Homeसिक्ख गुरु साहिबानश्री गुरु नानक देव जीश्री गुरु नानक देव जी - साखियाँलाखों आकाश व लाखों पाताल दिखाने – साखी श्री गुरु नानक देव जी

लाखों आकाश व लाखों पाताल दिखाने – साखी श्री गुरु नानक देव जी

लाखों आकाश व लाखों पाताल दिखाने

श्री गुरु नानक देव जी कारूँ से चलकर बगदाद शहर के पूर्व की पहाड़ी के नीचे जा बैठे| यहां का राजा अत्याचारी था|

“लाखों आकाश व लाखों पाताल दिखाने – साखी श्री गुरु नानक देव जी” सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Listen Audio

उसने कई फकीरों को करामात दिखाने के लिए कैद किया हुआ था| गुरु जी ने वहां गुरुवर अकाल की बांग लगाई तो सभी लोग सुन्न से रह गए| पीर ने समाधि लगाकर यह पता किया कि यह शक्तिशाली बांग किसने दी है| उसे पता लगा कि किसी मस्ताने फकीर ने बांग दी है और यह वही फकीर है जिसने मक्के को घुमाया, इमामों को चर्चा के साथ जीता है| दस्तगीर ने पूछा आपका नाम क्या है? आप किस स्वरूप के फकीर हो? मरदाने ने उत्तर दिया यह गुरु नानक है और एक प्रभु के स्वरूप को ही मानते है|

पीर ने पूछा कि आप जो अपने कलाम में लाखों पतालों तथा लाखों आकाशों का जिकर करते है, यह आप किस आधार पर कहते है? हमारे हजरत साहिब ने तीन आकाश और तीन ही पाताल बताएं है| हिन्दू मजहब सात आकाश व सात पाताल मानता है| इसलिए आपका कहना झूठ है गुरु जी ने कहा पीर जी! जितनी किसी को समझ होती है, वह उतनी ही बात कहता है|

मुझे करतार ने लाखों की सूझ दी है, हम ने लाखों कहे है| पीर ने कहा कि इसका यकीन हम कैसे करे| गुरु जी कहने लगे कि आप हमारे साथ चलकर स्वयं ही देख ले| पीर ने कहा आप मेरे बेटे को साथ लेकर जाए| मेरी तस्सली हो जाएगी|

तब गुरुजी ने पीर के पुत्र को आंखे बन्द करने को कहा| गुरु जी पलक झपकते लाखों ही आकाशों में घूमने लगे व उसके बाद लाखों ही पातालों की सैर कराई| पातालों से वापिस आते समय एक जगह पर संगत एकत्रित हुई थी| वहां प्रसाद बंट रहा था| गुरु जी ने पीर के पुत्र को मिट्टी के ठूठे में कढ़ाह प्रसाद भर कर दे दिया और वापिस पीर के पास आ बैठे|

पीर के पुत्र ने वापिस आकर लाखों ही आकाशों व लाखों ही पातालों का जिकर अपने पिता को किया| उसने बताया कि लाखों पातालों व लाखों आकाशों को देखते-देखते में थक गया हूं| इनकी गिणती नहीं की जा सकती| उसने कढ़ाह प्रसाद पिता के आगे रखकर बताया की इनके मुरीद सारे ही आकाशों व पातालों में है| यह हलवा हमें इन्हीं के मुरीदों ने पाताल से दिया है| सारी बात सुनकर पीर ने गुरु जी से क्षमा मांगी और नमस्कार की| इस स्थान पर आप की याद में चबूतरा बना हुआ है जिसकी चार दीवारी की एक शिला पर गुरु जी का आगमन उल्लेख लिखा हुआ है|

श्री गुरु नानक देव जी – जीवन परिचय

 

श्री गुरु नानक देव जी – ज्योति ज्योत समाना

Khalsa Store

Click the button below to view and buy over 4000 exciting ‘KHALSA’ products

4000+ Products