वैद्य को उपदेश – साखी श्री गुरु नानक देव जी
श्री गुरु नानक देव जी को एकांत में लेटे देखकर माता तृप्ता कहने लगी – पुत्र! तुम बीमारो की तरह चुपचाप क्यों लेटे रहते हो? घर का कोई काम-काज दिल लगा कर किया करो|
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खेती का कार्य अगर आपको पसंद नहीं तो व्यापार का काम कर लो, इससे मन भी लगा रहेगा| धन भी आएगा| कोई भला क्षत्रि आपको देखकर अपनी लड़की का रिश्ता दे देगा, आपका परिवार बन जाएगा| बेटा! तेरा रंग पीला, शरीर कमजोर व शिथिल हो गया है| अगर कोई रोग हो तो बता दो, मैं किसी वैद्य को बुलाकर इलाज करा देती हूं| गुरु जी शांत रहे|
माता जी ने गुरु जी को रोगी समझ कर वैद्य हरिदास जी को नब्ज दिखाई| वैद्य को रोग का पता नहीं लगा तो गुरु जी ने श्लोक उच्चारण किया| यह सुनकर वैद्य भी दंग रह गया| उसने अपने हाथ जोड़ लिए और कहने लगा – आप जी के वचन सुनकर मेरा अज्ञान समाप्त हो गया है| आप कृपा करके मेरे मन का रोग भी दूर कर दें| वैद्य की बिनती सुनकर गुरु जी ने कहा,
श्री गुरु नानक देव जी – ज्योति ज्योत समाना
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