Homeतिलिस्मी कहानियाँ50 – जादुई ममी | Jadui Mummy | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

50 – जादुई ममी | Jadui Mummy | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सभी मित्रों को आगे जाने के लिए पुल पार करना था लेकिन वहां का रक्षक राक्षस उन्हें आगे बढ़ने नहीं दे रहा था। साथ ही वह राक्षस उन के साथ छल भी करता है।
लेकिन अंत में बुलबुल मौका पा कर उस पुल को पत्थर में बदल देती है और उस के बाद वे लोग खाई को पार कर लेते हैं।

सब लोग पुल पार कर के दूसरी तरफ पहुंच जाते हैं।

टॉबी- “तो अब हमें कहां जाना होगा?”

वधिराज- “चलो आओ, सभी लोग मेरे पीछे-पीछे चलो!”

और सभी लोग वधिराज पीछे-पीछे चलने लगते हैं , चलते-चलते कुछ घंटे बीत जाते हैं। रात हो जाती है और वे लोग रास्ते मे ही विश्राम करते हैं।

सुबह होने पर

शुगर- “उठो सभी लोग! सुबह हो गयी है”

चिड़िया- “हाँ, शुगर! आज तो सब से पहले उठ गई”

उठने के बाद, लव कुश वहां पेड़ों से कुछ फल तोड़ कर ले आते हैं।

लव- ‘शुक्र है यहां फल है, वरना भूखा रहना पड़ता!”

बुलबुल- “तुम तो हो ही भुक्खड़!”

कुश- “हा हा हा, सही कहा!”

करन- “चलो अब यहां से आगे चलते है!”

थोड़ा आगे जाने पर उन्हें बहुत बड़ी गुफा दिखाई देती है।

कुश- “क्या हमें इस गुफा के अंदर जाना होगा?”

वधिराज- “हाँ, दूसरा और कोई रास्ता नहीं है, हमें इस गुफा को पार कर के ही आगे बढ़ना होगा..!”

बुलबुल- “हम किसी और मार्ग से भी तो जा सकते हैं, कहीं ऐसा ना हो कि गुफा के अंदर ही फंस जाएं हम सब!”

करमजीत- “लेकिन बुलबुल, हर तरफ देखो तुम, कोई मार्ग नजर ही नही आ रहा, यहां केवल यही गुफा है !”

लव- “हम्म, वो तो है, ठीक है.. फिर! चलते हैं”

करन- “तो चलिए फिर सब लोग! और चारों दिशाओं में ध्यान देना, चौकन्ने रहना सब लोग”

और सभी लोग गुफा के अंदर जाते हैं , गुफा काफी बड़ी थी और अंदर अंधेरा भी था।

शुगर- “अंदर तो बहुत अंधेरा है , हम लोग आगे कैसे बढ़ेंगे अब?”

चिड़िया- “अरे मित्रों.. तुम सब बिल्कुल चिंता मत करो, इस का बंदोबस्त मैं करती हूं!”

तभी चिड़िया अपनी आंखें बंद कर लेती है और थोड़ी देर में चिड़िया का रंग एकदम चमकीला नीला हो जाता है और उस से रोशनी निकलने लगती है..

यह देख कर सब हैरान हो जाते हैं

बुलबुल- “वाह्ह्ह्हह्ह, आप तो बहुत सुंदर लग रही है राजकुमारी जी….!”

लव कुश- “हां सच मे!”

चिड़िया- “बहुत-बहुत शुक्रिया बुलबुल!”

करण- “आप के इस रहस्य का तो हमें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था राजकुमारी जी, हा हा हा!”

चिड़िया- “हा हा हा, कभी आवश्यकता ही नही पड़ी कर्ण!”

टॉबी- “ऐसा लग रहा है जैसे मानो…स्वर्ग से अप्सरा उतर आई हो!”

चिड़िया (मुस्कुराते हुए)- “क्या टॉबी तुम भी ना,, बहुत तारीफ करते हो…

करमजीत- “चलिये अब हम आगे बढ़ते हैं!”

और सभी लोग गुफा में आगे बढ़ते जाते हैं।

तभी इन सब को दीवारों पर कुछ चित्र बने हुए मिलते हैं , जिस में किसी रानी की जीवन कथा दिखाई गई थी।

चिड़िया- “यह तो किसी रानी की जीवनी से जुड़े हुए चित्र है!”

करन- “लगता है कई सालों पहले यहां पर किसी राजा का अधिकार था!”

वधिराज- “हाँ, मैंने सुना तो था किसी रानी के बारे में… परंतु अब मैं वह कहानी भूल गया हूं!”

