24 – लालची सेठ | Lalchi Seth | Tilismi Kahaniya
सभी लोगों ने काफी देर तक खुशी मनाई और थोड़ी देर बाद सब थक गए थे।
करण- ” तो रानी कविता अब हमें यहां से जाना होगा क्योंकि हमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करना है!”
सुनहरी चिड़िया- ” हां कविता, अब हम सब को यहां से जाने की इजाजत दो!”
कविता- “तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया मेरी प्यारी बहन,, लेकिन हां जब भी तुम्हें मेरी जरूरत हो तो मुझे याद करना मैं तुरंत वहां पर चली आऊंगी!”
चिड़िया- “अच्छा,,, बहन!”
कविता- ” जब भी तुम्हें मेरी जरूरत हो बस तुम यह मंत्र बोलना,,, तुम जैसे ही यह मंत्र बोलोगी मैं वैसे ही वहां पर प्रकट हो जाऊंगी!”
और कविता चिड़िया के कान में एक मंत्र बताती है।
बुलबुल- “अच्छा रानी जी,, हम आप को जरूर याद करेंगे।”
टॉबी- ” हां रानी जी!”
और इस के बाद सभी लोग अलविदा कह कर वहां से चले जाते हैं।
चलते चलते काफी देर हो जाती है और सभी को प्यास लगती है, थोड़ी ही दूर उन्हें सामने एक तालाब दिखाई देता है।
लव- “देखो वहां दोस्तों! तालाब है”
करमजीत- ” बहुत प्यास लगी है, हमें यहां पर रुकना चाहिए!”
कुश- “चलो जल पीते हैं…!”
करण- ” हां मित्र तुम सही कहते हो, चल चल कर सब को प्यास लग गयी!”
कुश- ” तो चलो चलते हैं,, इसी तालाब का पानी पी लेते हैं!”
और तभी वहाँ पर रुक कर सभी लोग पानी पीने लगते हैं।
इसी बीच एक साधारण सा दिखने वाला एक आदमी वहां पर आ जाता है।
वह आदमी- ” आप सभी बड़े सज्जन लगते हो,,, आप सब कहां से हो बच्चों? ”
करण- “जी,,, हम काफी दूर से आए हैं,,, और आप का शुभ नाम क्या है?”
आदमी- ” मेरा नाम रामू है,,,, मैं इस जगह की देखरेख करता हूं, कभी कभी तालाब के पास टहलने आ जाता हूँ!”
वधिराज- “अच्छा,,, तो ये बात है! हम सब राहगीर है!
करण- “बस तालाब से जल पी कर हम यहां से चले जायेंगे
आदमी- “अच्छा, ठीक है। तो मैं चलता हूँ अब!”
वह आदमी जाने लगता है और तभी कुछ दूर जाने पर वह आदमी चिल्लाते हुए जमीन पर गिर जाता है और वह दर्द से कराहने लगता है।
आदमी ( चिल्ला कर )- “आह्ह्ह आह्ह्ह्ह,,,,,रक्षा करो कोई, जल्दी। बहुत कष्ट हो रहा है,!”
शुगर- ” हे प्रभु इन्हें क्या हो रहा है,,,,भगवान जी इन की रक्षा करिए!”
सुनहरी चिड़िया- “अरे पर,,, अचानक से इन्हें क्या हो गया? ”
करण- “चलो सब!”
सभी उस आदमी के पास जातें हैं और थोड़ी देर बाद तड़पते हुए वह आदमी बेहोश हो जाता है।
टॉबी- “करण!! इस की सांसे तो अभी भी चल रही है!”
कर्मजीत- “इसे अचानक से क्या हो गया!”
सभी लोग बातें कर ही रहे होते हैं कि अचानक से वह आदमी अपनी मुट्ठी से कुछ धूल जैसा पाउडर उन सभी पर फेंकता है जिस से सभी लोग बेहोश हो जाते हैं।
आदमी- ” आ गए ना मेरे हाथ में , अब मुझ से बच कर कहां जाओगे???… तुम सभी को मैं छोडूंगा नहीं,,, हा हा हा हा!”
और वह आदमी उन सभी को अपनी जादुई शक्तियों की मदद से हवा में उड़ाते हुए उस जगह से कहीं और ले जाता है।
वह उन सभी को कालकोठरी जैसी जगह में बंद कर देता है, जहां सलाखें भी लगी थी और उन लोगों के सामने कोई तंत्र विद्या करने लगता है।
तभी लव कुश की आंखें खुलती हैं।
लव- “श~~~श~~ धीरे धीरे बोलना, कहीं वह सुन ना ले!”
कुश– “हॉं ठीक है, देखो लव, वह कोई तंत्र मंत्र कर रहा है!”
