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जेब काटने वाले चोर को शिक्षा – साखी श्री गुरु गोबिंद सिंह जी

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दरबार में सदा एक मेला सा लगा रहता था| एक दिन चार सिख गुरु जी के पास आए| उन्होंने आकर प्रार्थना की कि किसी ने उनकी जेब काट ली है व पैसे नकदी निकाल लिए हैं|

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उनकी बात सुनकर गुरु जी ने सिखों को हुक्म दिया कि संगत की भीड़ में एक आदमी जिसने सिर पर लाल पगड़ी बांधी है, कमर पर धोती है तथा उसके हाथ में माला व माथे पर चन्दन का सफ़ेद तिलक लगा हुआ है, उसे पकड़कर हमारे पास ले आओ|

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दरबार में सदा एक मेला सा लगा रहता था| एक दिन चार सिख गुरु जी के पास आए| उन्होंने आकर प्रार्थना की कि किसी ने उनकी जेब काट ली है व पैसे नकदी निकाल लिए हैं| उनकी बात सुनकर गुरु जी ने सिखों को हुक्म दिया कि संगत की भीड़ में एक आदमी जिसने सिर पर लाल पगड़ी बांधी है, कमर पर धोती है तथा उसके हाथ में माला व माथे पर चन्दन का सफ़ेद तिलक लगा हुआ है, उसे पकड़कर हमारे पास ले आओ|

सिखों ने गुरु जी की बात सुनी व गुरु जी की बताई निशानी के अनुसार एक आदमी के हाथ पैर बांधकर गुरु जी के समक्ष ले आए| गुरु जी ने उसकी तलाशी करवाई| चुराया हुआ सारा समान व धन उसके पास से ही निकला| तब गुरु जी ने उस जेब कतरे को कैद में डलवा दिया|

कुछ दिनों के बाद आपने उसे बुलाकर कहा तूने जेब काटने के लिए हमारी आराधना करके प्रण किया था, मैं तीन जेबें काटकर फिर यह काम नहीं करूंगा| परन्तु तूने अपने प्रण से फिर कर चौथी बार जेब क्यों काटी? इसलिए तुम्हें कैद की सजा दी जाती है| परन्तु यदि अब तुम यह प्रण हमारे सामने कर लो कि आगे से कोई ऐसा काम नहीं करोगे, तो तुम्हें छोड़ देते हैं|

उस चोर ने गुरु की बात सुनकर उनसे क्षमा माँगी व यह प्रण किया कि वह आगे से ऐसा कोई काम नहीं करेगा| गुरु जी ने उसे बुलाकर उपदेश दिया व कैद से निकाल दिया|

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