मिल कर योजना बनाई थी कि सितारा मेरीगोल्ड का रूप लेगा !!”.

लव- “और तुम्हे इस बात का एहसास दिलवाएगा कि कर्ण तुम से अभी भी उतना ही प्यार करता है।

करण- “हाँ टॉबी, जिस तरह से तुम परेशान हुए थे, उसी तरह से मैं भी परेशान हो रहा था, अब तो तुम्हे मेरी स्थिति का अच्छे से अंदाजा हो गया होगा..!”

सितारा- “हाँ टॉबी, तुम यह मत समझना कि मेरे आने के बाद कर्ण तुम से अब ज्यादा प्यार नहीं करता!”

कुश- “हाँ टॉबी,!”

टॉबी- “हाँ दोस्तों, तुम सभी सही कहते हो, मुझे अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए!”

कर्मजीत- “हा हा हा वो तो है!”

टॉबी- “मुझे माफ कर दो सितारा.. मैंनें तुम्हारे साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया!”

सितारा (मुस्कराते हुए)- “कोई बात नहीं टॉबी!”

तभी सितारा बहुत खुश हो जाता है और हवा में यहां वहां उड़ने लगता है।

सितारा- “सितारा है मेरा नाम ….जादू करना है मेरा काम!”

और जैसे ही वह चुटकी बजाता है वैसे ही वहां पर चार घोंघे हवा मे वाद्य यंत्र (वायलिन) ले कर बजाने लगते हैं। धुन सुन कर सभी लोग बहुत खुश होते हैं और नाचने लगते हैं।

सितारा- “नाचो….मित्रों…..नाचो….हा हा हा!”

बुलबुल- “वाह बहुत मजा आ रहा है!!”

लव-कुश- “हां सच मे…..”yeaahhh!!

टॉबी- “शुगर चलो हम भी लव कुश की तरह एक साथ नाचते हैं!!”

शुगर- “नही, मैं अकेली ही नाचूंगी! हुह!”

तभी टॉबी को चींटी काट लेती है।

टॉबी- ”अह्ह्ह…उई माँ. ये क्या काटा.!”

करन- “हा हा हा …डरो मत वो बस एक छोटी सी चींटी थी.!”

बुलबुल- “हाँ.. अभी तो तुम खतरनाक प्राणी से लड़ कर आए हो और अभी सिर्फ एक चींटी से डर गए हा हा हा!”

शुगर- “हा हा हा..!!”

टॉबी- “अरे हंस पड़ी शुगर, चलो!! अब आओ भी ना, एक साथ नाचते हैं

सभी काफी देर तक मजे करते हैं और आखिर थक कर बैठ जाते हैं।

सितारा- “चलो अब काफी नाच गाना कर लिया!!”

करमजीत- “हाँ अब घर चलते हैं!!”

तो सभी लोग सितारा के घर पहुंच जाते हैं तो उन्हें पता चलता है कि अगले दिन मूर्ति बनाने की एक प्रतियोगिता होने वाली है।

शुगर- “वाह…!! हम भी हिस्सा लेंगे उस मे!”

सितारा- “हाँ बहुत मज़ा आएगा…!”

लव- “मै तो इस काम मे माहिर हुँ..!”

कर्मजीत- “हाँ लव तुम ही जीतोगे.!”

खैर अगली सुबह होती है और सभी लोग प्रतियोगिता में जाने के लिए निकलते हैं।

प्रतियोगिता मे सभी गाँव के लोग जैसे कि चीटिया, मक्खियां, कैटरपिलर/ झल्ली, टिड्डा ये सभी उपस्थित है।

करन- “अरे देखो तो सभी लोग कितने उत्सुक हैं, देख कर तो ऐसा लग रहा है कि सभी लोग बड़े प्रतिभाशाली है यहां पर!”

सितारा- “हां कारण, तुम सब बस देखते जाओ.. मेरे गांव वाले किसी भी कार्य में पीछे नहीं है!”

बुलबुल- “हां सितारा..!”

और तभी करमजीत और बाकी मित्र मिल कर मूर्ति बनाने का सामान वहां पर ले आते हैं।

Female Host- “तो प्रतियोगिता शुरू होती है..सभी लोग अपने समूहों ने मूर्ति बनाने का कार्य शुरू कर दो!”

टॉबी- “चलो सब.. जल्दी शुरू करो… देखना जीतेंगे तो हम लोग ही!”

शुगर- “हाँ टॉबी, लेकिन जल्दबाजी में मूर्ति कहीं खराब न हो जाए!”

