शुद्ध गुरुबाणी पढ़ने का महत्व – साखी श्री गुरु गोबिंद सिंह जी
एक दिन एक सिक्ख श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की शरण में “दखणी ओंकार” का पाठ पढ़ रहा था| गुरु जी उसकी मीठी व सुन्दर आवाज़ के साथ बाणी का पाठ बड़े प्रेम से सुन रहे थे| परन्तु जब उसने यह चरण –
शुद्ध गुरुबाणी पढ़ने का महत्व सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Listen Audio
करते की मिति करता जाणै के जाणै गुरु सूरा ||
पढ़ी तो आपने एक सेवादार को कहा कि इसके मुँह के ऊपर थपड़ मारो व इसे दूर ले जाओ| जब यह बात हुई तो संगत ने बड़े हैरान होकर प्रार्थना की कि सच्चे पातशाह! इस सिक्ख से आपने इस तरह क्यों किया है? यह तो बड़े प्रेम से गुरुबाणी पढ रहा था|
गुरु जी ने उत्तर दिया यह सिक्ख बाणी का पाठ गल्त कर रहा था| इससे यह व्यवहार इस लिए किया गया है क्योंकि यह पढ़ रहा था –
करते की मिति करता जाणै के जाणै गुरु सूरा ||
जिसका गल्त अर्थ यह बनता है कि कर्ते की महिमा कर्ता ही जनता है, गुरु शूरवीर क्या जान सकता है| सवाल यह है कि यदि करते की मिति को गुरु नहीं जान सकता, तो फिर उस गुरु ने सिक्ख को क्या उपदेश देना है|
सो भाई सिक्खों! गुरु जी की बाणी के शुद्ध पाठ उच्चारण का बहुत बड़ा महत्व है| इसका शुद्ध पाठ किया करो| इस चरण का शुद्ध पाठ यह है कि –
“के जाणै गुरु सूरा” – जिसका अर्थ है – कर्ते की महिमा कर्ता आप ही जानता है या शूरवीर गुरु जानता है|
आप जी के यह वचन सुनकर सारे सिक्खों ने शुद्ध पाठ करने का प्रण किया|
Khalsa Store
Click the button below to view and buy over 4000 exciting ‘KHALSA’ products
4000+ Products