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गुरु के चक्क व गुरु के महल – साखी श्री गुरु राम दास जी

गुरु के चक्क व गुरु के महल

एक दिन श्री गुरु अमरदास जी ने श्री (गुरु) रामदास जी को अपने पास बिठाया और कहने लगे – हे सुपुत्र! अब आप रामदास परिवार वाले हो गए हो|

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हम यही चाहते है कि आप अपनी जगीर में मकान तैयार करके वहां निवास करो| गुरु जी ने पांच बुद्धिमान सिक्खों तथा बुड्ढा जी को आपके साथ जाने के लिए तैयार कर दिया| आप ने उन्हें समझाया कि रामतीर्थ को जाते हुए जहां संवत १५५८ श्री गुरु नानक देव जी ने वृक्षों के नीचे दोपहर काटी थी| वहां बैठकर उन्होंने वचन भी किया था कि भोग मोक्ष का प्रवाह चलेगा| आप वहीं आस-पास खुल्ला स्थान देख लेना| खुल्ला स्थान देखकर गांव की नींव रखकर मकान तैयार करा देना|

उसकी उत्तर दिशा की तरफ सरोवर भी खुदवाना| इससे हर जीव-जन्तु को पीने के लिए पानी मिलेगा| बाबा बुड्ढा जी तथा साथी मिलकर श्री (गुरु) रामदास जी के साथ झवाल आकर जागीर के मुखी को श्री गुरु अमरदास जी की आज्ञा बताई| साथ ही साथ गांव की नीव रखने को बताया| इस प्रकार गुरु साहिब का ध्यान करते हुए अरदास की तथा गांव की नींव रख दी| उस गांव का नाम गुरु का चक रखा| गुरु जी ने अपने निवास के लिए मकान बनवाए थे वह अब गुरु के महल करके प्रसिद्ध हुए|

 

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