61 – मौत से सामना | Maut se Samna | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि कर्ण और उस के मित्रों की सहायता से शीतल अपनी बहन वंदना का श्राप तुड़वा देती है। यह काम थोड़ा मुश्किल तो था लेकिन सभी की बहादुरी और चतुराई से यह कार्य आसानी से सफल हो गया था। तो आइये अब देखते हैं कि इस तिलिस्मी दुनिया में आगे क्या होता है:-
मयूर अपनी प्रेमिका वंदना को वहां पर देख कर बहुत खुश था, और उन की खुशी में शीतल भी काफी खुश थी।
शीतल- “भगवान करे कि आप सभी मित्र जिस कार्य के लिए निकले हैं , वह कार्य भी जल्द ही पूरा हो जाए!”
करन- “हाँ.. शीतल जी… बस जल्द ही वह कार्य भी पूरा होने वाला है! हम काफी करीब हैं हमारी मंजिल के”
वधिराज- “हाँ…शीतल जी..
शीतल- “क्या आप इन दोनों को यहां से कहीं दूर छोड़ सकते हैं?”
कर्ण- “हाँ बिल्कुल!”
मयूर- “हमें जल्द ही यहां से जाना होगा, नहीं तो कोई भी खतरा यहां पर आ सकता है!”
वंदना (शीतल से)- “लेकिन दीदी….???”
शीतल- “नही बहना… तूने इतने दिनों तक इतना दर्द सहा.. बस ये इस का ही फल है.. समझी…जा मयूर के साथ.. तेरी सुरक्षा ही मेरी खुशी है… तू खुश रहेगी तो मैं भी खुश रहूंगी!”
दोनों बहनें रोते हुए एक दूसरे को गले से लगा लेती है।
मयूर- “चिंता मत करिए शीतल दीदी, आप की बहन बहुत खुश रहेगी!”
शीतल- “हम्म्म.. मयूर! खूब ख्याल रखना इस का”
उन का प्यार देख कर सभी लोग बहुत भावुक हो जाते हैं। वहीं टॉबी और शुगर सब से पीछे खड़े अपनी ही दुनिया मे मगन हो गए थे।
टॉबी (आंसू बहाते हुए)- “कितना प्यार है इन के बीच!!°
शुगर – “हॉं, बिल्कुल वैसे ही.. जैसा हम में है!!”
टॉबी (प्यार, हैरानी, खुशी)- “हां!!!! सच मे…!!”
वधिराज- “चलिये…अब सभी लोग मेरे पीठ पर बैठ जाइए!”
चिड़िया- “हाँ वंदना चलो,,, दुखी मत हो.. जो भी होगा अच्छा ही होगा!
और सभी लोग वहां से निकल जाते हैं।
कुछ दूर जाने पर मयूर उन्हें रुकने का कहता है
मयूर- “बस हमें यहीं पर छोड़ दीजिए!”
वधिराज- “अच्छा, ठीक है…!”
और वधिराज उन दोनों को उसी जगह पर छोड़ देता है। वही सभी मित्र उन दोनों से अलविदा ले कर निकल पड़ते हैं।
बुलबुल- “हमे काफी वक्त हो गया है !! वधिराज भी थक गए होंगे!
कर्मजीत- “हॉं! वधिराज अब तुम भी विश्राम कर लो…!”
वधिराज- “नही, नही!!”
करन- “हां.. अभी विश्राम कर लीजिए तभी तो आप आगे भी चुस्ती से काम कर पाएंगे!”
तो वधिराज नीचे आ जाता है और सब नीचे उतर जाते हैं ।
चिड़िया- “अब तो रात होने को आइ है, हमें रात के लिये यहीं रुक जाना चाहिए !!”
कर्ण- “हाँ राजकुमारी जी, आज रात यहीं रुकेंगे!!
लव (उबासी लेते हुए)- “मुझे तो बहुत नींद आ रही है!!
कुश (उबासी ले कर)- “हां मुझे भी…!!
करमजीत- “चलो सब सो जाओ!!!
