निन्यानवे का चक्कर
एक सेठ की हवेली थी| बगल में एक गरीब का छोटा-सा घर था| दोनों घरों की स्त्रियाँ जब आपस में मिलती थीं, तब एक-दूसरे से पूछती थीं कि आज तुमने क्या रसोई बनायी?
एक सेठ की हवेली थी| बगल में एक गरीब का छोटा-सा घर था| दोनों घरों की स्त्रियाँ जब आपस में मिलती थीं, तब एक-दूसरे से पूछती थीं कि आज तुमने क्या रसोई बनायी?
एक दिन राजा जनक ने महर्षि याज्ञवल्क्य से पूछा, ‘महात्मन्! बताइए कि एक व्यक्ति किस ज्योति से देखता है और काम लेता है?’ याज्ञवल्क्य ने कहा, ‘यह तो बिल्कुल बच्चों जैसी बात पूछी आपने महाराज।
बचपन में गांधीजी को लोग ‘मोनिया’ कहकर पुकारते थे| प्यार से ‘मोहन’ की जगह यह नाम लेते थे| मोनिया का शरीर दुबला था| उसे पेड़ों पर चढ़ना बहुत अच्छा लगता था| मंदिर के आंगन में पपीते और अमरूद के पेड़ थे| मोनिया उन पर चढ़कर पके फल तोड़ लाता|
एक बार नारदजी एक पर्वत से गुजर रहे थे। अचानक उन्होंने देखा कि एक विशाल वटवृक्ष के नीचे एक तपस्वी तप कर रहा है। उनके दिव्य प्रभाव से वह जाग गया और उसने उन्हें प्रणाम करके पूछा कि उसे प्रभु के दर्शन कब होंगे।
सेठ धर्मदास धार्मिक प्रवृति का व्यक्ति था| बड़े-बड़े महात्मा और ज्ञानी पुरषों के संपर्क में रहने के कारण एक महात्मा ने सेठ से कहा, ‘सेठजी आप दानी होने के साथ-साथ काफ़ी धनवान भी है| अतः आप एक मंदिर बनवा दे, जिससे आपको पुण्य लाभ मिलेगा|’
एक राजा और नगर सेठ में गहरी मित्रता थी। वे रोज एक दूसरे से मिले बिना नहीं रह पाते थे। नगर सेठ चंदन की लकड़ी का व्यापार करता था।
किसी नगर में ब्राह्मणों के चार लड़के रहते थे| वे चारों ही बड़े गरीब थे| उनमें आपस में गहरी मित्रता थी| अपनी गरीबी दूर करने के लिए उन्होंने बहुत-से उपाय किए, लेकिन उनका कष्ट दूर नहीं हुआ| आखिर परेशान होकर उन चारों ने निश्चय किया कि और कहीं जाकर उन्हें धनोपार्जन का प्रयत्न करना चाहिए|
एक बुढ़िया बड़ी सी गठरी लिए चली जा रही थी। चलते-चलते वह थक गई थी। तभी उसने देखा कि एक घुड़सवार चला आ रहा है। उसे देख बुढ़िया ने आवाज दी, ‘अरे बेटा, एक बात तो सुन।’ घुड़सवार रुक गया।