Homeतिलिस्मी कहानियाँ47 – जादुई नारियल | Jadui Nariyal | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

47 – जादुई नारियल | Jadui Nariyal | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि चील रानी के भाई ने करण और उस के मित्रों पर हमला कर दिया था लेकिन अपनी बहादुरी से उन लोगों ने सब को हरा दिया था। लेकिन चील सेना में से एक सैनिक बच गया था जिस ने चालाकी से टॉबी को तीर मार दिया था।

बुलबुल- “वह सैनिक यहां से ज्यादा दूर नहीं गया होगा, मुझे विश्वास है कि हम उसे ढूंढ लेंगे!”

लव- “मुझे एक उपाय सूझ रहा है दोस्तों!”

करन- “कैसा उपाय लव? बताओ”

लव- “हम पहले उसे ढूंढने का प्रयास करते हैं और जब हमें पता चलेगा कि वह कहीं पर छुपा हुआ है तब हम उस के करीब नही जाएंगे, मैं उस के सरदार (चील राजा ) की आवाज निकलूंगा और उसे अपने पास लाने का प्रयास करूंगा!”

वधिराज- “तो ठीक है हमें बहुत सावधानी से इस कार्य को संपन्न करना होगा!”

सुनहरी चिड़िया- “हाँ, वधिराज!”

शुगर- “हाँ,, जल्दी चलो!”

और कुश बेहोश टॉबी को अपनी गोदी में उठा लेता है और अपने दोस्तों के साथ वधिराज की पीठ पर बैठ कर उस सैनिक की तलाश में निकल पड़ता है।

सभी लोग बड़ी ध्यान से यहां वहां देखते रहते हैं और जंगल के सारे रास्ते देखते हुए जाते हैं।

शुगर- “मुझे उस सैनिक की गंध आ रही है,,वो यहीं कहीं होगा!”

वधिराज- “मै यहीं रुक जाता हूँ फिर!”

करमजीत- “हां हमें यहीं उतर जाना चाहिए

करन- “सब लोग शांत रहना, और सब अलग अलग पेड़ों के पीछे छुप कर आगे बढ़ो, नहीं तो वह फिर से भाग जाएगा!”

लव- “ठीक है करण!”

और सभी ऐसा ही करते हैं।

वहीं वो सैनिक बहुत थक जाता है और आराम करने के लिए एक आम के पेड़ के नीचे बैठ जाता है और उसे झपकी लग जाती है।

कुछ ही देर में करण और उस के साथी उसे देख लेते हैं।

लव (उस के सरदार की आवाज में)- “क्या हुआ मूर्ख, तू मेरे कार्य को संपन्न ना कर सका??? उठ जा”

अपने सरदार की आवाज सुन कर वह सैनिक अचानक से घबरा कर नींद से उठ जाता है।

सैनिक- “महाराज आप??? आप जिंदा हैं??? क्या मैं यह कोई सपना देख रहा हूं? कहाँ हैं आप”

कुश- “हाँ, मै ही हूँ,, और यह तू स्वप्न ही देख रहा है,!”

सैनिक-“आप मृत्यु के बाद भी मुझ से बात कर रहे हैं, मैं बहुत प्रसन्न हुआ, मुझे माफ कर दीजिए महाराज!”

कुश- “मैं तुझे देख पा रहा हूँ, लेकिन तू तो झुक ही नही रहा, मूर्ख मैं तेरे सामने ही हूँ, झुक जा मेरे सम्मान में!”

सैनिक- “जी महाराज, माफ कीजियेगा!”

और इतना कह कर वह सैनिक झुक जाता है।

और तभी मौका पा कर सारे दोस्त उसे घेर लेते हैं।

और करण उस की गर्दन पर तलवार रख देता है।

करण- “जल्दी बता…टॉबी कैसे ठीक होगा??”

सैनिक- “नही बताऊंगा!”

करमजीत- “इसे मार दो करण, ये हमारे काम का नही है, हमारे पास और भी उपाय है!”

