Homeतिलिस्मी कहानियाँ53 – महाबली करन | Mahabali Karan | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

53 – महाबली करन | Mahabali Karan | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सभी मित्रों को राजकुमारी स्वरा झूठ बोल कर अपने जाल में फंसा लेती है और उन सभी से अपना गलत मकसद पूरा करवा लेती है। आखिर में सब की जान खतरे मे भी आ जाती है लेकिन एक आदमी सही मौके पर आ कर उन सभी को बचा लेता है और वो सेनापति मल्ल जैसा दिख रहा था।
पर कौन था वो, आइये देखते हैं इस एपिसोड में

कर्ण- “सेनापति मल्ल तो इसी महल में कैद हैं!! तो आप कौन हैं!”

स्वरा- “कौन है तू बहरूपिये! जल्दी बोल!”

आदमी (रविंद्र)- “रविन्द्र हूँ मैं!!!! हैरान रह गयी ना स्वरा??… मल्ल मेरा जुड़वा भाई है…वो राजा चक्रवीर का वफादार है.. और उसे पता था कि तुम ये सब करोगी…इसलिए हम ने पहले ही ये सारी योजनाएँ बना ली थी..।”

राजकुमारी- “नही…ये कैसे हो सकता है…!”

रविंद्र- “जो होना था हो चुका.. मेरे आदमियों नें इस जगह को चारों ओर से घेर लिया है.. और वैसे भी अब तुम हार चुकी हो, इसलिए अपनी हार स्वीकार कर लो..!”

राजकुमारी (गुस्से से)- “मैं तुम सब को नहीं छोडूंगी, मार डालूंगी.. तुम सब क्या सोचते हो कि मैं कोई साधारण इंसान हूं???”

रविन्द्र- “नहीं साधारण इंसान तो अच्छे होते हैं, और तुम दुष्ट हो!”

स्वरा- “हां मैं हूँ दुष्ट, और मेरे बहुत सारे खतरनाक साथी भी हैं , वह तुम्हें नहीं छोड़ेंगे, नही छोडेंगे देखना!”

रविंद्र- “चुप हो जा कलंकिनी..जो अपने पिता की नहीं हुई, उस को एक ही सजा मिलनी चाहिए- मौत!”

और फिर से रविन्द्र और स्वरा में तलवारबाजी करता है और रविन्द्र पर एक जादुई मिट्टी फूंक कर उसे वहीं मार गिराता है।

रविंद्र- “यहां से चलो…मुझे मेरे भाई मल्ल को छुड़वाना होगा…!”

वधिराज- “मैं जानता हूँ वो कहाँ है, चलो सब!!”

सभी सेनापति मल्ल के पास पहुंचते हैं और उस को छुड़वा लिया जाता है।

रविन्द्र (मल्ल से)- ” सब ठीक हो जाएगा..आप चिता ना करें.. भाई!”

मल्ल- “हम सभी को सावधान रहना पड़ेगा क्योंकि राजकुमारी स्वरा नें अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए काली शक्ति का प्रयोग किया था और हो सकता है कि उस के कोई साथी यहां पर अवश्य आए, हम से बदला लेने के लिए!”

टॉबी- “तो चलो करण.. यहां से जल्दी चलते है! ना जाने अब कौन हमला कर दे”

मल्ल- “हाँ चलो..!”

करन- “हाँ टॉबी.. हम निकल रहे हैं, परन्तु सेनापति मल्ल ! आप कहाँ जाएंगे??!”

मल्ल- “मुझे भी यहां से जाना होगा अपने भाई के साथ..!”

वधिराज- “क्या आप हमें जादूगर के बारे मे बता सकते है??”

रविन्द्र- “कौन सा जादूगर!!”

तो कर्ण उसे सारी बात बताता है कि कैसे एक जादूगर ने राजकुमारी चंदा को चिड़िया बनाया था।

मल्ल- “नहीं.. मैं किसी ऐसे जादूगर को नहीं जानता.. लेकिन एक मनुष्य है जो तुम्हारी सहायता कर सकता है.. मै तुम्हे उस के पास ले चलूंगा, फिर उस के बाद अपने गाँव वापस लौट जाऊंगा!”

