Homeतिलिस्मी कहानियाँ31 – राक्षस का हमला | Rakshas ka Hamla | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

31 – राक्षस का हमला | Rakshas ka Hamla | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि किस तरीके से करण और उस के बाकी मित्रों ने पूरे गांव वालों को बचाया था। वहीं सारे गांव वालों को पता चल चुका था कि करण और उस के मित्र अच्छे इंसान हैं। साथ ही सब कुछ ठीक हो जाने के बाद गांव वाले करण और बाकी लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं।

आदमी1- “बच्चों आप सभी ने हमारी सहायता कर के हम पर बहुत बड़ी कृपा कर दी!”

आदमी 2- ” हाँ बच्चों, हम गांव वासी आप सब के शुक्रगुजार रहेंगे!”

बुलबुल- “आप ऐसा मत कहिए, हम सभी ने जो भी किया वो हमारा कर्तव्य था!”

औरत 1- “अभी तो इस गांव की सब से बड़ी मुसीबत का खात्मा ही नहीं हुआ है!

औरत 2- “हां उस ने तो हमारा जीना मुश्किल कर रखा है लेकिन उस का कोई हल नहीं है!”

करण- “अच्छा तो यह बताइए कि आप को इतना कौन परेशान करता है? ऐसा कौन है जो आप सभी का जीना मुश्किल कर रहा है?”

औरत1- “बच्चों, क्या बताएं कुछ समय से हमारे गांव वालों का जीना बिल्कुल मुश्किल हो गया है, एक राक्षस है जो हमारे गांव में हर महीने आता है और तबाही कर के चला जाता है!”

लव- “अच्छा अम्मा…पर वो यहां आ कर ऐसा क्या करता है?”

औरत 2- ” बेटा वह हर महीने हमारे गांव में आता है और, अपनी शक्ति से गांव के बहुत से लोगों को अपने मुंह के अंदर खींच लेता है। वह कोई साधारण राक्षस नहीं बल्कि बेहद ही खतरनाक है…

औरत 3- “हां उस के मुंह से एक भयानक तेज हवा निकलती है जिस से सभी लोग खींच कर उस के मुंह के अंदर चले जाते हैं। ”

शुगर- “हे भगवान! ये कैसी शक्ति है उस के पास”

औरत 1- “हाँ बेटा, उस की शक्ति इतनी तेज है कि हमारे गांव में तूफान सा छा जाता है और वह सब लोगों को अपने मुंह की तरफ खींचने लगता हैं….!”

औरत 2- “अब दो दिन बाद फिर से एक महीना पूरा होने वाला है और वह दुष्ट फिर से हमारे गांव में आ जाएगा।”

आदमी 1- “हे प्रभु हमारी रक्षा करना, मुझे तो बहुत ही डर लग रहा है, न जाने अब कितनों की जान फिर से जाने वाली है!”

आदमी 2- “हाँ भाई बहुत ही डर लग रहा है!”

वधिराज- “आप सभी परेशान ना हो, हम सब यहां पर हैं ना!… हम आप सब की सहायता अवश्य करेंगे और उस राक्षस का नाश भी करेंगे!”

करण- “हाँ वधिराज जी बिल्कुल सही कह रहे हैं,, हम आप सभी की सहायता करेंगे और सहायता करे बगैर हम यहां से नहीं जायेंगे!”

कुश- “अम्मा, बाबा, आप सभी चिंता ना करें!”

आदमी 1- “परंतु बेटा हमारा तो गांव उजड़ चुका है, अब हम सब कहां रहेंगे? ”

कर्मजीत- “हां करण अब क्या होगा? ”

करण- “ऐसे मे हमें केवल ईश्वर को ही स्मरण करना चाहिए मित्र!!”

गांव का एक बुजुर्ग- “बेटा, भगवान को सच्चे मन से याद करोगे तक वो यहां जरूर आएंगे! औऱ हमारी सहायता करेंगे!”

बुलबुल- “तो चलो सभी लोग हाथ जोड़ो और ईश्वर का भजन करो !”

बुलबुल- ” ठीक है करन!”

तो इस के बाद सभी लोग अपने हाथ जोड़ते हैं और भगवान को याद करते हैं। थोड़ी देर बाद अचानक से आसमान में बेहद चमकदार रोशनी दिखाई देती है जिस से सभी लोगों की आंखें चौंधिया जाती हैं।

बुजुर्ग- “ये ईश्वरीय चमक ही है बेटा!! ईश्वर हमे इशारा कर रहे हैं !””

करण- ” हां ये भगवान का ही अवतार है!”

करमजीत- “वो देखो, बाढ़ का पानी अपने आप कम हो रहा है!”

बुलबुल- “हां देखो इसी शक्ति से सब ठीक हो रहा है!”

लव कुश- “वाह~~!

सभी लोग अपने हाथों को ऊपर कर के जोर से जयकारे लगाने लगते हैं।
और इस के बाद गांव में आई हुई बाढ़ खत्म होने लगती है और बाढ़ खत्म होने के बाद वहां पर फिर से गांव बस जाता है।

वधिराज- “इस का मतलब भगवान भी हर जगह हमारा साथ दे रहे हैं!”

