HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 75)

डच साम्राज्य ने इंडोनेशिया पर हमला करके उसे अपने साम्राज्य में मिलाने की सोची। वहीं दूसरी ओर इंडोनेशिया के नवयुवकों ने भी तय कर लिया था कि मर मिटेंगे, लेकिन डचों को देश में नहीं आने देंगे। सेना में युवकों की भर्ती होने लगी। एक गुरिल्ला दल बना। दल की पहली टुकड़ी के लिए युवकों का चयन होने लगा।

एक सेवक अपने स्वामी की हत्या करके दूसरे नगर में भाग गया। स्वयं को छिपाने के लिए उसने कई वेश बदले। अब तक वह भिखारी हो चुका था। इधर उसके स्वामी का पुत्र अब तक युवा हो चुका था। अपने पिता के हत्यारे से बदला लेने की उसकी भावना प्रबल हो उठी। वह हत्यारे को खोजने चल पड़ा।

बहुत समय पहले की बात है| किसी नगर में एक सेठ रहते थे| उनके पास अपार संपत्ति थी, लंबी-चौड़ी हवेली थी, नौकर-चाकरों की सेना थी, भरापूरा परिवार था| सब तरह के सुख थे, पर एक दुख था|

प्रयाग में एक ऋषि का आश्रम था| उनके एक अतिसुन्दर कन्या थी| कन्या को विवाह योग्य जानकर उन्होंने अपने ही शिष्यों में से सद्गुणी शिष्य के साथ उसका विवाह करने का निर्णय किया|

एक व्यापारी के पास एक घोड़ा और एक गधा था। वह स्वयं घोड़े पर चढ़ता और गधे पर बोझ लादकर गांव-गांव माल बेचता था। घोड़ा चूंकि उसने ऊंचे दाम देकर खरीदा था, इसलिए उस पर वह बोझ नहीं लादता था और उसका अधिक ख्याल रखता था। एक दिन व्यापारी घोड़े पर चढ़कर और गधे पर बोझ लादकर किसी गांव की ओर जा रहा था।