66 – उल्टा पुल्टा जादू | Ulta Pulta Jaadu | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उस के बाकी मित्र सितारा की दुनिया में आ गए हैं। जहां पर सितारा का भी एक गांव और परिवार था। वहीं गाँव मे सभी मित्रों ने वीरू नाम के एक सांप को सितारा के गाँव से बड़ी बहादुरी और चतुराई से भगा दिया था।
तो गाँव वाले करण और उस के मित्रों की बहादुरी और चतुराई देख कर उन की बहुत तारीफ कर रहे हैं।
सितारा- “देखा ना सब ने, यह लोग कितने शक्तिशाली और बुद्धिमान है!”
सितारा की मां- “हां बेटा वह तो है!”
चमन- “वाकई मे.. मैं भी उन की ताकत को मान गया सितारा!”
कुश- “अरे अरे आप सब इतनी तारीफ मत करिए,
लव- “हॉं ये तो हमारा फर्ज था!”
सितारा की माँ- ”बेटा, चलो अब तुम लोग आराम कर लो..वैसे ये सब हुआ क्या था, मुझे समझ मे नही आया!”
करमजीत- “दरअसल वो बाज की परछाई तो नकली थी,ये तो करण की उत्तम योजना थी। वो बाज लकड़ी, बास और घास-फूस का बना हुआ था!!”
सितारा के पिता- “क्या!! सच मे??”
बुलबुल- “हॉं और फिर सितारा के मित्रों ने उस घास फूस के बाज को दूसरी ओर जादू से पकड़ा हुआ था जिस से कि बड़ी डरावनी परछाई बन सके।
सितारा- “करण तुम सच मे बुद्धिमान हो…!”
टॉबी- “हाँ.. इस में कोई संदेह नहीं है!”
करन- “अरे इतनी भी तारीफ मत करो!”
कुछ देर बाद करमजीत अपनी चोटी पकड़ कर बैठा कुछ सोच रहा था,
तभी सितारा करमजीत के पास आता है।
सितारा- “करमजीत मुझे पता चल गया है कि तुम्हारी ये चोटी ठीक कैसे होगी!”
कर्मजीत- “अच्छा.. ये तो बहुत ही अच्छी बात है, तो बताओ सितारा.. ये कैसे ठीक होगी? “
सितारा- “हाँ एक व्यक्ति है , हमें उस के घर जाना होगा.. वह हमारी मदद कर सकते हैं!”
करन- “हाँ तो देरी किस बात की है, चलो फिर!”
और सभी लोग निकल जाते है और पूछते पूछते सभी लोग उस आदमी के घर तक पहुंच जाते हैं।
बुलबुल- “वाह.. इन का घर तो काफी मायावी है, देखो तो चारों ओर जादुई रंग बिरंगी टिड्डीयाँ मंडरा रही है!”
टॉबी- “हाँ, देखने में ऐसा लग रहा है जैसे चारों ओर जुगनू चमचमा रहे हो!”
शुगर- “हाँ.. काश हम भी ऐसे उड़ पाते हैं ना टॉबी!”
टॉबी- “हॉं शुगर, तुम चिंता मत करो, एक दिन मैं तुम्हें अपनें प्यार की दुनिया में उड़ा ले जाऊंगा हा हा हा हा..!”
शुगर- “ओह… टॉबी!!! तुम भी ना..!”
और शर्म से शुगर के गाल लाल हो जाते हैं।
लव- “हा हा हा वाह.. टॉबी तुम ने ये सब कहाँ से सीखा?”
टॉबी- “बस मै तो यूँ ही..!”
करण- “हा हा हा…चलो अच्छी बात है!”
सितारा (तेज आवाज में)- “कोई है क्या घर पर, बाहर आओ!!
तभी वो व्यक्ति घर से बाहर निकाल कर आता है।
आदमी- “सितारा.. तुम यहां?..”
सितारा- “हाँ..गुरु जी.. हमें आप की सहायता चाहिए!”
