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जेठा जी को लाहौर भेजना – साखी श्री गुरु अमर दास जी

जेठा जी को लाहौर भेजना

श्री गुरु अमरदास जी ने अकबर बादशाह के बुलावे पर बाबा बुड्ढा जी व बुद्धिमान सिक्खों के साथ सलाह करके श्री रामदास जी को लाहौर जाने के लिए कहा|

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श्री रामदास जी कहने लगे महाराज! मैंने कोई शास्त्र आदि ग्रन्थ नहीं पढ़ा| मैं शिकायत करने वालों के प्रश्नों का उत्तर किस प्रकार दूंगा? गुरु जी मुस्कुराए व कहने लगे कि आप हमारा ध्यान करके अपनी दांहिनी बाजू की तरफ देखना, आपको सब वेद – शास्त्रों का ज्ञान हो जाएगा| आप सभी प्रश्नों का उत्तर शीघ्रता से दे पाएंगे| गुरु जी का हुक्म मानकर श्री रामदास जी लाहौर चले गए व वहां से कचहरी में पहुंच गए|

बादशाह ने प्रश्नकर्ताओं को बुला कर कहा, अगर तुम्हें गुरु जी के विरुद्ध कोई शिकायत है  तो आगे आएं| उन्होंने आगे आकर बताया कि वे अपनी सारी बात ऊँच नीच और सांझी संगत-पंगत की, गायित्री आदि मन्त्र का त्याग बता रहे हैं| वे हिंदु धर्म को बहुत भारी खतरा बता रहे हैं| श्री रामदास जी उनके सभी प्रश्नों का उत्तर देते रहे| श्री रामदास जी ने बादशाह की तसल्ली भी करा दी तो फिर शिकायत कर्ताओं ने कहा अगर यह सब ठीक कहते हैं तो गायत्री मन्त्र पढ़कर बताएं| अगर इन्हें गायत्री मन्त्र ही याद नहीं तो यह अपने क्षत्रि धर्म में पक्के किस तरह हो सकते हैं| तब श्री रामदास जी ने गायत्री का पाठ व उसके अर्थ करके बताए|

उन्होंने इसके अर्थ बहुत सुन्दर धुन व मिठी रसना के साथ गाए| सभी शिकायतकर्ता यह देखकर दंग रह गए| बादशाह ने रामदास जी को सिरोपाउ दे कर बड़े आदर के साथ विदा किया और कहा कि मैं गोइंदवाल आकर गुरु जी के दर्शन करूँगा|

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