Homeतिलिस्मी कहानियाँ59 – लालची सेठ | Laalchi Seth | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

59 – लालची सेठ | Laalchi Seth | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि युगायु नाम का गांव का सरदार करण और उस के मित्र से सहायता मांगता है। इस के बाद सभी मित्र गाँव की चमत्कारी पुस्तक उस बाज से लेने जाते हैं लेकिन ऐसा नही हो पाता। लेकिन वही बाद में युगायु का हमशक्ल रंजन आ कर सारी सच्चाई बता देता है। युगायु की भी मौत हो चुकी थी। आखिर में उन को पुस्तक मिल जाती है।

युगायु की मौत से सिकन्दर काफी दुखी हो गया था।

सिकन्दर- “ये बहुत गलत हुआ !! सरदार बेवजह मारे गए

करन- “आप दुखी मत होइए सिकंदर जी. होनी को टाल नही सकते.!”

वधिराज- “हाँ.. बस आप अब यह समझ लीजिए कि अब इस गांव की जिम्मेदारी आप के हाथ में आ गयी है…!”

सिंकदर- “हाँ.. तुम सब सही कह रहे हो, मुझे अपनी हिम्मत बांधे रखनी होगी..!”

चिड़िया- “वैसे पूछने के लिए माफ करना.. लेकिन युगायु आप के क्या लगते थे?”

सिंकदर- “युगायु… मेरे दोस्त वीर सिंह का बड़ा बेटा था , वीर सिंह के गुजर जाने के बाद मैं ही उस का हमेशा ध्यान रखा करता था…और उस के राजपाट में हमेशा साथ दिया करता था.. इसीलिए इस के जाने का गम है मुझे बहुत ज्यादा हो रहा है!”

करमजीत- “हिम्मत रखिये! और अब हमें भी यहां से निकलना होगा!”

वधिराज- “तो सिकन्दर जी, क्या आप हमें अलबेली नगर का रास्ता बता सकते हैं? ”

तभी सिंकदर थोड़ा परेशान हो जाता है और सब से नजरें चुराने लगता है।

सिकन्दर- “वो.. वो.. मुझे माफ करना बच्चों, मैंनें तुम से झूठ बोला…मुझे अलबेली नगर का रास्ता नहीं पता है.. मैंने अपने फायदे के लिए तुम सभी से झूठ बोला!”

लव कुश- “क्या!!!… अब !!!

यह सुन कर सभी मित्र हैरान रह जाते हैं लेकिन वो अब कुछ कर भी तो नहीं सकते थे

टॉबी- “अब क्या करेंगे हम!”

सिकन्दर- “माफ कर दो!”

कर्मजीत- “कोई बात नहीं , आप अपनें गांव वालों की रक्षा करने में कोई भी कमी मत रखिएगा , अब हम यहां से चलते हैं..!”

वधिराज- “चलो , आगे बढ़ते हैं!!

सभी मित्र आगे बढ़ते जाते हैं, लेकिन उन्हें अलबेली नगर का कोई संकेत नहीं मिल रहा था।

करन- “ये जगह तो काफी बड़ी मालूम पड़ती है, अब हम क्या करें यहां!!

करमजीत- “ये कोई कस्बा है शायद”

कुश- “यहीं रुकते है…क्या पता यहां पर किसी को कुछ तो पता होगा..!”

लव- “हां भाई…!”

बुलबुल- “देखो तो कोई हमारी तरफ दौड़ा आ रहा है !”

तभी वहाँ एक आदमी दौड़ कर उन की तरफ आता है।

वधिराज- ” क्या हुआ भाई!! बड़े भयभीत दिखाई दे रहे हो?.. सब ठीक है ना? ”

आदमी- “नही नही…तुम सब यहां पर क्या कर रहे हो??…क्या तुम्हें इस जगह के बारे में नहीं पता है?”

चिडया- “नही, हमे नही पता.. ऐसा क्या है यहां?? ”

आदमी- “जल्दी से यहां से चले जाओ.. बस, वरना अंजाम बुरा होगा!”

वधिराज- “परंतु हमें वजह तो बताइए!”

