33 – चार राजकुमार | Chaar Rajkumar | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि किस तरीके से सभी मित्रों ने उस राक्षस की जान बचा ली थी। लेकिन तभी उस के मित्र रकतम ने गांव में तबाही मचाना शुरू कर दिया था ताकि वह करण और उस के दोस्तों से बदला ले सके परंतु राक्षस ने वहाँ आ कर उन की सहायता करी थी और रक्तम को मार दिया था।
राक्षस अपने मित्र को मार कर बहुत दुखी था।
टॉबी- “मित्र, दुखी मत हो। रक्तम ने गलत किया था तो उसे गलत कर्म का दंड मिला!
लव- “हां वो इसी का पात्र था!”
शुगर- “हां, आप ज्यादा दुखी ना हो,, सब कुछ ठीक हो जाएगा!”
कर्मजीत- “हाँ दोस्त, ज्यादा शोक मत मनाओ , माना कि वह आप के मित्र थे परंतु आप को उन के बुरे कर्मों को भी भूलना नही चाहिए!”
करण- “बिल्कुल बुरे कर्म का परिणाम बुरा ही होता है!”
राक्षस- “ठीक है, अब मैं यहाँ से चलता हूँ!”
बहुत समझाने के बाद राक्षस थोड़ा शांत होता है।
और इस के बाद वहां से चला जाता है।
वहीं करण और उस के मित्र भी गांव वालों से अलविदा कह कर वहां से चले जाते हैं। घण्टों चलने के बाद, अचानक करण एक जगह पर रुक जाता है।
करमजीत- “ये करण को क्या हो गया अचानक”
वधिराज- “आज करण काफी दुखी लग रहा है!”
करमजीत- “चलो पूछते हैं क्या बात है!”
बुलबुल- “क्या हुआ करण तुम इतने उदास क्यों हो?”
टॉबी- “वही तो मैं भी देख रहा हूं कि करण काफी देर से बहुत दुखी दिखाई दे रहा है… मुझे पक्का पता है कि करण अपनी मां को याद कर रहा है….है ना करण?”
करण- “हां टॉबी, तुम से अच्छा मुझे कौन समझ सकता है भला!”
टॉबी- “हां करण!”
कर्मजीत- “करण परेशान मत हो.. तुम जल्द ही अपनी माँ से मिलोगे!”
चिड़िया- “हां करन, ये शुभ दिन भी जल्द ही आयेगा”
करण- “आप सब सही कह रहे हो, मुझे इतना परेशान होना नहीं चाहिए! परमुझे बहुत याद आ रही है मां की”
लव (मजाक कर के)- “कहीं करण को भूख तो नही लगी, हा हा हा!! तभी दुखी हैं!”
कुश- “हां जैसे तुम भूखे होने पर दुखी हो जाते हो!”
बुलबुल- “भूख तो मुझे भी लगी है, चलो पेड़ों से फल तोड़ कर खाते हैं!”
सभी मित्र थोड़ा उसी जगह पर रुकते हैं। लव कुश और बुलबुल पेड़ों से फल तोड़ने लगते हैं
तभी वधिराज देखता है कि फलों का रंग बदल रहा है।
वधिराज- “मित्रों इन फलों को मत खाना , मुझे लगता है कि इस में कुछ गड़बड़ है!”
कर्मजीत- “तुम तीनों, जल्दी से इन्हे फेंक दो, ये फल मायावी है!”
तो लव कुश और बुलबुल जल्दी से उन फलों को फेंक देते हैं कि तभी अचानक से जमीन पर गिरे वो फल इंसानो जैसे रूप में बदल जाते हैं।
बुलबुल- “अरे ये तो इंसानो जैसे बन रहे हैं!”
करण- “ये तीनों तो जादूई इंसान है।”
चिड़िया- “इन दोनों लड़कियों की तो नागिन जैसी पूछ है और इन की जीभ भी नागिन जैसी है!”
लव- “इन के साथ ये लड़का भी है। ये यहां क्यों आए हैं, फिर से मुसीबत आ गयी!”
