Homeतिलिस्मी कहानियाँ100 – बाबा का श्राप | Baba ka Shraap | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

100 – बाबा का श्राप | Baba ka Shraap | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्त एक जादुई जंगल में थे। वहां पर एक जादुई फूल ने कुश को निघल लिया था।

नैरेटर:- जब सभी रो रहे थे, तभी पीछे से कुश आ जाता है और सभी उसे देखकर बहुत ज्यादा हैरान हो जाते है। पहले तो सभी को लगता है कि वह कुश का भूत हैं, परंतु उसके बाद…….

करण:- कुश तुम ठीक तो हो ना?

कुश:- हां करण फिलहाल तो मैं ठीक हूं। परंतु पहले तो मेरी हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी।

करमजीत:- हां उस फूल ने जब तुम्हें निघला उसके बाद तो तुम्हें बहुत ज्यादा परेशानी हुई होगी? हमें क्षमा करना कुश, हम तुम्हारी सहायता नहीं कर सके।

सितारा:- हां कुश हमें क्षमा कर दो, हमारे कारण तुम्हें बहुत परेशानी हुई।

कुश:- अरे नहीं दोस्तों, तुम सब मुझसे क्षमा क्यों मांग रहे हो? इसमें किसी का भी दोष कोई नहीं है। बल्कि यह सब तो मेरे कारण हुआ। मुझे सावधानी रखनी चाहिए थी।

बुलबुल:- परंतु कुश… एक बात बताओ?

कुश:- हां बुलबुल।

बुलबुल:- कुश तुम उस जादुई फूल से बचने में किस प्रकार सफल रहे?

सितारा:- हां कुश।

कुश:-  दरअसल दोस्तों……..

कुश:- अरे यह फूल तो बहुत जिद्दी है। लेकिन मैं हार नहीं मानूंगा।

टॉबी:- ओहह…

बुलबुल:- एक बात बताओ कुश, जब तुम उस फूल के मुंह से बाहर आकर गिर गए और तुम बेहोश हो गए। तब उस फूल ने तुम्हें दोबारा क्यों नहीं निघला? उसने तुम्हें इतनी आसानी से कैसे छोड़ दिया?

कुश:- (मासूमियत के साथ कहते हुए) क्यों बुलबुल… क्या तुम्हें खुशी नहीं हुई कि उस फूल ने मुझे दोबारा नहीं निघला? क्या तुम ऐसा चाहती थी कि वह फूल मुझे दोबारा खा जाए?

बुलबुल:- अरे नहीं नहीं कुश! ऐसा कुछ भी नहीं हैं। मेरे कहने का यह मतलब नहीं था। मुझे क्षमा करना कुश अगर तुम्हें ऐसा लगा तो, परंतु मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी। मुझे खुशी है कि तुम बिल्कुल ठीक हो।

कुश:- हा हा हा… बुलबुल तुम भी ना। मैं जानता हूं कि तुम मेरा बुरा नहीं चाहती। मैं तो बस तुमसे मजाक कर रहा था।

बुलबुल:- हा हा… तुम भी ना कुश।

टॉबी:- हा हा हा… आखिरकार पहली बार तो किसी ने बुलबुल को डराया। हा हा हा…….

कुश:- हा हा हा टॉबी।

करमजीत:- हा हा हा… तुमने बिलकुल सही कहा टॉबी।

बुलबुल:- (सबको आंखें दिखाते हुए) तुमने ऐसा क्यों कहा?