करन- “ठीक है.. आप का बहुत-बहुत धन्यवाद सेनापति मल्ल”

वहीं मल्ल जाने से पहले राम नाम के एक सैनिक को बुलाता है

मल्ल- “देखो राम.. मुझे तुम पर पूरा भरोसा है कि तुम इस राज्य को संभाल सकते हो और अच्छे लोगों का चुनाव कर के इस राज्य का कल्याण कर सकते हो.. !

राम सैनिक- “हां सेनापति मल्ल!!

मल्ल- “तो मुझे इस राज्य से जाना होगा अन्यथा तुम सभी की जान खतरे में आ जाएगी!”

राम- “परन्तु सेनापति जी… आप के बिना हम…!”

मल्ल- “.. अब यहां की रक्षा करना तुम्हारा कर्तव्य है , अभी समय बहुत कम है और हमें अब जाना ही होगा..!”

राम- “ठीक है सेनापति, मैं आप का इंतजार करता रहूंगा!”

और करन के सभी मित्रों के साथ मल्ल वहां से चला जाता है..।

सभी महल से बाहर घोड़ों के अस्तबल की तरफ जाते हैं

मल्ल (सभी मित्रों से)- “चलिए.. आप सभी मित्र घोड़ों के ऊपर बैठ जाइए!”

करमजीत- “टॉबी, शुगर और राजकुमारी जी ! आप कर्ण के साथ रहिये,, बुलबुल मेरे साथ आ जायेगी !!”

लव कुश- “और हम किस के साथ बैठें!”

करमजीत- “तुम दोनों एक साथ एक घोड़े पर!!”

लव कुश- “नही!!

बुलबुल- “हॉं जल्दी बैठो!”

तो सभी घोड़ों पर सवार हो कर निकल पड़ते हैं

रविन्द्र (रास्ते मे)- “भैया… मैं आप के साहस की दाद देता हूँ.. मुझे आज आप पर बहुत गर्व हो रहा है!”

मल्ल- “नही भाई.. गर्व तो मुझे हो रहा है, अगर आज तुम सही समय पर ना आते तो न जाने क्या ही हो जाता..!”

वधिराज- “हाँ.. आप का बहुत-बहुत शुक्रिया रविंद्र जी!”

तभी आसमान में काले-काले साये घूमते हुए दिखने लगते हैं, जिसे देख कर शुगर बहुत डर जाती है।

शुगर- “अरे ये… आसमान में काले-काले साये क्यों दिख रहे हैं??

कर्मजीत- “हाँ…अब ये क्या हो रहा है??”

करन- “सभी लोग होशियार रहो… मुझे लगता है कोई हमारा पीछा कर रहा है!”

वधिराज- “हाँ…जल्दी, सभी लोग अपने घोड़े की गति बढ़ाओ!”

बुलबुल- “.…हे भगवान रक्षा करना…!”

वधिराज- “डरो नही.. हिम्मत रखो..!”

रविंद्र- “हाँ….. चलते रहो..!”

मल्ल- “ध्यान से….!”

टॉबी- “यह काली परछाइयां कितनी डरावनी लग रही हैं..!”

चिड़िया- “उन पर ध्यान मत दो, बस भगवान का नाम लो!”

कर्मजीत- “अरे बच कर, आगे खाई है…ध्यान से…!”

खाई के किनारे आ कर सभी लोग अचानक से अपने अपने घोड़ों को रोक लेते हैं।

मल्ल- “यदि हम सभी एक कदम भी आगे बढ़ते तो… अभी मौत की खाई में गिर जाते!”

बुलबुल- “हाँ.. अब क्या करें??”

मल्ल- “सभी लोग घोड़े से उतर जाओ.. यहां से हमें पैदल चलना होगा.. लेकिन मुझे यकीन नहीं होता…क्यूंकि कुछ समय पहले यहां पर तो ये खाई नही थी!”

रविंद्र- “हमें अपनी जादुई मिट्टी का इस्तेमाल करना होगा..!”

मल्ल- “हम्म्म…!”

और रविंद्र कुछ मंत्र पढ़ कर हवा में उस जादुई मिट्टी को उड़ाने लगता है।

लेकिन कर नही पाता , और अचानक से वहां धरती हिलने लग जाती है , चारों तरफ काले साये दिखाई देने लगते हैं और बादलों में तेज गर्जना होने लगती है…

करन- “हे प्रभु.. ये क्या हो रहा है ???”.

