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51 – बौनों की जादुई दुनियाँ | Bauno ki Jadui duniya | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सभी मित्रों को किसी गुफा से हो कर गुजरना पड़ा था और इस गुफा में एक अशोकी नाम की स्त्री ताबूत मे कैद थी। अशोकी ने इन सभी को अपनी बातों में फंसा लिया था और खुद को आजाद करवा लिया था। वहीं इस के बाद सभी मित्रों को इसका दुष्परिणाम भी भुगतना पड़ा था। लेकिन कर्ण और उस के दोस्त अशोकी से लड़ाई जीत चुके थे और अशोकी की मौत हो चुकी थी।

बुलबुल- “बुरे कर्म का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है!”

लव- “हां ये इसी के लायक थी!”

वधिराज- “सभी लोग मेरे पीछे-पीछे आओ अब.. अब हमें यहां से जाना होगा!”

चिड़िया- “हाँ वधिराज जी…!”

और सभी मित्र उस के पीछे-पीछे चलने लगते हैं।

करन- “अब कौन सी माया नगरी आएगी वधिराज?”

वधिराज- “अभी याद कर के बताता हूँ कर्ण!

वधिराज अपनी आंखें बंद करता है और कुछ सोचने का प्रयास करता है।

वधिराज- “आगे अब अल्पनगरी आएगी… हमें इस नगरी से होते हुए गुजरना होगा!”

करमजीत- “अच्छा…तो चलो..!”

कुश- “बस वहां सब सही हो प्रभु!”

बुलबुल- “अब तो हर जगह को ले कर संदेह होने लगा है!”

करमजीत- “हां हमारा मार्ग ही ऐसा है!”

और सभी लोग आगे बढ़ने लगते हैं कि थोड़ी देर बाद घुड़सवारी करते हुए 10 लोग उन के रास्ते में आ जाते है। जिन में से सब से आगे उन का राजा था, उस का नाम पुलमा था।

राजा पुलमा- ” तुम लोग कौन हो और यहां पर क्या करने आए हो? ”

करन- “कुछ नही महाराज..हम बस यहां से गुजर रहें थे!”

पुलमा (गुस्से में)- ” चुपचाप यहां से चले जाओ.. मैंनें अगर तुम सब को यहां पर एक बार और देखा.. तो तुम सब अपनी जान से हाथ धो बैठोगे!”

कर्मजीत- “अच्छा??… तो आप क्या लोगों को बेवजह मौत की सजा देते हो??”

पुलमा- ” तू कौन है जो मुझ से इस प्रकार बातें करनें का दुस्साहस कर रहा है?? ”

कर्मजीत- “तेरा काल हूँ मै..!”

पुलमा- “सैनिकों!!! आक्रमण…..!”

और वो 10 सैनिक इन सभी पर आक्रमण करने लगते हैं..।

करमजीत और कर्ण बड़े साहस के साथ उस के 10 सैनिकों से लड़ने लग जातें है…. लेकिन हैरानी की बात तो यह थी कि उन के सारे सैनिक बार-बार मरने के बाद भी पुनः जीवित हो रहे थे।

चिड़िया- “ये कैसे मायावी सैनिक है, जो मर कर भी नही मर रहे!!

करन- “हां इन सब को मारना बहुत ही मुश्किल है करमजीत!”

वधिराज- “हाँ करन….अब क्या करें!”

चिड़िया- “हमें माफ कर दो महाराज….हम से भूल हो गयी…हम सभी अभी यहां से चले जाते हैं..!”

बुलबुल- “हां महाराज, हमारा मित्र थोड़ी क्रोधी स्वभाव वाला है , उसे माफ कर दीजिये!”

पुलमा- “ठहरो सैनिको…जाने दो इन्हे…!”

चिड़िया- ” धन्यवाद महाराज!”

पुलमा- “तुम्हारे कहने पर मैं इन सब को जाने दे रहा हूं क्योंकि तुम एक जादुई चिड़िया हो.. अगली बार अगर तुम सभी ने कोई भी गुस्ताखी की तो तुम्हारे साथ इन को भी नहीं छोडूंगा!”

और वह राजा अपनी सेना के साथ वहां से निकल जाता है।

चिड़िया- “मेरी अंतरशक्ति कह रही है कि इस राजा की सेना काफी बड़ी है और उस का सामना करना हमें काफी भारी पड़ सकता है..!”

