25 – जादुगरनी का काला जादू | Jadugarni ka kala jaadu | Tilismi Kahaniya
सुनहरी चिड़िया- ” कविता तुम ने तो बिल्कुल कमाल ही कर दिया, तुम ने कितनी आसानी से उस खतरनाक आदमी से हम लोगों को छुटकारा दिलवा दिया!”
शुगर- ” बिल्कुल सही कह रही हैं आप राजकुमारी जी, रानी कविता जी ने तो आज एकदम कमाल ही कर दिया!”
करण और करमजीत- ” रानी कविता आप का बहुत-बहुत धन्यवाद!”
लव- ” जी आप का बहुत धन्यवाद रानी कविता!”
कविता- ” मेरे प्यारे मित्रों इस में धन्यवाद कैसा??….आप सभी ने भी तो मेरी कितनी सहायता करी थी…आप सभी ने सोनापुर को उस राक्षस से बचाया था जो कि मेरे इस कार्य से काफी बड़ा और खतरनाक भी था… यह तो मेरा फर्ज था!”
वधिराज और बाकी सभी मित्र रानी के सामने सिर झुकाते हैं।
रानी कविता- ” अरे…अरे …ये क्या कर रहे हैं आप लोग? आप सब तो मेरे मित्र हैं आप सब को ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है!”
सुनहरी चिड़िया- “अच्छा रानी,,कविता!”
और इस के बाद सभी लोग थोड़ी वार्तालाप करने लगते हैं।
थोड़ी देर बाद
कविता- ” अच्छा राजकुमारी अब मुझे यहां से जाने की इजाजत दीजिए!”
चिड़िया- ” हां कविता, अब तुम यहां से जाओ, वहां सब तुम्हारी राह देख रहे होंगे!”
और सोनापुर की रानी वहां से गायब हो जाती है।
चिड़िया- ” अच्छा वधिराज,, अब आगे हमें कहां जाना है? ”
वधिराज- ” मेरे गुरु जी के अनुसार अब हमें मूर्तिपुर जाना होगा!!”
करण- ” आशा करता हूं कि हमारा आगे का सफर अच्छा होगा!”
बुलबुल- ” मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि आगे जो भी समस्या है उस का सामना हम सभी साथ में कर पाने में समर्थ हों!!”
टॉबी- ” चिंता मत करो,,, बुलबुल,,, जीत हमारी ही होगी!”
शुगर- ” हां हां क्यों नहीं!”
और थोड़ी देर बाद करण और उस के मित्र वहां से चले जाते हैं।
थोड़ी दूर चलने के बाद सब रुक जाते हैं।
वधिराज- ” अब हमें यहां पर किसी से रास्ता पूछना होगा,,,!”
वे लोग आसपास के निवासियों से पूछताछ करते हैं लेकिन उन्हें कुछ भी पता नहीं चलता।
सुनहरी चिड़िया निराश होने लगती है।
बुलबुल- ” राजकुमारी,,,, उदास मत होइए,,, हम अपने कार्य में जरूर सफल होंगे,,,हम सब हैं ना आप के साथ!”
और उन के समझाने पर चिड़िया थोड़ी शांत हो जाती है।
तभी रास्ते में उन सब को एक बूढ़ी दादी मिलती है।
बूढ़ी दादी- ” मेरे प्यारे बच्चों, तुम सब कहां जा रहे हो? ”
करण- ” दादी मां हमें मूर्तिपुर का रास्ता ढूंढना है परंतु उस का रास्ता तो किसी को भी नहीं मालूम!”
दादी- ” बेटा उत्तर की और जाना,,, वहाँ एक पीपल का पेड़ होगा…. उस से दाएं मुड़ जाना. वहां पर तुम्हें एक बालक मिलेगा जो कि एक जादुई बालक है,,,वो तुम्हे मूर्तिपुर का रास्ता बता देगा!”
वधिराज- ” धन्यवाद दादी मां!”