और सभी लोग सो जाते हैं।
लेकिन जैसे ही सभी लोग सुबह उठते हैं तो उन्हें काफी ठंड लगने लगती है।
टॉबी (कांपते हुए)- “अ अ अ…बड़ी ठंड है!!”
कुश (कांपते हुए)- “ऐसा लग रहा है मानो बर्फ पड़ने वाली हो!”
लव- “हाँ.. पता नहीं अचानक से इतनी ठंडी क्यों होने लगी!”
वधिराज- “हो सकता है कि यहां का मौसम अनिश्चित हो और हमेशा परिवर्तित होता रहता हो!”
चिड़िया- “हाँ.. तुम सही कह रहे हो!”
वधिराज- “हम लोग थोड़ा आगे बढ़ते हैं, क्या पता आसपास यहां पर कोई घर हो!”
और सभी लोग किसी घर की तलाश में आगे जाने लगते हैं और तभी उन को एक पुराना घर दिखता है।
बुलबुल- “ये घर तो काफी पुराना है , इस के अंदर कोई रहता भी होगा या नहीं? “
टॉबी (तेज आवाज में)- “कोई है घर में? है कोई…!!””
चिड़िया- “लगता है यहां कोई नही रहता!!”
और तभी घर के अंदर से किसी के चलने की आवाज आती है!!”
करमजीत- “सब लोग सावधान हो जाओ, कोई आ रहा है!!”
कुश- “हां हमलावर भी हो सकता है!!”
दरवाजा खुलने के साथ सभी अपनी तलवारों के साथ चौकन्ने हो जाते हैं।
और एक बूढी औरत घर से बाहर निकलती है।
कुश (सांस छोड़ते हुये)- “ओह, बच गए!!”
करमजीत- “हथियार नीचे करो सब!!”
कर्ण- “प्रणाम दादी माँ!”
बूढ़ी औरत- “अरे कौन हो, और इस सुनसान जगह पर तुम सब क्या कर रहे हो? “
कुश- “वो माँ जी.. हम लोग किसी काम से यहां पर आए थे परंतु यहां का मौसम अचानक से परिवर्तित हो गया.. काफी ठंड हो रही है तो क्या आप अपने घर में हमें थोड़ी देर के लिए जगह दे सकती हैं?”
औरत- “हां क्यों नहीं.. आओ आओ…!”
सभी लोग अंदर जाते हैं तो वह बूढी औरत सभी बच्चों को ओढ़ने के लिए तीन कंबल दे देती है।
बूढ़ी- “मेरे पास तीन ही कम्बल हैं बच्चों, मिल बांट कर ओढ़ लो!”
कर्ण- “कोई बात नही दादी माँ, धन्यवाद!!”
लव- “आप का बहुत-बहुत शुक्रिया अम्मा.!”
औरत- “अरे बेटा शुक्रिया वगैरह छोड़ो, लेकिन मुझे अभी तक यह समझ में नहीं आ रहा कि आखिर ऐसा कौन सा जरूरी काम है, जिस को पूरा करने के लिए तुम सब ऐसी सुनसान जगह पर आए हो!”
करन- “वो दादी माँ.. बस समझ लीजिए की बहुत ही आवश्यक कार्य है वो..!”
औरत- “अच्छा ठीक है.. तुम सब बैठो ,मैं तुम सभी के लिए गर्मागर्म खीर ले कर आती हूँ..!”
वो औरत वहां से चली जाती है, और सब असमंजस में पड़ चुके थे।
बुलबुल- “हमारे साथ पहले भी कई बार धोखा हो चुका है ,इसलिए समझ में नहीं आ रहा है कि बूढी अम्मा पर यकीन करें या ना करें।
वधिराज- “आशा करता हूँ कि सब ठीक हो.. लेकिन बूढ़ी अम्मा को देख कर लगता तो नहीं कि उन में कुछ गड़बड़ है!”
टॉबी- “हाँ.. वही तो..! सीधी सादी लग रही हैं”
और तभी बाहर से कुछ आवाज़ आती है..!