कुश- “इस से अच्छा तो ना ही तोड़ते फल!”
वधिराज- “आखिर कौन हो तुम लोग?”
और तभी सामने से घोड़े पर सवार चार (4) लड़के आते हैं जो कि किसी राज्य के राजकुमार थे।
लव- “अब ये चारों कौन हैं!”
बुलबुल- “ये तो कहीं के राजकुमार लगते हैं!”
राजकुमार1- “वाह!!!… तुम लोगों ने बहुत ही अच्छा काम किया!”
करण- “कौन हैं आप??”
राजकुमार 2- “अभी पता लग जायेगा! हा हा हा”
और अचानक से करण और उस के बाकी मित्र बेहोश हो जाते हैं।
वहीं कुछ घंटों बाद, वधिराज की आंख खुलती है तो वे देखता है कि उन्हें किसी काल कोठरी में बंद कर दिया गया है।
वधिराज- “उठो करण!! करमजीत! देखो यह हम कहां आ गए हैं!”
तभी सभी लोग एक एक करके उठने लगते है।
बुलबुल- “यह सब क्या हो गया, हमारे हाथ पैर क्यों बंधे हुए हैं?”
लव- “यह तो कोई कालकोठरी है!”
करण- “हां हमें बंदी बना लिया गया है !”
करमजीत- “लेकिन हम ने किया क्या है और यह कौन सी जगह है? कुछ भी समझ में नहीं आ रहा!!”
सुनहरी चिड़िया- “मुझे लगता है कि हम किसी राजा के महल में है, तभी बाहर इतने सारे सैनिक खड़े हैं ।
उन की बातों का शोर सुन कर दो सैनिक उन के पास आ जाते हैं।
बुलबुल- “हमें क्यों बंदी बनाया है , जाने दो हमे!”
करण- “आखिर तुम लोग कौन हो और हम से क्या चाहते हो?”
वधिराज- “हमें अपने राजा के पास ले चलो,, हमें यहां से जाना होगा क्योंकि हमें बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करना है!”
लव- “हां हम सब को जाने दो.
कुश- “आखिर हम सब ने क्या किया है जो तुम लोगों ने हमे यहां पर कैद कर लिया है!”
उन की यह बातें सुन कर सारे सैनिक हंसने लगते हैं।
सैनिक 1- “फिक्र मत करो, जल्द ही तुम्हे सब कुछ पता चल जाएगा!”
सैनिक 2- “अब ज्यादा शोर मत मचाओ, अभी यहां से राजा की सवारी निकलने वाली है। चुप रहो!”
करमजीत- “आखिर यह कौन सा राजा है और हम से क्या चाहता है ??”
तभी सामने से राजा की सवारी निकलती है जहां घोड़े पर एक बुड्ढा राजा बैठा होता है जो काफी दुखी लग रहा था
वधिराज- “मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है!”
सुनहरी चिड़िया- “देखो वो राजा तो हमारी तरफ ही देख रहा है!”
बुलबुल- “हां राजकुमारी जी और वह चारों राजकुमार भी उन्हीं के पास खड़े हैं!”
करमजीत- “वह आपस में कुछ बात कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे उन के बीच कोई बहस चल रही है!”
करण- “हां शायद वह राजा हमें यहां देख कर परेशान है इसलिए अपने बेटों से बात कर रहा है!”
करमजीत- “लेकिन उस के बेटे उसे यहां तक आने ही नहीं दे रहे , कुछ तो गड़बड़ है!”
करण- “मैंने एक उपाय सोचा है, आप सभी ने देखा ना उस बूढ़े राजा को, वे काफी परेशान लग रहे थे…देख कर लग रहा था कि वे अपने बेटों के इस निर्णय से परेशान है!”
कर्मजीत- “तो हम यहां से निकलने में उन की सहायता ले सकते हैं!”
लव- “लेकिन ऐसा करना खतरे से खाली नहीं होगा,,आखिर वे उन के पिता है!”
टॉबी- “हाँ,,वही तो!”
