श्री गुरु हरिगोबिन्द जी – ज्योति ज्योत समाना
बाबक रबाबी और मलिक जाती के परलोक सिधार जाने के कुछ समय बाद गुरु हरि गोबिंद जी (Shri Guru Hargobind Ji) ने अपने शरीर त्यागने का समय नजदीक अनुभव करके श्री हरि राये जी को गुरुगद्दी का विचार कर लिया| इस मकसद से आपने दूर – नजदीक सभी सिखों को करतारपुर पहुँचने के लिए पत्र लिखे|