हरिपुर के राजा-रानी का गुरु जी से मिलना – साखी श्री गुरु अंगद देव जी
हरिपुर के राजा व रानी सावण मल की प्रेरणा से गुरु जी के दर्शन करने के लिए गोइंदवाल आए| सावण मल गुरु जी से बेनती की कि महाराज! हरिपुर का राजा अपनी रानी सहित आपके दर्शन करने आया है|
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गुरु जी ने वचन किया कि राजे को लंगर प्रसाद खिला कर व सफेद वस्त्र पहना कर लाएं| न ही कोई रंगदार वस्त्र पहने और न ही कोई मुँह को ढके|
राजे और उसकी रानियों ने गुरु जी के वचन को अपनाकर वैसे ही किया| एक रानी ने गुरु जी के पास बैठे सिक्ख को घूंघट उठा कर देख लिया| गुरु जी ने कहा कि ये पागल कैसे आई है? आप जी के ऐसे वचन करते ही रानी अपनी सुध बुध खो बैठी व चीखें मारती बाहर निकल गई| इस बात को देखकर राजा चिंतित हो उठे| गुरु जी ने सावण मल की श्रद्धा और प्रेमा भक्ति को देखकर उसको फिर वह शक्ति प्रदान की और कहा कि आप हरिपुर जाकर गुरु सिक्खी का प्रचार करो| कभी भी अपनी शक्ति का अहंकार न करना| राजे की पागल हुई रानी की शादी गुरु ने अपने एक सिक्ख के साथ कर दी जो लंगर के लिए लकड़ियां लाता था और अपनी कृपा दृष्टि के साथ रानी का रोग भी दूर कर दिया|
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