सिक्खों को उपदेश – साखी श्री गुरु अमर दास जी
एक दिन डल्ले गांव के सिक्ख एकत्रित होकर गुरु जी के पास आ गए| उन्हें पता चला की गुरु जी वापिस गोइंदवाल जाने को तैयार है वे इकट्ठे होकर दर्शन के लिए आ गए|
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गुरु जी ने सबको समझाया – भाई! आप गुरुपर्व, अमावस्था, संक्रान्ति, दीपावली, वैसाखी और दशहरा आदि शुभ दिनों को इकट्ठे हों| मिलकर कीर्तन किया करो| उत्साह व श्रद्धा से कढाह प्रसाद करके गुरु निमित बांट दिया करो| निष्काम भाव से सबकी सेवा करो| अगर कोई वस्त्रहीन नजर आए तो उन्हे वस्त्र दो| भूखे को रोटी दो| अगर किसी सिक्ख का कोई काम अटक जाए तो मिलकर इकट्ठे होकर काम संवार दिया करो| आपको देखकर आपके बच्चों में अच्छे संस्कार आएंगे| वे भी इस शुभ रीति को धारण करके अपना जीवन संवार लेंगे|
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