सभी उन चित्रों को गौर से देखने लग जाते है, लेकीन समझ नही पाते।

लव- “अरे क्या है इस मे, कुछ भी समझ नही आ रहा!!”

कुश- “हां मुझे भी!!”

करमजीत- “श~~~~श~~~ शोर मत मचाओ!”

चिड़िया- “यहां पर किसी रानी का महल हुआ करता था परंतु एक श्राप ने उस के महल को बर्बाद कर दिया था…यह देखो इस चित्र में….!”

बुलबुल- “यह कहानी तो काफी रोचक लगती है, ऐसी कहानी हम पुस्तकों में पढ़ा करते थे!”

करन- “हाँ बुलबुल, लेकिन ये मनगढ़ंत कहानी नही है, किसी के जीवन की सच्चाई है!”

अभी सभी लोग बातचीत कर ही रहे थे कि अचानक से जोर की आवाज आती है।.. ऐसा लग रहा था जैसे कोई दीवार को जोर-जोर से पीट रहा हो।

वधिराज- “ये क्या है?? दीवार में से आवाज आ रही है?”

करन- “सभी लोग सावधान हो जाओ.. हो सकता है कोई खतरा हो!”

और तभी अचानक से सब शांत हो जाता है…थोड़ी देर बाद एक औरत की आवाज आती है।

औरत की आवाज- “मुझे बचाओ, कृपया कर के मुझे बचाओ!”

कर्ण- “कौन हैं आप!”

औरत की आवाज- “मैं कई सौ सालो से यहां पर एक पुराने ताबूत के अंदर हूं…मुझ पर विश्वास करो.. मुझे एक पुजारी ने कहा था कि यहां पर आज के दिन कुछ बालक आएंगे, जो मेरी सहायता कर सकते हैं!”

वधिराज- “परंतु हम कैसे विश्वास कर लें कि आप सत्य ही कह रही हैं?”

स्त्री- “अगर तुम सब मेरी सहायता नहीं करोगे तो मैं और कई सालों तक यहीं पर रहूंगी.. मैं तुम सभी से हाथ जोड़ कर विनती करती हूं, कृपया कर के मेरी सहायता करो…”

और तभी वह स्त्री रोते हुए बार बार उन सब से सहायता मांगती है।

बुलबुल- “लगता है यह सही कह रही है.. हमें इन की सहायता करनी चाहिए और इन के दुख को समझना चाहिए!”

कुश- “तुम सही कहती हो बुलबुल , अगर हम ने उन की सहायता नहीं करी तो ये कई और सालों तक ऐसे ही यहाँ पर रहेंगी… !”

लव- “हां , यह भी तो एक तरफ से अन्याय ही है ना!”

वधिराज- “ठीक है, अगर तुम सब कहते हो तो हम उन की सहायता करते हैं!

करमजीत (तेज आवाज)- “ठीक है, हम तुम्हारी सहायता करने के लिए तैयार है, मगर तुम कहाँ हो!!”

औरत- “मेरा ताबूत जमीन के नीचे है। गुफा में दाईं ओर जाने के बाद एक तहखाना होगा, वहीं आना होगा आप को!!”

कर्ण- “ठीक है ,हम आ रहे हैं!”

तो आगे बढ़ने पर उन को वहां पर एक तहखाना मिल जाता है..।

वो सभी जब तहखाने के अंदर जाते हैं तो देखते हैं कि नीचे तो एक बहुत बड़ा कमरा है.. और वहां बहुत सारे सोने चांदी जवाहरात भी रखे हुए हैं। और वो ताबूत भी वहीं था

वधिराज- “ये रहा ताबूत! इसी में होगी वो स्त्री!”

करमजीत- “हां हमें इसे खोलना होगा”

वधिराज ताकत लगा कर उस ताबूत को खोल देता है।

ताबूत के अंदर एक ममी रखी है।..

सभी लोग उस की तरफ हैरानी से देख रहे थे कि तभी अचानक उस ममी की आंखें खुल जाती है। और सभी घबरा जाते हैं

और तभी पीछे से जोर से आवाज आती है..

औरत (चिल्ला कर)- “आ~~~बचाओ!”

वो सभी पीछे मुड़ कर देखते हैं, लेकिन पीछे कुछ नही था।

टॉबी- “ये क्या था? चिल्लाने की आवाज”

शुगर- “अरे वो ममी कहाँ गयी?”