टॉबी:- अरे बुलबुल… वो कुछ नहीं… मैं तो बस ऐसे ही कह रहा था।

बुलबुल:- हा हा हा… मैं भी बस मजाक कर रही थी, टॉबी।

टॉबी:- हा हा हा…

करण:- हा हा हा

कुश:- परंतु बुलबुल यह तुमने बिलकुल सही कहा कि आखिर मैं उस फूल के सामने ही बेहोश हुआ था, उसके बावजूद उस फूल ने मुझे दोबारा क्यों नहीं निघला।

कमल:- दरअसल वह फूल कुछ भी देख नहीं सकते हैं। यह जादुई फूल केवल कोई आहट या शोर को सुनकर ही हमारे ऊपर हमला करते हैं। जब आप उस फूल के मुंह से बाहर निकले होंगे, तब आप उस फूल से थोड़ी दूर जाकर के गिरे होंगे। साथ ही आप तुरंत बेहोश हो गए थे, इसीलिए उस फूल को कोई शोर नहीं सुनाई दिया।

करण:- हां आपने बिल्कुल सही कहा कमल जी और साथ ही जब हम बेहोश होते हैं। तो उस समय हमारी सांसों की गति भी काफी धीमी‌ हो जाती है। इस कारण जब वह फूल तुम्हारे पास से गुजरा भी होगा, तो वह तुम्हें ढूंढ नहीं पाया होगा।

कुश:- हां आप दोनों ने बिल्कुल सही कहा। मेरे साथ अवश्य ऐसा ही हुआ होगा।

शुगर:- हां तो यह तो बहुत ही अच्छा हुआ कुश। इसी कारण तुम्हारे प्राण भी बच गए।

कुश:- हां तुमने बिलकुल सही कहा शुगर।

सितारा:- हां अब तुम चिंता मत करो कुश। अब सब ठीक हो गया है।

करमजीत:- हां अब सब ठीक हो ही गया।

कुश:- दोस्तों मैं अब बहुत ज्यादा थक गया हूं। मैं थोड़ी देर विश्राम करना चाहता हूं।

बुलबुल:- हां मैं भी काफी थक गई हूं और अब तो सुबह भी होने वाली है।

करण:- कोई बात नहीं दोस्तों हम सभी को थोड़ी देर विश्राम कर लेना चाहिए। क्योंकि हमें अपनी आगे की यात्रा भी आरंभ करनी है।

नैरेटर:- उसके बाद सभी थोड़ी देर सो जाते हैं। फिर अगले दिन सभी अपनी आगे की यात्रा आरंभ करते हैं।

कमल:- दोस्तों, हम सभी इस जंगल से बाहर निकलने वाले हैं।

करण:- परंतु हम ऋषि वेदव्यास जी के पास कब तक पहुंचेंगे?

कमल:- बस हमें इस जंगल से बाहर निकल कर एक गुफा की तलाश करनी है। उस गुफा में बाबा अपनी तपस्या कर रहे होंगे। वहीं पर हमें बाबा मिल जाएंगे।

बुलबुल:- क्या इसका मतलब हम जल्दी ही बाबा को ढूंढ लेंगे और लव को बचा पाएंगे।

सितारा:- हां बिल्कुल।

कुश:- हां हम लव को बचाने में जरूर कामयाब होंगे।

सभी साथ में:- हां।

नैरेटर:- उसके बाद सभी उस जंगल से बाहर आ जाते हैं। फिर उन्हें एक बड़ी सी गुफा दिखाई देती है।

करण:- कमल जी क्या यही वह गुफा है? जिसमें हमें ऋषि वेदव्यास जी मिलेंगे।

कमल:- हां करण यह वही गुफा है।

बुलबुल:- चलो तो अब हम अंदर चलते हैं।

करमजीत:- हां।

नैरेटर:- उसके बाद सभी उस गुफा के अंदर जाते हैं। वो सभी वहां पर देखते हैं कि ऋषि वेदव्यास जी तपस्या कर रहे थे। इसीलिए सभी वहां पर हाथ जोड़कर नीचे आराम से बैठ जाते हैं।

करमजीत:- (धीमी आवाज में) बाबा कब तक तपस्या करेंगे?