आदमी- “यहां बोकाल नाम का राक्षस रहता है जो सदियों से भूखा है… उस ने गोरेपुर के गांव के लोगों को बंदी बना रखा है और उन पर कई महीनो से जुल्म ढा रहा है…गाँव वासी पूरे दिन उस के लिए भोजन बनाते हैं और उस की सेवा करते हैं! तुम नए हो, वो तुम्हे ले जाएगा”

यह सुन कर सभी मित्र हैरान रह जाते हैं।

टॉबी- “क्या!! आखिर बेचारे गांव वालों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है?”

शुगर- “हम पर ज्यादा खतरा है!”

कर्ण- “लेकिन वो लोगों को क्यों कष्ट दे रहा है!”

आदमी- “कहा जाता है कि उस के पास कोई जादुई चक्की थी जिस से हमेशा ही बहुत सारा खाना निकलता रहता था…लेकिन किसी साधारण आदमी ने उस की वह चक्की चुरा ली है…अब क्यूंकि वो चक्की उसी गाँव के पास से चोरी हुई है तो वो गोरेपुर के वासियो को गलत समझता है। ”

बुलबुल- “क्या??.. तो क्या किसी ने उन की मदद करने का प्रयास नहीं किया?”

आदमी- “किया था प्रयास, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ.. मैं तो यहां से जा रहा हूं, बस तुम सब को ही बताने आया था!”

और वो आदमी वहां से चला जाता है।

कुश- ” हमें लगता है कि हमें उन गांव वासियों की सहायता करनी चाहिए.. क्यों?? ”

लव- “हां बिल्कुल!”

करन- “हम्म.. तुम सही कह रहे हो.. हम जान कर भी अनजान नहीं बन सकते!”

और सभी लोग गाँव के अंदर जाते है। वहां पर सभी गांव वाले बड़े-बड़े पतीलों में भोजन बना रहे हैं!

शुगर- “देखो वो राक्षस सो रहा है!

वधिराज- “हां, अभी वह राक्षस विश्राम कर रहा है.. चलो जल्दी चलते हैं उस के पास!”

एक आदमी- “रुको, कौन हो !!! कहाँ जा रहे हो!

दूसरा आदमी- “यहां से चले जाओ, वरना तुम सब की हालत भी हमारी तरह हो जाएगी!”

चिड़िया- ” आप चिंता ना करें, हम आप सब की समस्याओं का हल जरूर निकाल लेंगे… हम यहां पर उस राक्षस से वार्तालाप करने आए हैं!”

तभी राक्षस बोकाल अपनी नींद से उठ जाता है और तुरंत अपने हाथ को फैलाता है जिस से उस के हाथ से कई सारे चमगादड़ निकलने लगते हैं

वधिराज- ” सभी लोग सावधान रहो…!”

करमजीत- “हर जगह चमगादड़ क्यों होते हैं!!”

कर्ण- “इन से बचो, अपने हथियार निकालो!!”

सभी मित्र चमगादड़ को मारने लगते है।

कुश (राक्षस से)- “सुनिए…. हम आप की चक्की वापस खोज सकते हैं…कृपया ये सब रोकिये..!”..

राक्षस- “हा हा हा..!”

लव (बुलबुल से)- “बचो.. पीछे देखो…बुलबुल!”

बुलबुल पीछे मुड़ती है और चमगादड़ का सिर काट देती है।

वही गांव के सभी लोग डर के मारे पीछे खड़े थे।

तभी एक चमगादड़ शुगर को पकड़ लेता है और उसे ले कर आसमान में उड़ने लगता है।

कर्मजीत- “छोड़ दे उसे..!”

टॉबी- “शुग~~~~~र~~~

तभी टॉबी कूद कर उस चमगादड़ को अपने पैर से ठोकर मार कर नीचे गिरा देता है।

यह सब देख कर राक्षस चौक जाता

और अपने हाथ को फैलाता है.. तो सारे चमगादड़ उस के हाथ के अंदर चले जाते हैं।

राक्षस बोकाल- “मेरी सेना को मारना बंद करो…मै तुम्हे इजाजत देता हूं कि तुम लोग मेरी चमत्कारी चक्की को ले कर मेरे पास आओ… यदि ऐसा ना हुआ तो मैं फिर से इन सभी के साथ यही करूंगा!”