करन- “.. कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं! लगता है उस स्त्री ने हम से झूठ बोला है”

और तभी अचानक से वहां पर तेज हवाएं चलने लग जाती है , सारी चीज यहां वहां उड़ने लगती है और तहखाने से बाहर जाने का रास्ता उन जवाहरातों से बन्द हो जाता है

कुश- “वो देखो , तहख़ाने से निकलने का रास्ता बंद हो गया है

बुलबुल- “देखा मैंने कहा था ना हम फंस जाएंगे!

टॉबी- “अब ना जाने क्या होगा!!”

और तभी थोड़ी देर बाद एक औरत वहाँ आ जाती है,जो हवा में यहां वहां उड़ने लगती है।

चिड़िया- “आप वहीं है ना जो सहायता मांग रही थीं?”.

अशोकी- “हाँ, मै ही हूँ, मेरा नाम है अशोकी!”

करन- “तो कृपया हमें यहां से जाने दीजिए,!”

अशौकी- “नहीं, तुम सब को ऐसे नहीं जाने दूंगी!.. तुम सब मेरे गुलाम हो और मैं जो कहूँगी तुम सब को वही करना होगा!”

उस का यह रूप देख कर सब बहुत गुस्सा हो जाते हैं और चिंतित भी हो जाते हैं।

वधिराज- “हम सब आप के गुलाम??.. यह कैसी बातें कर रही हैं आप??”

लव- “हम ने तो आप की सहायता की थी, पर आप तो हम से ही दुष्टता कर रही हैं….!”

अशोकी- “चुप करो मूर्खो!”

और फिर अशोकी एक चुटकी बजाती है और उस जगह पर एक बड़ा महल बन जाता है

अशोकि- “स्वागत है मेरे राज्य मे!!

कुश- “हमे नही रहना तुम्हारे महल में!!”

अशोकि- “अब यहां वही होगा, जो मेरी इच्छा होगी!! सब लोग काम पर पग जाओ”

इस के बाद अशोकि महल के हर तरफ कवच बना देती है और उन सभी से महल का कार्य करवाने लग जाती है और उन के साथ नौकरों जैसा बर्ताव करती है।

अशोकी (लव से)- “यहां आओ,मुझे मदिरा पिलाओ!”

लव- “हरगिज नही, मैं तुम्हारा कोई कार्य नही करूँगा!!”

लव मना करता है तो अशोकी अपने जादू से अपने हाथ में चाबुक ले आती है और उस चाबुक से लव पर दो बार वार करती है।

लव (दर्द तड़प)- आ…आ~~~!!

कर्ण- “छोड़ दे मेरे मित्र को!!”

अशोकि- “हा हा हा!!

करन उसे रोकने का प्रयास करता है लेकिन उसे रोक नहीं पता क्योंकि उस महल के अंदर अशोकी की ताकत ज्यादा प्रभावशाली थी।

अशोकी (लव से)- “हा हा हा, अब बता?? मानेगा मेरी बात!”

कुश- “मान ले मेरे भाई, जिद मत कर!”

बुलबुल- “हां लव, मदिरा ले आओ!”

चाबुक के प्रहार से लव को ज्यादा चोट नहीं लगती, यह देख अशोकी हैरान हो जाती है.. उसे यह बात नहीं पता थी कि करण और उस के सारे मित्रों को दिव्य शक्ति मिल रखी थी।

खैर अशोकी लव पर अपनी क्रूरता दिखाती है और उस से जबरदस्ती मदिरा मंगवाती है।

लव- “ये लीजिए!”

अशोकी- “चुप… पहले बोल….यह लीजिए महारानी साहिबा!”

लव (गुस्से से)- “यह लीजिए महारानी साहिबा!”

अशोकी बहुत प्रसन्न होती है और जोर-जोर से हंसने लगती है।

वहीं सभी मित्र चिंतित थे।

बुलबुल- “कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि अब क्या करें.. ऐसे ही 3 दिन गुजर गए हैं।”

वधिराज- “हां और अशोकी हम सभी पर अपना जुल्म करती जा रही है और हम कुछ भी नहीं कर पा रहे थे।

कर्ण- “कुछ तो सोचना होगा हमे!!”

तभी अशोकी उन के पास आती है

अशोकि- “मुझ से बचने की योजना बनाई जा रही है लगता है, हा हा हा, कोई फायदा नहीं!!”

कुश (घबरा कर)- “नहीं नहीं रानी साहिब, हम सब तो ओम नमः शिवाय का पाठ कर रहे थे!!