करण- “परंतु एक बार हमें प्रयास करना चाहिए!”
करन- “कर्मजीत तुम इस जादुई अंगूठी का इस्तेमाल कर के राजा के पास जाओ और उन से इस के बारे में बात करो और चुपके से वहां से खजानाघर की चाबी ला कर पहले राजकुमार के कमरे में रख देना!”
और इस के बाद करण सभी को आगे की योजना बताता है।
बुलबुल- “लेकिन हमें पहले इस काल कोठरी से बाहर निकलने के लिए कुछ करना होगा!”
करमजीत- “मुझे पता है क्या करना है ,हमें बस इस अंगूठी के जादू से टॉबी को हवा में उड़ाना होगा और जब टॉबी बोलेगा तो यह सैनिक हैरान रह जाएंगे और अंदर देखने जरूर आएंगे!
करण- “हां करमजीत, सही कहते हो तुम !!”
तो करण जादुई अंगूठी का इस्तेमाल कर के टॉबी को हवा में उड़ा देता है
टॉबी- “सैनिकों यहां आओ!!”
तभी दोनों सैनिके पीछे मुड़ कर देखते हैं तो टॉबी हवा में था।
सैनिक 1- “यह है क्या? यह कुत्ता हवा में उड़ कैसे रहा है और यह तो बोल भी रहा है!”
सैनिक 2- “यह कौन सा मायावी कुत्ता है, कुछ तो गड़बड़ है। चलो अंदर जा कर देखते हैं!”
तभी वो सैनी के दरवाजा खोलते हैं और अंदर आ कर देखते हैं। सेनिको के अंदर आते ही करमजीत और करण उन दोनों के सिर पर प्रहार कर के उन्हें बेहोश aaकर देते हैं और सभी कोठरी से बाहर आ जाते हैं।
इस के बाद करमजीत उस जादुई अंगूठी का इस्तेमाल कर के गायब हो जाता है और राजा के कमरे में जाकर खजानाघर की चाबी पहले राजकुमार के पास रख आता है
करमजीत (खुद से)- “अब मैंने चाबी तो रख दी है लेकिन मुझे राजा से इस बारे में बात करनी होगी!”
तो करमजीत वहां से राजा के पास जाता है और खुद को राजा के सामने प्रकट करता है।
करमजीत- “महाराज आप को मेरा प्रणाम!!”
राजा- “तुम यहां?? तुम कोठरी से बाहर कैसे आए??”
करमजीत- “यह सब मैं आप को बाद में बताऊंगा लेकिन हमें बंदी बना कर क्यों लाया गया है? आखिर क्या हो रहा है?/”
राजा- “मैं भी नहीं जानता कि मेरे बेटो ने तुम सब मासूम लोगों को बंदी क्यों बना लिया ??”
करमजीत- “तो राजा जी आप को इस में हमारी मदद करनी होगी मेरे सभी दोस्त बेवजह ही फंस गए हैं!”
राजा- “लेकिन भला मैं क्या कर सकता हूं ! मेरे चारों बेटे मेरी बिल्कुल नहीं सुनते!!”
करमजीत- “मुझे पता है कि हमें क्या करना है , बस मुझे आपका साथ चाहिए!”
राजा- “ठीक है।”
और करन ने जैसा कहा था वैसा ही करमजीत करता है।
उतनी देर में सारे राजकुमारों को पता चल चुका है कि खजाने घर की चाबी पहले राजकुमार के पास है।
राजकुमार 2- “तो लगता है उसे यहाँ का राजा बनना है और पिता जी ने उसे चाबी दे कैसे दी? हम नही दिखे क्या”
राजकुमार 3- “हमें भी यकीन नहीं हो रहा कि पिता जी ऐसा कर सकते हैं! मुझे मिलनी चाहिए थी चाबी”
राजकुमार 4- “तो अब वक्त आ चुका है उसे मारने का,, नहीं तो पिता जी कल उसे ही यहां का राजा घोषित कर देंगे!”