वधिराज- “कुछ समझ नहीं आ रहा करण!”

और तभी सामने एक बहुत बड़ा काला छेद बन जाता है, तेज हवा चलती है, आसपास के सारे पेड़ पौधे और आसपास की वस्तुएं उस छेद के अंदर जाने लग जाती है।

करमजीत- “ये छेद तो तो सब को अपने अंदर खींच रहा है!”

लव कुश- “अब क्या करें!

वधिराज- “बड़े बड़े पेड़ों से लिपट जाओ, उन की जड़ें मजबूत होंगी!”

सभी लोग बड़े-बड़े पेड़ों से लिपट जाते हैं ताकि वह उस छेद के अंदर ना जा पाएं.. सभी उस काले छेद की तरफ बहुत जोर से खिंचे जा रहें थे।

टॉबी- “करन~~~~~….!”

शुगर- “कस के पकड़ो पेड़ को…!”

बुलबुल- “इतनी तेज हवा क्यों चल रही है

तभी इसी बीच टॉबी उस काले छेद की तरफ उड़ कर जाने लगता है जिसे देख कर सभी दोस्तों की सांस थम जाती हैं।

चिड़िया- “हे भगवान !! !कुछ करो..!”

टॉबी- “आआहहहहहह…बचाओ…..!”

कर्ण- “करमजीत, पकड़ो टॉबी को

और तभी करमजीत टॉबी का हाथ पकड़ लेता है, क्योंकि करमजीत टॉबी के पीछे खड़ा था।

शुगर- “शुक्र है, टॉबी बच गया!”

वधिराज- “ध्यान से.. हवा और भी तेज हो रही है.!”

बुलबुल- “सामने देखो, , वो क्या है। एक तरफ छेद, दूसरी तरफ वो क्या उमड़ रहा है”

चिड़िया- “वो तो बड़े राक्षस जैसा लग रहा है..!”

राक्षस- “हा हा हा हा…तुम लोगों को क्या लगा कि तुम राजकुमारी को हरा दोगे और उस के बाद बड़ी आसानी से यहां से निकल जाओगे.. तुम सभी को मैं अपने हाथों में दबा कर ही मार डालूंगा . हा हा हा हा!”

कुश- “ऐसा मत करो…वह एक बुरी राजकुमारी थी, तुम उस का साथ क्यों दे रहे हो?”

राक्षस- “क्यूंकि उस ने काले जादू के सहारे हमारे राक्षस लोक को अपनाया गया है और हमारे देवता से आत्मा का सौदा किया है..!”

लव- “क्या???”

मल्ल- “देखो.. हम सब को मार कर तुम्हें भला क्या मिलेगा??.. यह तो बच्चे हैं.. कृपया इन सब को जाने दो!”

राक्षस जोर-जोर से हंसने लगता है…और अपने मुंह से फूंक मारनें लगता है, जिस के कारण हवा और भी तेज हो जाती है….।

चिडिया- “नही… हम पर दया करो..!”

बुलबुल- “हमे जाने दीजिए!”

और इसी बीच रविंद्र का संतुलन बिगड़ जाता है और उस के हाथ से पेड़ छूट जाता है , जिस के कारण वह उस काले छेद के अंदर चला जाता है।

मल्ल- “नही……इईई, रविन्द्र!”

सब एक साथ- “नही~~~~

मल्ल को तो इस बात का यकीन ही नहीं होता है कि उस के भाई की अब मौत हो चुकी है।

मल्ल (रोते हुए)- “नहिईइईई…ये नही हो सकता…मेरे भाई!”

करन- “दुखी मत होइए सेनापति मल्ल… इस समस्या का कोई ना कोई उपाय तो होगा! शायद उन्हें कुछ भी ना हुआ हो”

मल्ल कुछ नहीं बोल पाता, क्योंकि वह अभी भी सदमे में है और बस रो रहा है।

वहीं मल्ल थोड़ी देर शांत रहने के बाद मन में निर्णय ले लेते है कि वह भी उस काले छेद के अंदर जाएगा।

मल्ल- “मैं भी अपने भाई के पीछे जा रहा हूँ!”