आदमी- “हां जरूर, क्यों नही, बताओ क्या बात है!!”
तो करमजीत और सितारा मिल कर सारी बात उन्हें बता देते हैं।
आदमी- “हम्म…अंदर आओ..! करमजीत तुम यहां पर आओ, बाकी सब एक तरफ बैठ जाओ!”
करमजीत- “ठीक है!!”
आदमी- “करमजीत तुम यहां गोल घेरे के बीच में खड़े हो जाओ और मुझे अपने सिर का एक बाल उखाड़ कर दे दो!”
और करमजीत एक बाल उखाड़ कर दे देता है।..और इस के बाद वह आदमी कुछ मंत्र पढ़ता है।
कर्मजीत- “मैं ठीक तो हो जाऊंगा ना!”
सितारा- “shhhh… करमजीत ! बीच में मत बोलो!”
कर्मजीत- “ठीक है!!”
और तभी उस आदमी के जादू का असर होने लगता है और करमजीत की चोटी बिल्कुल सही हो जाती है।
बुलबुल- “अरे वाह, जादू काम कर गया!!”
करमजीत (अपने सिर पर हाथ रख कर)- “क्या सच मे!! हॉं रे…!!”
करन- “बहुत-बहुत धन्यवाद आप का!”
सितारा (आदमी से)- “अच्छा गुरु जी, अब हम चलते है!”
आदमी- “हाँ..ठीक है!”
और सभी के साथ करमजीत भी आदमी को नमस्कार करने के लिए झुकता है लेकिन तभी फिर से उस की चोटी काफी लंबी हो जाती है जिस से उस की चोटी आदमी के पेट मे लग जाती है।
आदमी- “ओह हो.. बेटा! ये क्या!”
बुलबुल- “ये क्या हो गया!!”
टॉबी (मजाक करते हुए)- “हा हा हा कर्मजीत,वो तो तुम्हारी मदद कर रहे हैं,तुम तो उन्हें ही मार रहे हो !”
करण- “टॉबी, ऐसे मज़ाक मत करो..!”
टॉबी- “माफ कर दो करण!!”
कर्मजीत- “ये कैसे हुआ? फिर से इतनी लंबी चोटी”
आदमी- “लगता है कि मुझे कुछ और उपाय करना होगा…!”
सितारा- “हाँ कुछ करिये गुरु जी, ये ठीक क्यों नही हुई..!”
आदमी- “मुझे सोचने दो कुछ!!”
तो वो आदमी यहां वहां घूम कर सोचने लग जाता है और सभी उसे घूर रहे थे, कुछ ही देर बाद वो आदमी रुक जाता है
आदमी- ”एक दूसरा उपाय भी है और तुम किसुपुर जाओ सितारा और वहाँ से विशाखा नाम की पत्तियाँ तोड़ कर लाओ..!”
सितारा- “इस से करमजीत की चोटी ठीक हो जाएगी न गुरु जी?”
आदमी- ”हाँ, मैं पूरी बात बाद में बताऊंगा लेकिन पहले तुम सब जा कर पत्तियां ले कर आओ!”
कर्ण- “हम ले आते हैं, क्या आप को वहां का रास्ता पता है??”
सितारा- “हॉं मुझे पता है रास्ता, चलो!!”
कुश- “ठीक है गुरु जी.. अब हम चलते हैं!”
और सभी लोग उस जगह पर पहुंच जाते हैं।
तभी वहाँ एक अजीब सा प्राणी मिलता है जो कि वहां की घास को खा रहा था।
कर्मजीत- “अरे ये कितना विचित्र प्राणी है न!”
करन- “हाँ.. और काफी आक्रोश से भरा हुआ लग रहा है,!”
बुलबुल- “अरे सब लोग पीछे हट जाओ, ये तो हमारी तरफ ही आ रहा है!”
टॉबी- “रुको मै इसे सबक सिखाता हूं!”
शुगर- “अरे नहीं नहीं.. यह तुम क्या कर रहे हो!”
