पदम रेखा बताने वाले पंडित को वरदान – साखी श्री गुरु अमर दास जी
हरिद्वार से २०वी तीर्थ यात्रा करके पंडित दुर्गा प्रसाद ने जब गुरु अमरदास जी के पाँव में पदम देखकर कहा था कि आपके शीश पर जल्दी ही छत्र झूलेगा, जब उसने यह सुना कि आप गुरुगद्दी पर आसीन हुए है तो अपना मुँह माँगा वरदान लेने के लिए गुरु अमरदास जी के पास आये| उन्होंने गुरु जी को अपना वरदान पूरा करने की मांग की|
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गुरु जी कहा, हम अपना दिया हुआ वचन अवश्य पूरा करेंगे, जो मांगना है मांग लीजिए| पंडित ने खुश होकर कहा, महाराज! अगर मै संसारी सुख मांगूगा तो नरको का भागी बनूँगा और अगर परलोक का सुख माँग लूँगा तो यहाँ संसार में गरीबी के दिन काट कर दुखी रहूँगा| इसलिए आप मुझे दोनों लोकों के सुख वरदान में दीजिए| आप तो समर्थ है| गुरु जी उसकी बुद्धिमता पर बहुत प्रसन्न हुए और हँस कर वचन किया-अच्छा पंडित जी! आप को दोनों लोकों का सुख प्राप्त होगा| आप यहाँ भी सांसारिक सुख भोगोगे और परलोक में भी बैकुंठ धाम में निवास करोगे| इस प्रकार लोक-परलोक के सुखों का वर लेकर पंडित खुशी-२ गुरु जी की शलाघा गाता हुआ घर को चल दिया|
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