48 – जादुई राजकुमारी | Jadui Rajkumari | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि टॉबी को तीर लग गया था। लेकिन करण और उस के मित्रों को उस सैनिक द्वारा टॉबी को ठीक करने का तरीका पता चल गया था। और उस की बताई हुई जगह पर जाने के बाद वहां का राजा एक उपाय करता है, और टॉबी की जान बच जाती है।
राजा- “तुम सब काफ़ी होशियार हो बच्चो!”
बुलबुल- ” आप का धन्यवाद महाराज!”
राजा- “चलो तुम सभी की होशियारी के लिए मेरी तरफ से एक तोहफा देना चाहता हूँ!”
करन- “इस की क्या जरूरत है महाराज!”
राजा- “नहीं करण यह तोहफा तो लेना ही पड़ेगा बस समझ लो कि तुम्हारी जीत का यह तोहफा मेरी तरफ से है!”
और इस के बाद राजा मुस्कुराता है और मुस्कुरा कर चुटकी बजाता है।
चुटकी बजाते ही सभी के सामने एक बड़ी सी मेज आ जाती है और उस मेज पर सब के लिए प्याले अपने आप आ जाते है।
बुलबुल- “वाह, जादू तो देखो!!”
लव- “कितना मजा आ रहा है ना देखने मे!”.
कुश- “देखो तो नारियल भी यहीं आ रहे हैं!!”
और उन प्यालों में हवा में एक-एक नारियल आ जाता है और वह नारियल अपने आप ही कट जाता है। और हर एक प्याले में नारियल का ताजा पानी भर जाता है
यह देख कर सभी बच्चे बहुत खुश हो जाते हैं।
टॉबी- “वाह्ह! राजा जी,, आप का जादू तो बड़ा ही कमाल का है…!”
शुगर- “हाँ टॉबी,,, और यह नारियल देखो कितने स्वादिष्ट दिख रहे हैं!”
राजा- “चलो बच्चों… कुर्सी पर बैठ जाओ और आनंद लो.. यह नारियल मैं तुम्हारे लिए ही लाया हूं!”
इस के बाद सभी कुर्सी पर बैठ जाते हैं और अपने नारियल का आनंद लेते हैं।
करन- “हमारी इतनी खातिरदारी के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया महाराज!”
राजा- “तुम सब को यहां पर आनंद आया , यही मेरे लिए बहुत है.. पियो पियो!”
सब दोस्त प्याले खाली कर देते हैं और अपनी जगह से उठ जाते हैं
कर्मजीत- “तो ठीक है महाराज!! अब कृपया हम सब को यहां से जाने की अनुमति दें!”
वधिराज- “हां महाराज!”
राजा- “ठीक है बच्चों अब तुम लोग यहां से जाओ!!”
और सभी बच्चे वहां से निकल पड़ते हैं। सभी लोग आराम से रास्ते पर आगे बढ़ रहे थे लेकिन काफी आगे जाने पर सब बहुत थक जाते हैं।
लव- “ओह हो!!, मैं तो बहुत थक गया हूँ!!”
कुश- “हां मैं भी!”
बुलबुल- “हम्म!! सभी थक चुके हैं!”
वधिराज- “तो चलो मित्रों , अब हम यहीं पर रुक कर आराम कर लेते हैं!”
चिड़िया- “लेकिन अब तो रात्रि का समय है, ऐसे में इतनी सुनसान जगह रुकना खतरे से खाली नही होगा!”
करमजीत- “हां राजकुमारी जी, ठीक कहती है आप!!”
लव कुश- “बस थोड़ी देर रुक जाओ ना, अब नही चला जा रहा!!
कर्ण- “चलो ठीक है, कुछ देर रुक जाते हैं!”
और सभी लोग आराम करने के लिए बैठ जाते हैं और एक दूसरे से बातचीत करने लग जाते है.. बातचीत करते-करते रात हो जाती है और सभी को नींद आ जाती है।
तभी अचानक से आधी रात मे सभी को बहुत जोर की प्यास लगने लगती है।
सभी की आंख एक साथ खुलती है।
लव कुश- “बहुत प्यास लग रही है!”
बुलबुल- “हां मुझे भी!!”
शुगर- “हां हमें भी!”
करमजीत- “प्यास तो मुझे भी लग रही है!
वधिराज- “लेकिन सब लोगों को एक साथ प्यास कैसे लग गयी!”
कर्ण- “वही तो मैं भी सोच रहा हूँ! और आसपास पानी भी दिखाई नही दे रहा!
चिड़िया- “इस वक्त कहीं जाना भी खतरनाक हो सकता है!
और सब इस बात से असमंजस में आ जाते हैं और अचानक उन के सामने एक काली बिल्ली आ जाती है।
बिल्ली- “तुम सभी को प्यास लग रही होगी,, चलो मेरे साथ मुझे पता है कि पानी कहां मिलेगा!”
करन- “लेकिन मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है!”
बुलबुल- “लेकिन करण हमें बहुत जोर की प्यास लग रही है अब क्या करें??,, इस की सुनने के अलावा हमारे पास और कोई चारा भी नहीं है!”