सितारा- “हाँ टॉबी, तुम बस इस से दूर रहो.. यह काफी खतरनाक प्राणी है…इस के बारे में मैंने पहले सुन रखा है!”
टॉबी- “क्यों??.. तुम्हें लगता है कि मैं कमजोर हूं?!”
सितारा- “नहीं टॉबी, ऐसी बात नहीं है!”
और टॉबी गुस्से मे उस प्राणी के ऊपर हमला कर देता है।
तो इस तरह दोनों मे लड़ाई शुरू हो जाती है।
करण- “बच कर रहो टॉबी!”
बुलबुल- “टॉबी की मदद करो!!”
टॉबी- “नही कोई बीच में नहीं आएगा, मैं इसे सबक सिखा कर रहूंगा!”
वो प्राणी अजीब आवाजें निकालने लगता है।
प्राणी- ”भा…बबब्बाबाब….!”
कुश- “लगता है यह गुस्से मे हम से कुछ कह रहा है..!”
कर्मजीत- ”हाँ… सभी लोग इसे बच कर रहना!”
और टॉबी इसी बीच करण को अपनी आंखों से कोई इशारा करता है।
करण (उस प्राणी से)- “शांत हो जाओ, बताओ.. क्या बात है.. तुम हम सब पर हमला क्यों कर रहे हो?”
बुलबुल (प्यार से)- “हॉं हमे बताओ, इतना गुस्सा मत करो!!”
लेकिन वह प्राणी काफी गुस्से में है और उन सभी को अपने दांत दिखा रहा है।
बुलबुल- “लगता है ये मानने वाला नही है…!”
सितारा- “हाँ.. रुको.. मै अभी कुछ करता हुँ!”
करण- “नही..रुको सितारा, तुम्हें कुछ करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि टॉबी इसे संभाल लेगा.. बस हमें इस का ध्यान भटकाना होगा!!”
कुश- “अच्छा…करन.. ठीक है!”
दूसरी ओर टॉबी अपनी पूरी ताकत लगा कर जल्दी जल्दी पीछे एक गड्डा खोद रहा है।
टॉबी- “आजा.. आजा..आ ना.. पकड़ के दिखा मुझे..!”
प्राणी- “भा भ भा ब ब ..!!”
टॉबी- “आ जा…!!”
और वो प्राणी गुस्से में अपने दांत और पंजे को दिखाता है और उस की तरफ दौड़ कर आने लगता है।
करन- “टॉबी…… ध्यान से!”
तभी वह प्राणी भागते हुए आता है और टॉबी के खोदे हुए गड्ढे में गिर जाता है।
वह जोर-जोर से अजीब अजीब आवाज में चिल्लाने लगता है।
सितारा- “करण!! इस प्राणी के मुंह को कपड़े से बांध देते हैं, वरना यह हम सब को नुकसान पहुंचा सकता है!”
टॉबी (चिढ़ कर)- “हाँ लेकिन तुम अभी कोई भी जादू मत करना.. कहीं ऐसा ना हो कि जादू का उल्टा असर हम सब पर भी पड़ जाए!”
टॉबी की यह बात सुन कर सितारा थोड़ा सा दुखी हो जाता है।
खैर करण उस प्राणी के मुंह पर कपड़ा बांध देता है जिस से वह थोड़ा नियंत्रित हो जाता है।
करण- “टॉबी, तुम्हे सितारा को ऐसे नहीं कहना चाहिए था, वह अभी छोटा है..धीरे-धीरे वो सब जादू सीख जाएगा!”
टॉबी- “हाँ करण.. लेकिन जब से सितारा तुम्हारी जिंदगी में आया है तुम मुझे भूल गए हो!”
करण- “अरे.. ऐसी बात नहीं है टॉबी.. देखो हर इंसान की जिंदगी में अलग-अलग इंसानो की जगह अलग-अलग होती है…जैसे माता पिता का स्थान अलग होता है तो मित्रों का अलग.. वैसे ही यहां भी है, तुम ऐसा मत सोचो
शुगर- “हाँ टॉबी, समझो कर्ण की बात को!”