और थोड़ी देर बाद सभी लोग वहां से जाने लगते हैं… जब वे पीछे मुड़ते हैं तो देखते हैं कि दादी वहाँ से गायब हो चुकी थी।
तो जैसा दादी ने बताया था वे लोग वैसा ही करते हैं…और वहां पर पहुंच जाते हैं।
तभी अचानक से 15 साल का एक बालक वहां पर हवा में प्रकट हो जाता है।
बुलबुल- “देखो, हवा में से वह बालक आ रहा है!”
करण- “लगता है यही वह बालक है, जिसके बारे में दादी अम्मा हमे बता रही थी!”
कर्मजीत- “हां चलो पूछते हैं!
करण- “आप कौन है?”
बालक- ” मै इस जगह का मालिक हूं,,,!”
वधिराज- “अच्छा,, राजकुमार,, हम आप को सलाम करते हैं,,, क्या आप हमें मूर्तिपुर का रास्ता बता सकते हैं?”
बालक (हंसते हुए)- ” अवश्य मेरे मित्र मैं अवश्य ही मूर्तिपुर का रास्ता बता दूंगा… लेकिन इस से पहले आप सब को मेरी सहायता करनी होगी!”
करण- ” ठीक है…राजकुमार….परंतु कैसी सहायता? ”
बालक- ” दरअसल यह बात है 1 साल पहले कि,,,, एक दिन हमारे राज्य पर किसी दूसरे राज्य के लोगों ने हमला कर दिया था… हम सभी ने उन की सेनाओ को मार गिराया….लेकिन उस राज्य का जो राजा था उस की एक पुत्री है,, जिस ने काला जादू सीख रखा है.. जिस वजह से वह काफी शक्तिशाली हो गई है.. और उस का नाम कलिका है…. उस ने मेरे माता-पिता का हरण कर लिया है…!”
करमजीत- “हे प्रभु,,,,!”
बालक- “हां,,और मैंने उसे कई बार हराने की कोशिश की लेकिन मैं उसे हरा नहीं पा रहा हूं.. तभी मुझे किसी बाबा ने बताया कि उस का वध कोई साधारण इंसान ही कर सकता है जैसे कि तुम…. करण और कर्मजीत…और बुलबुल .!”
करण- ” तो ठीक है.. राजकुमार हम तुम्हारी सहायता करेंगे…हम तुम्हारे माता-पिता को उस के चंगुल से छुड़वा कर ले आएंगे!”
कर्मजीत- ” हां राजकुमार , आप चिंता ना करें!”
वधिराज- “हम आप के साथ हैं!”
तो वे लोग योजना बनाते हैं….और थोड़ी देर बाद उस कलिका जादूगरनी के अड्डे पर पहुंचते हैं।
पत्थरों के पीछे छुप कर करण और बाकी लोग उस के अड्डे को देख रहे थे और बातें कर रहे थे।
बुलबुल- “कितने अंधेरी जगह है यह!”
लव कुश– “हां जैसे भूतों का घर होता है”
करण- ” वह जादूगरनी कहां होगी? ”
बालक- “करण,, कर्मजीत,,,तुम दोनों मेरे साथ चलो,,,,!”
बुलबुल- ” मैं भी अंदर चलूंगी!”
करण- ” ठीक है बुलबुल….लेकिन थोड़ा संभल कर,, कुश और लव,, तुम दोनों राजकुमारी के साथ यहीं पर रहोगे , ठीक है ना?”
लव- ” ठीक है करण जैसा तुम कहो!”
कुश- “हाँ करण,, आराम से जाना… ईश्वर तुम सभी की सहायता करें!!”
इस के बाद तीनों उस बालक के साथ अंदर चले जाते हैं.. और बाकी लोग बाहर ही रहते हैं।
करण, करमजीत, बुलबुल और बालक धीरे-धीरे चुपके से उस जादूगरनी के पास पहुंचने का प्रयास कर रहे होते हैं।
करण- “वधिराज , अब तुम अपना कार्य शुरू करो!”