ओम शब्द सुनते ही अशोकी की आँखें फट जाती हैं और वह दो कदम पीछे हट जाती है।
सब का उस की इस हरकत पर ध्यान जाता है
पर अशोकि किसी के सामने अपना डर उजागर नहीं करना चाहती थी, इसलिए वो गुस्सा दिखाने लगती है

अशोकि (चिल्ला कर, गुस्से से)- “चुपचाप जा कर अपना काम करो, पूरा महल साफ करना है, एक तिनका भी नही होना चाहिए!”

करमजीत- “ठीक है रानी साहिबा!”

इस के बाद अशोकि चली जाती है और सभी मित्र योजना बनाने लगते हैं।

कर्ण- “चलो साथियों सब अपने अपने काम पर लग जाओ!”

करमजीत- “अच्छे से पूरा करना कार्य!”

वधिराज- “ठीक है!!”

और तभी वधिराज और बुलबुल सफाई करने के बहाने से अशोकी के ताबूत के आसपास सफाई का काम करने लग जाते है…

वधिराज- “इसे शक ना हो बस, हे ईश्वर रक्षा करना!”

बुलबुल- “नही होगा, बस ज्यादा बातचीत मत करो!

और इसी बीच वधिराज को ताबूत के दाएं हिस्से में बना हुआ एक छोटा सा हिस्सा दिखता है, जिस में एक मंत्र लिखा हुआ था…और उस मंत्र में ओम लिखा हुआ था..।

वधिराज फिर करन की तरफ इशारा करता है।…

बुलबुल- “लगता है यही वो मंत्र है जो अशोकी को काबू में कर सकता है!”

वधिराज- “हां जैसे ही कर्ण सभी के साथ यहाँ आ जायेगा, तुम तेज आवाज में यह मंत्र पढ़ना शुरू कर देना!!”

बुलबुल- “ठीक है!!”

और तभी करन जल्दी से बाकी सभी को ताबूत के पास ले जाता है और सब के चारों तरफ अपनी जादुई अंगूठी से सुरक्षा कवच बना लेता है..।

करमजीत- “बुलबुल अब जल्दी से मंत्र पढ़ो, हम कवच में सुरक्षित हैं!”

तो बुलबुल ताबूत पर लिखे उस मंत्र को तेज आवाज में पढ़ने लगती है…
मंत्र सुन कर अशोकी अपने आपे से बाहर हो जाती है, और गुस्से मे चिल्लाने लगती है,और वह चीजे यहां वहाँ फेकने लगती है।

अशोकी- “आ~~~छल हुआ है, दुष्टों, तुम्हे छोडूंगी नहीं, आ~~~~!!

तभी अशोकी चारों तरफ अपने जादू से बहुत सारे साँपों को प्रकट कर देती है,।

टॉबी- “अरे, इतने सारे साँप,!!”

करन- “चिंता मत करो!”

अशोकी- “उस मंत्र को पढ़ना बंद करो, वरना सब को मार दूँगी!”

लेकिन बुलबुल मंत्र पढ़ती ही जाती है।

वधिराज- “मै इन सारे साँपों को हटाता हूँ, ,!”

करमजीत- “लेकिन वो तुम्हे डस लेंगे वधिराज।”

वधिराज- “मुझ पर साँपों का जहर नही चढ़ता करमजीत, मुझे कोई खतरा नहीं है इन से!!”

और वधिराज एक-एक कर के सारे सांप को हाथ से उठा कर दूसरी जगह फेंकने लग जाता हैं..

सभी मित्रों को बहुत डर लग रहा था क्योंकि करण की शक्ति अब कमजोर पड़ रही थी।

और तभी अशोकी वहां जादू से बहुत सारी मकड़ियां उतपन्न कर देती है।

कर्ण- “कवच का प्रभाव कम हो रहा है, हमें जल्द ही कुछ करना होगा!!”

शुगर- “हे ईश्वर रक्षा करो हमारी.. कृपया इस दुविधा से बचाओ हम सब को!”

चिड़िया- “चिंता मत करो, बुलबुल मंत्र पढ़ रही है, जैसे ही वो पूरा पढ़ लेगी, सब ठीक हो जाएगा!!”

और तभी मंत्र पूरा हो जाता है। और अशोकी गायब हो जाती है.. उस के साथ ही मकड़ियां और सांप भी वहां से गायब हो जाते हैं।

लव- “ओह शुक्र है!!”

वधिराज- “लगता है सब ठीक हो गया!”

कुश- “हाँ वधिराज जी, बुलबुल ने बचा लिया आज तो!”

तभी शुगर बुलबुल को गले से लगा लेती है।

खैर यह मुसीबत भी टल गई थी।

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