कमल:-  (धीमी आवाज में) वो तो मैं कुछ नहीं कह सकता। परंतु यह बहुत ही बड़े ज्ञानी तथा तपस्वी बाबा है। इसलिए हमें थोड़ी देर शांति से इंतजार करना होगा।

बुलबुल:-  (धीमी आवाज में) सभी शांत हो जाओ। हमें बाबा की तपस्या भंग नहीं करनी चाहिए।

नैरेटर:- उसके बाद सभी शांत होकर थोड़ी देर वहीं पर बैठ जाते हैं। फिर थोड़ी देर बाद बाबा अपनी आंखें खोलते हैं।

सभी साथ में:- प्रणाम बाबा।

बाबा:- प्रणाम बच्चों।

करण:- बाबा हम सभी यहां पर आपसे सहायता मांगने आए हैं।

बुलबुल:- हां बाबा हमें हमारे दोस्त को बचाना है। वह बहुत ही बड़ी मुसीबत में फंस गया है।

बाबा:- वह समय के चक्रव्यूह में फंसा है।

करण:- जी बाबा।

बाबा:- परंतु जो एक बार समय के चक्रव्यूह में फंस जाता है, उसे वापस लाना नामुमकिन होता है।

करण:- परंतु बाबा कृपया करके हमारी सहायता कीजिए।

कुश:- (रोते हुए) कृपया करके बाबा मेरे भाई को बचा लीजिए। मैं उसके बिना नहीं जी सकता।

बुलबुल:- बस करो कुश।

कुश:- एएए…..

बाबा:- ठीक है, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं।

कुश:- क्या सच में बाबा।

बाबा:- हां पुत्र। ‌

कुश:- आपका बहुत-बहुत धन्यवाद बाबा। मैं आपका बहुत आभारी रहूंगा।

बाबा:-(अजीब मुंह बनाते हुए) हां हां पुत्र। तुम्हारा भाई जल्दी ही तुम्हारे पास वापस आ जाएगा।

कुश:- येएएएएएए……. (Can show Little happy dance)

बुलबुल:- हा हा हा।

करण:- हा हा हा… कुश… तुम भी ना।

टॉबी:- लगता है यह खबर सुनकर कुश बहुत ज्यादा खुश है।

शुगर:- हां कुश… हुआ खुश…

बुलबुल:- हा हा हा। वाह शुगर।

बाबा:- हा हा हा।

नैरेटर:- कुश को इतना खुश देखकर सभी बहुत हंसने लगते हैं।

बाबा:- परंतु उसके लिए आप सभी को एक कार्य करना होगा।

करण:- कार्य… कैसा कार्य‌ बाबा?

बाबा:- आप सभी को उसी समय में जाना होगा। जिस समय में लव अपने भविष्य स्वरूप से मिला था।

करमजीत:- इसका मतलब हमें भूतकाल में जाना होगा।

सितारा:- क्या कहा हमें भूतों के पास जाना होगा?

सितारा:- नहीं नहीं, मुझे भूतों से बहुत डर लगता है।

बुलबुल:- (अपने हाथ को सिर पर रखकर ना में सिर हिलाते हुए।) अरे सितारा तुम भी ना। इसका मतलब यह है कि हमें बीते हुए समय में जाना होगा। जिस प्रकार अभी हम भविष्य में आए हैं, इसी प्रकार हमें उस समय में जाना होगा, जब तुम और लव, लव के भविष्य वाले स्वरूप से मिलने गए थे।

सितारा:- ओह अच्छा।

करण:- हा सितारा।

करमजीत:- (हंसते हुए) हा हा हा। तुम भी ना सितारा बिना वजह ही ड़र गए।

सितारा:- हा हा हा।

करण:- परंतु बाबा क्या हमें उस समय में जाकर लव को वहां से लाना होगा।

बाबा:- नहीं पुत्र इस तरह सब कुछ बिगड़ जाएगा। वह दूसरे समय का लव है, उसे तुम किसी और समय में नहीं ला सकते। तुम्हें अपने समय वाले लव को बचाना होगा, जो इस समय, समय के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है।

बुलबुल:- तो बाबा, हमें बीते हुए समय में जाकर क्या करना होगा?

