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68 – जादुई लव | Jaadui Love | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि नारु नाम के एक व्यक्ति की जादुई टोपी उड़ कर सभी मित्रों के पास आ जाती है। लेकिन उस व्यक्ति को लगता है कि इन सभी ने ही उस की जादुई टोपी चुराई है। इसलिए वह करण और बाकी लोगों पर हमला भी करता है लेकिन अंत में सब कुछ ठीक हो गया था और नारु भी अपनी जादुई टोपी ले कर वहां से निकल चुका है।

सभी मित्र जंगल मे विशाखा नामक पत्तियों को एक पोटली में भर लेते हैं और वापिस जाने लगते हैं।

टॉबी- “अच्छा, करण..तुम ने देखा ना मैंने कितनी बहादुरी से उस खूंखार प्राणी को हरा दिया था!”

सितारा- “हाँ टॉबी, तुम बहुत बहादुर हो!”

करण- “हाँ टॉबी, यह भी कोई कहने वाली बात है क्या, तुम तो हो ही बहादुर!”

कुश- “हाँ.. आज तुम ने एक अच्छा पालतू पशु होने की मिसाल दी है!”

कर्मजीत- “अब बस जल्द ही मेरी चोटी ठीक हो जाए! यही चाहिए मुझे”

करन- “हाँ हाँ क्यों नही.. अब तो तुम्हारी चोटी बिल्कुल ठीक हो जाएगी कर्मजीत.. गुरु जी तुम्हारी इस समस्या का समाधान अब जरूर कर देंगे!”

और पत्तियां ले कर सभी लोग फिर से उसी आदमी के पास पहुंच जाते हैं।

बुलबुल- “गुरु जी, हम पत्तियां ले आये, अब तो हमारा मित्र ठीक हो जाएगा ना? मेरा मतलब चोटी ठीक हो जाएगी ना”

आदमी (गुरुजी)- “हाँ पुत्री, मैं इसे ठीक करने का हर संभव प्रयास करूंगा!”

और तभी गुरुजी पत्तियां ले कर सभी को दूसरे कमरे में ले जाते हैं..

उस कमरे के ठीक बीच में ऊपर एक बड़ी सी घंटी लगी होती है।

आदमी- “बेटा यहां बीच में आ कर बैठ जाओ, इस घण्टी के ठीक नीचे!”

कर्मजीत- “हाँ गुरू जी!”

और वह जैसे ही घण्टी के नीचे बैठने लगता है, तभी उस की चोटी उस घंटी से टकराती है। घण्टी बजने लगती है।

टॉबी घंटी की आवाज पर नाचने लगता है।

टॉबी- “हा हा हा… करमजीत… तुम्हारी इस चोटी का इस्तेमाल अब अच्छे से हो रहा है…!”

आदमी (हंसी रोकते हुए)- “माफ करना, मुझे पता नही था कि तुम्हारी चोटी से घण्टी बजने लगेगी!”

करण- “श~~~~! टॉबी, तुम भी ना, ऐसे मजाक नही उड़ाते..!”

टॉबी- “ओह तो क्या हो गया करण.. बीच-बीच में हमें मजाक भी करना चाहिए हा हा हा!”

सितारा- “हां ये बात तो है!”

कुश- “हाँ बिल्कुल हा हा हा..!”

कर्मजीत- “सभी मेरा मजाक उड़ाने में लगे हैं, गुरु जी.. कृपया कर के आप पूजा शुरू कीजिए!”

तभी गुरु जी पत्तियां बिछा कर पूजा शुरू करते हैं। और पूजा के दौरान करमजीत की चोटी और भी लंबी हो जाती है और वो उस घंटी से बार-बार टकरा रही थी और बार-बार घंटी बजने लगती है।

लव कुश- “हा हा हा…!!”

शुगर- “ये क्या हो रहा है हा हा हा!”

आदमी- “आप सब चिंता मत करो.. बस पूजा में ध्यान लगाओ!”

टॉबी- “हा हा हा…कर्मजीत क्या बात है., आज का दिन तो याद ही रहेगा.!”

कर्मजीत- “टॉबी,ये क्या कह रहे हो..क्यों इतना हंस रहे हो मुझ पर!”

