माणक चन्द को जीवित करना – साखी श्री गुरु अंगद देव जी
बाउली की खुदाई का कार्य चल रहा था| बाउली की खुदवाई जब पानी तक पहुंच गई तो आगे पत्थरों की कठोरता आ गई|
इस कठोरता को एक क्षत्रि माणक चन्द पथरीए ने अपनी मेहनत से तोड़ दिया| कठोरता के टूटने से, नीचे से पानी एकदम बहुत जोर से ऊपर उठा जिस के कारण माणक चन्द उस में डूब गया| सिक्ख उस मृत शरीर को पानी से निकालकर गुरु जी के पास ले गए| सतगुरु जी ने वचन किया कि अगर यह माणिक है तो मरेगा नही|
फिर गुरु जी ने आप अपना दायां पैर माणिक चन्द के माथे पर लगा कर कहा – “उठ माणक सतिनाम कह|” माणक गुरु जी का वचन सुनते ही इस तरह उठकर बैठ गया जैसे गहरी नींद से जागा हो| उस दिन से गुरु जी ने उसका नाम जीवड़ा रख दिया|
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