लव- “हाँ काफी भयानक है। और उस के चारों ओर अजीब सा काला आवरण भी बन गया है।”
कुश- “डर लग रहा है भाई, उस आवरण में अजीब अजीब से भूतिया चेहरे दिखाई दे रहे हैं
लव- “हां और अजीब अजीब सी भयंकर आवाज भी आ रही है मुझे तो!”
कुश- “हमें इन सब को उठाना होगा!”
लव- “अभी कुछ मत करो, कहीं वह हमें देख ना ले! आँखें बंद कर लो कुश, सोने का नाटक करो।”
कुश- “ठीक है!”
कुछ देर बाद, वह आदमी वहां से चला जाता है और फिर सुनहरी चिड़िया भी जाग जाती है
सुनहरी चिड़िया- ” वधिराज,,,,करण,, बुलबुल,, सब उठो!! !!”
लव- “हम दोनों तो उठे ही हुए हैं। बहुत भयानक दृश्य भी देखा हम ने!”
कुश- “वह कोई तंत्र मंत्र कर रहा था, भूत भी दिख रहे थे।”
बुलबुल- “डर लग रहा है मुझे तो बहुत!”
करण- “यह आदमी कुछ खतरनाक करने की फिराक में है, हमे यहां से जल्दी बच कर निकलना होगा।
कर्मजीत- “लेकिन यह तो कोई कालकोठरी जैसा है, कैसे निकलेंगे!’
चिड़िया- ” हां देखो उस आदमी ने हमारे साथ धोखा किया..और हमें यहां पर कैद कर लिया….अब हम लोग यहाँ से कैसे आजाद होंगे?”
वधिराज- ” आप चिंता ना करें,,,, कोई ना कोई उपाय जरूर निकल आएगा,, हम सब है ना साथ में!”
शुगर- ” यह व्यक्ति काफी क्रूर लगता है,,, कहीं कुछ गलत ना कर दे!”
टॉबी- ” डरो मत शुगर,,, हमारे मित्र है ना… वह सब संभाल लेंगे,,, मुझे उन पर पूरा विश्वास है!”
बुलबुल- “हाँ,,,,मुझे भी,,,!”
और इस के बाद सभी लोग उपाय सोचने लगते हैं।
करण- “लगता है वह वापिस आ रहा है, सब लोग फिर से बेहोश होने का नाटक करो!”
तभी इसी बीच वह आदमी कमरे में वापिस आता है… और वहीं उस के आते ही सभी लोग बेहोश होने का नाटक करते हैं….और उस आदमी को लगता है कि सभी लोग बेहोश हैं।
वह बैठ कर थोड़ी देर कुछ मंत्र पड़ता है और उस के बाद मदिरापान करने लगता है।
बीच-बीच में उस की आंखों का रंग बदलता रहता है।
चिड़िया- “ओह तो इस की आंखों का रंग बदल रहा है, मैं समझ गयी, ये सब उसी जादूगर का किया हुआ है!”
कर्मजीत- “हां राजकुमारी, सही पहचाना आप ने!”
आदमी (नशे में)- “ओह मुझे आवाजें आ रही हैं। लगता है सब नन्हे चूहे जाग गए हैं। हा हा हा!”
करण- “हाँ हम सब होश में हैं दुष्ट, तू कौन है , ये सब क्यों कर रहा है!”
आदमी- “मैं तुम सब को दंड देने के लिए यहां आया हूँ।”
वधिराज- “दंड हमे नही, तुझे मिलेगा!”
तभी वधिराज मौका पा कर अपना आकार काफी बड़ा कर लेता है और उस कालकोठरी की सलाखों को तोड़ देता है।
आदमी- ” तुझे क्या लगता है कि तू मेरा सामना कर पायेगा??? इतना आसान नहीं है मेरा सामना करना,,,,,देख अभी मै तेरा क्या हश्र करता हूं!”
वधिराज- ” इतना घमंड भी अच्छा नहीं,, तेरा यह घमंड तेरे विनाश का कारण भी बन सकता है !”
उस आदमी को बहुत गुस्सा आता है और वह उस पर हमला कर देता है। दोनों में काफी घमासान लड़ाई होने लगती है…। वह आदमी थोड़ी ही देर में वधिराज से हारने लगता है,,,वह आदमी कुछ मंत्र पड़ता है जिस से उस जगह पर एक तालाब बन जाता है।
वहीं वह आदमी वधिराज से लड़ते-लड़ते उस तालाब के पास पहुंच जाता है और… छल कर के वधिराज को उस तालाब में गिरा देता है।
आदमी- ” हा हा हा! यह तालाब एक मायावी तालाब है…इस तरह के अंदर जो जाता है वह वहीं पर फस कर रह जाता है,, अब तो तू इस मे सदा के लिए फंस गया है!”
करमजीत- “करण , चलो अब हमें इस से लड़ना होगा!”
