श्री गुरु नानक देव जी – जीवन परिचय
जोर जबरदस्ती और हाक्मोके अत्याचारों से दुखी सृष्टि की पुकार सुनकर अकाल पुरख ने गुरु नानक जी के रूप में जलते हुए संसार की रक्षा करने के लिए माता तृप्ताजी की कोख से महिता कालू चंद बेदी खत्री के घर राये भोये की तलवंडी (ननकाना साहिब) में 1469 ई० को सवा पहर के तड़के अवतार धारण किया|
गुरु जी (अवतार) का सृष्टि पर प्रभाव
भाई गुरदास जी
सतिगुरु नानक प्रगटिया मिटी धुंध जग चानण होआ || जिउ कर सूरज निकलिआ तारे छपे अंधेर पलोआ || सिंघ बुके म्रिगावली भन्नी जाई न धीर धरोआ || जिथे बाबा पैर धरे पूजा आसण थापण सोआ || सिध आसण सभ जगत दे नानक आदि मते जे कोआ || घर घर अंदर धरमसाल होवै कीरतन सदा विसोआ || बाबे तारे चार चके नौ खंड प्रिथमी सचा ढोआ || गुरमुख कलि विच परगट होआ ||
जब पंडित जी ने महिता कालू से पूछा की दाई से यह पूछो की जनम के समय बच्चे ने कैसी आवाज निकाली थी? तब दौलता दाई ने बताया कि पंडित जी! मेरे हाथों से अनेकों बच्चों ने जनम लिया है,पर मैंने ऐसा बालक आज तक नहीं देखा, और बच्चे तो रोते हुए पैदा होते है पर यह बच्चा तो हँसते हुए पैदा हुआ है| मानों दुपहर का सूरज चड़ गया हो,और पूरा घर में सुगंध फ़ैल गयी हो| दाई कि बातों से पंडित जी ने यह अनुभव कर लिया कि यह को ई अवतार पैदा हुआ है | गुरु जी को हिंदी, हिसाब पढ़ने के लिए पांधे गोपाल के पास, संस्कृत के लिए पंडित ब्रिज लाल तथा फारसी पढ़ने के लिए मुल्ला कुतबुद्दीन के पास भेजा गया |
श्री गुरु नानक देव जी - साखियाँKhalsa Store
Click the button below to view and buy over 4000 exciting ‘KHALSA’ products
4000+ Products