Homeतिलिस्मी कहानियाँ102 – घर वापसी | Ghar Wapsi | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

102 – घर वापसी | Ghar Wapsi | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्तों को ऋषि वेदव्यास जी मिल जाते हैं। इसके बाद करण और सितारा दोनों भूतकाल में जाकर लव को बचा लेते हैं और लव वापस आ जाता है।

लव के वापस आने के बाद सभी ऋषि वेदव्यास जी को उनकी सहायता करने के लिए धन्यवाद करते हैं।

बुलबुल:- बाबा आपका हमारी सहायता करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

करण:- हां बाबा अगर आप नहीं होते तो, हम अपने मित्र को कभी नहीं बचा पाते।

बाबा:- कोई बात नहीं बच्चों, मुझे खुशी है कि मैंने तुम सब की सहायता की।

करमजीत:- ठीक है, अब हम सभी को वापस अपने समय में चलना चाहिए।

लव:- हां सभी हमारा इंतजार कर रहे होंगे।

कमल:- ठीक है, अब मैं भी आप सभी से अलविदा लेता हूं।

लव:- लेकिन आप कौन हैं?

बुलबुल:- लव यह कमल जी है। इन्होंने ही हमारी ऋषि वेदव्यास जी को ढूंढने में सहायता की। यह सभी जगहों को अच्छे से जानते थे। यह पिछले सौ वर्षों से इस धरती पर भटक रहे थे। इसलिए इन्हें सब चीजों की अच्छी जानकारी थी और इन्होंने यहां तक पहुंचने में हम सब की सहायता भी की।

लव:- क्या कहा पिछले सौं वर्षों से? परंतु यह दिखने में तो सौ वर्ष के नहीं लगते।

कमल:- हा हा हा। दरअसल मैं एक राक्षस था।

लव:- क्या कहा राक्षस? आप हमें यहां नुकसान पहुंचाने तो नहीं आए ना?

कमल:- नहीं… नहीं बिल्कुल नहीं।

करण:- लव तुम चिंता मत करो। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। दरअसल…

उसके बाद करण लव को सारी बात बता देता है‌ की किस प्रकार कमल राक्षस के श्राप से मुक्त हुए और उन्होंने करण और उसके सभी दोस्तों की सहायता की।

लव:- ओह अच्छा… अब मैं समझा। अच्छा तो यह बात थी। हा हा। मुझे माफ करना मैंने आपको गलत समझा। साथ ही आपने मेरी गैर हाजिरी में मेरे दोस्तों का ध्यान रखा। उसके लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। परंतु कोई नहीं अब मैं वापस आ गया हूं। अब मैं किसी को कुछ नहीं होने दूंगा।

सितारा:- पहले तुम अपना ध्यान अच्छे से रखना सीखो लव। बाद में हमारा ध्यान रखना। क्योंकि यह सब तुम्हारे कारण ही हुआ।

उसके बाद सभी सितारा की इस बात पर हंसने लगते हैं।

लव:- (शरमाते हुए) हां हां ठीक है सितारा। ऐसा सबके साथ होता है, तुमने भी तो लापरवाही की थी ना।

सितारा:- क्या कहा? परंतु मुझसे तो गलती हुई थी। लेकिन तुमने तो सब कुछ जानबूझकर किया।

करण:- अच्छा ठीक है। अब हमें वापस चलने की तैयारी करनी चाहिए।

कमल:- हां अब मैं भी अपने सफ़र पर चलता हूं।

करण:- जी बिल्कुल कमल जी। आपका हमारी सहायता करने के लिए एक बार फिर से धन्यवाद।

उसके बाद कमल वहां पर सबसे अलविदा लेकर अपने सफ़र पर चले जाते हैं।

करण:- ठीक है दोस्तों। अब हमें भी चलना चाहिए चलो हम भी चलते हैं।

बाबा:- ठीक है बच्चों, परंतु रुको, मैं तुम्हारी वापस जाने में सहायता करता हूं। इस दरवाजे के रास्ते तुम जल्दी ही वापस पहुंच जाओगे।

करण:- जी बाबा।

उसके बाद बाबा कुछ मंत्र पढ़ते हैं। इसके बाद वहां पर एक बहुत ही तेज रोशनी प्रकाशित होती है। फिर दिवार में एक बड़ा सा रास्ता खुल जाता है।

लव:- वाह…

बाबा:- यह दरवाजा आप लोगों को मुनि के घर तक आसानी से पहुंचा देगा। आप सभी को वापस घर जाने के लिए अपनी यात्रा आरंभ करने की आवश्यकता नहीं होगी। मुनी के घर पर पहुंचने के बाद आप सभी अपने बाकी मित्रों के साथ वापस अपने समय में चले जाना।

करण:- जी बाबा हमारी सहायता करने के लिए आपका धन्यवाद।

करमजीत:- हां अब हम सभी चलते हैं।

उसके बाद सभी उस रास्ते से होते हुए वापस मुनि के घर के बाहर आ जाते हैं।

लव:- हाश… मैं कितने समय बाद वापस घर आया हूं।

कुश:- सिर्फ तुम ही नहीं लव। हम सभी भी इतने समय बाद वापस घर आए हैं। मैं तो इतनी सारी यात्रा करके काफी ज्यादा थक गया हूं। अब मैं बस आराम करना चाहता हूं।

बुलबुल:- हां तुमने बिलकुल सही कहा, हम सभी बहुत ज्यादा थक गए हैं और बस अब हम स्वादिष्ट भोजन खाना चाहते हैं और थोड़ा आराम करना चाहते हैं।

टॉबी:- चलो हम सभी अंदर चलते हैं और तेजिंदर सिंह जी को और सुनीता जी हमें देखकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे और साथ ही हम उन दोनों को खुशखबरी देंगे।

सितारा:- कैसी खुशखबरी?

