Homeतिलिस्मी कहानियाँ35 – नागिन का अंत | Naagin ka Ant | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

35 – नागिन का अंत | Naagin ka Ant | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि उन 3 जादूगरों का जादू करण और उस के बाकी मित्रों की सूझ-बूझ और बुद्धिमत्ता से टूट गया था। करण और उस के साथी पूछते पूछते उस पेड़ के पास पहुंच चुके थे, जहां पर उन 3 जादूगरों ने अपनी मूर्तियाँ रखी हुई थी, जिस मे उन की जादुई ताकत बसी थी। वहीं करण और सभी को परेशानियों का सामना तो करना पड़ा परंतु आखिर में जीत उन की ही हुई।

मूर्तियां टूटने के साथ-साथ उन जादूगरों का सारा जादू भी खत्म हो जाता है और वह गुस्से में चिल्लाते हैं।

जादूगर लड़की 1- “यह क्या?? हमारा तो जादू ही खत्म हो गया!”

जादूगर लड़की 2- “हां अब हम क्या करेंगे ??”

जादूगर लड़का- “उन लोगों ने मूर्तियां तोड़ दी है अब हम कुछ नहीं कर पाएंगे!”

तीनों जादूगर मायूस हो जाते हैं।
वहीं करण और उस के सारे साथी काफी खुश थे क्योंकि वह मौत के मुंह से बच निकले थे

चिड़िया- “भगवान का बहुत-बहुत शुक्र है जो हम सब बच गए,, और हम ने राजा के राज्य को भी उन जादूगरों से बचा लिया!”

कुश- “परंतु हमें अब जल्दी चलना होगा क्योंकि राजा की जान को खतरा हो सकता है!”

वधिराज- “हां मित्रों जल्दी चलो यहाँ से !”

सभी लोग वहां से निकल जाते हैं और कुछ घंटों में राज्य में पहुंच जाते हैं।

बुलबुल- “राज्य में तो बहुत सन्नाटा छाया हुआ है!”

लव- “हमें जल्दी से महल में जा कर देखना होगा!”

सभी अंदर जाते हैं और देखते हैं कि सारा महल सुनसान पड़ा है, आसपास लोग भी दिखाई नहीं दे रहे हैं सिवाय दो द्वारपालों के।

टॉबी- “अरे यहां पर तो इन 2 द्वारपालों के अलावा कोई और है ही नहीं!”

शुगर- “मुझे तो कुछ गड़बड़ लग रही है!”

तो सभी लोग अंदर जाते हैं तो देखते हैं कि राजा को बंधक बना लिया गया है।

चिड़िया- “महाराजा आप की यह हालत आखिर किस ने की?”

और इतना कह कर चिड़िया आगे बढ़ने लगती है कि तभी अचानक से एक तीर उड़ कर उस की तरफ आता है लेकिन वह बच जाती है।

करण- “राजकुमारी जी, बच कर?”

करमजीत- “उस तरफ देखो करण, सभी सैनिक हमारी ओर ही आ रहे हैं!”

सब लोग अपने बायीं ओर देखते हैं , वहां पर बहुत सारे सैनिक उन की तरफ आ जाते हैं

वे सभी अपनी तलवारें उन की तरफ कर लेते हैं।

लव- “परंतु इन जादूगरों का जादू तो समाप्त हो चुका था ना???,,”

तभी तीनों जादूगर एक अंधेरे से निकलते हैं और जोर-जोर से हंसने लगते हैं।

जादूगर लड़की 1- “तुम सभी ने हमारा जादू अवश्य खत्म कर दिया है परंतु यह सारे सैनिक हमारा कहना मानेंगे क्योंकि अब हम इन के राजा है,!”

जादूगर लड़की 2- “तो देरी किस बात की, खत्म कर डालो इन सभी को!”