कर्मजीत- “लेकिन… हम सब भी तो किसी से कम नहीं हैं! हरा ही देते उन को”

वधिराज- “हमें चतुराई से अपना काम करना होगा! वो सैनिक साधारण नही थे, उन से युद्ध करने से हमारी मुसीबत बढ़ सकती थी”

कर्ण- “हाँ कर्मजीत.. हमें साहस के साथ अपनी धैर्य और चतुराई का भी प्रयोग करना होगा!”

कर्मजीत- “हाँ… तुम सब सही कह रहे हो!”

कुश- “तो चलो, चलते है फिर आगे!”

और सभी लोग आगे बढ़ते हैं और अल्प नगरी में पहुंच जाते हैं।

वहां घने घने जंगल और प्यारे प्यारे पेड़ पौधे, फूल लगे हुए थे… और घरों का आकार काफी छोटा था।

शुगर- “वाह्ह… कितना प्यारा है यहां पर सब!”

बुलबुल- “हां सच मे, इतने छोटे और प्यारे घर है यहां!!”

सभी का ध्यान उन प्यारे घर और फूल पौधों पर था। तभी लव की नजर एक पेड़ पर जाती है।

लव- “मैंनें अभी पेड़ के पीछे किसी को देखा!!”

बुलबुल- “किस को देखा?”

चिड़िया- “हाँ…मुझे भी लगा, कोई तो है वहाँ.. सभी लोग छुप जाओ..!”

सभी लोग छुपने के लिए पेड़ के पीछे जाने लगते हैं कि तभी वहां बहुत सारे बौने लोग आ जाते हैं और उन को घेर लेते हैं

टॉबी- “ये सब कौन है????”

शुगर- “ये सब तो बहुत छोटे हैं…..!”

वधिराज- “मुझे लगता है कि यह लोग भी हम से डर रहे है… हम सभी को इन से डरने की कोई जरूरत नहीं!”

कर्मजीत- “साथियों.. हम से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है, हम तुम्हे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे!”

करन- “हाँ… हम आप को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे..हम तो खुद मुसीबतों से निकल कर आये हैं!”

उन की बात सुन के बौनों को थोड़ी तस्सली होती है कि तभी अचानक से घोड़ों की आवाज आने लगती है।

बौना 1- “वो लोग आ रहे हैं.. तुम लोग जल्दी से हमारे घर के अंदर छुप जाओ..!”

बौना 2- “हाँ…जल्दी करो!”

बौने लोग उन सभी को छुपा देते हैं।

वहां पर दो सैनिकों के साथ पुलमा राजा का सेनापति आ जाता है।

सेनापति- “यहां पर कोई आया तो नहीं था?”

बौना 3- “नहीं मालिक..!”

सेनापति- “सच-सच बोलना!! अगर किसी ने भी झूठ बोला तो सब की गर्दन उड़ा दी जाएगी!”

बौना 4- “नही महाराज.. ऐसा कुछ नहीं है, हम पर यकीन कीजिये..!”

सेनापति- “हम्म.. उम्मीद करता हूं कि तुम सभी को पुरानी बातें तो याद होगी!!!. कि हमारे मालिक ने तुम सब के साथ क्या किया था हा हा…हा हा हा”

तभी सारे बौने दुखी हो जाते हैं

सभी बौने- “हाँ महाराज…पुलमा राजा की जय हो!”

सेनापति- “ठीक है, अभी तो जा रहा हूँ!! फिर आऊंगा”

और सेनापति वहां से चला जाता है।

वहीं सभी दोस्त बाहर निकल जाते हैं।

बुलबुल- “वह कौन सी पुरानी बात की बात कर रहा था? ”

बौना 1- “हम सब पहले से ही ऐसे नहीं थे.. हम सब इस गांव में पहले खुशहाली से रहते थे लेकिन पुलमा राजा ने यहां पर अधिकार कर लिया और हम सब को बौना बना दिया..!”

बौना 2- “हाँ..और हम सब केवल एक ही चीज खा सकते हैं…वो जो खेत मे उगा हुआ है!”

और वह खेत में लगे हुए जादुई हरे-हरे पौधों की तरफ़ इशारा करता है।

बौना 3- “पर आप सभी चिंता मत करिए..हम आप सभी के लिए अच्छा भोजन बनाते हैं. हम खा नहीं सकते, पर बना सकते हैं.!”

बोना 4- “परंतु आप सभी को यहां से जल्द ही निकलना होगा क्योंकि अगले दिन सेनापति फिर से यहां आएगा..!”