टॉबी:- यही कि हम सभी लव को बचाने में कामयाब रहे।

सितारा:- हां तुमने बिलकुल सही कहा चलो, अब जल्दी से हम अंदर चलते हैं।

उसके बाद वे सभी मुनि के घर के अंदर चले जाते हैं। जहां पर मुनि और उसकी पत्नी थी। वह दोनों करण और उसके दोस्तों को सही सलामत देखकर अत्यधिक प्रसन्न हो जाते हैं।

मुनी:- अरे आप सभी आ गए?

लव:- नहीं अभी हम सभी रास्ते में हैं थोड़ी देर में आ जाएंगे।

मुनी:- मतलब…?

लव:- अरे मैं तो बस आपसे मजाक कर रहा था।

बुलबुल:- हा हा हा। तुम भी ना लव पता नहीं कैसे खराब मजाक करते हो।

लव:- ऐसा नहीं है, बुलबुल।

बुलबुल:- हां हां ठीक है लव।

मुनी:- अच्छा हुआ कि आप सभी अपने मित्र को बचाने में कामयाब रहे।

लव:- हां शुक्र है कि सभी ने मुझे बचा लिया।

मुनी की पत्नी:- आप सभी आराम कर लीजिए। आप सब बहुत ज्यादा थक गए होंगे।

करमजीत:- हां हम थक तो बहुत ज्यादा गए।

मुनी की पत्नी:- ठीक है तो आप सभी थोड़ी देर आराम कर लीजिए।

करमजीत:- परंतु हमें तेजिंदर सिंह जी और सुनीता जी कहीं भी नहीं दिख रहे हैं।

करण:- हां वह दोनों कहां पर है?

मुनी:- दरअसल………

जब सभी आपस में बात कर रहे थे। तभी वहां पर तेजिंदर सिंह और सुनीता आ जाते हैं। तब टॉबी भाग कर तेजिंदर सिंह और सुनीता के पास जाता है।

तेजिंदर सिंह:- (टॉबी के सिर पर हाथ फेरते हुए) अजी तुस्सी आ गए?

सुनीता:- अजी आप सभी बच्चे वापस आ गए। असी तुम सब लोगा नु वेख कर बड़े खुश हुए जी। कद्दू काट के।

बुलबुल:- हां जी सुनीता जी, हम सभी लव को बचाकर वापस आ गए।

तेजिंदर सिंह:- अजी आप सभी आप सभी बच्चों का सफर कैसा रहा?

सितारा:- बस तेजिंदर सिंह जी हमारा सफर काफी अच्छा रहा। आपको पता है??

तेजिंदर सिंह:- अजी नहीं पुत्र मैन्नु नहीं पता।

कुश:- हा हा हा।

सितारा:- हां तो मैं आपको बताता हूं। हम सभी एक समुद्र के नीचे एक नई दुनिया में भी गए थे। हमने वहां के राजा को राक्षसों के बुरे जाल से बचाया था।

टॉबी:- साथ ही हम एक जादुई जंगल में गए थे। जहां पर हमें बहुत से जादुई फल मिले। जिन्हें खा कर हम थोड़ी देर हवा में उड़ पा रहे। हमें बहुत मजा आया।

लव:- (उदास होते हुए) तो दोस्तों तुम सब मेरे बिना बहुत मजे कर रहे थे। मैं यह सब कुछ नहीं कर पाया। तुम सबको मेरी याद नहीं आई।

बुलबुल:- नहीं लव ऐसा बिल्कुल नहीं है।

करण:- हां लव ऐसा नहीं है, बल्कि हम सब तुम्हें बचाने के लिए ही तो इस यात्रा पर गए थे।

लव:- हा हा हा। हां दोस्तों मैं जानता हूं। मैं तो केवल मजाक कर रहा था।

शुगर:- हां और तुम्हें पता है लव। वहां पर बहुत से बड़े-बड़े जादुई फूल आ गए थे। जिन्होंने कुश को निघल लिया था।

लव:- (रोते हुए) क्या कहा उन जादुई फूलों ने मेरे भाई को निघल लिया। नहीं……. ऐसा नहीं हो सकता। अब मेरे भाई का क्या होगा? मेरा बेचारा भाई कुश………

लव की यह बात सुनकर सभी उसे आश्चर्यचकित होकर देखने लगते हैं। (सभी लव को एक सीरियस एक्सप्रेशंस से देखेंगे)

