44 – जादुई मुक़ाबला | Jadui Muqabla | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि कहानी में एक सरदार जी की एंट्री होती है जो करण और उस के मित्रों को बचा लेते हैं और उन की सहायता भी करते हैं। गांव में सभी लोग अजीब हो गए थे लेकिन सरदार जी की सहायता और करण की सूझ बूझ से समस्या का समाधान हो चुका था और सभी लोग अब ठीक हो चुके थे।
गांव के सभी लोगों को सच्चाई बताई जाती है जिसे सुन कर गांव वासी बहुत ही ज्यादा आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
और सभी लोग करण , सरदार जी और उस की पत्नी का शुक्रिया अदा करते हैं।
गांव वासी 1- “हमें नही पता हम क्या कर रहे थे, लेकिन आप की वजह से आज हम सब बच गए हैं!”
गांव वासी 2- “हां आप का बहुत बहुत धन्यवाद!”
गांव वासी 3- “हम आप के आभारी रहेंगे हमेशा!”
बुलबुल- “देखा! गांव वाले आप के अहसानमंद है, आप ने ही उन्हें बचाया है!”
सुनीता- “अजी कोई नहीं जी कद्दू काट के! ओ तां हमारा फर्ज सी जी..!”
यह सुन कर सब हंसने लगते हैं। और सभी खूब बातें करते हैं, जिस में काफी वक्त निकल जाता है।
लव की माँ- “चलो बच्चों ! बहुत देर हो गई है, तुम सभी लोगों को भूख लगी होगी.. चलो मैं पूरी और हलवा बना कर लाती हूं!”
करन की माँ- “हां बहन चलो.. मैं भी आप की सहायता करवा देती हूं!”
सुनीता- “हाँ हम भी आते हैं, कद्दू काट के!”
बुलबुल की माँ- “लेकिन बहन जी.. कद्दू नहीं बन रहा है, हम तो हलवा पूरी बनाएंगे!”
सरदार जी- “अरे नई जी नई, ए तो इन का बोलने का अंदाज है…शेर से पंगा और तजिंदर से दंगा महंगा पड़ता है!”
कर्मजीत की माँ- “हां जी हम भी सभी के लिए खीर बनाएंगे.. इतनी बड़ी बला टली है, इस का तो जशन होना ही चाहिए!”
बुलबुल के पापा- “हां भाभी जी, यह तो आप बिल्कुल सही कह रही हैं, आज सभी गांव वासी मिल कर जश्न मनाएंगे और हलवा पुरी और खीर खाएंगे!”
करण की माँ- “चलो सब लोग जितना बन पड़ता है, अपने घर से राशन ले आओ, हम सब मिल कर एक साथ बबनाएंगे, सब गांव वालों के लिए!”
टॉबी यह सुन कर बहुत खुश हो जाता है और खुशी से उछलने लगता है।
टॉबी- “अ हा, आज तो बहुत ही आनंद आने वाला है! हलवा पूरी खीर, वाह वाह”
तजिन्दर- “हां हां बिल्कुल, सानू वी मजा आऊगा खा के!’
यह देख कर शुगर भी उस के साथ उछलने लगती है।
शुगर- “हाँ टॉबी,मुझे तो अभी से ही बहुत मजा आ रहा है, !”
तो सभी गांव वासी अपने घर से जितना हो सके उतना राशन लाते हैं और एक जगह मिल कर ढेर सारा खाना बनाते हैं।
वहीं गांव के वासी काफी खुश थे….सभी लोग खाना बनने के बाद साथ में भोजन भी करते हैं।
लव- “आज तो दिन ही बन गया, इतना स्वादिष्ट भोजन!”
कुश- “ऐसा लग रहा है जीवन मे पहली बार अच्छा खाना मिला है, हा हा हा!!”
वधिराज- “तुम सब का तो पता नही लेकिन मैंने तो पहली बार ही इतनी सारी मांओं के हाथ से बना खाना खाया है, बहुत ही अच्छा है!”
