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63 – चिड़िया या राजकुमारी? | Chidiya Ya Rajkumari? | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि उन की मदद करने वाली उस बूढी अम्मा की मौत हो चुकी थी। उस के बाद वहां पर बहुत बड़े-बड़े ओले भी बरसने लगते हैं , परेशानी पैदा करने वाले बड़े बड़े नेत्र जो उन का पीछा कर रहे थे। अंत में इन सबसे परेशान होकर चिड़िया उस के साथ चलने के लिए राजी भी हो गयी थी।

नेत्र/ आवाज- “हा हा हा, यह तो होना ही था, चलो मेरे साथ!!!

कर्ण- “नही, हरगिज नहीं!!!”

बुलबुल- “हम आप को नही जाने देंगे राजकुमारी जी!!!

लव कुश- “हॉं , राजकुमारी जी!!!”

चिड़िया- “मुझे जाने दो,, मुझे जाना ही होगा वरना तुम लोगों की जान भी जा सकती है!”

नेत्र- “हाँ.. ये हुई ना बात..अब तुम समझदारी की बात कर रही हो..!!”

वधिराज- “तुम चुप करो..तुम जो भी हो.. यह अच्छा नहीं कर रहे हो!”

नेत्र- “हा हा हा हाँ.. तो तू मुझे सिखाएगा कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं.. तुझे तो मैं अभी यहीं पर ही भस्म कर दूंगा!”

करमजीत- “तू हमे कुछ करे, उस से पहले हम तेरा खात्मा कर देंगे!!!!

और तभी बहुत जोर की बिजली कड़कती है और चिड़िया समझ जाती है कि कुछ गड़बड़ होने वाली है इसीलिए वह उड़ कर ऊपर चली जाती है।

चिड़िया ( हाथ जोड़ कर)- “नही…. कृपया कर के रुक जाओ.. इन में से किसी को भी नुकसान मत पहुंचाना, मैंने तुम से कहा ना कि मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूं!”

नेत्र- “चलना है तो जल्दी चलो.. वरना इन सभी को यहीं पर खत्म कर दूंगा..!”

चिड़िया- “हाँ चलो..!”

कर्ण, कर्मजीत, बुलबुल- “नही राजकुमारी जी, मत जाइए!!”

शुगर टॉबी- “रुक जाइये ना!!

लव कुश- “ऐसा मत कीजिये!!!

सभी राजकुमारी को बहुत रोकने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन चिड़िया उन सभी को बार-बार यही समझा रही है कि इसी में सभी की भलाई है।

चिड़िया- “मेरी एक की वजह से मैं आप सब की जान दांव पर लगा दूँ?? इतना बड़ा पाप!!…नही, मुझे मत रोको!!

कर्मजीत- “लेकिन….!”

चिड़िया- “नही.. अब एक शब्द भी कोई नहीं बोलेगा.. मुझे इस के साथ जाने दो!”

करन (नेत्रों से)- “तुम आखिर यह सब क्यों कर रहे हो और कौन हो तुम? हमें बता क्यों नहीं रहे? “

नेत्र / आवाज- “मै यहां किसी को कुछ बताने नहीं आया हूं, मैं सिर्फ इस चिड़िया को यहां से लेने के लिए आया हूं!”

और आखिरकार सुनहरी चिड़िया उस के साथ वहां से चली जाती है।

अचानक से नेत्र और चिड़िया वहां से गायब हो जाते हैं और सभी साथी कुछ नहीं कर पाते और बहुत दुखी हो जाते हैं

टॉबी (रोते हुए)- ” बेचारी राजकुमारी चंदा!! उन्होंने कितना बड़ा बलिदान दिया है हमारे लिये!!

शुगर- “हाँ टॉबी, कितनी महान हैं वो!!”

बुलबुल- “मुझे बहुत चिंता हो रही है, करण, अब क्या होगा!!”

कुश- “हां, यह क्या हो गया करण?…!”

करण- “ मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा.. अब तो कोई रास्ता भी नहीं दिख रहा!”

सभी दोस्त काफी निराश हो जाते है। उन्हें कुछ समझ नही आ रहा था

वधिराज- ” चलो हम राजकुमारी चिड़िया को ढूंढने का प्रयास करते हैं!”

