जनेयु की रस्म करनी – साखी श्री गुरु नानक देव जी
महिता कालू जी ने वंश की रीति अनुसार 11 साल के होते ही आपको जनेयु पहनाने के लिए दिन निश्चित करके पुरोहित हरदियाल के पास भेज दिया|
“जनेयु की रस्म करनी – साखी श्री गुरु नानक देव जी” सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Listen Audio
पुरोहित ने पुरे घर का गोबर से लेप किया व गुरु जी को पास बिठाकर मन्त्र उचारण करके जनेयु पकड़ा व बताया कि यह क्षत्रि धर्म की मर्यादा आदि ब्रह्म से चली आ रही है, इसे धारण करना अति आवश्यक है|
गुरु जी ने कहा पुरोहित जी इसे मैला होने पर, उतार कर नया पहनना पड़ता है और अन्त समय यहीं रह जाता है| इसके लिए ऐसा जनेयु पहना जाए जो सदा साथ निभे व कभी मैला न हो| पण्डित जी! यह चार कौड़ी का धागा खरीद कर, चौंके पर बैठाकर गले में डालकर आप उपदेश देते हो कि तेरा गुरु ब्राह्मण है, मगर जब पुरुष मर जाता है तो वह जनेयु भी साथ ही जल जाता है|
जनेयु के बिना ही पुरुष दरगाह में जाता है| तब इस का क्या लाभ? पंडित ने आश्चर्य चकित होकर पूछा ऐसा कौन सा जनेयु है जो कभी मैला नहीं होता, न ही टूटता है और अन्त समय दरगाह में साथ जाता है|
गुरु जी बोले,
यह सुनकर सब चुप हो गए| महिता कालू जी कहने लगे, अपनी गति को आप जानने वाला यह अलौकिक बालक है| इसके पश्चात भोजन ग्रहण करके व कालू जी से दक्षिणा लेकर सभी विदा हो गए|
श्री गुरु नानक देव जी – जीवन परिचयश्री गुरु नानक देव जी – ज्योति ज्योत समाना
Khalsa Store
Click the button below to view and buy over 4000 exciting ‘KHALSA’ products
4000+ Products