बाबा:- जब दोनों लव आपस में एक दूसरे के सामने टकराएंगे। तब तुम सभी को उनका आमना-सामना होने से रोकना होगा। अगर तुम सभी यह सब होने से रोक लेते हो, तो तुम अपने दोस्त को बचा पाओगे। अगर तुम सभी इस कार्य को करने में नाकामयाब रहे, तो तुम कभी भी अपने मित्र को नहीं बचा पाओगे।

करण:- ठीक है बाबा, हम सभी ऐसा दोबारा नहीं होने देंगे। हम इस बार दोनों लव को आमने-सामने नहीं आने देंगे।

बाबा:- तो ठीक है पुत्र। मैं तुम सभी कि उस समय में जाने की तैयारी करता हूं। परंतु याद रहे आप में से केवल एक ही व्यक्ति उस समय लव के सामने जा सकता है। बाकी सभी को छुपना होगा।

करण:- बाबा इस बार हम सभी वहां पर नहीं जाएंगे। इस बार केवल मैं और सितारा ही बीते हुए समय में जाएंगे और लव को बचाएंगे।

करमजीत:- पर करण, हम सभी भी इसमें मदद करना चाहते हैं और लव को बचाना चाहते हैं।

करण:- लेकिन करमजीत बाबा ने कहा ना कि हम सभी लव के सामने नहीं जा सकते। इसीलिए हमें सावधानी रखनी होगी। हम जितने कम लोग वहां पर होंगे, उतना ही हमारे लिए फायदा होगा और हमारे पास लव को बचाने के लिए केवल एक ही मौका है।

बाबा:- हां पुत्र वहां पर सभी के जाने का कोई काम नहीं है। इसलिए तुम में से कोई दो व्यक्ति ही जाकर अपने दोस्त को बचा सकते हो। क्योंकि आपको केवल उन दोनों का आमना सामना होने से ही रोकना है। आपको कुछ ही पलों का समय मिलेगा, उसी पल में आपको कैसे भी करके उनका आमना-सामना होने से रोकना होगा।

करमजीत:- लेकिन बाबा अगर करण को हमारी सहायता की आवश्यकता हुई तो?

बुलबुल:- करमजीत तुम चिंता मत करो। करण और सितारा दोनों मिलकर सब संभाल लेंगे। यह दोनों लव को बचाने में जरूर कामयाब होंगे।

सितारा:- हां करमजीत तुम ज्यादा चिंता मत करो।

करमजीत:- ठीक है।

बाबा:- ठीक है, मैं अभी यज्ञ आरंभ करता हूं।

करण:- जी बाबा।

बाबा:- याद रहे तुम दोनों को भूतकाल में किसी के भी सामने नहीं जाना। सिर्फ तुम दोनों में से कोई एक कुछ पल के लिए दोनों लव में से किसी एक लव के सामने जा सकते हैं और उन्हें एक दूसरे से मिलने से रोक सकते हो।

करण:- जी बाबा।

नैरेटर:- उसके बाद बाबा यज्ञ की सामग्रियां लेकर आते हैं और यज्ञ करने की तैयारी शुरू कर देते हैं। फिर थोड़ी देर बाद बाबा यज्ञ आरंभ कर देते हैं और सभी यज्ञ में बैठ जाते हैं। यज्ञ करते समय करण और सितारा वहां से गायब हो जाते हैं और वापस भूतकाल में पहुंच जाते हैं।

सितारा:- अरे करण जल्दी छुपों जाओ। यह क्या हुआ???

करण:- सितारा……….

नैरेटर:- आखिर भूतकाल में जाकर करण और सितारा ने ऐसा क्या देखा। क्या वह दोनों लव को बचाने में कामयाब हो पाएंगे? यह सब जानने के लिए बने रहियेगा तिलिस्मी कहानी के अगले एपिसोड तक।

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