करन फिर करमजीत की तरफ देखता है और दोनों कुछ सोचने लग जाते हैं।

वहीं सभी बौने मिल कर उन सभी के लिए खाना बनाते हैं।

कर्मजीत- “भोजन तो काफी स्वादिष्ट था , मजा आ गया..! आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद”

कुश- “हाँ सच मे आप सब बहुत अच्छे हैं!”

शुगर- “चलो चलो खेलते हैं..!”

करन- “अरे टॉबी… लेकिन….!”

सुनहरी चिड़िया- “अरे खेलने दो ना.. मुश्किल से अच्छे लोग मिले हैं, यहां खेल लो, उस को भी अच्छा लगेगा!”

करन- “ठीक है जाओ खेल लो!”

तो शुगर और टॉबी दोनों मस्ती करने लगते है।

आखिर थक हार कर सब सोने चले जाते हैं।

चिडिया- “हमें इन सब की मदद करनी चाहिए, देखो ना यह सब कितने अच्छे हैं!”

बुलबुल- “हाँ.. हमें उस घमंडी राजा को सबक सिखाना होगा!”

करमजीत- “कितने मासूम है ये लोग, इन्होंने हम से एक बार भी अपने दुख दूर करने की बात नहीं की !”

लव- “हां और खुद नही खा सकते, फिर भी हमारे लिए भोजन बनाया!”

कुश- “बिल्कुल हमें इन की मदद करनी ही चाहिये!”

करन- “सही कहते हो, अगर हम इन के राजा को हरा देंगे…तो कुछ हो सकता है…!”

वधिराज- “इस बारे में कुछ सोचते हैं! अभी सब सो जाओ”

उसी रात जब सभी लोग सो रहे थे तो एक हवा उड़ कर आती है और वह एक स्त्री का रूप लेती है। वो स्त्री अपने हाथों को आगे बढाती है तो उस के हाथों से एक रोशनी निकलती है और वो रोशनी उस जादुई खेत के चारों ओर फैल जाती है.. और वह वहां से चली जाती है।

अगले दिन फिर से सेनापति और पुलमा राजा अपने सैनिकों के साथ वहाँ पहुंचते हैं।

राजा पुलमा- “लगता है तुम सब को मरने का शौक है..!”

कर्मजीत- “आप हम से बात कीजिए , आप ने राजा हो कर बेवजह इन सभी को परेशान कर रखा है ,आखिर क्यों?”

राजा- “लगता है तुम सब को उस दिन की बात याद नहीं है..सैनिको… हमला!”

सभी बौने घर के अंदर छुप जाते हैं और वहीं कर्मजीत और बाकी मित्र उन से युद्ध करने लगते है।

करन- “टॉबी! शुगर!! तुम भी अंदर जाओ…!”..

तभी एक सैनिक तलवार से टॉबी को काटने वाला होता है कि कर्मजीत उसे काट देता है।

करमजीत- “अधर्मी…ये ले..!”

टॉबी- “शुगर, “अंदर चलो…!”

और वो दोनों बोनो के पास चले जाते है.. वहीं कुश.. लव बोनो के घर के बाहर उन की रक्षा कर रहें थे।

करन- “वधिराज जी…कुछ करिये!”

वधिराज- “हां करण !!

तभी वधिराज अपना आकार बड़ा कर लेता है और सब को अपने पैरों से कुचलने लग जाता है।

बुलबुल- “लेकिन यह सैनिक तो मर ही नहीं रहे हैं! क्या करें

पुलमा- “हा हा हा, आज तुम सब का आखिरी दिन है!”

पुलमा के सैनिक बार बार जीवित हो रहे थे.. वहीं इस युद्ध को चलते काफ़ी वक्त हो गया था

चिडिया- “हे ईश्वर…अब क्या होगा????”

पुलमा- “बहुत आनंद आ रहा है देखने में, मैं चाहता हूं ये लड़ाई आज ही समाप्त ना हो!”

सेनापति- “हां महाराज, मैं भी यही चाहता हूं!!”

पुलमा- “जाओ सेनापति, उन को ले आओ!!”

और तभी सेनापति दो बोनो को पकड़ कर ले आता है और अपने घोड़े से बांध देता है।

चिड़िया- “छोड़ दो उन को, कहाँ ले जा रहे हो!”