करमजीत- “मां के हाथ मे तो जादू होता है!”
करण- “हा हा हा, सही कहते हो करमजीत!”
और इस प्रकार वो दिन सब के लिए काफी अच्छा जाता है
तजिन्दर- “जी हुन हो गयी पेट पूजा, हुन करना काम दूजा!”
सुनीता- “चलो जी, थोड़ा घुम फिर के आंदे हां जी, पेट फुल गया है खा के, ते गांव वी देखना है मेनू !”
तजिन्दर और सुनीता घूमने निकल जाते हैं, पर वापस नही आते। वहीं रात में करण और उस के साथी सब एक साथ सोते हैं।
लेकिन अगले दिन सारी खुशी तो मानो खत्म होने वाली थी।
सुबह के वक्त करण और उस के सभी साथी सो रहे थे। लेकिन बाहर शोर मचा था।
गांव की एक औरत- “भागो, भागो, जल्दी!”
गांव का एक आदमी- “बचो, इस से, मार देगा ये हमें!”
दूसरी औरत (रोते हुये)- “छोड़ दे मेरे बच्चे की, कोई बचाओ, बचाओ!”
शोर से अचानक करन की आंख खुल जाती है और बाहर से आती हुई आवाजें सुन कर वो घबरा जाता है और अपने सभी साथियों को उठाता है।
करण- “जल्दी उठो सब, बाहर शोर हो रहा है!”
लव- “ओह हो, अब ये सुबह सुबह क्यों इतना शोर हो रहा!”
करमजीत- “जल्दी चलो, लग रहा है कि बाहर बहुत मुसीबत आन पड़ी है!’
जैसे ही वो बाहर निकलता है तो वह देखता है कि एक बड़े से चमगादड़ ने 10 साल के बच्चे को आसमान में उड़ा रखा है और वह उसे नीचे गिराने वाला है।
एक औरत (रोते हुए)-“छोड़ दे मेरे बच्चे को, हे भगवान, बचा लो कोई!”
करण- “ऐसा मत करो… आखिर तुम कौन हो और क्या चाहते हो?”
चमगादड़ (एक स्त्री की आवाज में)- “मैं किसी को जिंदा नहीं छोडूंगी ! सब मरेंगे, सब”
और उस की आवाज से करण को पता चल जाता है कि वह एक मादा है।
और थोड़ी देर में वह उस बच्चे को नीचे गिरा देती है ।
औरत / बच्चे की माँ-“नही~~~नही~~~!!”
करण- “करमजीत~~~~ जल्दी जाओ, सम्भालो बच्चे को!!”
तभी करमजीत एक चुटकी बजाता है और चुटकी बजाने से वह उस बालक के पास तुरंत पहुंच जाता है और उसे गिरने से बचा लेता है और इस से बच्चे की जान बच जाती है।
करण- “मैं तुझे छोडूंगा नही!”
बुलबुल- “रुक जाओ कर्ण!!”
तभी करण गुस्से में उस के पास जाने लगता है, लेकिन वो चमगादड़ वहां से गायब हो जाती है।
चिड़िया- “ये क्या हो रहा है?, तुम ठीक तो हो ना करमजीत! करन!”
करन- “हाँ राजकुमारी,.. हम ठीक हैं,!”
और तभी अचानक आसमान में काले बादल छाने लगते हैं और दिन में भी अंधेरा होने लगता है। गांव के लोग डर जाते हैं।
लव कुश- “अब ये क्या हो रहा है, इतना भयानक मौसम!”
बुलबुल- “सम्भल जाओ साथियों, कुछ गड़बड़ होने वाली है!”
वधिराज- “हां! लगता है ये किसी बड़ी मुसीबत के आने का संकेत है!”
करमजीत- “हमे सावधान रहना होगा, बादल घने होते जा रहे हैं!”
और तभी उन बादलों से अजीब अजीब भयानक आवाज आने लगती है… ऐसा लग रहा था जैसे कोई जोर-जोर से चीख रहा हो और रो रहा हो…।
लव- “ये इतनी डरावनी आवाजें इन बादलों में से आ रही है क्या!!”