कर्मजीत- “सभी लोग सावधान.. मुझे बाहर से कुछ आवाज आई!”
करन- “कैसी आवाज करमजीत? “
कर्मजीत- “रुको,,, मैं चुपके से देख कर आता हूं!”
और वह दबे पांव बाहर जाता है और चुपके से अपनी निगाहें यहां वहां घूमता है.. लेकिन उसे वहां पर सिर्फ एक हिरन दिखता है और कुछ भी नहीं ..।
कर्मजीत- ” यहां तो कोई भी नहीं है!”
वो जैसे ही पीछे मुड़ता ही है कि अचानक से एक नकाबपोश आदमी उस के सिर पर बड़े पत्थर से वार कर देता है।
चिड़िया- “करण… करमजीत को देख कर आओ तो.. काफी देर हो गई है… कहां गया वो?”
कर्ण- “हाँ मैं भी यही सोच रहा था! अभी देख कर आता हूँ!!”
और करण भी करमजीत को ढूंढने के लिए बाहर जाता है…कर्ण उसे यहां वहां खोजता है लेकिन करमजीत कहीं भी नहीं था।
कर्ण (बाहर से, सभी लोगों से चिल्ला कर)- “करमजीत यहां पर नहीं है , सभी लोग बाहर आ जाओ! जल्दी”
लव- “हे भगवान!! चलो सब !!”
तभी वो बूढ़ी औरत बाहर करन के सामने आ जाती है
उस की भी आंखों का रंग बिल्कुल नीला हो चुका है
बूढ़ी- “क्या हुआ बेटा????”
करण- ”वो करमजीत…!”
और अचानक वो करण पर हमला कर देती है।
मौके पर बाकी मित्र बाहर आते है।
वधिराज- “अरे ये??…”
बुलबुल- “देखा मैंने कहा था ना गड़बड़ हो सकती है!”
करण उस औरत से लड़ रहा है…वो खुद को बचाने की पूरी कोशिश कर रहा है।
करण- “लगता है , ये सब उस जादूगर का काम है..!”
बुलबुल- “हाँ.. लेकिन अब क्या करे.. अम्मा को कैसे बचाये… इन्हे मार भी तो नहीं सकते हैं??..”
टॉबी- “हाँ.. लेकिन अपनी जान भी तो बचानी होगी!”
और तभी अम्मा शुगर को आ कर पकड़ लेती हैं।
शुगर- “आह्हः…बचाओ…!”
टॉबी- “चिंता मत करो.. शुगर…. डरो मत! छोड़ो उसे”
बूढ़ी औरत- “हा हा हा हा… तुम सब को क्या लगता है कि तुम सब बच जाओगे.. यहां तक तो पहुंच गए हो लेकिन इस के आगे पहुंचना मुश्किल हो जाएगा!”
करन- “मतलब??”
औरत (भारी आवाज में)- “हा हा हा हा हा…मैं यहां मतलब समझाने नहीं बैठा हूं.. बस तुम सबको यहां से भगाने आया हूं.. आखरी बार कह रहा हूं.. यहां से वापस चले जाओ.. इस चिड़िया का श्राप मत तुड़वाओ !”
वधिराज (औरत से)- “तू कौन है बताने वाला कि हम क्या करें और क्या ना करें.. और इस मासूम पशु को तो छोड़ दो!”
औरत- “जल्दी बताओ। यहां से जा रहे हो या नहीं , वरना इस को यहीं पर खत्म कर दूंगा!”
तभी इस बीच टॉबी गुस्से में उस औरत के पैर में काट लेता है , वहीं शुगर भी उस के हाथों में काट लेती है।
औरत- “आह…!!! आ~~~~!! तुम दोनों को जिंदा नहीं छोडूंगा!”
और वह औरत गुस्से में यहां वहां अपनी तलवार चलाने लगती है , जिस से शुगर की पूंछ कट जाती है।
शुगर- “आहहहह…!”
टॉबी- “नही… ये क्या हो गया!!”
करमजीत- “यह तुम ने अच्छा नहीं किया…!”