सितारा- “हाँ.. धैर्य से किया गया काम सदैव उचित होता है!”

कुश- “हाँ..आराम से!”

और सभी लोग समूहों में अपनी अपनी मूर्ति बनाने लग जाते हैं!

वहीं दूसरी ओर गगन (लोमड़ी) अपने 3 मित्रों के साथ सितारा की टोली को देख कर बहुत गुस्सा कर रहा है। दरअसल गगन पहले से ही सितारा को पसंद नहीं करता है।

गगन- “देखो तो दोस्तों, सितारा बहुत खुश नजर आ रहा है, चलो इस की खुशी को दुख में बदलते हैं…!”

मित्र लोमड़ी 1- “हाँ.. इतना आत्मविश्वास भी अच्छा नहीं होता है!”

मित्र 2- “ इस को लगता है कि सभी गांव वासी इस को पसंद करते हैं..पर हम तो नफरत करते हैं इस से!”

गगन- “तुम सब चिंता मत करो , इस का यह भ्रम जल्दी ही टूटेगा!”

मित्र 3- “हाँ वो तो है ही!”

मित्र 2- “अभी फिलहाल…. मूर्ति बनाने पर ध्यान देते हैं… हम कोई भी गलती होने नहीं दे सकते हैं!”

गगन- “हाँ हाँ जल्दी हाथ चलाओ…!”

एक घण्टा बीत जाता है और प्रतियोगिता का टाइम खत्म हो जाता है।

Female होस्ट- “टिक टिक 9, टिक टिक 8, टिक टिक 7, टिक टिक 6, टिक टिक 5, टिक 4…

बुलबुल- “बन गयी मूर्ति….!!”

लव- “कितनी प्यारी है ना गणपति जी की प्रतिमा!!”

होस्ट- “टिक टिक 1…. समय समाप्त..! तो चलिए सब की प्रतिमा देखते हैं!”

तो कुछ मुख्य लोग सभी की प्रतिमा देखते हैं, सभी ने अलग अलग प्रतिमा बनाई है।

होस्ट- “तो सब की प्रतिमा देखने के बाद यह फैसला किया है…

कुश- “हे भगवान!!”

टॉबी- “हमारा ही नाम आये!!”

होस्ट- “तो विजेता है हमारे सबसे चहेते सितारा…और उस के साथी…!”

सब खुशी से उछलने लगते हैं और यह सुन कर गगन और बाकी मित्र बहुत गुस्सा हो जाते हैं और वहां से चले जाते हैं।

कर्मजीत- “वाह टॉबी, तुम ने तो बिल्कुल सही कहा था , जीते तो हम ही ”

बुलबुल- “हां.. यह सब हमारी मेहनत और आत्ममनोबल के कारण ही हो सका है!”

टॉबी- “हाँ.. बुलबुल!”

सभी सितारा और उस के सभी मित्रों की बहुत तारीफ होती है।

सितारा के माता पिता, “हमें अपने पुत्र पर गर्व है..!”

सितारा- “शुक्रिया आप दोनों का..!”

सितारा उड़ कर अपने माता-पिता की गोदी में बैठ जाता है।

कुश- “हा हा हा सितारा, तुम तो दूध पीते बच्चे लग रहे हो!”

सितारा- “अरे दूध तो मैं अभी भी पीता हूं लेकिन बस अब मै बच्चा नहीं हूं हा हा हा हा!”

खैर बातों बातों में रात बीत जाती है और अगली सुबह होती है..कि तभी वहाँ कुछ अजीब लोग आ जाते है जिन का आधा शरीर इंसान जैसा और आधा शरीर चिंपांजी जैसा है।

कर्मजीत घर के बाहर निकला हुआ था इसलिए वह उन सभी को देखता है।

करमजीत- “तुम सभी कौन हो? बोलो.

बोलते क्यों नही….

कर्ण बाहर आओ”

और उन का सरदार कुछ नहीं बोलता…बस अपने एक आदमी की तरफ देखता है और चुटकी बजाता है।

और तभी उस का एक आदमी अपना मुंह खोलता हैं और जैसे ही वो अपना मुंह खोलता है , उस के मुंह से एक जाला निकलता है…जिस मे कर्मजीत फंस जाता है।

तभी वहाँ करण और बाकी सब आ जाते हैं।

करन- “ये क्या करमजीत???… सितारा… ये कौन है?”

सितारा- “यह जरूर हमारे गांव वासियो पर हमला करने आए होंगे,!”

सितारा के पिता- “ये यहां पर कब्जा करने आए होंगे.. सभी लोग सावधान रहो!”