करन- “टॉबी बस भी करो, चुप हो जाओ..!”

बुलबुल भी अपने मुंह पर हाथ रख के, हंसी रोकने की कोशिश करती है।

बुलबुल- “चिंता मत करो.. कर्मजीत जल्दी ठीक हो जाओगे तुम!”

करमजीत- “तुम भी खुल कर हंस लो बुलबुल! हंसी दबा क्यों रही हो!”

बुलबुल- “नहीं नही! ऐसी बात नही है!”

थोड़ी ही देर में पूजा खत्म हो जाती है और उस के साथ ही करमजीत की चोटी बिल्कुल पहले जैसी हो जाती है।

करमजीत- “वाह, मेरी चोटी तो ठीक हो गयी!!”

सितारा- “चलो करमजीत, अब तुम बिल्कुल ठीक हो गए हो!”

कुश- “हाँ… आप का बहुत-बहुत शुक्रिया गुरू जी!”

करमजीत- “हां गुरु जी, मैं आप का आभारी रहूंगा, बहुत बहुत धन्यवाद!!”

आदमी- “कोई बात नहीं बेटा.. यह तो मेरा फर्ज था..!”

कर्ण- “अब हम चलते हैं गुरु जी, प्रणाम! हमें आज्ञा दीजिये!”

गुरु जी- “ठीक है, आज्ञा है!”

और सभी लोग वहां से चले जाते हैं।

तभी चलते-चलते बीच रास्ते में करण रुक जाता है, क्योंकि उसे सितारा नजर नही आ रहा था।

करण- “रुको, सितारा कहां गया? “

टॉबी- “थोड़ी देर पहले तो यहीं पर था ,अब कहां चला गया? “

शुगर- “कहीं वो खो तो नहीं गया? “

लव- “ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता शुगर क्योंकि सितारा तो इस जादुई दुनिया से भली भांति वाकिफ है!”

बुलबुल- “हाँ आखिर वो कहां गया होगा?”

लव- “चलो उसे ढूंढते हैं!”

कुश- “हाँ.. कहीं उस के साथ कुछ गलत तो नहीं हो गया होगा???”

टॉबी- “अरे ऐसा कैसे हो सकता है?”

कुश- “माना कि उस के पास जादूई शक्तियां है और वह इस दुनिया को अच्छे से जानता है लेकिन फिर भी कभी भी कुछ भी हो सकता है!”

कर्मजीत- “हाँ चलो उसे ढूंढते हैं!”

तो सभी मित्र उसे यहां वहां ढूंढने लगते हैं परंतु कई घंटे के बाद भी वो सितारा को ढूंढ नहीं पाते हैं।

करन- “अब तो मुझे वास्तव में सितारा की चिंता हो रही है??.. आखिर कहां जा सकता है वो? “

बुलबुल- “कहीं वो नाराज हो कर वापस तो नहीं चला गया?“

करण- “हाँ…तुम सही कहती हो,. यह भी संभव है,!”

टॉबी (मन में सोचने लगता है)- “कहीं मेरी वजह से तो सितारा ऐसा नहीं कर रहा है।

कुश- “तो मित्रों अब हम क्या करें??… रात भी होने वाली है, हमें यहां से जाना होगा!”

कर्मजीत- “हाँ कुश,, तुम सही कह रहे हो.. करण!! यहां से चलते हैं!”

करन- “हाँ चलो..!”

तो सभी मित्र सितारा के बारे में ही बातचीत करते हुए वहां से जा रहे थे कि तभी बुलबुल को रास्ते में मेरीगोल्ड दिखाई देती है जो कि लेटी हुई है और उदास है।

लव- “देखो साथियों ..लगता है वो किसी परेशानी में है!”

बुलबुल- “कितनी सुंदर है ना ये, इतनी बड़ी बड़ी आंखें, लंबे बाल, बहुत आकर्षक है!!”

कुश- “हां, ऐसा आकर्षक पशु तो कभी नही देखा!

कर्ण- “चलो उस के पास जा कर बात करते हैं!!”

सभी उस के पास जाते हैं।

बुलबुल- “तुम इतनी परेशान क्यों हो, क्या हुआ तुम्हे!”

मेरीगोल्ड- “मुझे बहुत प्यास लगी है!”

