पंडों को भ्रम से निकालना – साखी श्री गुरु नानक देव जी
गुरु जी गया पहुंचे| यह शहर गयासुर दैंत्य का बसाया हुआ है, जिसके नाम पर ही इसका नाम गया प्रसिद्ध है| हिन्दुओं के विश्वास अनुसार यहां प्राणियों के पिंड बनाने से उनकी गति हो जाती है|
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जब गुरु जी यहां पहुंचे तो पंडो ने आपको भी अपने पितृों की गति के लिए पिंड भराने को कहा| गुरु जी ने वहां शब्द का उच्चारण किया| इस शब्द का मूल भाव समझाकर गुरु जी ने बताया कि अपने हाथ से किया हुआ दान कभी समाप्त नहीं होता|
इसलिए अपने जीते जी हाथों से दान करना ही लोक-परलोक में सहायक होता है| तत्पश्चात प्राणी नमित पिंड आदि भरवाने और अन्य दान-पुण्य करना उसके किसी काम नहीं आता|
श्री गुरु नानक देव जी – जीवन परिचयश्री गुरु नानक देव जी – ज्योति ज्योत समाना
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