उद्धार का रास्ता बताना – साखी श्री गुरु राम दास जी
गुरु साहिब की हजूरी में दीवान लगा था| सभी सिक्ख वहीं उपस्थित थे| तभी धरमदास, डूगरदास, दीपा, जेठा, संसार व बालू तीर्थ ने गुरु जी से प्रार्थना की कि महाराज! हमारा उद्धार किस प्रकार सम्भव है? गुरु जी कहने लगे कि पहले अपने मन का अहंम भाव त्यागो|
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नम्रता धारण करो| हृदय में दास भावना का निवास हो| ईर्ष्या व जलन को त्याग दो| किसी की भी निंदा न करो| सत्संग में जाओ| वहां कथा-कीर्तन बड़े प्रेमपूर्वक व श्रद्धा भाव से सुनो| उन बचनों को अपने जीवन में भी ढालना जरूरी है| अतिथि का आदर करो| उसे श्रद्धा से भोजन खिलाओ| विश्राम कराओ| इससे आपका लोक तो सुधरेगा ही, परलोक भी सुधर जाएगा|
इस तरह आप अपने लोक व परलोक दोनों को सुधार सकते है| जिससे आपका उद्धार होना निश्चित है|
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