करमजीत- “हाँ…वधिराज! सही कहते हो”

बुलबुल- “हाँ.. भले ही उम्मीद कम है.. परंतु हम ऐसे हार भी तो नहीं सकते ना!”

लव कुश- “हाँ..! चलो”

और सभी लोग वधिराज की पीठ पर बैठ कर… मनमानी दिशा में यहां वहां राजकुमारी को ढूंढ रहे है और ऐसे ही उन्हें कई घंटे बीत जाते हैं

टॉबी- “ना जाने हम अब कहां पहुंच जाएंगे?“

करन- “पता नहीं टॉबी…!”

करमजीत- “हम काफी देर से हर जगह भटक रहे हैं, लेकिन कहीं भी उन का कोई नामोनिशान नहीं मिल रहा !”

वधिराज- “हाँ लेकिन अभी हम रुक नहीं सकते!!”

वही नेत्र चिड़िया को अपने महल में ला चुका था।

चिड़िया- “अब तो मुझे बताओ कि तुम कौन हो?”

तभी वो नेत्र एक तेज गर्जन और धुएं के साथ एक आदमी मे बदल जाते हैं

और वह आदमी कोई और नहीं बल्कि वही जादूगर ही था जिस ने राजकुमारी चंदा को पिछले जन्म में भयंकर श्राप दिया था।

जादूगर- “हा हा हा!! ये मैं हूँ, चंदा!!”

चिड़िया- “तुम?? तुम तो एक धोखेबाज हो.. तुम ने पिछले जन्म में बाबा को यह तो बता दिया कि मेरा श्राप हजार वर्ष बाद टूट जाएगा.. परंतु यह नहीं बताया कि कैसे!… और साथ ही मेरे श्राप को टूटने भी नहीं दिया!”

जादूगर- “हाँ.. मैं ही हूं जो तुम सब के सामने इतनी सारी दुविधाएं प्रकट कर रहा था ताकि तुम सब यहां तक ना पहुंच सको.. और वैसे भी वे कभी भी यहां नहीं पहुंच पाएंगे हा हा हा हा!”

चिड़िया- “पर क्यों कर रहे हो ऐसा? आखिर क्यों मेरा जीवन बर्बाद कर रहे हो”

नेत्र- “क्यूंकि अगर तेरा श्राप टूट गया तो मुझे मरना होगा! समझी, और मैं मरना नही चाहता”

यह बात सुन कर चिड़िया हैरान रह जाती है।

वहीं दूसरी ओर सभी मित्र देखते हैं कि नीचे नदी किनारे एक आदमी अपने घोड़े के साथ आता है और अपने घोड़े को पानी पिला रहा है।

वधिराज- “देखो वहां कोई है!!”

कर्ण- “चलो वधिराज, नीचे की तरफ़, शायद उस आदमी से कोई जानकारी मिल जाये!!!

तो नीचे उतर कर सभी उस आदमी के पास जाते हैं , उस का नाम जितेंद्र है

जितेंद्र- “कौन हैं आप लोग..!!”

बुलबुल- “क्या आप ने किसी सुनहरी नीली चिड़िया को यहां से जाते हुए देखा है!!”

जितेंद्र- “नही!!”

लव- “बुलबुल, तुम ये क्या पूछ रही हो, वो नेत्र उन्हें ऐसे सब को दिखाते हुए नही ले गए होंगे!!°

जैसे ही लव के मुंह से नेत्र शब्द निकलता है। वह आदमी हैरान हो जाता है।

जितेंद्र- “क्या कहा आप ने?? नेत्र??… !!”

कर्ण- “हां क्या आप जानते हैं कुछ इस बारे में!!!”

जितेंद्र- “मुझे बताइये वो कैसे दिखते हैं और क्या हुआ है!!

तो कर्ण उस आदमी को सारी बात बता देता है!

जितेंद्र- “हम्म.. तो ये बात है.. जादूगर पूखीरा है वो, उस का खात्मा करने में मैं भी तुम्हारी सहायता करूंगा.. क्योंकि उस ने मेरा जादुई लबादा चुराया है..!”

