26 – मकड़ी मानव का मायाजाल | Makdi Manav ka Mayajaal | Tilismi Kahaniya
बालक- “मित्रों आप सभी परेशान ना होना,,, बुलबुल जल्द ही ठीक हो जाएंगी,,,, क्यूंकि मेरे एक खास बाबा है जो इस में हमारी सहायता कर पाएंगे!”
चिड़िया- ” अच्छा तो फिर ठीक है। चलो उन के पास!”
बालक (अपने माता-पिता से)- ” पिता जी,, आप बुलबुल का ध्यान रखना,,,,, हम सब तब तक श्राप की मुक्ति का जवाब ढूंढ कर आते हैं!”
माता पिता- ” ठीक है पुत्र!”
वधिराज- ” चलो मित्रों फिर चलते हैं!”
कुश- ” हां चलो बुलबुल तुम चिंता मत करो।
लव- “बस तुम ठीक होने वाली हो!”
और इस के बाद सभी मित्र उस बाबा के पास पहुंचते हैं।
सभी लोग बाबा को देख कर हैरान हो जाते हैं क्योंकि बाबा उस समय अपनी आंखें बंद किए हुए हवा में बैठे थे।
लव- ” बाबा जी काफी शक्तिशाली मालूम पड़ते हैं!”
बालक- ” हां लव! तुम ने बिल्कुल सही सोचा,,,, बाबा जी बेहद शक्तिशाली व बुद्धिमान है!”
करमजीत- “वास्तव मे। ”
बालक- ” बाबा जी,,, आंखें खोलिए। हम आए हैं आप के दरबार में!”
बाबा आंखें खोलते हैं और हवा से नीचे उतरते हैं।
बाबा- ” अरे पुत्र,,,, तुम???,,,, आओ। क्या बात है? और ये सब कौन हैं।”
बालक- “बाबा हमें आप की सहायता चाहिए,,,, यह मेरे मित्र हैं…..थोड़ी दुविधा में है। कृपया इन की सहायता करें!”
सभी बाबा को प्रणाम करते हैं।
बाबा- ” हां हां क्यों नहीं???,,,हम सहायता अवश्य करेंगे । क्या परेशानी है…बताओ? ”
और बालक उन्हें सारी परेशानी बता देता है।
बाबा- ” अच्छा तो यह बात है,,, घबराओ नहीं इस का एक उपाय है… लेकिन कठिनाई हो सकती है।”
करण- “हम हर कठिनाई का सामना कर लेंगे बाबा जी!”
कर्मजीत- “बस हमारी मित्र सही स्थिति में आ जाये!’
बाबा- “अति उत्तम! तो सुनो सब। पूर्व दिशा में आगे जा कर एक बड़ा और घना जंगल है,,, जहाँ एक जादुई प्राणी रहता है,,,, उस का आधा शरीर मकड़ी है और आधा शरीर मानव जैसा है….वो तुम सब की सहायता कर सकता है,,,, परंतु याद रहे उस जंगल में सोना नहीं है तुम सब को!”
लव- “पर क्यों बाबा जी!”
बाबा- “….क्योंकि वहां पर जो भी सो जाता है वह उसे मार कर खा जाता है!”
कुश- “यह तो बहुत डराने वाली बात है।”
करमजीत- ” तो बाबा जी हमें करना क्या होगा? ”
बाबा- ” उस जादुई प्राणी ने अपने सिर पर एक ताज पहना होगा। उस में एक मोती लगा है….उस मोती को तुम सब को ले कर आना होगा क्योंकि वह मोती बहुत ही शक्तिशाली है. उस से तुम्हारी मित्र ठीक हो जाएगी!”
करण- “और वह हमें कौन से समय पर मिलेगा??”
बाबा- “तुम सभी को उस जंगल में बैठ कर उस के आने का इंतजार करना होगा कि कब वह बाहर आएगा।”
चिड़िया- ” तो हम सभी को संभल कर चलना होगा!”
करण- “जी राजकुमारी!,,, परंतु हम सभी को हिम्मत से काम लेना होगा,, क्योंकि जिस पथ पर हम सभी चल पड़े हैं वह अत्यंत कष्ट से भरा हुआ है। परंतु जीत की आशा रखनी अच्छी बात है।”
टॉबी- “हाँ, करण,,,, तुम बहुत अच्छी बातें करते हो!”
शुगर- “हाँ,,, टॉबी, सब बहुत बहादुर हैं और अच्छे भी हैं।,,!”
करण- “टॉबी,,,,और शुगर,,,, तुम दोनों यहीं पर रुको,,, क्योंकि जंगल का रास्ता काफी खतरनाक है!”
शुगर- ” ठीक है करण। जैसा तुम कहो….।”
तो इस के बाद चिड़िया, करण, कर्मजीत, बालक, वधिराज, और लव कुश जंगल के रास्ते की ओर चले जाते हैं।
और कुछ ही देर बाद, वहां पहुंच जाते हैं।
वधिराज- ” लव कुश! तुम दोनों याद रखना कि हमें यहां पर नहीं सोना है!”