बिल्ली- “मैं भला आप लोगों को क्या कह सकती हूं, मैं सिर्फ सहायता के लिए आई हूं!”
लव- “चलते हैं ना करन!
और करण को मजबूर हो कर सब की बात माननी पड़ती है और सब उस बिल्ली के पीछे जाने को तैयार हो जाते हैं।
बिल्ली- “आओ,, जल्दी करो,,, मुझ पर विश्वास रखो!”
और वह सभी को थोड़ी दूर एक तालाब के पास ले जाती है।
तो क्योंकि सभी को बहुत जोर के प्यास लगी थी इसीलिए वे लोग बिल्कुल भी इंतजार नहीं कर पाते हैं और कुश, लव, टॉबी, शुगर, वधिराज वहाँ पहुंचते ही उस तालाब का पानी पी लेते है।
करन- “अरे!!! रुको!! थोड़ा सा सोच विचार तो कर लेते आप लोग????!!!”
बिल्ली- “अरे डरो मत,,, पानी पी लो, यह पानी शुद्ध और पवित्र है!”
कर्मजीत भी पानी पीने जाता है लेकिन करण उसे पानी पीने नहीं देता। और सुनहरी चिड़िया भी पानी नहीं पीती।
और तभी देखते ही देखते जिन लोगों ने पानी पिया था , वह बेहोश होने लग जाते हैं।
बुलबुल- “ये क्या हो रहा है मुझे!
लव कुश- “बेहोशी आ रही है!”
वधिराज- “हाँ मुझे भी!”
कर्ण- “मैंने कहा था ना कुछ गड़बड़ है !”
करमजीत- “जल्द ही कुछ करना होगा कर्ण!
बिल्ली- “हा हा हा! हा हा हा!”
और अचानक वो सब जमीन और गिर जाते हैं, वो सब एकदम मृत दिखाई देते हैं।
तभी वह काली बिल्ली उसे तालाब में कूद जाती है और उस के कूदने के बाद वहां से एक स्त्री निकलती है।
वह स्त्री वहाँ की रानी थी।
कर्ण- “कौन हो तुम!!”
स्त्री- “हा हा हा! तुम सभी मेरे जाल मे फंस गए हो और अब!! हा हा हा! अब तुम सब को जैसा मैं कहूँगी वैसा ही करना होगा नहीं तो तुम्हारे सारे मित्र मारे जाएंगे!”
करण- “करमजीत और सुनहरी चिड़िया बहुत परेशान हो जाते हैं।
रानी- ” परंतु तुम चिंता मत करो!! तुम चाहो तो अपने इन मित्रों में से एक मित्र को जिंदा कर सकते हो,, और यहां से जा सकते हो!”
करन- “नहीं हम यहां से जा नही सकते हैं…परंतु हम इन में से एक मित्र को जिंदा करना चाहेंगे!”
रानी- “तो किसी जिंदा करना चाहते हो?”
कर्मजीत- “बुलबुल को!”
रानी- “लेकिन एक को जिंदा करने की कीमत होगी कि तुम्हारी मुसीबतें और बढ़ा दी जाएंगी, हा हा हा!”
करमजीत- “ठीक है, हमें मंजूर है!”
और रानी अपने जादू से बुलबुल को जिंदा कर देती है।
करन- “कृपया हमें बताइये हमें अपने बाकी मित्रों को वापस जीवित करने के लिए क्या करना होगा?,, ”
रानी- “मेरी एक प्यारी अंगूठी इस तालाब में कहीं खो गई है,, यदि तुम प्रातः काल होने से पहले मेरी अंगूठी को ढूंढ दोगे तो मैं तुम्हारे सारे मित्रों को वापस जीवित कर दूंगी अन्यथा नहीं करूंगी!”
करन- “ठीक है,, तो हम आप की अंगूठी जरुर ढूंढ कर लाएंगे!”
रानी- “अवश्य,,,परन्तु शर्त ये है कि इस तालाब में एक बार में एक ही व्यक्ति जा सकेगा अन्यथा दूसरे की मौत भी हो सकती है।!”
कर्मजीत- “ठीक है,, हम समझ गए है!”
सुनहरी चिड़िया- “भगवान तुम दोनों की रक्षा करें!”
करन- “जी राजकुमारी!”
तो करमजीत और करण में बातचीत होती है तो निर्णय लिया जाता है कि सब से पहले करमजीत पानी के अंदर जाएगा।
और करमजीत पानी के अंदर जाता है, वह यहां वहां उस अंगूठी की तलाश में लगा रहता है परंतु उसे तो अंगूठी का नामो निशान तक नहीं मिलता।
करमजीत बहुत देर तक पानी के अंदर रहता है।
करमजीत- “लगता है मुझे दिव्य शक्ति मिल गई है जिस के कारण मै इतनी देर पानी के अंदर रह पा रहा हूं.. बहुत-बहुत शुक्रिया मेरे प्रभु!”