करमजीत- “क्या आप कुछ भी जानते हैं उस जादूगर के बारे में??”

जितेंद्र- “बिल्कुल, मैं ले कर चलता हूँ उस के ठिकाने पर..!”

और उस आदमी को जादूगर के ठिकाने का पता था इसीलिए वह सभी मित्रों को वहां पर ले जाता है।

दरअसल यह सब इसलिए भी हो रहा था क्योंकि नियति में पहले ही लिखा जा चुका है कि करण ही राजकुमारी चंदा का श्राप तुड़वाएगा…।

खैर थोड़ी देर बाद सभी लोग वहां पर पहुंच चुके हैं।

लव- “कितना भयंकर महल है यह!”

करन- “हाँ… सभी लोग ध्यान से चलना!”

जितेंद्र- “हां, यहाँ हर कदम पर खतरा है, क्योंकि उस के पास मेरा लबादा है, इसलिए उस के पास दुगुनी शक्ति है!”

कर्मजित- “बहुत ही दुष्ट जादूगर है..!”

करण ( वधिराज से)- “तो वधिराज जी.. राजकुमारी चंदा के अनुसार आप को यह पता है कि इस जादूगर को कैसे खत्म किया जा सकता है। “

वधिराज- “हाँ…करण…बस मै जैसा कहता हूँ , वैसा करो., हम उस का खात्मा कर के ही रहेंगे.!”

कुश- “हम…बिल्कुल!”

और वधिराज सभी को अपनी योजना बताता है।

योजना के अनुसार करन महल के अंदर अकेले आता है।

जादूगर- ”तू तो चंदा का चमचा है ना??”

करण- “हॉं, पर असल मे मै हूँ वधिराज.. मेरा दूसरा जन्म हुआ है.. और मैं ही तेरा खात्मा करूँगा!”

जादूगर- “अच्छा तो तू फिर से वापस आ गया.. ?? लगता है तुझे तेरी मौत यहां खींच लायी है।”

कर्ण- “देखते है.. कि किस की मौत लिखी है आज..!”

जादूगर- “हा हा हा…आ जा.. आ जा !”

चिड़िया- “नही…करण… वापस चले जाओ, जाओ यहां से…!”

करण- “नही राजकुमारी जी…आप फिक्र ना करें…!”

और तभी वो जादूगर उस पर बड़े बड़े कांटों की बारिश करने लगता है।

करण जादुई अंगूठी का इस्तेमाल कर के कवच बना लेता है।

कर्ण- “हे महादेव! आज सब की जान दांव पर लगी है.. हमारी रक्षा करना महादेव..!”

चिड़िया (रोकर)- “करण…नही….!”

और तभी हवा में एक बूढ़ी स्त्री धुंधली सी परछाई दिखाई देती है। वहीं सभी मित्र महल में अलग अलग जगहों पर फैल गए हैं और कुछ ढूंढ रहे है

लव- “वधिराज जी…यहां भी कुछ नही मिला..!”

वधिराज- “कोशिश करते रहो.. मित्रों…!”

कुश- “हाँ मुझे भी कुछ नही मिला!!”

और सभी एक जगह से दूसरी जगह पर जाते है। किसी को वहां पर भी कुछ नहीं मिलता।

जितेंद्र- “यह कमरा काफी खंडहर है, बहुत ही दुर्गंध है यहां!!”

करमजीत- “मुझे नही लगता कि जो हम ढूंढ रहे हैं, वो यहां मिलेगा!!!”

जितेंद्र- “हां मुझे भी…चलो यहां से!!!”

वो जाने ही लगते हैं, तभी जितेंद्र की नजर एक बड़े से पुराने मैले कपड़े पर जाती है।

जितेंद्र- “रुको… मुझे देखने दो उस कपड़े के नीचे क्या है!!”

जितेंद्र जैसे ही वो कपड़ा हटाता है, वह खुश हो जाता है। आखिरकार उन्हें वह चीज मिल ही जाती है। वह एक ताबूत था।

जितेंद्र- “ये रहा…!!

करमजीत- “हॉं..आखिर मिल ही गया जादूगर पुखिरा का कंकाल!!!”