तो वधिराज योजना के मुताबिक,,,, चारों ओर तहलका मचाने लगता है। शोर होने लगता है,
जिसे कलिका भी सुन लेती है।
कलिका- ” यहां पर कौन आ गया है?,,, जो भी यह कर रहा है बहुत बड़ी भूल कर रहा है.. मेरे हाथों से बच कर नहीं जाने वाला है!”
और इस के बाद कलिका अपने सैनिकों को वधिराज के पास भेज देती है…
वधिराज इन सैनिकों का सामना करता रहता है और एक-एक कर के मार कर गिराने लगता है।
वहीं करण तीनो लोगों के साथ धीरे धीरे कलिका के पास पहुंच रहा है।
तभी इसी बीच चारों लोग गलती से उस घेरे को पार कर लेते हैं जिस घेरे को कलिका जादूगरनी ने बनाया हुआ था।
कलिका जादूगरनी को सब पता चल जाता है।
कलिका- “अच्छा तो कोई और भी है , जो मेरे गुफा के अंदर घुस आया है! मुझ तक आ रहा है”
कलिका जादूगरनी हवा में उड़ते हुए उन की दिशा में जाने लगती है।
कलिका- ” तुम लोग यहां तक चले आये??? तुम्हारा यह दुस्साहस!!,,,, अभी तुम सभी को सबक सिखाती हु!”
और इतना कह कर वह अपने हाथ को हवा में लहराती है.. जिस से वहां पर एक जादुई शक्ति उत्पन्न हो जाती है और वह प्रकाश उन चारों की और गिरता है…तीनो लोगों को काफी पीड़ा होती है लेकिन बालक को पीड़ा नहीं होती…।
बालक- ” हिम्मत मत हारो , तुम इस का सर्वनाश कर सकते हो!”
जादूगरनी ( गुस्से में)- ” तुम सब मेरा सर्वनाश करने आए हो?,,, इस से पहले मैं तुम सभी का सर्वनाश कर दूंगी हा हा हा हा।”
और कलिका हवा में यहां वहाँ उड़ने लगती है… थोड़ी देर बाद वह अपने बाएँ हाथ से एक नीली रोशनी पैदा करती है और उन सभी के ऊपर छोड़ती जाती है… आसपास पत्थर गिरने लगते हैं।
बालक- ” इस नीली रोशनी से बच कर रहना… अगर यह तुम्हारे ऊपर पड़ गई तो तुम सभी मूर्ति में परिवर्तित हो जाओगे!”
सभी लोग बहुत डर जाते हैं। परंतु अपने डर का सामना करते हुए अपनी लड़ाई लड़ते रहते हैं और अपनी जान बचाने की कोशिश करते रहते हैं।
तभी कर्मजीत जमीन पर गिर जाता है।
कलिका उस के पास आ कर खड़ी हो जाती है।
कलिका- “हा हा हा, एक परिंदा तो मर गया, अब बाकी सब की बारी है हा हा..!”
तभी इसी बीच मौका पा कर करमजीत कलिका की गर्दन को काट देता है….।
बुलबुल- “वाह कर्मजीत, बहुत अच्छा किया!’
करण- ” लगता है इस की मृत्यु हो गई है!”
और भी लोग वहां से जाने लगते हैं लेकिन तभी कलिका फिर से उठ जाती है और जोर-जोर से हंस कर उन सभी पर वार करने लगती है।
कलिका- ” तुम सभी को क्या लगता है कि तुम सब बच जाओगे? मेरे चंगुल से बचना नामुमकिन है,, बिल्कुल नामुमकिन हा हा हा हा!”
और फिर से अपने हाथों से रोशनी उत्पन्न करने लगती है। सभी लोग उस का सामना कर रहे हैं कि तभी बुलबुल उपाय सोचने लगती है और थोड़ी देर बाद उस के दिमाग में एक बात आती है।
बुलबुल (अपने मन में)- ” मुझे लगता है इस जादूगरनी कलिका के हाथों में ही इस की शक्ति छुपी हुई है। अगर मैं इस के हाथों को काट दूं तो हो सकता है कि इस का जादू खत्म हो जाए!”