राजा- “हम दोबारा आयंगे… ऐसे आसानी से नही मारे जाओगे तुम..!”

तो राजा और उस के सैनिक सभी वहां से दो बौनों को ले कर चले जाते हैं।

कर्ण- “यह तो बहुत बुरा हुआ, हमारी वजह से वो उन दोनों को ले गए!!

बौना 1- “नही इस मे आप की गलती नही है!”

बौना 2- “हॉं हमारा राजा ही दुष्ट है!”

करमजीत- “अब तो कोई उपाय भी नजर नही आ रहा, कैसे हरायें उन को!!”

चिडिया- “पता नहीं क्यों मेरी आंखों के सामने बार-बार एक सफेद साया और हरे भरे पौधे दिख रहे हैं..लगता है इस बात का राजा पुलमा से कोई संबंध है!”

कर्मजीत- “हाँ राजकुमारी जी, हो सकता है!”

करन- “तो अब क्या करें, राजकुमारी जी, आप प्रयास कीजिये देखने का, शायद कोई सुझाव दिख जाए”

तभी चिड़िया अपनी दिव्यशक्ति का इस्तेमाल कर के देखती है ।

चिड़िया- “करन !! तुम उस राजा के महल में जाओ…वहाँ जरूर कुछ पता चल सकता है।”

कर्मजीत- “ठीक है.. मै अपनी जादुई शक्ति का प्रयोग करूंगा और कर्ण के साथ महल के अंदर जाऊंगा..!”

बुलबुल- “हां हम सब यहीं रह के इन की रक्षा करेंगे!”

बौना 1- “नही.. ऐसा मत करो, वैसे ही हमारे दो साथियों की जान खतरे में है.. न जाने आप के साथ वहां क्या होगा!”

चिडिया- “आप सभी चिंता ना करें ,हमारे मित्रों पर विश्वास रखें.. हम आप के साथियों को भी बचा लेंगे!”

कर्मजीत अपने जादुई मोती का इस्तेमाल करता है और गायब हो कर करन को ले कर चुपके से महल के अंदर जाता है।

वहां एक कमरे के बाहर खड़े हो कर वो दोनों राजा और सेनापति की वार्तालाप सुन लेते है।

करन- “लगता है राजा अंदर है, हमें भी कमरे के अंदर जाना होगा!”

करमजीत- “हां लेकिन हम दरवाजा नहीं खोल सकते, इंतजार करना होगा किसी के दरवाजा खोलने का!”

दोनों एक दीवार के पीछे छुप जाते हैं और कुछ ही देर में राजा और सेनापति बाहर निकल कर चले जाते हैं और करमजीत और कर्ण उस कमरे के अंदर जाते है।

कर्मजीत (कमरे के अंदर)- “अच्छा तो ये है वो पेड़ पौधे.. इन पौधों को खा कर ही वे गाँव वाले बौने रहते हैं!”

कर्ण- “इस मूर्ति को देखो… ऐसा लगता है जैसे मानो जीवित है…! इसे उठाते हैं…!”

वो दोनों मूर्ति उठाते हैं लेकिन उठा नही पा रहे थे।

तभी वहां सैनिकों के भागने की आवाज आती है।

करन- “लगता है उन को पता चल गया है, जल्दी करो..!”

कर्मजीत- “अरे ये किसी मंत्र के माध्यम से ही हिलेगी यहां से!”

करण- “बौनों ने बताया था कि राजा पुलमा एक वाक्य बार-बार बोलता है, वो बोल कर देखते हैं..!”

करमजीत- “जल्दी बोलो!”

तभी कमरे की खिड़की से एक बौना अंदर आ जाता है। कर्ण और करमजीत हैरान रह जाते हैं

कर्ण- करमजीत- “आप यहां!”

बौना- “हां आप की सहायता के लिए आया हूँ, मैं जानता था मेरी जरूरत पड़ेगी! मैं उठाता हूँ इस मूर्ति को”

बौना- “मोकली…चोकली..कर दे अपना कमाल!”

और इस के बाद मूर्ति को उठा लेते हैं.. और इस के साथ ही वो सारे पौधे भी गायब हो जाते है और वो बोना भी लम्बा हो जाता है.. वहीं राजा पुलमा का महल भी गिरने लगता है।

करन- “अरे अरे! महल तो गिर रहा है!”

करमजीत- “हां जल्दी हमें यहां से..भागना होगा!”

और तीनों लोग वहां से भागने लगते हैं।

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