वधिराज के साथ बाकी सब वहां आ जाते हैं।

बुलबुल- “यही है ना जादूगर का कंकाल, फिर वो जादूगर जिंदा कैसे है!!”

वधिराज- “वो जादूगर….असली नही है, वह तो बस उस की परछाई है.. जो कि श्राप की रक्षा कर रहा है!”

कर्मजीत- “अब क्या करें इस का?”

वधिराज- “इस कंकाल को यदि जला दिया जाए तो राजकुमारी का श्राप टूट सकता है!”

बुलबुल- “अच्छा..! तो देर किस बात की”

और तभी सभी लोग उस कंकाल को जलाने के लिए ताबूत को खोलनें लगते हैं। दूसरी ओर करण बहुत देर से जादूगर से लड़ रहा था।

तभी जादूगर को एहसास होता है कि कुछ गड़बड़ है। वह रुक जाता है

कर्ण- “बस, हार मान ली, रुक क्यों गया??

जादूगर- “तू मुझे यहां उलझाना चाहता है, मुझे पता लग चुका है कि कुछ लोग घुस आए हैं अंदर!”

और इतना कह कर जादूगर अपने जादू से करण को बेड़ियों से बांध देता है।

और वहां चला जाता है , जहां पर बाकी सब थे। जादूगर उन पर आग बरसाने लगता है।

टॉबी- “नही…!”

कुश- “मेरे साथ रहो दोनों..!”

शुगर- “अह्ह्ह…बचो!”

लव- “आओ…यहां…!”

जितेंद्र- “अब क्या होगा??”

वधिराज- “चिंता मत करो, बस सभी लोग बचो..!”

और तभी कर्मजीत भी अपने शरीर में आग उत्पन्न कर देता है और आग का बड़ा गोला जादूगर की तरफ फेंकता है लेकिन जादूगर उल्टा वो गोला उन की तरफ फेंकता है।

बुलबुल- “मैं इसे पत्थर बनाने की कोशिश करती हूं!”

वधिराज- “नही…ईई..!”

लेकिन बुलबुल जादूगर के पीछे चली जाती है।

और उसकी एक उंगली को स्पर्श करने का प्रयास करती है लेकिन जादूगर उसे देख लेता है और एक तीर मारता है… कंधे में तीर लगने से वह बेहोश होकर वहीं गिर जाती है।

लव- “बुलबुल को उठा कर लाओ!!”

कुश- “पर कैसे!!

करमजीत- “हम तो हारते ही जा रहे हैं! ये बहुत ताक़तवर है!!”

वधिराज- “डटे रहो , हार मत मानो!!!

टॉबी- “अब क्या होगा, शुगर, मुझे डर लग रहा है!!

शुगर- “मुझे भी!!

और तभी वहाँ एक बूढ़ी औरत आती है जिसे देख कर जादूगर चौक गया था..
वही चुपके से करन आता है और एक जादुई खंजर से जादूगर को मार डालता है।

जादूगर को तो समझ ही नहीं आया कि आखिर ये हुआ क्या?..

जादूगर ( दर्द मे करण से)- “तू.. तू… छोड़ूंगा नहीं! तू बेड़ियों से बाहर कैसे आया!”

टॉबी- “कर्ण आ गया, अब मेरा डर कम हो गया!!”

और वह करण को मारने के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग करने ही वाला होता है कि वधिराज उसी खंजर से जादूगर का सिर काट देता है।

और उसी क्षण चिड़िया एक सुंदर सी राजकुमारी में परिवर्तित हो जाती है।

उसे देख कर सभी लोग राजकुमारी के सम्मान में अपना सिर झुका लेते हैं।

सभी लोग बहुत खुश हैं।

करन- “मैं तुम सभी को हमारे एक नए मित्र से मिलवाना चाहता हूं!”

टॉबी- “अच्छा.. कौन है वो??”

SITARA

और तभी वो करण के पीछे से आता है!

तो दोस्तों अगले एपिसोड में हम यह जानेंगे कि आखिर वह बूढ़ी औरत कौन थी? और करण को जादूगर को मार देने वाला जादुई खंजर कहां से मिला था।

 

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