राजा शिवनाथ को उपदेश – साखी श्री गुरु नानक देव जी
श्री गुरु नानक देव जी अनन्त जीवों का सुधार व उद्धार करते हुए नागापटम से समुद्र के किनारे रामेश्वरम पहुंचे|
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संगलादीप पहुंच कर राजा शिवनाथ को सत्यनाम देकर आपने कृतार्थ किया| श्री गुरु नानक देव जी की आज्ञानुसार राजे ने धर्मशाला बनवाई और सत्य का संग (सत्संग) की नींव रखी|
हठ योग के अनुसार प्राणायाम करने के लिए गुरु जी ने राजा को जो साधन समझाया वह पोथी के रूप में लिखा गया, जिसका नाम प्राणसंगली प्रसिद्ध हुआ|
श्री गुरु नानक देव जी – जीवन परिचयश्री गुरु नानक देव जी – ज्योति ज्योत समाना
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