बुलबुल:- (सीरियस होकर) यह दोनों भाई भी ना बहुत नौटंकी करते हैं। दोनों बिल्कुल एक जैसे है। कभी एक शुरू होता है, तो कभी दूसरा।

करण:- लव अब बस भी करो। कुश तुम्हारे सामने ही तो है। वह अब बिल्कुल ठीक है।

लव:- (अचानक खुश होते हुए) क्या कहा मेरा भाई बिल्कुल ठीक है? कुश मेरे भाई।

कुश:- लव मेरे भाई।

लव:- शुक्र है तुम ठीक हो।

कुश:- हां भगवान का शुक्र है कि तुम भी वापस सही सलामत आ गए।

करण, बुलबुल, करमजीत, सितारा, टॉबी:- (सभी एक साथ कहते है।) (🤦) इन दोनों भाइयों का क्या होगा?

शुगर:- हा हा। दोनों बिल्कुल एक जैसे है।

तेजिंदर सिंह:- हा हा हा। दोनों भाई जुड़वा है, एक जैसे तो होंगे ही।

सुनीता:- हा हा हा। कोई ना जी। ये अभी बच्चे हैं। कद्दू काट के।

जब सभी बातें कर रहे थे। तभी वहां पर बाबा आ जाते हैं।

करण:- बाबा प्रणाम।

सभी:- प्रणाम बाबा।

बाबा:- प्रणाम बच्चों। आप सभी की यात्रा सफल रही।

करण:- जी बाबा। ऋषि वेदव्यास जी ने हमारे मित्र को बचा लिया। साथ ही आपका भी हमारी इतनी सहायता करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

बुलबुल:- जी बाबा।

लव:- जी बाबा आपने मुझे बचा लिया। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

बाबा:- मुझे यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि आप सभी जिस कार्य के लिए भविष्य में आए थे। उसमें आप सभी सफल रहें।

करण:- जी बाबा जी, अब हम वापस अपने समय में जाना चाहते हैं।

तेजिंदर सिंह:- अजी पुत्र तुस्सी विल्कुल सही कहंदे हो जी। इससे पहले जी दुवारा किवे गड़वड़ हो जा, अजी हुन सव नु वापस अपने समय विच चलना चाहिए।

सुनीता:- अजी तुस्सी बिल्कुल सही कहंदे ओ जी कद्दू काट के।

बाबा:- हा हा। चिंता मत करो बच्चों, मैं तुम सबको कल सुबह ही वापस तुम्हारे समय में भेज दूंगा।

करण:- जी बाबा।

बाबा:- आप सभी बहुत थक गए होंगे। तब तक आप सभी विश्राम कर लीजिए।

बुलबुल:- जी।

उसके बाद सभी भोजन करके अपने-अपने कक्ष में सो जाते हैं। फिर अगले दिन जब सभी उठ जाते हैं, तो बाबा कुछ मंत्रों का उच्चारण करते हैं। फिर वों करण और उसके सभी दोस्तों को वापस उनके समय में पहुंचा देते हैं।

बुलबुल:- हाआ… हम वापस अपने वर्तमान समय में आ गए। वापस आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

करण:- हमने बहुत दिनों से अपनी यात्रा आरंभ कर रखी है। हम बहुत सी अलग-अलग जगहों पर घूमे हैं। इसलिए अब हम सभी को वापस अपने घर जाना चाहिए।

करमजीत:- हां तुमने बिलकुल सही कहा करण, हमारे घर वाले भी हमारा इंतजार कर रहे होंगे।

तेजिंदर सिंह:- हां जी पुत्तर अव आप सभी भी अपने घर चले जाओ। अजी मैं और सुनीता जी वी अपने घर चलते हैं।

करण:- जी तेजिंद्र सिंह जी।

उसके बाद तेजिंदर सिंह और सुनीता जी सबको अलविदा कहकर वहां से चले जाते हैं।

सितारा:- ठीक है करण, मैं भी चलता हूं। मुझे भी एक बार अपने घर जाना चाहिए। अगर तुम्हें कभी भी मेरी आवश्यकता हो तो मुझे अवश्य याद करना।

बुलबुल:- क्या तुम सच में जा रहे हो सितारा?

सितारा:- हां बुलबुल बहुत समय हो गया है। मुझे अब घर जाना होगा।

करण:- ठीक है सितारा, तुम अपना ध्यान रखना।

उसके बाद इतना कहकर सितारा भी वहां से चला जाता है। उसे जाता देखकर सबकी आंखें नम हो जाती।

टॉबी:- अपना ध्यान रखना सितारा।

फिर करण और उसके सभी दोस्त भी अपने-अपने घर चले जाते हैं। उसके बाद सभी कुछ दिन अपने घर पर विश्राम करते हैं और अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करते हैं।

करण और उसके दोस्तों ने एक बहुत बड़ा रोमांचक सफर तय किया। क्या अब सब यहीं पर समाप्त हो जाएगा या फिर आगे और कौन से एडवेंचर से भरी नई चीजें होंगी। यह सब जानने के लिए बने रहिएगा तिलिस्मी कहानी के अगले एपिसोड तक।

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