और राक्षस वहां से गायब हो जाता है।

सब गांव वाले करण और उस के साथियों के आसपास इकट्ठा हो जाते हैं।

आदमी 1- “तुम ने उस राक्षस से ऐसा क्यों कहा, जब कि तुम वो चक्की नही ला सकते!”

आदमी 2– “अब बेहतर होगा चले जाओ, वरना उस का भोजन बनोगे।!”

बुलबुल- “हम कर सकते हैं ये काम!!”

गाँव की दादी- “तो क्या तुम्हे यकीन है कि तुम सब ऐसा कर सकते हो? ”

करन- “हाँ दादी जी.. आप सब हम सभी पर विश्वास रखिए..!”

इन की बातें सुन कर गांव वाले इन बच्चों से उम्मीद लगा रहे हैं।

वही तभी टॉबी देखता है कि एक तोता उन सभी पर नजर रख रहा है।

टॉबी- “देखो !! वह तोता भाग रहा है, वो हम पर नजर रखे हुए था!”

वधिराज- “चलो जल्दी से. उस का पीछा करो, हो सकता है कि वह कुछ जानता हो!”

वो तोता बहुत डर जाता है और वहां से उड़ कर भागने लगता है। बाकी साथी भी उस के पीछे भागते है।

बुलबुल- “करमजीत, तुम उस के पास जा सकते हो!!”

करमजीत- “हाँ अभी जाता हूँ!!

तभी करमजीत चुटकी बजा कर खुद को गायब कर लेता है और तोते के पास पहुंच कर पकड़ लेता है… और फिर से तुरंत चुटकी बजा कर पेड़ की डाल से नीचे उतरता है।

चिड़िया- ” तुम कौन हो और हम सब की बातें क्यों सुन रहे थे? ”

शुगर- “बोलो कौन हो!!”

लेकिन तोता कुछ भी नहीं बोलता।

वधिराज- “बोलो… वरना तुम्हें हम उस बोकाल के पास छोड़ आएंगे!!”

तोता- “नही…ऐसा मत करना..!”

बुलबुल- ” तो फिर जल्दी से बताओ, तुम्हें यहां पर किस ने भेजा है?”

तोता- “मै गौरव सेठ का पालतू पक्षी हूँ.. उन्होंने ही मुझे यहां पर भेजा है!”

टॉबी- “पर क्यों??”

करन-” कहीं ऐसा तो नहीं कि वो चमत्कारी चक्की तुम्हारे मालिक के पास ही है ? ”

तभी तोता अपनी नजर नीचे कर लेता है।

वधिराज- “तुम्हारे हाव भाव से लग रहा है कि यह बात बिल्कुल सच है…तो अब बता दो कि तुम्हारा मालिक कहां पर रहता है..!”

तोता वहां से भागने की कोशिश करता है लेकिन टॉबी कूद कर उसे मुंह से पकड़ लेता है।

कुश- “बता दो.. क्योंकि बचने का कोई भी जरिया नहीं है तुम्हारे पास..!”

लव- “अब तो बताना ही पड़ेगा!!

और तोता उन सब को वहां पर ले जाने के लिए मजबूर हो जाता है।

और कुछ ही देर में वो एक हवेली पर पहुंच जाते हैं।

पहरेदार- “ये सब कौन है?”

तोता- “ये सब मेरे मित्र हैं.. हमें अंदर आने दो!”

और पहरेदार सभी को मुख्य द्वार से अंदर आने देता है।

गौरव सेठ उन को देख कर अपने सिंहासन से उठ जाता है

गौरव सेठ- “अरे मल्लू ..ये सब कौन है?”

तोता कुछ नहीं बोलता और उसे इशारा करता है..गौरव सेठ समझ जाता है कि कुछ गड़बड़ है।

गौरव सेठ (बच्चो से)- ” बताइए आप सब का यहां पर कैसे आना हुआ?”

लव- “हमें पता है कि आप के पास ही वो जादुई चक्की है , कृपया हमें वापस कर दीजिए!”

चिड़िया- “हाँ!! क्योंकि आप के कारण गांव के लोगों को इतना कष्ट सहना पड़ रहा है!”