हिम्मत कर के पत्थरों पर चढ़ कर बुलबुल उस के पास जाने की कोशिश करती है। लेकिन कलिका जादूगरनी भी काफी ताकतवर थी वह अपने आप को बचाने का हर संभव प्रयास कर रही थी।
कलिका (बुलबुल से)- ” अरे नादान बच्ची? तू मुझे हराने चली है? तू तो बस एक मूर्ख बच्ची है हा हा हाह हा।”
बुलबुल (गुस्से में)- ” हे जादूगरनी !! इतना घमंड अच्छा नहीं होता है,,,, तुम क्या जानो कि अच्छाई क्या होती है, क्या तुम ने कभी किसी के साथ अच्छा किया है? ”
कलिका- ” ये अच्छाई क्या होता है??,, मैं तो हमेशा बुराई का साथ देती हूं!”
बुलबुल- “हाँ,, यह तो सही बात है,, लगता है तुम्हें बचपन में कोई प्यार नहीं मिला, शायद इसीलिए तुम ऐसी हो गई हो!”
और ऐसे ही बुलबुल कलिका को अपनी बातों में फंसाने की कोशिश करती है।
और बातों ही बातों में कलिका के बाएं हाथ को काटने की कोशिश करती है… लेकिन इसी बीच कलिका को गुस्सा आता है और वो बुलबुल को मूर्ति बनाने के लिए अपनी शक्ति का इस्तेमाल करती है कि तभी मौका पा कर बुलबुल उस के हाथ को काट ही देती है।
लेकिन तब तक बुलबुल का पैर पत्थर का बन चुका था।
करण- “नहीं, बुलबुल!”
कर्मजीत- “नही~ ये क्या हो गया ~~!!
बुलबुल (रोते हुए)- “नही नही, मै पत्थर बन गयी!’
करण- “चिंता मत करो, बुलबुल।
बुलबुल- “वो देखो, हमारे साथी भी भाग कर हमारी तरफ आ रहे हैं।”
कर्मजीत- “वो बुलबुल की यह हालत देख कर काफी दुखी हो जाएंगे।”
करण- “हां कर्मजीत!’
अब कलिका जादूगरनी का जादू खत्म हो चुका था और वह वहीं बेहोश हो जाती है।
तो उस की गुफा भी अपने आप से गायब हो जाती है और बालक के माता-पिता भी वहां पर पहुंच जाते हैं और करण के दोस्त भी।
बालक अपने माता पिता को गले लगा लेता है।
बालक- “आप दोनों से मिल कर बहुत अच्छा लगा माता पिता जी !”
माता पिता (रोते हुए)- ” हमें भी बेटा,, यह जुदाई हम से सही नहीं जा रही थी!”
बालक अपने माता-पिता से मिल कर बहुत खुश तो था,,,लेकिन बुलबुल की हालत देख कर वह परेशान भी हो जाता है।
वही करण और बाकी मित्र भी बुलबुल की ऐसी हालत पर रोने लगते हैं।
बालक- ” मेरे प्यारे मित्रों मुझे पता है कि यह दुख का माहौल है लेकिन आप सब चिंता ना करें… मैं आप सभी की सहायता अवश्य करूंगा!”
बालक के माता पिता- ” हां बच्चों आप सब परेशान मत हो.. हम सब आप के साथ हैं!”
सुनहरी चिड़िया- “जी,, !”
करण- ” आप सब सही कह रहे हैं.. हम सभी को हौसला रखना होगा!”
कर्मजीत- “अब हमे बुलबुल को ठीक करने का उपाय सोचना होगा!”
सब लोग बुलबुल की हालत से काफी दुखी हो गए थे।
तो अगले एपिसोड में हम देखेंगे करण और उसके दोस्तों का आगे का मज़ेदार सफर।तब तक के लिए बने रहिये हमारे साथ।