और इतना निर्णय लेने के बाद तीनों राजा पहले राजकुमार को तहखाने के पास बुला लेते हैं।
राजकुमार1- “क्या हुआ भ्राता,, आप सभी ने हमें यहां पर क्यों बुलाया?”
राजकुमार2- “दरअसल हम सब को आप से कोई गुप्त चर्चा करनी है क्योंकि हम जो युद्ध लड़ने जा रहे हैं उस में मिल कर योजना बनाना बहुत ही आवश्यक है।!”
राजकुमार 3- “जी हां और आप को यहां पर बुलाया गया है ताकि हमारी योजना किसी को भी पता ना चल पाए!”
और तीसरा राजकुमार एक नक्शा निकाल कर पहले राजकुमार को दिखाने लगता है!
राजकुमार 3- “यह देखिए, इस नक्शे को ध्यान से देखिए!”
वहीं ज़ब पहले राजकुमार का ध्यान उन सभी की बातों में रहता है और नजर नक्शे में ही रहती है, उसी वक़्त दूसरा और तीसरा राजकुमार उस पर पीछे से वार कर देते हैं और पहला राजकुमार वहीं पर मर जाता है।
सुनहरी चिड़िया- “करण! मुझे आभास हो रहा है यहां कुछ गलत हुआ है!”
करण- “आप चिंता मत कीजिए राजकुमारी जी! मैं राजा के पास ही जा रहा हूं!! कर्मजीत वही होगा!!”
तो करण जल्दी से राजा के पास पहुंचता है
करण- “प्रणाम महाराज, मैं करण हूं। यहां कुछ गलत हो रहा है!”
राजा- “क्या मतलब? और ये तुम्हे कैसे पता ??”
करण- “अभी ये सब समझाने का वक्त नहीं है महाराज!!”
चिड़िया- “हां करण जल्दी से उन राजकुमारों को ढूंढो!”
करण- “महाराज आप के चारों बेटे कहां है ?
राजा- “मुझे नहीं पता वह कहां है!!”
करमजीत- “अब क्या करें करण ! इतने बड़े महल में उन्हें कहां ढूंढेगे??”
करण- “राजकुमारी चिड़िया,,अपनी दिव्य शक्तियों का प्रयोग कीजिए..और हमें बताइए कि आखिर वो लोग कहां हो सकते हैं?”
तभी चिड़िया आंखों को बंद करती है और उसे आभास होता है कि वे लोग तहखाने मे हैं
चिड़िया- “वो लोग तहखाने के पास है।
वधिराज- “जल्दी से चलो तहखाने के पास !”
ढूंढते ढूंढते वे लोग तहखाने तक पहुंच जाते हैं लेकिन जब वहां पहुंचते हैं तो देखते हैं कि दोनों छोटे राजकुमार जिन्दा है… और एक दूसरे से तलवार से लड़ रहे हैं… और दोनों बड़े राजकुमार मृत जमीन पर पड़े हुए हैं।
करण, वधिराज और कर्मजीत तीनो मिल कर उन दोनों राजकुमार को पकड़ लेते हैं।
राजा- “आज तुम लोग संपत्ति और राजा बनने के लालच में अपने ही सगे भाइयों को मार सकते हो, तो तुम दोनों मुझे भी मार सकते हो,, मैं आज और अभी निर्णय लेता हूं कि तुम में से कोई भी यहां का राजा नहीं बनेगा और अगर कोई राजा बनेगा तो वह मेरा प्रिय सेनापति रघु प्रताप ही बनेगा!”
थोड़ी देर में वहां सैनिक आते हैं और दोनों को पकड़ लिया जाता है।
करण (राजा का पैर छू कर)- “महाराज!! हम बहुत ही खुश किस्मत हैं जो आप ने हमारी बात मानी !”
राजा- “कोई बात नहीं पुत्र… हो सकता है कि ईश्वर ने ही तुम लोगों को मेरे पास भेजा हो, ताकि मै अच्छे और बुरे में फर्क जान सकूँ!”
करण और उसके दोस्तों के इस मज़ेदार सफर में आगे भी बने रहिएगा हमारे साथ।