शेखों को उनके किए हुए फल – साखी श्री गुरु अमर दास जी
मुग़ल बादशाह के समय दिल्ली व लाहौर के रास्ते में व्यास नदी से पार होने के लिए गोईंद्वाल का पत्तन बहुत प्रसिद्ध था| बड़ी-२ सराए शाही सेनओं के लिए यहाँ बनी हुई थी जिसके कारण यह रौनक रहती थी| यह व्यापर पेशा कुछ शेखों के घर भी थे जो कि गुरु के सिखों से सदैव नोक-झोक लगाई रखते थे| वे पानी के घड़े गुलेले मार कर तोड़ देते थे व सिख स्त्रियों को भला बुरा भी कहते थे|
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जब गुरु जी को यह बात पता लगी तो कहने लगे, करता पुरख आप ही इनको बंद करेगा| आप शांत रहें| कुछ दिनों में वहाँ सन्यासी साधुओं का डेरा उतरा| जब वह भी पानी लेने को गये तो शेखों ने उनके घड़े तोड़ दिए| उन्होंने लड़को की खूब पिटाई की| कुछ दिनों में पठान सैनिकों का दल वहाँ उतरा| उस रात तूफ़ान के कारण खूब उथल-पुथल जिस कारण शेखों ने पठानों की खच्चर घेर ली| सुबह जब पठानों ने अपनी खच्चर को गम पाया तो ढूँढना शुरू कर दिया| वह खच्चर शेखों के घर में से निकली| उन्होंने शेखों पर चोरी का इलजाम लगाकर खूब मारा और उनके घर भी लूट लिए| जब यह बात गुरु जी को बताई गये तो आप ने वचन किया, जो निरवैर पुरुष से सीना जोरी करता है, वह आप ही दुःख पाता है| इस प्रकार गुरुसिखो को तंग करने की शेखों को अपने आप ही सजा मिल गई|
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