और अपने मालिक का यह आदेश सुन कर सभी सैनिक उन सभी को मारने के लिए आगे बढ़ते हैं।

करण- “सभी साथियों अपनी अपनी तलवारें निकाल लो और लड़ो इन से!”

वधिराज- “अब लड़ने के सिवा कोई और चारा भी नहीं है!”

सभी मिल कर उन सैनिकों का सामना करने लगते हैं..

जादूगर लड़का- ” हा हा हा! इन सब को जिंदा मत छोड़ना,, मार डालो सब को!”

वहीं करण सैनिकों से लड़ रहा है और उन्हें समझा भी रहा है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।

करण- “सैनिकों!! यह तीनों जादूगर बहुत बुरे हैं इन की बात मत मानो! मत लड़ो हम से!”

करमजीत (लड़ते हुए)- “हां सैनिको हम से मत लड़ो , यह राजा बनने के लायक नहीं है !”

लेकिन कोई भी उन की बातों को मान नहीं रहा था, क्योंकि उन 3 जादूगर ने इन सैनिकों को अपनी बातों में फसा लिया था।

बुलबुल- “लगता है इन लोगों ने सैनिकों को अपनी बातों के जाल में फंसा लिया है!”

लव- “हां तभी तो यह हमारी कोई बात नहीं मान रहे !”

कर्मजीत- “यह तुम सब गलत कर रहे हो! तुम सब अपने ही राजा का राज्य बर्बाद कर रहे हो!”

सैनिक (हमला करते हुए)- “चुप हो जा,, अगर कोई राज्य को बर्बाद कर रहा है तो वह सिर्फ तुम लोग हो, जब से तुम लोग यहां पर आए हो तब से राज्य में अशांति फैली हुई है!”

वहीं चिड़िया करण के कंधों पर बैठी हुई है।

राजकुमारी- “करण!! संभल कर!”

करण- “जी राजकुमारी, आप यहीं रहिएगा!”

कुश- “भाई,, मुझे इन सैनिको को मारना अच्छा नहीं लग रहा है!”

लव- “परंतु भाई, हम और कर भी क्या सकते हैं, यह लोग हमारी बात को नहीं समझ रहे हैं!”

और तभी एक सैनिक पीछे से चिड़िया को पकड़ लेता है।

चिड़िया- “करन,मुझे बचाओ.. बचाओ!”

करण- “राजकुमारी जी! छोड़ो इन्हें!!!,”

और वो सैनिक चिड़िया को उठा कर दूर भागने लगता है.. करण का ध्यान भटक जाता है और तभी एक दूसरा सैनिक उस पर पीछे से वार कर देता है जिस से करण की पीठ पर चोट लग जाता है।
तभी बुलबुल उस सैनिक पर वार कर देती है।

बुलबुल- “करण, यह क्या हो गया, तुम ठीक तो हो ना?”

करण- “हां बिल्कुल, मैं बिल्कुल ठीक हूं…. तुम मेरी चिंता मत करो…मुझे राजकुमारी जी को बचाना होगा, उन्हें एक सैनिक पकड़ कर ले गया है!”

बुलबुल- “ठीक है करण तुम जाओ…. राजकुमारी को बचाओ!”

फिर करण उस सैनिक के पास पहुंच जाता है और देखता है कि वह सैनिक चिड़िया की गर्दन काटने वाला है।

करण चुटकी बजाता हैं जिस से चिड़िया उस के हाथ से करण के हाथ में आ जाती है।

और युद्ध काफी देर तक ऐसे ही चलता रहता है।

जादूगरनी 1- ” हमारी सेना तो हार रही है, अब हम क्या करें?”

जादूगरनी 2- ” तुम दोनों चिंता मत करो। मेरे पास एक उपाय हैं!”

जादूगर- “कैसा उपाय?”

जादूगरनी 2 ” हम सब ऊपर बैठ जाएंगे और यहां पर अपने सब से अच्छे पालतू शेर को छोड़ देंगे!”

