बनारस में पंडितों से हरि चर्चा – साखी श्री गुरु नानक देव जी
श्री गुरु नानक देव जी बनारस पहुंचे तो गुरु जी की वेश-भूषा-गेरुए रंग वाला करता, ऊपर सफेद चादर, एक पांव में जूती एक पांव में खौंस, सर पर टोपी, गले में माला, माथे पर केसर का तिलक देखकर लोग इकट्ठे हो गए|
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वह पंडित चतर दास को बुलाकर ले आए| पंडित ने प्रश्न किया महाराज! हम रोज ही चाहे वेद-शास्त्र पढ़ते है, मगर हमारे मन का अहंकार नहीं मिटता न ही मन को शान्ति हासिल होती है?
गुरु जी ने उत्तर दिया कि वेद-शास्त्र भी असर नहीं करते अगर मन के अन्दर सदा ही बुराई का चितवन हो| अपने मन से पहले झूठ, निंदा, लोभ व लालच आदि बुराईयों को दूर करो|
फिर वेद शास्त्रों को पढ़-सुनकर उसके ज्ञान उपदेश को धारण करो| इससे आपके मन को शांति प्राप्त होगी| गुरु जी ने विस्तारपूर्वक समझाना शुरू किया, जिस प्रकार नावें नदी से पार कराने वाली होती हैं| उस पर कोई भी चढ़ जाए, वह बेड़ी नदी से पार उतार देती है| इसी प्रकार गुरु रुपी मलाह जिस नाम रुपी बेड़ी पर चढ़ाये, उसी पर चढ़कर ही पार उतरा जा सकता है|
पंडितों ने फिर पूछा, महाराज! हमें किस नाम का स्मरण करना चाहिए? गुरु जी ने उत्तर दिया, आप सत्यनाम का स्मरण करें, आपकी मुक्ति हो जाएगी| इस तरह ज्ञान का उपदेश देकर गुरु जी आगे की ओर चल दिए|
श्री गुरु नानक देव जी – जीवन परिचयश्री गुरु नानक देव जी – ज्योति ज्योत समाना
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