लव- “हाँ वधिराज!”

चिड़िया- “नेक रास्ते पर चलते हैं तो ईश्वर भी साथ देते हैं।

इस के बाद वधिराज सभी गांव वासियों को धीरे-धीरे कर के उस नए बसे हुए गांव मे छोड़ देता है। और इस प्रकार इन की यह एक समस्या खत्म हो जाती है।

आदमी 1- “आज बहुत खुशी का दिन है, आज तो दावत की तैयारी होनी चाहिए!”

आदमी 2- “हां हमे तो मानो नया जीवन मिला है। इन नेक लोगों ने हमारी सहायता की है, हमे इन के लिए दावत रखनी चाहिए!”

लव कुश- “अरे वाह, आज फिर लजीज खाना मिलेगा!”

टॉबी- “मजा ही आ जायेगा दोस्तों!! जम कर खाएंगे!”

रानू- “शुक्र है, इतने दिन बाद खाना तो मिलेगा!”

वधिराज- “हा हा हा, हमें तो मिलता ही रहता है कहीं न कहीं!”

रानू- “मेरी ऐसी किस्मत कहाँ वधिराज!”

तो, शाम को सभी गांव वासी करण और उस के बाकी मित्रों के लिए दावत की तैयारी करते हैं और बहुत ही अच्छा भोजन तैयार करते हैं।
लेकिन वही करण को इंतजार था उस राक्षस को खत्म करने का।

चिड़िया- “करण क्या सोच रहे हो? उसी राक्षस के बारे में सोच रहे हो ना??”

करण- “हां राजकुमारी जी!”

वधिराज- “तो करण क्या तुम ने कोई उपाय सोचा है? कैसे नाश करेंगे हम उस का”

करन- “हाँ, वधिराज,,, मैंने एक अच्छा उपाय सोचा है!”

करमजीत- “जो भी करना है, मिल कर करेंगे!!”

और करण यह उपाय सभी को बताता है।

लव- “वाह करण तुम बिल्कुल कमाल के हो,, तुम ना होते तो ना जाने क्या होता!”

रानू- “हम्म्म,,, उपाय बनाने में तुम्हारा किसी से मुकाबला नहीं करण!”

वधिराज- “हां आखिर दोस्त है किस का??? मेरा ना!”

सुनहरी चिड़िया- “अच्छा तो यह बात है!”

करमजीत- “हां और हम तो ऐसे ही हैं, हा हा हा!!”

और सभी लोग हंसने लगते हैं।

तो ऐसे ही 2 दिन बीत जाते हैं और अब करण और उस के मित्रों को उस राक्षस का सर्वनाश करना था …

सुनहरी चिड़िया- “बस अब ना जाने वो राक्षस कब आएगा? ”

औरत 1- “आप के बायीं तरफ जो वृक्ष लगा हुआ है,,, वह वृक्ष जब झुक जाएगा तो इस का अर्थ यह है कि वह राक्षस आने वाला है!”

बुलबुल- “अच्छा, ये संकेत है उस जे आने का!!”

तो सभी मित्र उस वृक्ष की ओर बड़े ध्यान से देखने लगते हैं।

इंतजार करते-करते शाम हो जाती है कि तभी वह वृक्ष थोड़ा सा झुक जाता है और सभी लोग सचेत हो जाते हैं।

बुलबुल- “देखो वृक्ष झुक रहा है, लगता है वह आने वाला है!”

औरत 1- “हां सही कहा!”

आदमी- “सभी लोग सचेत हो जाओ,,,,, हे भगवान!! हमारी सहायता करना!”

तभी वहां पर एक बड़ा सा राक्षस आता है…जिस का शरीर काफी बड़ा है और उस के बड़े बड़े सिंघ और पंजे हैं।

लव- “इतना बड़ा राक्षस!!”

कुश- “इस के सिंघ और पंजे तो देखो, कितने बड़े हैं!”

बुलबुल- ” दोस्तों,,, सभी लोग सावधान हो जाओ!”

सुनहरी चिड़िया- “हाँ बुलबुल,,, जीत हमारी ही होगी!”

तो जैसा कि करण ने उपाय बताया था उसी हिसाब से सभी गांव वाले चलते हैं….. सभी लोग उस राक्षस को देखते ही गांव के दाईं तरफ भागने लगते हैं।

राक्षस- ” हा हा हा!! गांव वालों कहां जा रहे हो? तुम लोग जितना भी प्रयास कर लो…मूर्खों! मुझ से नहीं बच सकते हा हा हा हा!”

वहीं दूसरी ओर सभी गांव वाले अफरा-तफरी मचा रहे हैं और डर के मारे बहुत जोर जोर से चिल्ला रहे हैं।

बुलबुल- “ये राक्षस अब धीरे-धीरे गांव वालों की तरफ ही बढ़ रहा है!”