जादूगर- “अरे हां,, यह तो मैंने सोचा ही नहीं!”

जादूगरनी 1- “जल्दी से कुछ सैनिक यहां पर आओ! जल्दी~~~~!”

तो तीनों जादूगर उस शेर के पिंजरे को उन सैनिकों की सहायता से वहां पर ले आते हैं।

जादूगर- “मैं जल्दी से पिंजरे का दरवाजा खोल दूंगा और हम तीनों वहां ऊपर दूसरी मंजिल पर बैठ जाएंगे!”

जादूगरनी 1- “हां वहां तक शेर पहुंच भी नहीं पाएगा और यह सब मारे जाएंगे!”

जादूगर- “मैंने महल का दरवाजा भी बंद कर दिया है , अब कोई भी कहीं भी नहीं भाग पायेगा!”

जादूगरनी 1- “हा हा हा और हम सब को मरते देखेंगे!”

जादूगरनी 2- “हा हा हा खूब मजा आएगा

तभी जादूगर उस पिंजरे का दरवाजा खोल देता है और जल्दी से वह तीनों दूसरी मंजिल पर जा कर बैठ जाते हैं ।

बुलबुल- “करण!! पीछे देखो शेर है!”

करण पीछे मुड़ता है और देखता है कि शेर उसी की तरफ बढ़ रहा है तभी वह अपनी तलवार से उस पर हमला करता है लेकिन शेर बच जाता है।

शेर को देख कर सारे सैनिक युद्ध छोड़ कर दूर भागने लग जाते हैं।

लव- “महल का दरवाजा भी बंद है, सैनिक कहीं नहीं जा पाएंगे!

कुश- “आज तो लगता है यह शेर हम सब को जिंदा ही खा जाएगा !”

करमजीत- “वधिराज तुम जल्दी से अपना आकार बड़ा कर लो ! करण को तुम्हारी सहायता की जरूरत है!”

तो वधीराज अपना आकार बड़ा कर लेता और वो भी करण की सहायता करने लगता है।

बुलबुल- “सैनिको, यह जिद छोड़ दो, यह तीनों जादूगर बुरे है और यह लोग तुम सब का भला नहीं चाहते… ये सिर्फ अपना ही भला देख रहें है!”

लव- “हाँ, आप सब लोग सच्चाई को देखें,,!”

करमजीत- “उस जादूगर ने महल का दरवाजा भी बंद कर दिया ,वह हम सब की मौत का तमाशा देख रहे हैं!”

टॉबी- “हां उधर देखो ऊपर!!”

तभी सारे सैनिकों ऊपर देखते हैं तो वह तीनों जादूगर खूब हंस रहे थे।
और दूसरी ओर ज़ब वधिराज और करण शेर से लड़ रहे थे तो वहीं बाकी मित्र उन सैनिकों को समझाने लगते हैं।

जादूगर- “इन सब की बातें मत सुनो,, यह लोग विद्रोही हैं.. हमारे राज्य को बर्बाद करने के लिए आए हैं!,

जादूगरनी 1- “मत भूलो कि इन की वजह से उन राजकुमारों की जान गई है.. और इन सब में इन के पिता जी यानी तुम्हारे महाराजा ने इन की सहायता की है।”

सैनिक 1- “परंतु यह सभी तो चाहते हैं कि यह हम पर हमला ना करें और हम बेवजह ही इन सब पर हमला कर रहे हैं!”

सैनिक 2- “हां तुम सही कह रहे हो,, हमें इस युद्ध को रोकना होगा, नहीं तो और भी सेना के जवान बेवजह मारे जाएंगे!!”

और ऐसे ही कुछ सैनिक करण और उस के मित्रों के सहयोग में बोलने लगते हैं…तो तीनों जादूगर बेहद गुस्सा हो जाते हैं।

जादूगरनी 1- ” यह लोग ऐसे नहीं मानेंगे, इन को अभी सबक सिखाती हूं!”