करमजीत- “हमारे पास पानी है!”

बुलबुल (उसे पानी दे कर)- “ये लो पी लो…लेकिन तुम यहां पर कैसे आ गई? क्या नाम है तुम्हारा”

मेरीगोल्ड- “मेरा नाम मेरीगोल्ड है, मेरे मालिक मुझे जंगल मे अकेला छोड़ कर चले गए!”

बुलबुल- “क्या??.. कितने अन्यायी लोग हैं.. जो इस को ऐसे छोड़ गए !”

मेरीगोल्ड- “हाँ.. मुझ पर झूठा इल्जाम लगा कर उन्होंने मुझे घर से बाहर निकाल दिया!”

टॉबी और शुगर उस की कहानी सुन कर बहुत दुखी हो जाते हैं।

टॉबी- “यकीन नहीं होता कि दुनिया में ऐसे पापी लोग भी हैं!”

करण- “हाँ टॉबी, यहां हर तरह के लोग हैं…!”

बुलबुल- “तुम्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है मेरीगोल्ड,, तुम अब हमारे साथ चल सकती हो!!”

मेरीगोल्ड- “अच्छा !! सच मे??? “

करण- “हाँ.. तुम अब से हमारे परिवार का हिस्सा हो!”

मेरीगोल्ड- “बहुत-बहुत धन्यवाद आप का.. आप लोग बहुत भले इंसान हैं!”

और इस के बाद बुलबुल उसे कुछ खाने को भी देती है और थोड़ी देर बाद सभी लोग उसे ले कर वहाँ से चल देते हैं।

टॉबी और शुगर को उस पर बहुत दया आ रही थी इसीलिए वह उस के साथ ही रहते हैं।

लव- “सितारा , कहाँ हो!!”

टॉबी- “पता नहीं ये कहां चला गया?.. उस की वजह से हमें इतनी देरी हो रही है!”

करमजीत- “हाँ टॉबी, सितारा ने ये अच्छा नहीं किया! यूं बिन बताए चला गया”

शाम ढल चुकी थी और तभी जोर-जोर से बादल गरजने लग जाते हैं।

करण- “लगता है बारिश होने वाली है ,हमें किसी पेड़ के नीचे थोड़ी देर रुक जाना चाहिए!”

बुलबुल- “हां, देखो वहां बड़ा सा पेड़ है, वहीं रुक जाते हैं!!”

और तभी बारिश भी शुरू हो जाती है और सभी लोग एक पेड़ के नीचे रुक जाते हैं।

बुलबुल- ”ओह हो..रात भी हो चुकी है.. न जाने हम लोग कब सितारा के घर पहुंचेंगे? “

करण- “हाँ वहीं तो मैं भी सोच रहा हूँ।..!”

लव- “इतनी जोर की बारिश हो रही है और ऊपर से अंधेरा भी बहुत है, कैसे जाएंगे!”

कुश- “हाँ..लेकिन भाई डरो मत..हम सब साथ तो है ना!”

तभी मेरीगोल्ड एक पेड़ से दूसरे पेड़ के पास चली जाती है, और दूसरी दिशा में उसे दूर एक पुराना मकान दिखाई देता है।

मेरीगोल्ड- ”देखो,यहां आओ सब, वहां कोई पूराना टूटा हुआ मकान है वहाँ,, वहीं चलते है,, क्योंकि बारिश बहुत तेज हो रही है!”

करण- “ठीक है..मेरिगोल्ड चलो!”

और सभी लोग बारिश से बचते बचाते हुए जल्दी-जल्दी उस टूटे हुए मकान की तरफ जाने लगते हैं लेकिन इसी बीच मेरीगोल्ड पीछे ही छूट जाती है।

बुलबुल- “अरे! मेरीगोल्ड!….?? कहाँ है .!!!!!”

टॉबी- “मेरी नाक बहुत तेज है , रुको!! मैं उसे ढूंढता हूं!”

शुगर- “पर बारिश बहुत तेज है!!”

कर्ण- “लेकिन मेरीगोल्ड को ढूंढना जरूरी है!”

