सेवा का महत्व – साखी श्री गुरु राम दास जी
एक दिन सत्संग दीवान की समाप्ति के पश्चात सिक्ख इकट्ठे होकर गुरु जी के पास आए| वे कहने लगे कि महाराज! हमारा जन्म किस प्रकार सफल हो सकता है, कोई उपदेश दें|
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गुरु जी ने कहा – यदि कोई अपनी अन्तिम समय गति चाहता है तो उसे अपने अहम भाव को त्याग करके तन-मन से संगत की सेवा करनी चाहिए| कलयुग में सत्य का संग व सेवा का अधिक महत्व है| जप करने, तप करने व अन्य किसी नेम धर्म का समय नहीं है| सबकी सेवा करना ही उत्तम कर्म है| सेवा के बिना भक्ति सम्भव नहीं| भक्ति के बिना ज्ञान हासिल नहीं हो सकता| इसलिए सेवा सभी शुभ कार्यों का मूल है| अपनी शक्ति अनुसार (यथाशक्ति) भोजन तैयार करके संगत को खिलाना, जल सेवा, पंखा फेरना, सिक्खी संगत के विश्राम के लिए सुन्दर मन्दिर बनाना व बिना किसी हंकए के सेवा करना ही सबसे उत्तम है| श्रद्धापूर्वक व प्रेम सहित की सेवा ही मानव-मात्र के लिए कल्याणकारी है|
गुरु के सिक्खों की सेवा करने से सब फल प्राप्त होते है| ये सिक्ख संत हँस के समान होते है| गुरु जी का यह उपदेश सुनकर सिक्खों ने गुरु जी को नमस्कार की व सेवा करने जुट गए| अब उन्हें सेवा का सही भाव समझ आ चुका था|
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