कोहड़ी का कोहड़ दूर करना – साखी श्री गुरु नानक देव जी
श्री गुरु नानक देव जी दीपालपुर शहर से बाहर एक कुटिया देखकर उस के पास जा बैठे| उस कुटिया में एक कोहड़ी रहता था| उसका यह हाल सम्बन्धियों ने किया था| उस कोहड़ी ने गुरु जी से कहा कि आप मेरे से दूर ही रहो, मुझे कुष्ट रोग है, गुरु जी कुटिया के पास पीपल के नीचे डेरा डालकर बैठ गए|
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दूसरे दिन आपने अपनी कृपा दृष्टि से उसका रोग दूर कर दिया और उसे सत्यनाम के स्मरण का उपदेश देकर आगे की ओर चल दिए|
इस स्थान पर आप जी के आने की याद में गुरुद्वारा बना हुआ है जो आज कल पाकिस्तान में है|
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