और अंगूठी की तलाश में लग जाता है। थोड़ी देर बाद वह तालाब की बाहर निकलता है।
करन (बाहर से)- “क्या हुआ करमजीत, मिल गयी क्या अंगूठी???”
करमजीत अपना सिर ना में हिलाता है जिस से करण समझ जाता है कि उसे अंगूठी नहीं मिली है।
कर्मजीत फिर वापस जाता है लेकिन इस बार उसे बहुत दूरी पर पानी के नीचे एक बक्सा मिलता है।
करमजीत बहुत खुश हो जाता है और उस बक्से के पास जा कर वो उस बक्से को खोलने का प्रयास करता है लेकिन पहले तो वह बक्सा नहीं खुलता है।…
करमजीत- “ये तो खुल ही नही रहा, अब क्या करूँ! हे प्रभु, रक्षा करो!”
फिर अचानक से वह बक्सा अपने आप खुल जाता है जिस मे काले रंग की अंगूठी रखी हुई थी।
वह उस अंगूठी को उठाने के लिए बक्से के अंदर हाथ डालता है लेकिन अचानक से वह बक्सा बंद हो जाता है और करमजीत का हाथ उस के अंदर फंस जाता है।
करमजीत- “आ आहहहह!!!”
और पानी के अंदर ही करमजीत के शरीर से आग निकलने लगती है..
आग से आ रही रोशनी पर बुलबुल की नजर जाती है
बुलबुल- “अरे!! अंदर से तो रौशनी आ रही है!!!…लगता है करमजीत मुसीबत है?”
करन- “लगता है कुछ हुआ है…कर्मजीत क्या हुआ????!”
तभी करमजीत बाहर निकलता है तो सभी लोग देखते हैं कि उस का हाथ कटा हुआ है।
करन ये देख कर बहुत रोने लगता है।
कर्ण- “तुम चिंता मत करो… सब कुछ ठीक हो जाएगा,,,!”
करमजीत (रोते हुए)- “हाँ करन,,, जाओ अब तुम ही कुछ कर सकते हो!”
और करन तालाब के अंदर जाता है और वहीं चिड़िया और बुलबुल करमजीत के हाथ पर एक कपड़ा बांध देती है।
1 घंटे में सुबह होने वाली थी इसलिए करन को जो कुछ भी करना था, जल्द ही करना था।
वह उस बक्से के पास पहुंचता है और समझ जाता है कि इस बक्से में ऐसे ही हाथ नहीं डालना है।
तभी करण अपने जादू से उस अंगूठी को चुटकी बजा कर बक्से से अपने हाथ में लेने का प्रयास करता है परंतु जादू कम नहीं करता है क्योंकि उस वक्त बक्से पर रानी का जादू किया हुआ था।
तभी करण तालाब के बाहर जा कर बुलबुल को धीरे से कुछ कहता है
कर्ण- “तुम रानी का ध्यान भटकाने की कोशिश करो…!”
बुलबुल- “ठीक है करण!!”
और कर्ण वापस तालाब के अंदर जा कर अपनी जादुई शक्ति का प्रयोग करता है। वहीं बुलबुल रानी के सामने अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रही थी
वहीं करन लगातार अपनी शक्ति का प्रयोग कर रहा था, लेकिन अभी तक सफल नही हुआ था
रानी- “हा हा हा! छोटी जादूगरनी, ये सब करना तो मेरे बाएं हाथ का खेल है!”
बुलबुल- “आप तो बहुत महान है रानी जी!! मैं कहाँ और आप कहाँ !!”
इन सब से रानी का ध्यान भटक जाता है।
और अचानक से उस की शक्ति काम कर जाती है और अंगूठी बक्से से निकल कर उसके हाथ में आ जाती है।
करन तालाब के बाहर आकर रानी को अंगूठी देता है।
रानी- “ये तो छल हुआ!!”
करण- “चाहे जो भी हो रानी साहिबा… परंतु आप की अंगूठी तो आप को वापस मिल गई ना!”
इस से रानी बहुत गुस्सा हो जाती है।
रानी- “कोई बात नहीं,,, जो भी हो..जीत तो तुम्हारी ही हुई है…और मै कभी अपने वादे से मुकरती नहीं हूं… !”
और रानी मंत्र पढ़ कर अपने जादू से सब को जिंदा कर देती है और इस के साथ ही कर्मजीत के हाथ को भी वापस ले आती है…
लेकिन रानी बहुत गुस्सा करती है और गुस्से में तालाब के अंदर चली जाती है।
बुलबुल- “अच्छा हुआ,,, सब ठीक हो गया ईश्वर की कृपा से!”
कर्मजीत- “हाँ,,,, बुलबुल , सब से अच्छा तो मेरे लिए ही हुआ है!”
तभी करण भावुक हो कर करमजीत को गले स्व लगा लेता है।
कर्ण- “शुक्र है तुम ठीक हो गए!”
यह देख कर सभी की आंखों में आंसू आ जाते हैं, साथ ही सब मुस्कुरा भी रहे थे कि करमजीत ठीक हो चुका था।