साँप का छाया देना – साखी श्री गुरु नानक देव जी

गुरु जी (Shri Guru Nanak Dev Ji) अब रोजाना ही पशुओं को जंगल जूह में ले जाते| एक दिन वैसाख के महीने में दुपहर के समय पशुओं को छाओं के नीचे बिठा कर गुरु जी लेट गए| सूरज के ढलने के साथ वृक्ष कि छाया भी ढलने लगी| आप के मुख पर सूरज कि धूप देखकर एक सफ़ेद साँप अपने फन के साथ छाया करके बैठ गया|

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उस समय राये बुलार अपने साथियोँ के संग शिकार खेल कर वापिस अपने घर को जा रहा था|

राये बुलार ऐसे कौतक को देखकर दंग रह गया और गुरु जी को नमस्कार करते हुए मन ही मन गुरु जी (Shri Guru Nanak Dev Ji) की महिमा गाता हुआ अपने घर की ओर रवाना हो गया|

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गाय, भैं