और टॉबी मेरीगोल्ड को आसपास की जगह में अपनी नाक से सूंघ सूंघ कर ढूंढने लगता है।

दरअसल मेरीगोल्ड एक गड्ढे में गिर गयी थी।

और थोड़ी सी दूर जाने पर टॉबी उसे गड्ढे में देख लेता है

टॉबी- “अच्छा तो यहां गिर गई हो??.. चिंता मत करो!”

मेरीगोल्ड- “हाँ,गड्ढा ज्यादा गहरा नहीं है, तुम मुझे बाहर निकाल सकते हो.. अपना हाथ दो!”

टॉबी- “अच्छा…!”

और वह अपना हाथ मेरीगोल्ड को देता है और जैसे तैसे उसे गड्ढे से बाहर निकाल कर वापस सब के पास ले जाता है।

मेरीगोल्ड- “टॉबी, तुम सच में बहुत बहुत हो, मुझे तुम पर गर्व है!”

शुगर- “हां टॉबी तो बहुत बहादुर है!!”

तभी मेरीगोल्ड टॉबी को खुशी से गले लगा लेती है।

मेरीगोल्ड- “शुक्रिया टॉबी!!”

टॉबी (बहुत शर्मा जाता है, उस के गाल एकदम लाल हो जाते हैं)- “ही ही ही.. हाँ…मेरीगोल्ड!”

और शुगर यह देख कर बहुत गुस्सा हो जाती है, लेकिन टॉबी से कुछ भी नहीं कहती।

खैर सभी लोग वहीं पर जैसे तैसे अपनी रात गुजार लेते हैं।

और अगली सुबह सब उठते हैं

मेरीगोल्ड (छीकें मारती है)- “आ..छीं….!!”

करण- “तुम्हें तो ठंड लग गई है, लेकिन तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारे लिए कुछ करता हूं!”

लव- “हाँ बाहर काफी जड़ी बूटियां हैं!!”

कुश- “चलो ले कर आते हैं!”

तो सभी मित्र आसपास के पेड़ पौधों से कुछ अच्छी जड़ी बूटियां को इकट्ठा करते हैं और उस के लिए रस बनाते हैं।

कुश- “सुनो टॉबी! ये रस मेरिगोल्ड को पिला दो…!”

टॉबी- “ठीक है कुश!”

वहीं शुगर यह सब देख कर काफी गुस्सा हो रही थी।

वहीं टॉबी मेरीगोल्ड को रस पिला देता है।

मेरीगोल्ड- “सुनो टॉबी, अब मुझे अच्छा महसूस हो रहा है… चलो हम दोनों साथ में खेलते हैं!”

टॉबी- “लेकिन…. मेरीगोल्ड…!”

मेरीगोल्ड- “अब चलो भी …टॉबी!”

और उस के जिद करने पर टॉबी मान जाता है। और दोनों वहीं पर खेल खेलने लगते हैं.. ये सब देख कर अब शुगर का पारा बिल्कुल सातवें आसमान पर चढ चुका था।

शुगर (गुस्से से)- “टॉबी, अब बहुत हुआ… मैं तब से कुछ कह नहीं रही हूं लेकिन तुम हो कि मेरा इशारा समझते ही नहीं!”

टॉबी- “अरे लेकिन शुगर ,तुम मुझे गलत समझ रही हो!”

शुगर- “मुझे कुछ भी नहीं पता.. बस तुम अब इस से बिल्कुल भी नहीं बात करोगे!”

टॉबी- “शुगर, वह बस मेरी एक अच्छी मित्र है, और कुछ भी नही!”

शुगर- “तुम्हें जो कहना है कहो.. अब मैं कुछ भी सुनने वाली नहीं हूं! समझे”

और शुगर उस से मुंह फेर लेती है!

वहीं ये सब देख कर मेरीगोल्ड भी परेशान हो जाती है।

टॉबी- “तुम परेशान मत हो मेरीगोल्ड.. शुगर सब कुछ समझ जाएगी!”

तभी अचानक सितारा वहां पर आ जाता है। सब उसे देख कर हौरानी थे और वो टॉबी को कुछ ऐसा बताता है जिस के कारण उस के होश उड़ जाते हैं।

तो आखिर सितारा ने टॉबी को ऐसा क्या बताया था, जानेंगे हम अगले एपिसोड में।

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