चिड़िया (झूठ बोल रही)- “हां करन, उस जादुई बाबा के पास चलेंगे, वो ठीक कर देंगे टॉबी को!”

बुलबुल- “हां करण मार दो!”

करन- “ठीक है!”

तभी करन उसे मारने के लिए तलवार हवा में उठाता है, यह देख सैनिक बहुत डर जाता है और करण के पैर पकड़ लेता है

सैनिक- “नही नही, मुझे मत मारो, माफ कर दो! मुझे टॉबी के ठीक होने का उपाय पता है।

शुगर- “तो जल्दी बोल दुष्ट!””

सैनिक- “गरीलोक नाम की एक जगह है,, वहाँ जाओ,, वहाँ इस का उपाय है,,गरीलोक के राजा ही इसे ठीक कर सकते हैं!”

लव- “लेकिन टॉबी के साथ तूने अच्छा नही किया! तू इतनी आसानी से नही जा सकता”

कुश- “हां इसे सज़ा तो देनी पड़ेगी!”

सैनिक- “नही नही, छोड़ दो मुझे!!”

तभी लव और कुश उसे पेड़ के सहारे एक रस्सी से बांध देते हैं।

लव- “बस इतनी ही सजा है, तेरी!”

कुश- “जब रस्सी खोल ले तो चले जाना यहां से!”

सैनिक- “पर मैं कैसे खोलूंगा!!”

बुलबुल- “वो तू देख, चलो साथियों!!”

सैनिक- “नही ..!!”

और इस के बाद सभी लोग गरिलोक पहुंच जाते हैं। सभी मित्र जब वहां पहुंचते हैं तो देखते हैं कि वहां पर बहुत सारे नारियल के पेड़ लगे हुए हैं और सारे नारियल काफी चमकीले और सुनहरे हैं।

बुलबुल- “अरे यह नारियल है क्या??”

कुश- “ऐसे नारियल तो मैंने कभी नहीं देखे !”

लव- “हां इतने रंग-बिरंगे चमकीले नारियल!!”

करमजीत- “न जाने नारियल है या कुछ और है, दूर ही रहना!”

चिड़िया- “देखो वहां धुंआ उठ रहा है!!

सब के सामने काफी धुआं सा उठने लग जाता है और अचानक उस में से एक आदमी निकलता है।

बुलबुल- “ये कौन है!”

नरेश (हंस कर)- “मैं गरीलोक का राजा हूँ,”बच्चों तुम सब यहां पर क्या कर रहे हो?? क्या काम है तुम्हें यहां?”

सुनहरी चिड़िया (टॉबी को दिखाते हुए)- “देखिए इसे महाराज , हमारी मदद करिए… हमारा मित्र मृत्यु और जीवन के बीच झूल रहा है..!”

राजा- “हां हां क्यों नहीं ,हम आप सब की सहायता अवश्य करेंगे…परंतु कोई भी सहायता यहां पर निशुल्क नहीं मिलती….!”

कर्ण- “आप जो भी कहेंगे हम कर देंगे!”

शुगर- “महाराज कृपया कर के थोड़ा जल्दी करिए… अन्यथा देरी होने पर उस की जान का खतरा हो सकता है!”

राजा- “तुम सब बहुत प्यार हो.. परंतु क्या करें!!… इस लोक के कुछ नियम है जिसे सभी को मानना पड़ता है!”

करमजीत- “ठीक है महाराज आप बताइए कैसे नियम है और हमें क्या करना होगा?”

राजा- “तो चलो मेरे साथ!”

और राजा सभी को एक बड़े से नारियल पेड़ के पास ले जाता है। जिस मे करीब 25 नारियल लगे है।

राजा- “देखो इस पेड़ को..!”

वधिराज- “इस में तो बहुत सारे नारियल लगे हुए हैं!”

राजा- “हाँ,, वो तो है,!”

करन- “हमें क्या करना होगा महाराज?”