करमजीत- “हाँ, तुम दोनों हर जगह सो जाते हो। कहीं उस मकड़ी का नाश्ता मत बन जाना। हा हा हा!!”
लव- “नही बनेंगे। ”
कुश- ” तो हमें उस जादुई प्राणी का इंतजार करना होगा। और वो ना आया फिर”
करण- “पर हमें उस का इंतजार करना होगा…जब तक वो यहां पर ना आ जाए!”
लव- “हां मित्रों,, लेकिन,,,मुझे तो डर लग रहा है!”
वधिराज- ” डरो मत लव,,, हिम्मत रखो,, और यह भी तो देखो कि हम भी तुम्हारे साथ हैं!”
लव- “हाँ वधिराज !”
और सभी मित्र किसी जगह पर बैठ जाते हैं और उस प्राणी के बाहर निकलने का इंतजार करते हैं।
वहीं दूसरी ओर वह प्राणी जमीन के अंदर है और बहुत खुश है।
और उसे इन सब के आने की भनक लग जाती है।
प्राणी- ” आज तो बहुत मजा आने वाला है,,, इतने सारे नए शिकार! हा हा हा इन सभी को तड़पा तड़पा कर मार डालूंगा,, लेकिन इस से पहले मुझे इन के सोने का इंतजार करना होगा!!!”
और इस तरह वह प्राणी उन के सोने का इंतजार करता है वहीं दूसरी ओर करन और उस के मित्र हर संभव प्रयास करते हैं कि वो ना सोएं।
लेकिन उस प्राणी का इंतजार करते-करते काफी रात हो जाती है और सभी को नींद आने लगती है।
कुश- ” मित्रों!,,, मुझे तो बहुत नींद आ रही है,, क्या आप सभी को भी नींद आ रही है? ”
लव- “हाँ,,,, भाई,, मुझे भी नींद आ रही है!”
चिड़िया- “सोना मत। वरना हम कभी नही उठेंगे। वो हमें खा जाएगा।”
कर्मजीत- ” मित्रों नींद तो आ रही है लेकिन हमें यह सहन करना होगा। अन्यथा हम सभी के प्राण खतरे में पड़ जाएंगे!”
वधिराज- ” तुम बिल्कुल सही कह रहे हो करमजीत,, हम सभी को कैसे भी कर के प्रयास करना चाहिए कि हम ना सोएं!”
सभी लोग वार्ता कर ही रहे होते हैं कि अचानक से हवा मे वहाँ कुछ चमकदार पक्षी आ जाते हैं और वे सभी गुनगुनाने लगते हैं। जो सुनने में काफी अच्छा लग रहा था।
कुश- “वाह,,, काफी शानदार है ये सब!”
सुनहरी चिड़िया- ” हां लव,,,,तुम बिल्कुल सही कहते हो कितना अच्छा लग रहा है यह!!,,,, काफी अच्छा गा रहे हैं सभी!”
करण- ” हाँ,,, परंतु , कहीं किसी की चाल तो नहीं? ”
बालक- “हाँ,,, हो सकता है, ताकि हम इन का गाना सुनते सुनते सो जाएं। कोई इस पर ध्यान मत दो!”
कर्मजीत- “हाँ,,, आप सही कह रहे हैं। कान बन्द कर लो!”
वधिराज- “इन सब को मत सुनो। अपना ध्यान भटका लो सब।”
कोई भी मित्र उन पक्षियों के गान पर ध्यान नहीं देता तो वह वहां से गायब हो जाते है।
तभी थोड़ी देर बाद अचानक से सन्नाटा छा जाता है।
वधिराज- ” अचानक से इतना सन्नाटा,,, लगता है कुछ गड़बड़ होने वाली है? ”
बालक- ” संभल कर साथियों! कुछ भी हो सकता है।”
करण- “सभी चौकन्ने हो जाओ और अपने चारों ओर यहां-वहां ध्यान रखो। कुछ हलचल हो तो बताओ।
तभी अचानक से जमीन में एक छोटा सा छेद बन जाता है,,,, सभी की नजर उस पर पड़ती है।
वधिराज- “ये क्या है? जमीन में छेद हो रहा है।”
चिड़िया- ” पता नहीं???,,, मै पास जा कर देखती हूं! इस मे क्या है”
करण- “सम्भल कर राजकुमारी जी!”
और चिड़िया उस छेद के पास पहुंच कर उसे ध्यान से देखनें लगती है कि तभी अचानक से बड़े-बड़े दो हाथ निकलते हैं जो कि उसे पकड़ने की कोशिश करते हैं लेकिन चिड़िया वहां से उड़ जाती है।
सभी डर जाते हैं।
कर्मजीत- ” राजकुमारी जी आप इधर आ जाइए,, आप ठीक तो है ना?!
चिड़िया ( डरते हुये)- ” हां कर्मजीत भगवान का शुक्र है कि मैं बच गई!”
कुश- ” आखिर क्या था यह? ”
और फिर से अचानक काफी सन्नाटा छा जाता है।
तभी वह प्राणी बाहर निकलता है और लव पर हमला करने लगता है , वह लव को जकड़ लेता है।
लव खुद को बचाने का प्रयास कर रहा है।
कुश अपने भाई की मदद करते हुए उसे पकड़ से आजाद करवाने की कोशिश करता है।
कुश- “डर मत मेरे भाई,,, कोशिश करता रह!”