तो दोनों अपनी तलवार से उस पर हमला करते हैं… लेकिन वो आदमी अपने चारों ओर एक जादुई घेरा बना लेता है जिस कारण वह उन से बच जाता है।
करण- “इस आवरण के भीतर तो हम जा ही नही पा रहे कर्मजीत!”
कर्मजीत- “हां करण, अब कैसे हरायें इसे!”
आदमी- “हा हा हा! अभी बताता हूँ”
इस के बाद वह आदमी कोई मंत्र पढ़ता है
.. जिससे करमजीत और करण बाकी सभी मित्रों के साथ वापिस एक ओर काल कोठरी में कैद हो जाते हैं।
आदमी- ” देखा मैंने कहा था ना कि तुम सब मेरा सामना नहीं कर पाओगे,,, हा हा हा….चलो अब बहुत हो गया तुम लोगों का नाटक, अब मैं अपना मदिरापान करता हूं!”
पर वह आदमी फिर से मदिरापान करने लगता है,,, और थोड़ी देर बाद थक कर वह वहां से कहीं बाहर चला जाता है।
सभी मित्र चिंतित हो जाते हैं… और कोई उपाय सोचते हैं और सोचते सोचते काफी देर बाद।
करण- ” राजकुमारी अब हमें सोनापुर की रानी कविता को याद करना चाहिए!”
सुनहरी चिड़िया- ” ठीक है करण,,,,तुम सही कहते हो, मैं अभी मंत्र पढ़ती हूं!”
इस के बाद सुनहरी चिड़िया मंत्र पढ़ती है जिस से सोनापुर की रानी कविता कुछ ही देर में वहां आ जाती है।
इस के बाद सुनहरी चिड़िया कविता को सारी बात बता देती है… थोड़ी देर सोचने के बाद कविता को एक उपाय सूझता है।
(थोड़ी देर बाद)
वह आदमी नशे में धुत था,,,, लेकिन फिर भी और मदिरापान करना चाहता था…
वह आदमी फिर से अंदर आने लगता है!
बुलबुल- “लगता है वह फिर से अंदर आ रहा है, कविता रानी जी, आप जल्दी से छुप जाइये।”
चिड़िया- “हां कविता, वरना वह तुम्हे भी फसा देगा! वह मदिरा पीने आ रहा होगा”
कविता- “चिंता मत करो, मैं छुप जाती हूँ!’
तो कविता अंदर ही एक जगह छुप जाती है और तभी वह आदमी अंदर आ जाता है।
आदमी- ” आज तो काफी आनंद आया,,, अपने दुश्मनों को भी हराया और अच्छे से मदिरापान भी किया हा हा हा हा!”
तभी थोड़ी देर बाद उस आदमी के पेट में असहाय पीड़ा होने लगती है।
वह आदमी जोर-जोर से कराहने लगता है।
आदमी- ” आह.. यह क्या हो गया, आह अह …मैं तो दर्द से मर रहा हूं,, कोई बचाओ कोई बचाओ मुझे,!!”
रानी कविता- “हे दुष्ट पापी,,, यह मैंने ही किया है… मैंने तेरी मदिरा मे एक जादुई मोती मिला दिया था…जिसे पीने के बाद तेरा यह हश्र हो रहा है..और बता दूं कि इस मोती को तेरे शरीर से मैं ही निकाल सकती हूं!”
आदमी (दर्द से)- “ठीक है जो भी करना है कर,,,,लेकिन जल्दी मुझे बचा! जल्दी, बहुत पीड़ा हो रही है”
कविता- ” लेकिन तू पहले मेरे मित्रों को यहां से जाने दे!”
आदमी पहले सोचता है, लेकिन उसे इतनी पीड़ा हो रही थी कि वह हां कर देता है और करण और उस के मित्रों को जल्दी से वहां से छोड़ देता है। और वधिराज को भी तालाब से निकाल देता है।
सभी मित्र उस आदमी के अड्डे से बाहर निकल जाते हैं।
वहीं रानी कविता अपनी शक्तियों से पहले उस अड्डे के चारों ओर एक जादुई घेरा बना देती है… ताकि वह आदमी वहाँ से बाहर ना आ पाए….।
और तभी वह एक मंत्र पढ़ती है,,, जिस से वह जादुई मोती जो उस आदमी के अंदर था, कविता के हाथों में आ जाती है।
कविता मोती को अपने हाथों में पकड़ लेती है।
कविता- ” अब तू सुरक्षित है!”
इतना कह कर वह उस के अड्डे से गायब हो जाती है,,, और गायब हो कर वह करण और उस के मित्रों के पास पहुंच जाती है।
सुनहरी चिड़िया और बाकी लोग काफ़ी खुश हो जाते हैं।
सुनहरी चिड़िया- “हम सभी को बचने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया कविता।”
तो अगले एपिसोड में हम देखेंगे करण और उसके दोस्तों का आगे का मज़ेदार सफर।तब तक के लिए बने रहिये हमारे साथ।