चिड़िया- “हां लव, ये कोई साधारण बादल नही है, करण !! गांव वालों को चौकन्ना कर दो! उन्हें बोलो कि छुप जाएं!”
करण- “ठीक है राजकुमारी जी!”
तो करण जल्दी से एक ऊंचे चबूतरे पर चढ़ जाता है और सभी गांव वालों को आगाह करता है।
करन (गाँव वालों से)- “आप सभी लोग कृपया कर के घर के अंदर चले जाइये। क्योंकि यह बहुत खतरनाक हो सकता है!, जल्दी जाओ और अपना अपना ध्यान रखिएगा!”
तभी सभी गांव वाले अपने-अपने घर के अंदर जाने लगते हैं लेकिन सब के जाने से पहले ही अचानक से बादलों से बहुत सारी मादा चमगादड़ बाहर आने लग जातीं है, वे जोर-जोर से शोर मचा रही थी और हंस भी रही थी।
बुलबुल- “इतनी सारी चमगादड़, हमारी तरफ आ रही है!”
लव- “लेकिन गांव के लोग और कुछ बच्चे तो अभी तक बाहर ही हैं!”
कुश- “जल्दी छुप जाओ सब!”
करमजीत- “वधिराज, गांव के बच्चों को बचाओ!!”
वहीं वधिराज सारे बच्चों को उन के घर के अंदर कर देता है, लेकिन चमगादड़ मौका पा कर बड़े-बड़े लोगों को आसमान में उड़ा कर ले जाती है और उन्हें नीचे फेंकने लग जाती हैं और इस प्रकार करीब 2 – 3 लोगों बुरी तरह घायल हो जाते हैं।
चिड़िया- “ये सब तो जानलेवा हो रहा है! करण कुछ करो, लोग घायल हो रहे हैं!”
बुलबुल- “अभी इन को पत्थर बना दूँगी!”
लव- “पर तुम उन्हें छू नहीं सकती, वो बहुत ऊपर है!”
तभी तजिन्दर और सुनीता वहां तीर कमान के साथ भागते हुए आते हैं और तीरों से उन पर हमला करने लग जाते हैं।
जिस से कुछ चमगादड़ मर कर गिरने लगती हैं।
सरदार जी (गुस्से में)-“शेर से पंगा और तजिंदर से दंगा महंगा पड़ता है, जिंदा नहीं छोड़ूगा तुम चमचेडों को”
सुनीता- “हाँ जी, कद्दू काट के, जल्दी करो जी!!”
वहीं करन की माँ तो ये सब देख कर बेहोश हो जाती है, और उन्हें बेहोश देख कर एक चमगादड़ उस के पास आती है और उसे उठाने ही वाली होती है कि तभी वहां पर बुलबुल तलवार ले कर आ जाती है और उस चमगादड़ से लड़ने लग जाती है!
बुलबुल- “दूर हट जा, वरना मारी जाएगी, काट दूँगी तुझे,!”
चमगादड़ (हंस कर)- “अच्छा.. तो एक बच्ची मुझ से लड़ना चाहती है हा हा हा!.. तुझे तो मैं चींटी की तरह मसल दूंगी.”
बुलबुल कुछ नहीं बोलती और तुरंत उस पर हमला कर देती है.. चमगादड़ को पता था कि इन सभी बच्चों में दिव्य शक्ति है इसलिए वह समझ जाती है कि बुलबुल की उंगलियों में शक्ति है…
चमगादड़- “हा हा हा, मुझे पता है तू मुझे छूना चाहती है, पर मैं तेरे हाथ नहीं आऊंगी!! मैं तेरी शक्ति से वाकिफ हूँ”
बुलबुल अपनी उंगली से उसे छूने का प्रयास कर रही होती है ताकि वह पत्थर में बदल जाए।
लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा था…
शुगर- “टॉबी जाओ जल्दी, वो चमगादड़ अभी बुलबुल से लड़ने में व्यस्त हैं, तुम जाओ, उसे काट लो!”