राजा- “इन सब नारियल में से एक नारियल ऐसा है, जिस में पवित्र रस भरा हुआ है। अगर उस रस को तुम्हारे दोस्त के घाव में लगा दिया जाए तो वह फिर से जीवित हो जाएगा… परंतु इस पर भी एक शर्त है!”

शुगर- “जल्दी बताइये न!”

राजा- “शर्त यह है कि उस नारियल को ढूंढने के केवल आप को 2 ही मौके मिलेंगे… अर्थात दो मौकों में ही आप को वह मुख्य नारियल को ढूंढना होगा!”

करमजीत- “महाराज यह तो बहुत कठिन कार्य है!”

राजा- “हाँ, परंतु इस मे मैं कुछ नहीं कर सकता, ये यहां का नियम है !”

सभी मित्र एक दूसरे की ओर देखते हैं और थोड़े से परेशान हो जाते हैं क्योंकि यहां पर सिर्फ दो बार ही मौका मिल रहा था।

करन- “कर्मजीत,, पहला चुनाव तुम करो, कौन सा नारियल लग रहा है तुम्हे!”

कर्मजीत- “ठीक है करण! थोड़ा देखने दो

और करमजीत उन नारियल में से एक नारियल का चुनाव करता है।

करमजीत (एक नारियल की तरफ इशारा)-“वो वाला!!”

राजा- “तो चलो ठीक है, इस नारियल को खोल कर देखते हैं!”

राजा अपनी उंगली घुमाता है और वह नारियल अपने आप टूट कर उस के बाये हाथ में आ जाता है।

तब राजा अपने दाएं हाथ को गोल-गोल घूमता है और मंत्र बोलता है

राजा- “ओ मेरी प्यारे नारियल…खुल जा खुल जा!”

और उस के बाद नारियल खुल जाता है परंतु वह पवित्र जल उस के अंदर नहीं होता है।

शुगर- “अरे,,ये क्या,!!!!”

चिड़िया- “तुम परेशान मत हो शुगर,, तुम देखना दूसरा नारियल जरूर वही होगा!”

राजा- “हां हां क्यों नहीं चिड़िया,, तुम जितनी सुंदर हो , तुम्हारी बातें भी उतनी ही सुंदर है परंतु देखना यह है कि क्या तुम्हारी यह बात सच होगी.. हा हा हा हा!”

वधिराज- “तो करन,, अब नारियल का चुनाव कौन करेगा?”

करन- “कुछ समझ नहीं आ रहा, हमारे पास बस एक ही मौका है,,टॉबी को वापस जीवित करने का,!”

बुलबुल- “हाँ करन,, मैं तो ईश्वर से दुआ कर रही हूं कि अगला नारियल वही नारियल हो!”

और इस तरह सारे दोस्त परेशान रहते हैं और यह सोचने में समय व्यतीत करते हैं कि आखिर अब नारियल का चुनाव कौन करेगा।

राजा- “अरे क्या हुआ बच्चों?? इतना समय नहीं है मेरे पास… इतना समय आप नहीं ले सकते, यह नियम के खिलाफ है!”

कुश- “महाराज हम पर दया करिए!”

राजा- “पुत्र!!.. मैं तुम सब पर दया ही कर रहा हूं, मैं इतना समय किसी को नहीं देता परंतु तुम सब पर दया कर के ही मैं इतना समय तुम सब को दे रहा हूं!”

चिड़िया- “आप का बहुत-बहुत शुक्रिया महाराज, परंतु हम पर थोड़ी सी दया और दिखाएं!”

राजा- “ठीक है मैं आप सभी को थोड़ा और समय देता हूं…सोच लो… हा हा हा हा!”

चिड़िया- “करन.. कोई उपाय सूझा तुम्हें? कुछ सोचो।”

लेकिन करन थोड़ी देर के लिए एकदम चुप रहता है ,वह किसी के भी प्रश्नों का उत्तर नहीं देता है।

सुनहरी चिड़िया- “क्या हुआ करण! तुम ठीक तो हो ना, तुम मेरे प्रश्नों का जवाब क्यों नहीं दे रहे?”