गौरव सेठ (चौंक कर)- “अच्छा???… ओह हो..मुझे तो मालूम ही नहीं था , चिंता मत करिए, मैं आप को अभी चक्की लौटा देता हूं..!”

और तभी गौरव सेठ लड़खड़ाने का नाटक करता है… दरअसल यह उस के आदमियों को हमला करने के लिए एक गुप्त संकेत था।

पीछे से उस के आदमी नुकीले तलवार और भाले ले कर सब को घेर लेते है।

वधिराज- “ये आप अच्छा नही कर रहें…!”

गौरव सेठ- “हा हा हा…मुझे मत सिखाओ!”

करमजीत- “करन, हमला….!!”

लव कुश- “हमला!!”

और तभी उन सब के बीच घमासान लड़ाई शुरू हो जाती है।

और गौरव सेठ के आदमी घायल होने लगते हैं

कर्ण- ” गौरव सेठ, ऐसा मत करिए.. आप लालच के चक्कर में अपने आदमियों को भी कष्ट पहुंचा रहे हैं… जो चीज आप की नहीं है, उस पर आप को मोह नही करना चाहिए!”

गौरव- ” ज्यादा बातें मत कर… पहले तो तू बच कर दिखा हा हा हा हा!”

करमजीत- “ये ऐसे नहीं समझने वाला कर्ण!!°

और करमजीत उस के आदमियों को मारता जा रहा है…।

तभी इसी लड़ाई के दौरान कुश के पैर पर तलवार से घाव हो जाता है.. और वह लडखडानें लगता है!

गौरव (दूर बैठा हुआ)- “हा हा हा! देखो देखो.. कैसे हार रहे हो?.. हा हा हा!”

लव- “भैया.. अभी आया.. मैं छोड़ूंगा नहीं इस को…!”

और उस आदमी को लव बुरी तरह घायल कर देता है।

करन- “एक लालची आदमी की वजह से इन सब को अपनी जान गंवानी पड़ रही है!”

बुलबुल- “मूर्खता है इस की

तभी गौरव सेठ की पत्नी और बेटा (16)

आ जाते हैं और ये सब देख कर परेशान हो जाते है।

गौरव की पत्नी- “ऐसा मत करिए.. बेगुनाह लोगों की जान जा रही है…!”

बेटा- “हाँ पिता जी.. और वैसे भी हमारे पास इतना धन है कि हम सभी अपना जीवन आराम से गुजार सकते हैं!”

गौरव- ” तुम दोनों चुप करो.. मै ये शान और शौकत नहीं खोना चाहता!”

और तभी चिड़िया को एक उपाय सूझता है।

चिड़िया- “सुनो.. आप टॉबी और शुगर को रख लो.. ये जादुई पशु है.. आप इन की मदद से बहुत आगे बढ़ सकते हो..इन के बदले हमें वो चक्की दे दो!”

गौरव सेठ- “हम्म…ठीक है! सौदा बुरा नहीं है”

तो उस का बेटा चक्की ले कर आता है और वधिराज ले लेता है।

बुलबुल- “चलो चलते है…!”

टॉबी (रोते हुए)- “नहीईई! मत जाओ”

तभी गौरव सेठ हंसने लगता है।

सभी वहां से बाहर निकलने लगते हैं।

और करमजीत चुटकी बजाता है और टॉबी और शुगर उस के गोद में आ जाते हैं।

गौरव सेठ- “धोखा…. पकड़ो उन्हें!!”

उस की पत्नी- “नही.. उन्हे जाने दो…!”

गौरव- “यह क्या बकवास कर रही हो?”

पत्नी- “अगर आप ने फिर युद्ध करने के लिए कहा तो मैं यहीं पर अपनी जान दे दूंगी..!”

बेटा- “नहीं मां… ऐसा मत करिएगा…अगर आप ने ऐसा किया तो मैं भी मर जाऊंगा!”

और गौरव उन दोनों की आंखों में देखता है और उस का मन बदल जाता है।

वही सभी दोस्त बोकाल के पास जाने लगते हैं।

अगले एपिसोड में हम देखेंगे कि क्या बोकाल उन से वह चक्की वापस लेगा या नहीं…!

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