जादूगरनी 2- ” नहीं नहीं ! कुछ मत करना , रुक जाओ!”

जादूगरनी 1- ” नहीं अब मैं नहीं रुकूंगी , इन सब को अपने तीरों से घायल कर दूँगी!”

तभी पहली जादूगरनी को बहुत गुस्सा आता है और वो उन पर तीर छोड़ने लगती है।
जिस से कुछ सैनिक घायल हो जाते हैं

जादूगरनी 2- “यह तुम ने क्या किया?? थोड़ा धैर्य तो रखना चाहिए था,, अब ये लोग हमें खत्म कर देंगे!”

जादूगर- “हाँ,, और अब हम कुछ कर भी नहीं सकते हैं क्योंकि हमारा जादू खत्म हो चुका है!”

लव- “देखा,, आप सब के साथ छल हुआ है सैनिकों,, इन्हे बन्दी बना लो!”

सैनिको- ” हमला साथियों !””

तभी सारे सैनिक मिल कर उन जादूगरों पर हमला करने लगते हैं और आखिरकार उन को पकड़ कर ले आते हैं।

करमजीत- “मुझे इन पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है , इन तीनों के हाथ पैर बांध दो!”

सैनिक- “ठीक है , जाओ कोई रस्सी ले कर आओ!”

और थोड़ी देर में उन तीनों को बांध दिया जाता

वहीं वधिराज ने शेर को भी मार गिराया है….

करण- “बहुत-बहुत शुक्रिया वधिराज!”

वधिराज- “कोई बात नहीं मेरे प्रिय मित्र!”

तभी बुलबुल को एक स्त्री दिखाई देती है। उस स्त्री ने लाल रंग के वस्त्र पहने हुए है और उस के शरीर से एक चमक निकल रही है,, उस के माथे पर तिलक लगा हुआ है।

बुलबुल (खुद से)- “यह लाल वस्त्रों में स्त्री कौन है और है इतनी मुस्कुरा क्यों रही है!

तभी वह स्त्री बुलबुल को अपने पास बुलाने का इशारा करती है।

बुलबुल- “यह तो मुझे ही बुला रही है , दिखने में तो काफी भली मानस लगती है

बुलबुल उस की आंखों की चमक से सम्मोहित हो जाती है और उस की तरफ बढ़ने लगती है

बुलबुल (अपने हाथों को जोड़ कर)- “आप कौन हैं माता?”

स्त्री- “पुत्री मैं हूं तुम्हारी गुरु माता,, अपने दाएं हाथ को आगे बढ़ाओ!”

बुलबुल हाथ आगे बढ़ाती है।

और वो स्त्री बुलबुल के हाथ के ऊपर हाथ रखती है जिस से एक चमकदार रोशनी निकलती है।

स्त्री- “सदैव विजयी भवः पुत्री!”

बुलबुल उन्हें प्रणाम करती है और वह स्त्री वहां से गायब हो जाती है।

कुश- “अरे तुम यहां क्या कर रही हो बुलबुल… हम तुम्हें कब से बुला रहे हैं.. तुम सुन ही नहीं रही हो!”

बुलबुल- “मुझे यहां एक लाल वस्त्रों में स्त्री दिखाई दी थी, उस ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे आशीर्वाद दिया।

कुश- “अच्छा,, ऐसा तो नहीं कि कहीं तुम्हें भी कोई शक्तियां मिल गई हो!”

बुलबुल- “हो सकता है,,अच्छा चलो अब!”

और वो बाकी मित्रों के पास जाते हैं,वहाँ देखते हैं कि राजा मुक्त हो गए हैं और सब कुछ ठीक हो गया है।

करण और उसके मित्रो की मनोरंजक कहानियो में अब आगे और क्या क्या होगा। देखने के लिए बने रहियेगा हमारे साथ।

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