चिड़िया- “नही सेनापति मल्ल! एक वीर सेनापति को यह शोभा नहीं देता..!”

मल्ल- “नहिई.. मैं अपने भाई के गम को नहीं भूला सकता…मैं भी अब जा रहा हूं..!”

शुगर- “नहीईई…!”

और मल्ल अपना हाथ छोड़ देता है, जिस के कारण वह भी उस काले छेद के अंदर चला जाता हैं।

राक्षस- “हा हा हा, हा हा हा, सब का यही होगा!”

कर्मजीत- “अब क्या होगा करन??? ”

कर्ण- “सब ईश्वर को याद करो

सभी अपनी आंखें बंद कर लेते हैं और अपने ईश्वर का स्मरण करने लगते हैं।

कर्ण- “हे देवी मां सहायता करो..!”

बुलबुल- “सहायता करो ईश्वर, हमे शक्ति दो!”

चिड़िया- “रक्षा करो भगवान!”

सभी मित्र भगवान को याद कर रहे थे जिस के कारण उन्हें शक्ति मिलती है और वह कई घंटे तक वहां पर ऐसे ही रहते हैं।

राक्षस- “असंभव…!!.इतनी शक्ति?? पहली बार देख रहा हूं.. वह भी तुम जैसे साधारण मनुष्यों मे!”

बुलबुल देखती है कि उस राक्षस के पेट में कुछ लोहे के पदार्थ और वस्तु चिपके हुए हैं.. और थोड़ी देर सोचने के बाद उसे कुछ उपाय सूझता है।

बुलबुल (चिडिया से)- “मुझे लगता है कि इस राक्षस के पेट में चुंबक है.. यदि हम इस के सामने ढेर सामने लोहे की वस्तुएं तो इस की मौत हो सकती है..!

चिड़िया- “वो कैसे!!”

बुलबुल- ” ये उन लोहे की चीजों को आकर्षित करेगा और इस के पेट मे ज्यादा लोहा जाने इस की मृत्यु भी हो सकती है!”

चिडिया- “हम्म.. लेकिन ये होगा कैसे?”

तभी थोड़ी देर मे राक्षस दूसरी तरफ जादू से बड़े बड़े कांटे पैदा कर देता है।

राक्षस- “अब एक तरफ खाई है, दूसरी तरफ कांटे, पीछे छेद, आगे मैं, तुम कहीं नहीं जा सकते हा हा हा!

आखिर में उन का हर तरफ से रास्ता बंद कर के थक कर सो जाता है.. जिस से हवा बंद हो जाती है।

कुश- “करन.. अब क्या करें?? हम आगे भी नहीं जा सकते , सारे रास्ते बंद कर दिये हैं इस राक्षस ने!”

लव- “हाँ क्या करें…!”

चिडिया- “वधिराज.. आप रानू को बुलाइये.. उन से कहिएगा कि लोहे के बड़े बड़े कई सारे टुकड़े ले आये!”

वधिराज- “ठीक है राजकुमारी जी..!”

तो वह अपनी आंखें बंद करता है और अपनी मित्र रानू को बुलाता है।

थोड़ी देर बाद रानू ढेर सारे लोहे के कुछ बड़े-बड़े टुकड़े ले कर आ जाती है।…

कर्मजीत- “जल्दी करो! इन को एक साथ रख दो”

वधिराज- “हां अब इस राक्षस की ख़ैर नही!”

तभी राक्षस उठ जाता है और जैसे ही वो खड़ा होता है, सारे लोहे के बड़े बड़े टुकड़े उस के पेट की तरफ खिंच कर चिपक जाते हैं, जिस से उस पर भार आने लगता है

राक्षस- “अरे मुझे यह क्या हो रहा है?. ये क्या किया,. छोड़ूंगा नहीं तुम लोगों को “…

लव कुश- “हा हा हा, अब आ रहा है ना आंनद!”

राक्षस चिल्लाने लगता है और फिर से हवा चलने लगती है, और सभी मित्र दुबारा पेड़ों से चिपक जाते हैं।

तो क्या उन का ये तरीका काम करेगा, वो इस मुसीबत से निकल पाएंगे, देखिए अगले एपिसोड में..

FOLLOW US ON:
52 - सुंदर
54 - राक्ष