लेकिन तभी वो प्राणी अपने मुंह की पट्टी खोल देता है और बड़ी तेजी से शुगर की तरफ़ बढ़ता है।
लव- “शुगर!!!”
टॉबी- “रुक जा…!”
और वो प्राणी शुगर को काटने के लिए आगे बढ़ता है लेकिन तभी उन के पास से गाना गुनगुनाते हुए एक जादुई जानवर गुजर रहा होता है।
जानवर- “🎶🎶क्या गजब का दिन है आज, लगता है इस दुनिया पर है मेरा राज, आ🎶🎶…आ🎵🎵…!”
और उस जादुई जानवर के गाने को सुन कर वह प्राणी मदहोश हो जाता है और मुस्कराने लगता है।
लव- “देखो गाने से प्राणी मुस्कुरा रहा है!!”
कुश- “चलो सभी लोग उसी की तरह गाना गाओ!”
और सभी लोग उस गाने को एक साथ दोहराते हैं।
सभी- “🎶🎶क्या गजब का दिन है आज, लगता है इस दुनिया पर है मेरा राज, आ🎶🎶…आ🎵🎵…!”
कर्मजीत- “देखो.. उस पर असर हो रहा है,!”
करन- “हाँ चलो.. इसे इसी अवस्था में किसी पेड़ से मजबूती से बांध देते हैं!”
बुलबुल- “हाँ.. करण. जल्दी करो.!”
और सभी लोग मिल कर उस प्राणी को बांध देते है.. और इस के बाद सितारा विशाखा नाम के पेड़ को ढूंढ लेता है
सितारा- “यह देखो यही वह पेड़ है, जल्दी से उस की पत्तियां तोड़ लो!”
करण- “हाँ सितारा..!”
तो सभी मित्र ढेर सारी पत्तियां तोड़ लेते हैं और एक कपड़े में बांध कर रख लेते हैं।
सितारा- “काफी है, इतनी पत्तियों से काम हो जायेगा..!!”
कर्मजीत- “बस अब मैं ठीक हो जाऊं.. मैं तो इस चोटी से परेशान हो गया हूं!”
करन- “वैसे एक बात कहूं करमजीत!”
कर्मजीत- “हां करण बोलो ना!”
करण (सिरियस)- “तुम इस चोटी में काफी सुंदर लग रहे हो!”
करमजीत- “अरे तुम कैसी बातें कर रहे हो करण, तुम भी ना..!”
बुलबुल- “हाँ.. वैसे देखा जाए तो करण ठीक ही कह रहा है करमजीत,!”
करमजीत (हैरानी से)- “क्या तुम सब सच कह रहे हो??”
कर्ण- “हाँ बिल्कुल, देखो न कोई भी हंस नही रहा है!!”
करमजीत सब की तरफ देखता है, सब बिल्कुल गंभीर लग रहे थे।
लव- “देखा ना!!”
करमजीत- “हॉं, लगता है तुम सही कहते हो, वैसे मुझे भी चोटी अच्छी लगने लगी है अब!!”
और अचानक सभी लोग जोर से हंसने लगते हैं।
सब- “हा हा हा हा हा!!”
बुलबुल- “हा हा हा!! तुम तो सच मे मान गए!!”
लव- “हा हा हा, हम तो नाटक कर रहे थे!!”
कर्ण- “और क्या तो करमजीत, मजाक था ये बस!!”
करमजीत- “क्या तुम सब भी ना, चलो अब यहाँ से..!!”
इस के बाद सभी मित्र जाने ही वाले होते हैं कि वहां जोर की हवा चलने लगती है और हवा के साथ एक जादुई टोपी उड़ कर वहाँ आती है।
तो आखिर किस की थी यह जादुई टोपी.. जानेंगे हम अगले एपिसोड में।