चिड़िया- “हां !! करण जानबूझ कर उसे वहां पर जाने दे रहा है, यही तो चाल है।”

टॉबी- “हा हा हा! वधिराज भी राक्षस के पीछे पीछे जा रहा है।”

शुगर- “ये सब क्या हो रहा है!”

टॉबी- “शुगर!!करण की बुद्धि का कमाल देखो तुम आज!”

वहीं राक्षस जब वहां पहुंचता है तो देखता है कि वहां 7 लोग उस की तरफ पीठ खड़े हुए खड़े हैं।

राक्षस- “क्या बात है,, लगता है थक गए हैं और आज इन लोगों ने अपना बलिदान करने का निर्णय लिया है, चलो अच्छा है, बहुत अच्छी बात है!”

वधिराज- “हां मित्र,,, जाओ और जल्दी से इन सभी को तुम अपनी शक्तियों से खींच कर मार डालो!”

राक्षस- ” तुम हम पर कुछ ज्यादा ही कृपा कर रहे हो,,, लगता है कुछ गड़बड़ है!”

वधिराज- ” अरे ऐसी कोई बात नहीं है मित्र, मैं भी राक्षस हूँ, मैं सब समझता हूँ,, तुम बहुत भूखे होगे तो तुम्हें इन को खा लेना चाहिए!”

राक्षस- “तुम सही कहते हो…मैं कई दिनों से भूखा हूं , मुझे इनको अब जल्द से जल्द खा लेना चाहिए!”

वह राक्षस बिना सोचे समझे उन 7 आदमियों को खाने का निर्णय बना लेता है। वह जल्दी से अपना मुंह खोलता है और उस के मुंह की हवा से सातों आदमी उस के मुंह की तरफ खिचने लगते हैं।

बुलबुल और सुनहरी चिड़िया बहुत परेशान हो जाते है।

सुनहरी चिड़िया- “ए पापी राक्षस!! यह तू क्या कर रहा है??? तुझे नरक में भी जगह नहीं मिलेगी!”

बुलबुल- “छोड़ दे इन को दुष्ट!!”

राक्षस “हा हा हा!!”

वहीं राक्षस बड़े आराम से उन को अपने मुंह में खींच लेता है और उन्हें निगल जाता है।

लेकिन उन्हें निगलने के थोड़ी ही देर बाद उस के पेट में बहुत पीड़ा होने लगती है।

राक्षस (दर्द से)- “आह~~~!!आह!! यह मेरे साथ क्या हो रहा है? आखिर तुम लोगों ने मेरे साथ क्या किया?…

बुलबुल- “हा हा हा, अब आया ना मज़ा!!”

राक्षस- “मैं तुम लोगों को छोडूंगा नही ”

लव- “तू हम लोगों को पकड़ने के लायक बचेगा तब ना… दुष्ट पापी ,एक तो गलती करता है और फिर ऐसी बातें करता है!”

राक्षस- “आखिर तुम सब ने मेरे साथ क्या किया है!! आह~~~~आह~~~ ”

करण- “तूने जिन लोगों खाया है वह कोई इंसान नहीं बल्कि वे सभी पुतले थे और जिन के अंदर बारूद और लगी तलवारें हुई थी और तूने उन्हीं को खा लिया है!”

वधिराज- “उनके कारण ही तेरे शरीर का हर एक अंग अंदर से नष्ट हो रहा है!”

करमजीत- “दुष्ट पापी…देख तेरी इस भूख ने आज तेरी ही जान ले ली… तूने बिना सोचे समझे ही उनको खा लिया और देख तेरा क्या हाल हुआ!”

राक्षस- “मुझे माफ कर दो, मैं आज के बाद ऐसा नहीं करूंगा,, मुझे माफ कर दो। मुझ से बहुत बड़ी भूल हो गई, मेरी जान को बख्श दो!”

कुश- “देख ले,,, पहले तू हमें बख्श देने की बात कर रहा था और अब देख तेरे साथ ही क्या हो गया!”

बुलबुल- “बुरे कर्मों का नतीजा हमेशा बुरा ही होता है!”

वहीं राक्षस दर्द में तड़पता हुआ नीचे गिर जाता है और उन सब से अपने प्राणों की भीख मांगता है।

करण- “ठीक है,,, हम तुम्हारी सहायता करेंगे,, परंतु तुम्हें हम से यह वादा करना होगा कि तुम कभी भी इन गाँव वालों को परेशान नहीं करोगे!”

राक्षस- “हां मैं वचन देता हूँ!!,,, मैं अपने राक्षस लोक की कसम खाता हूं, मैं यहां कभी नही आऊंगा!”

बुलबुल- “नही करण, अगर इस की यह बात झूठी हुई तो, ये हम सब को मार देगा!!”

राक्षस- “नही नही, मैं सच कह रहा हूँ!”

तभी वहाँ सारे गांव वासी भी आ जाते हैं।

अब अगले एपिसोड में हम देखेंगे की क्या कारण इस राक्षस को ख़तम कर देगा या छोड़ देगा। देखने के लिए बने रहिएगा हमारे साथ।

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