और बाकी मित्र उस पर टूट पड़ते हैं।
वधिराज- “सुनो करण… तुम अम्मा के गले में जैसे भी कर के ओम का लॉकेट डाल दो.. हो सकता है कि तब इन के अंदर से आत्मा चली जाए!”
कुश (शुगर से)- “अरे…शुगर.. रो मत…हम है ना!”
वही करण जैसे तैसे चालाकी से अम्मा के गले में लॉकेट डालने की पूरा कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार वह इस काम में असफल हो रहा था।
बुलबुल- “अरे..करन ध्यान से…!”
करण- “हाँ बुलबुल… तुम भी ध्यान से उन का सामना करो…ये बहुत आवेश में हैं!”
आखिर करण वह ॐ का लॉकेट औरत के गले मे डाल देता है.. और तभी वो औरत वहां से गायब हो जाती है। लॉकेट वहीं गिर जाता है।
तभी करमजीत भी आ जाता है।
कर्ण- “करमजीत, कहाँ थे, तुम ठीक तो हो न!”
करमजीत- “हॉं चिंता मत करो..! वो अम्मा कहाँ है!”
चिड़िया (लॉकेट उठाते हुए)- “पता नही कहां गई अम्मा ? “
टॉबी- “हाँ… कहां गई वो? अचानक गायब हो गयी”
शुगर- “मुझे तो लगता है कि वह वापस आएगी!”
सब बात कर ही रहे थे कि पीछे से वो अम्मा फिर से आ जाती है।
अम्मा को देख कर सभी डर जाते हैं और अपनी तलवारें फिर से निकाल लेते हैं।
लव- “क्या चाहती हो तुम…..????”
अम्मा (सही आवाज)- “मतलब???… सब ठीक तो है ना?”
कुश- “ये क्या, इन की आवाज तो सही हो गयी!”
अम्मा के ऐसे व्यवहार को देख कर सभी लोग एक दूसरे की तरफ देखने लगते हैं।
शुगर (अम्मा से)- “आप ऐसे व्यवहार क्यों कर रही हैं ,जैसे आप को कुछ पता ही नहीं, देखो क्या किया आप ने मेरे साथ?”
बूढ़ी (हैरानी से)- “हे प्रभु, ये क्या हुआ!!
बुलबुल- “ये आप ही ने तो किया है!”
बूढ़ी- “नही नही, मैंने कुछ नही किया बच्चों!!”
तभी वो औरत अपने पहने हुए कपड़ों से टुकड़ा फाड़ कर शुगर की पूंछ पर बांधने लगती है!
वधिराज- “डरो नही शुगर…सभी इन की आंखों मे देखो, अब इन की आंखों का रंग बिल्कुल साधारण है!”
कर्ण- “बेचारी दादी माँ को तो कुछ पता भी नही कि इन के साथ क्या हुआ!!”
कुश- “हम्म..लेकिन… अम्मा के ऊपर कभी भी उस जादूगर की रूह आ सकती है!”
वधिराज- “हाँ कुश… हमें अब चौकन्ने रहना होगा!”
वहीं बेचारी बूढ़ी अम्मा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
बूढ़ी- ”अरे क्या बात है बच्चों.. मुझे तो बताओ?”
बुलबुल- “मैं बताती हूँ आप को..!!”
अम्मा को सारी बातें बताई जाती हैं और वह सच्चाई जानकर हैरान हो जाती है
बूढ़ी- “मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है बच्चों कि ऐसा भी हो सकता है!”
लव (ओम का लॉकेट अम्मा को देकर)- “हाँ अम्मा…बस आप ये लॉकेट अपने गले में हमेशा पहने रखिएगा!”
अम्मा- “ठीक है… चलो अब सभी लोग अंदर चलो!”
सभी मित्र अंदर जा ही रहे होते हैं कि अचानक से बहुत तेज हवा चलने जाती है…और तभी आसमान में एक आदमी का आकार दिखाई देता है , और वह करण की तरफ एक तीर छोड़ता है।
तो क्या आखिर करण की जान बच पाएगी …जानेंगे हम अगले एपिसोड में।