कर्मजीत- “राजकुमारी जी, लगता है करण किसी गहरे चिंतन में है!”

वधिराज- “हाँ,, उसे सोचने दीजिए!”

और तभी करण एकटक राजा को देखता ही रहता है और राजा भी सोचने लगते हैं कि आखिर करण ऐसा क्यों कर रहा है।

राजा- “अरे पुत्र क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना?”

बुलबुल- “ये क्या हो रहा है करण को!”

लेकिन करण कुछ नहीं बोलता।

वो बस चुपचाप वहां पर खड़ा रहता है लेकिन थोड़ी देर बाद वह राजा को देख कर मुस्कुराता है और राजा भी उसे देख कर बहुत हंसता हैं।

राजा- “लगता है पुत्र , तुम बहुत गहरी रणनीति बना रहे हो.. अच्छा है अच्छा है…तुम्हारी भलाई के लिए है!”

वधिराज-“मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा करण क्या कर रहा है।

लव कुश- “हां हमे भी!”

और तभी करण उस नारियल के पेड़ की तरफ देखता है और एक नारियल की तरफ इशारा करता है।

राजा- “ठीक है, तो तुम ने इस नारियल को चुना है , अभी खोल कर देखते हैं!”

तो राजा फिर से नारियल ले लर अपना हाथ घूमता है और मंत्र बोलता है ।

राजा- “ओ मेरे प्यारी नारियल.. खुल जा खुल जा!”

शुगर- “हे ईश्वर, कृपा करना!”

और वह नारियल अपने आप ही खुल जाता है जिस के बाद पता चलता है कि उस नारियल में जल है यानि कि वही पवित्र जल।

राजा- “तुम सभी को बधाई हो, यह वही पवित्र जल है!”

शुगर- “तो जल्दी से इसे ठीक कर दीजिए!”

और यह सुन कर सभी मे आशा की किरण जग जाती है! सब बहुत खुश थे, पर काम अभी अधूरा था।

तब राजा अपनी आंखें बंद करते हैं और मन ही मन कुछ मंत्र पढ़ते हैं जिस के बाद टॉबी के शरीर में लगा हुआ तीर बाहर निकल जाता है।

लव- “वाह, देखो काम बन रहा है!”

बुलबुल- “हां लव, अब हमारा टॉबी ठीक हो जाएगा!”

तब राजा अपने हाथ से पवित्र पानी को नारियल से निकाल कर उस के घाव पर छिड़क देते हैं, जिस के बाद एक चमकदार रोशनी उत्पन्न होती है और फिर टॉबी जीवित हो जाता है।

यह देख कर शुगर बहुत खुश होती है और खुशी के मारे उछलने लगती हैं और टॉबी को गले लगा लेती है।

राजा- “इन का प्रेम तो वाकई में अद्भुत है!”

चिड़िया- “हां महाराज यह तो है ही!”

राजा- “अच्छा करण! यह बताओ कि तुम्हें कैसे पता चला कि इस नारियल के अंदर ही वही पवित्र जल है?”

करण- “महाराज! मै बहुत देर से आप के हाव-भाव का अवलोकन कर रहा था… बड़े गौर से अवलोकन करने के बाद मुझे पता चला कि आप की नजर एक नारियल पर बार-बार जा रही है,, यह कार्य मुश्किल था…परंतु मैंनें प्रयास किया और जान लिया कि आप बार-बार किस नारियल की तरफ देख रहे हैं!”

राजा- “वाह बच्चे, बहुत समझदार हो तुम!”

राजा करण की इस चतुराई पर बहुत प्रसन्न होते हैं और उसे गले लगा लेते हैं।

खैर टॉबी तो ठीक हो गया था लेकिन अगली मुसीबत उन का इतंजार कर रही है।
देखते रहिए अगले एपिसोड में क्या होता है करण और उस के मित्रों के साथ

 

 

 

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