और तभी सभी लोग (आदमी, औरत, जानवर, सितारा के माता-पिता और करण और बाकी मित्र) अपनी तलवार निकाल कर तैयार हो जाते हैं।

वहीं गुंडों का सरदार अपने आदमी को इशारा करता है। तो वे सितारा और बाकी मित्रों पर आक्रमण करने लगते है।

बुलबुल- “बचो… इन के मुँह से जाला निकल रहा है, ये सब को कैद कर रहे हैं!”

लव- “हाँ…बुलबुल…!”

कुश- “सब बच कर रहो..!!”

और सभी लोग जैसे तैसे कर के उनके द्वारा फेके गए जाल से बच रहें हैं। कोई जादू कर रहा है तो कोई अपनी तलवार का इस्तेमाल कर रहा है।

सितारा की माँ- “ये तो बहुत ही दुष्ट लोग हैं!!”

सितारा- “माँ.. हमारी इतनी सुरक्षा रखनें के बाद भी ये अंदर कैसे आ सकते है???”

माँ- “हाँ वहीं तो मुझे भी समझ नही आ रहा है सितारा…बचो…!”

और सितारा अपने पीछे से आते हुए जाला को काट देता है।

तभी हवा मे एक ओर जाला आता है लेकिन टॉबी सामने आ जाता है और वो उस जाल मे फ़स जाता है..

शुगर- “टॉबी नही………कोई मदद करो..!”

शुगर- “मै तुम्हे कुछ नही होंने दूंगी..!”

सितारा- “हाँ तुम्हे कुछ नही होगा.. टॉबी! सितारा है मेरा नाम, जादू करना है मेरा काम..!”

और चुटकी बजाता है कि तभी वहाँ कई सारे खूँखार जानवर आ जाते है।

सितारा डर जाता है।

सितारा- “मैंने ये नहीं कहा था…!”

माँ- “बेटा ये क्या किया!! जल्दी इन्हे यहां से गायब करो…!”

सितारा (हड़बड़ी मे)- “हाँ माँ.. गलती हो गयी, पता नही कैसे…!”

और वो फिर से चुटकी बजता है जिस से वहाँ कुछ अलग जीव आ जाते है जो आधे इंसान है तो आधे घोड़े!

और ये जीव उन बदमाशों कों कुचलनें लगते है और उस की सेना को मार गिराने लगते है। वहीं करण भी इन का साथ देता है।

वहीं बदमाशों का सरदार सितारा की माँ कों बंधी बना लेता है।

सरदार- “सितारा, रुक जा!! वरना…इसे खत्म कर दूंगा!”

पिता- “नहीईई… छोड़ दे उसे!”

सरदार- “चालाकी मत दिखाना कोई भी… वरना इस का सिर धड़ से अलग कर दूंगा…मै तो मरूंगा ही, इसे भी मार के मरूंगा..!”

सितारा- “नहिई…ऐसा मत करना…तुम जो कहोगे , हम वही करेंगे!

सरदार- “हाँ.. ठीक है..तो इन को वापस इन की दुनिया मे भेज दो!”

और सितारा अपने जादू से जादुई लोगों को वहां से गायब कर देता है।

तभी कर्मजीत और लव पीछे से जा कर उन के सरदार को मारने का प्रयत्न करते हैं लेकिन तभी सरदार सितारा की मां को ले कर वहां से गायब हो जाता है।

सितारा के पिता- “नही….वो कहाँ गया???..”

सितारा (रोते हुए)- “माँ…. अअअअअ….!”

कुश- “चिंता मत करो सितारा, हम तुम्हारी मां को सही सलामत ले आएंगे!”

तो इस तरह गांव के बाकी लोग तो बच गए थे लेकिन सितारा की मां की जान अब खतरे में थी।

वहीं दूसरी ओर गगन जो कि अपने घर में छुप कर अपने मित्रों के साथ बैठा हुआ है।

गगन- “अच्छा हुआ इन के साथ…यही तो चाहता था मैं !”

मित्र 1- “हाँ.. हम लोगों ने जो किया..बहुत अच्छा किया!”

और ये बात गगन की मां सुन लेती है और वो परेशान हो जाती है

गगन की माँ- “हे भगवान इस ने अब क्या गड़बड़ कर दी????!!!”

तो आखिर गगन ऐसा क्यों कह रहा था और कौन था इस हमले के पीछे?… जानेंगे हम अगले एपिसोड में.. तो…बनें रहिएगा तिलस्मी कहानी के इस जोखिम भरे सफर में।

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