टॉबी- “हां शुगर, अभी जाता हूँ!”
बुलबुल अपनी तलवार से उस के पंखों को काटने का प्रयास कर रही थी।
लेकिन चमगादड बार-बार उस से बच रही थी।
कि तभी टॉबी पीछे से आता है और उस चमकादड के पैरों में काट लेता है।
बुलबुल- “शाबाश टॉबी!!, शाबाश!! अब बताती हूँ तुझे!”
और मौका पा कर बुलबुल उस के हाथ को पकड़ लेती है जिस से वह चमगादड़ पत्थर में बदल जाती है।
बुलबुल- “लव, कुश, जल्दी करण की माँ को ले कर घर के अंदर जाओ, वरना और चमगादड़ यहां आ जाएंगी!”
तो लव कुश, मिल कर करण की मां को ले कर अंदर जाते है।
वहीं टॉबी और शुगर घर के बाहर खड़े थे ताकि कोई भी चमगादड़ घर के अंदर ना जा पाए!
टॉबी- “देखो तो करमजीत कितनी बहादुरी से लड़ रहा है और करण भी !”
शुगर- “हां लेकिन ये चमगादड़ तो कम ही नही हो रही!!”
करमजीत भी अपनी जादुई शक्ति का इस्तेमाल कर के उन सभी के पंखों को जला रहा था…।
लेकिन चमगादड़ बहुत ज्यादा थी इसीलिए उन को इतनी जल्दी हराना इतना आसान नहीं था।
और तभी कुछ घंटो बाद चमगादड़ की रानी को काफी गुस्सा आने लगता है क्योंकि उस के बहुत सारे सैनिक मर रहे थे…।
चमगादड़ रानी- “सब को मार डालो, सब को उठा कर गिरा दो नीचे, कोई ना बचे!”
वधिराज- “तू अपने उद्देश्य में कभी सफल नही होगी!”
तभी अचानक से आसमान की दूसरी तरफ से एक और सेना वहाँ आ रही थी।
ये सेना थी चील रानी की…. जो कि चमगादड़ रानी की दुश्मन थी।
बुलबुल- “वो देखो ऊपर, ये क्या है!”
लव- “ये चमगादड़ तो नही लगते!”
वधिराज- “ये तो चील रानी की सेना है!!”
चमगादड़ रानी- “सैनिकों!!… लगता है यह चील सेना हमारा खात्मा करने आए हैं!”
एक चमगादड़- “हाँ, इन्हें पता चल गया होगा कि यहां पर युद्ध हो रहा है और यह लोग मौके का फायदा उठा कर हमें हराने आ गए हैं.. अब क्या होगा महारानी?!”
और तभी चील रानी की सेना चमगादड़ की सेना को मार गिराने लगती है….।
करन बात को समझ जाता है और चमगादड़ की रानी के पास जाता है!
करण- “आप चिंता मत करो महारानी, आप चील सेना से युद्ध करो…हम आप के साथ है…!”
यह सुन कर चमगादड़ रानी हैरान हो जाती है और करण से पूछती है।
चमगादड़ रानी- “हम ने तुम सब के साथ इतना बुरा किया और तब भी तुम हमारी सहायता करने के लिए राजी है, कितने अच्छे हैं इंसान
तभी करन सभी दोस्तों को इशारा करता हैं और उस के सारे दोस्त चील की सेना का सर्वनाश करने लगतें है।
क्यूंकि चील की सेना ज्यादा नहीं थी तो उन्हें कुछ ही घंटों में मार गिरा दिया जाता है।
वहीं चील की रानी अपनी सेना को हारता हुआ देख कर वहां से भाग जाती है।
चमगादड की रानी फिर करण का शुक्रिया अदा करती है।
पर कर्ण ने ऐसा क्यों किया था, ये जानने के लिए आगे भी बने रहिये इस रोमांचक सफर में हमारे साथ ।