सभी लोग लव को छुड़ाने की कोशिश करते हैं लेकिन वह प्राणी काफी ताकतवर है।
और इसी छीना झपटी में वह प्राणी लव के हाथ पर अपनें लंबे-लंबे नाखूनों से वार कर देता है जिस से उसे काफी गहरी चोट आ जाती है और वह बेहोश हो कर वहीं गिर जाता है।
कुश- ” हे भगवान मेरे भाई को क्या हो गया? ”
करण- “चिंता मत करो,,, कुश,,, लव जल्दी ठीक हो जाएगा,,,!”
और तभी वह प्राणी करण और कुश पर हमला कर देता है।
लेकिन करन और कुश खुद को बचा लेता है।
वधिराज- ” यह प्राणी तो बहुत भड़क गया है। सब पर हमला कर रहा है!”
और तब वधिराज उस प्राणी से लड़ने की कोशिश करता है…. दोनों में खूब लड़ाई होती है। वधिराज हर संभव प्रयास करता है कि उस के मित्रों को कुछ ना हो।
लेकिन वह प्राणी काफी ताकतवर था।
प्राणी (ज़ोर-ज़ोर से हंसते हुए)- ” हा हा हा! तुम सब बेवकूफ लोग आज यहां पर मारे जाओगे और मेरे भोजन की सामग्री बनोगे,,,, हा हा हा हा हा!”
कुश- ” मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा!”
और इतना कह कर कुश उस की तरफ बढ़ता है। और तलवार से उस से लड़ने लगता है।
करण- “नहीं कुश। रुक जाओ।”
चिड़िया- “रुको कुश!”
कुश- “नहीं,, मैं इसको मार दूँगा आज!”
लेकिन थोड़ी देर में वह प्राणी कुश को उठा कर दूर फेंक देता है जिस से उसे को काफी चोट आ जाती है।
कर्मजीत- “दुष्ट प्राणी। तू मेरे सारे मित्रों को चोट पहुंचा रहा है। आज तेरी मृत्यु मेरे हाथों ही होगी!”
और जब वह आगे बढ़ रहा था तो अचानक से कर्मजीत के शरीर से आग निकलने लग जाती है।
करण- “अरे???,,, यह कैसे संभव है?”
बालक- ” मेरी सहायता करने के कारण आप में से किसी एक में मैं यह शक्ति भेज सकता हूँ।”!”
वहीं सब लोग यह देख कर हैरान थे।
वहीं कर्मजीत को भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उस के साथ यह कैसे हो रहा है।
करण- “लेकिन इस आग से तो यह जंगल भी जल सकता है!”
वधिराज– “हां। सम्भल कर कर्मजीत!”
आग लगती देख कर वह प्राणी बहुत डर जाता है।
करमजीत- ” यदि तुम ने,,,,मेरे मित्रों को चोट पहुंचाना बंद नहीं किया तो मैं तुम्हारे इस जंगल को राख में परिवर्तित कर दूंगा!”
प्राणी- ” ठीक है मालिक मुझे माफ कर दीजिए… भूल हो गई मुझ से,,, बस आप मेरे जंगल को बर्बाद मत करिएगा,, आप जो कहेंगे मैं वो करूंगा!”
प्राणी की यह बात सुन कर करमजीत शांत हो जाता है और सब उस प्राणी को बुलबुल के बारे में बताते हैं।
करण- “अब तुम्हे ही मेरी मित्र की सहायता करनी है!”
प्राणी- “ठीक है। मुझे उस स्थान पर ले चलो!”
तो वह प्राणी करण और उस के बाकी साथियों के साथ उस जगह पर आ जाता है।
कुश- “देखिए बेचारी हमारी मित्र की स्थिति कितनी बुरी है!”
लव- “इसे ठीक कर दीजिए!”
प्राणी- “चिंता मत करो। यह अभी ठीक हो जाएगी!”
वह प्राणी बुलबुल के पास जा कर अपने सिर में पहने हुए ताज को निकालता है और उस में से उस मोती को निकाल कर बुलबुल के माथे पर चिपका कर कुछ मंत्र पड़ता है, जिस से बुलबुल मूर्ति से बदल कर वापस ठीक हो जाती है।
बुलबुल- “मैं ठीक हो गयी। मैं ठीक हो गयी!”
करण- “बहुत बहुत धन्यवाद आप का!”
कर्मजीत- “मुझे क्षमा कर दीजिए। मैं बस अपनी मित्र की भलाई चाहता था।”
प्राणी- “कोई समस्या नहीं है।”
टॉबी (बुलबुल पर कूद कर)- “हां। बहुत खुश हूं मैं!”
यह देख कर सभी मित्र खुश होते हैं।
तो अगले एपिसोड में हम देखेंगे करण और उसके दोस्तों का आगे का मज़ेदार सफर।तब तक के लिए बने रहिये हमारे साथ।